विचारणीय प्रश्न..!
दिल्ली एमसीडी चुनाव में जिहादी आप" पार्टी की बढत और"बीजेपी"की हार (रूझान)से"हिन्दुओं के दिवालियेपन"का पता चलता है!
दिल्ली दंगा से लेकर कोरोना काल में केजरीवाल द्वारा कोई काम नहीं करना और केंद्र पर सिर्फ ठीकरा फोडना इत्यादि हिन्दुओं ने कितनी जल्दी भुला दिया.!👇
केजरी के कई मंत्री भ्रष्टाचार में जेल में बंद है, इसे भी भुला दिया।
अच्छा है, अब दिल्ली की सडकों पर केजरीवाल और उसके गुर्गे खुलेआम रोहिंग्या और मुसलमानों को बसाएंगे, और तुम्हारा जीना हराम करेंगे, तुम्हारी बहन बेटियां भी लव जिहाद का शिकार बनेंगी और फिर तुम्हें एक करोड का घर चालीस
लाख में बेचने को मजबूर करेंगे, तब उस वक्त तुम्हें अपनी करनी का पता चलेगा। और ये होगा, लिख लो..!
दिल्ली नगर निगम चुनाव के परिणामों से मेरे अनुसार यह निष्कर्ष निकलता है, की,
१. भ्रष्टाचार तब कोई मुद्दा नहीं है जब कुत्तों को खैरात के टुकड़े मिलते रहें।
२. दंगा और जीवन सुरक्षा कोई
नहीं यदि मुफ्त बिजली पानी मिलता रहे।
३. देशद्रोहियों का खुलकर समर्थन करने वाली पार्टी यदि मीडिया को रिश्वतरुपी विज्ञापन देती रहे तो कुत्ते रूपी मीडिया भी पूँछ हिलाती है।
देश के जनहित जारी।
अय्यय्यो होटल श्रृंखला के लिए एकदम सटीक बात पंद्रहवीं शताब्दी में ही लिख गए...
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ।
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।।
अर्थात जिस भी अय्यय्यो होटल में खोजता हूं वहीं अनमैरिड कपल्स को पाता हूं। अगर गहरे 👇
पानी के अंदर स्थित अय्यय्यो होटल में भी जाऊं तो वहां भी यही कप्लस मिलेंगे। मैं बूढ़ा डर के मारे कहीं जाता ही नहीं और किनारे पर ही बैठा हुआ उन्हें आता जाता देखता रहता हूं।
एक दिन हमने आपको हिसार शहर की कथा सुनाई थी। वही हाल हमारे अपने शहर का भी है। आज एक शादी के सिलसिले में कुछ
रूम बुक करने गए तो पता चला कि अपना शहर तो रैपिड रेल आने से पहले ही रैपिड स्पीड में दौड़ रहा है। अय्यय्यो रूम घंटों के हिसाब से बुक हो रहे हैं।
एक होटल के मालिक ने तो शादी में आने वाले गेस्ट्स के लिए रूम देने से मना ही कर दिया। हमने रीजन पूछा तो कहता है... शादी वालों को देकर हमे
जिस गृहयुद्ध की भयानकता को आप देख नहीं पा रहे हो उसकी भयानक आग की लपटें मुझे साफ-साफ दिखाई दे रहीं हैं।
पंजाब का खालिस्तानी कैडर और जाटों में फैला यूनियनिस्ट का गठबंधन ऑलरेडी हो चुका है।
पीएफआई कागजों में भले प्रतिबंधित हो लेकिन जमीनी स्तर पर वह पूर्ण प्रशिक्षित दो लाख 👇
लड़ाके तैयार कर चुका है।
हमारी उम्मीद अड़तालीस प्रतिशत ओबीसी और उन्नीस प्रतिशत दलित हैं लेकिन आप क्या कर रहे हैं?
जिस अम्बेडकर को आप दिनरात अपमानित करके उनकी विरासत को आपने धूर्त पेरियारवादियों को सौंप दिया है वही देशघाती पेरियारवादी अम्बेडकर के नाम की ओट में 'भीम-मीम'गठबंधन
बना चुके हैं जो दिनोंदिन मजबूत होता जा रहा है।
याद रखना,यह भीम-मीम गठबंधन इतना भयानक नुकसान पहुंचाएगा जिसकी कल्पना तक आप नहीं कर पा रहे हो।
आप देख नहीं पा रहे पर आप अकेले होते जा रहे हैं।
आप जर्मनी में यहूदियों की तरह सबकी घृणा के पात्र बनते जा रहे हैं क्योंकि आप
अभ्यास से बोध नहीं होता
यह सिद्धान्त है कि
जो वस्तु मिलती है और बिछुड़ती है वह अपनी नहीं होती।
शरीर मिला है तो बिछुड़ जायगा।
फिर वह अपना कैसे हुआ?
परमात्मा मिलने तथा बिछुड़ने वाले नहीं हैं।
वे सदा से ही मिले हुए हैं।
और कभी बिछुड़ते ही नहीं।
उनका अनुभव नहीं होने का दुःख नहीं है👇
परमात्म प्राप्ति शरीरादि जड़ पदार्थों के द्वारा नहीं होती प्रत्युत इनके त्याग से होती है।
मन-बुद्धि की सहायता से बोध नहीं होता प्रत्युत इनके त्याग से बोध होता है।
तत्र स्थितौ यत्नोऽभ्यासः ||
किसी एक विषय में
स्थिति प्राप्त कराने के लिये बार-बार प्रयत्न करने का नाम अभ्यास है
तत्त्वबोध किसी स्थिति का नाम नहीं है जहाँ स्थिति होगी वहाँ गति भी होगी।
यही नियम है।
तत्त्व स्थिति और गति दोनों से अतीत है।
तत्त्व में न स्थिति है न गति है न स्थिरता है न चंचलता है।
जैसे भूख और प्यास के लिये अभ्यास नहीं करना पड़ता।
ऐसे ही तत्त्व की जिज्ञासा के लिये अभ्यास नहीं
मत परेशान हो, क्योंकि आमतौर पर... 1. चालीस साल की अवस्था में "उच्च शिक्षित" और "अल्प शिक्षित" एक जैसे ही होते हैं। (क्योंकि अब कहीं इंटरव्यू नहीं देना, डिग्री नहीं दिखानी). 2. पचास साल की अवस्था में "रूप" और "कुरूप" एक जैसे ही होते हैं। (आप कितने ही सुन्दर क्यों न हों झुर्रियां👇
आँखों के नीचे के डार्क सर्कल छुपाये नहीं छुपते). 3. साठ साल की अवस्था में "उच्च पद" और "निम्न पद" एक जैसे ही होते हैं। (चपरासी भी अधिकारी के सेवा निवृत्त होने के बाद उनकी तरफ़ देखने से कतराता है). 4. सत्तर साल की अवस्था में "बड़ा घर" और "छोटा घर" एक जैसे ही होते हैं। (बीमारियाँ
और खालीपन आपको एक जगह बैठे रहने पर मजबूर कर देता है, और आप छोटी जगह में भी गुज़ारा कर सकते हैं). 5. अस्सी साल की अवस्था में आपके पास धन का "कम होना" या "ज्यादा होना" एक जैसे ही होते हैं। (अगर आप खर्च करना भी चाहें, तो आपको नहीं पता कि कहाँ खर्च करना है). 6. नब्बे साल की अवस्था
एक प्रसिद्ध महात्मा थे प्रसिद्धि बढ़ती गई, चेले-चपाटे बढ़ते गए महात्माजी परेशान क्योंकि कई चेले मतलबी और मुफ़्तख़ोर टाइप के थे ।
एक बार महात्माजी कहीं जा रहे थे और चेले उनके साथ थे रास्ते में कलार (कच्ची देसी शराब बेचने वाला) मिला महात्माजी ने उसको रोका और बोले हमें शराब पिला👇
चेले आश्चर्य में पड़ गए कि गुरूजी ये क्या निषिद्ध कार्य कर रहे हैं । पर गुरूजी ने मदिरापान किया । गुरूजी की देखा देखी चेलों ने भी मदिरा पी ।
थोड़ा आगे बढ़े तो एक पीतल के बर्तनों पर क़लई करने वाला मिला ।उसने बर्तनों के लिए रांगा गर्म कर के पिघला रखा था गुरूजी वहाँ रुक कर बोले कि
यह गर्म पिघला हुआ रांगा हमें पिलाओ । सब चकित थे कि पिघली हुआ गर्म धातु को गुरूजी कैसे पी सकते हैं परन्तु महात्माजी ने ज़िद कर वह पिघली धातु पी । फिर चेलों की तरफ़ इशारा किया कि आप भी पियो ये सुन कर चेले वहाँ से खिसक लिए और केवल दो चार चेले ही बचे जिन्होंने गुरूजी की नकल करते हुए