मित्रो आपकी आंखे नम होजाऐगी क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल की फांसी के एक दिन पहले की करुण घटना सुनकर... #फाँसी से #एक_दिन_पूर्व फाँसी पाने वाले व्यक्ति को उसके सगे सम्बन्धियों से भेंट का अवसर मिलता है। ठाकुर मुरलीधर ठकुराइन को साथ ना लाये थे कि माँ बहुत रोयेगी।
दल की ओर से शिव👇
वर्मा भी सम्बन्धी बनकर बिस्मिल से मिल लेना चाहते थे। उन्होंने मुरलीधर जी से बात की पर उन्होंने झिड़क दिया। इधर माँ अपने से ही गोरखपुर पहुँच गई और जेल के फाटक पर पहले से मौजूद थीं। शिव वर्मा ने माता से अनुनय की तो वे बोलीं, तुम बिस्मिल के संगी हो और मेरे बेटे जैसे हो। मैं तुम्हें
साथ ले चलूँगी कोई पूछे तो कह देना मेरे भतीजे हो, शेष मैं देख लूँगी।
नवम्बर १९२८ के चाँद पत्रिका के फाँसी अंक में बिस्मिल व उनकी माताजी की अन्तिम भेंट का जो मार्मिक विवरण प्रकाशित हुआ वह 'प्रभात' के छद्म नाम से शिव वर्मा ने ही लिखा था। माँ जब 'बिस्मिल' के सामने आई तो वे रो पड़े
इस पर कड़ाई से माँ ने अपने बालक को डाँट दिया कि "यह क्या कायरता दिखा रहे हो!मैं तो बड़े अभिमान से सिर ऊँचा करके आई थी कि मेरी कोख से ऐसे बहादुर ने जन्म लिया है जो अपने देश की आजादी के लिए विदेशी सरकार से लड़ रहा है। मुझे गर्व था कि मेरा बेटा उस सरकार से भी नहीं डरता जिसके राज मे
सूर्य अस्त नहीं हो सकता और तुम रो रहे हो ? यदि फाँसी का भय था तो इस मार्ग पर बढ़े ही क्यों थे ?" बिस्मिल ने आँखें पोंछकर माँ को विश्वास दिलाया कि उसके आँसू मृत्यु के भयवश नहीं अपितु माता की ममता के प्रति थे। बिस्मिल अपने रोते हुए पिता को सांत्वना देते कहा, "आप पुरूष होकर रोते हैं
आपसे तो आशा थी कि आप माता को सम्भालेंगे।"
आज उसी रामप्रसाद क्रान्तियोगी रामप्रसाद 'बिस्मिल' गोरखपुर कारागार के फाँसीघर में काकोरी ट्रेन एक्शन के दण्डस्वरूप अंग्रेजी शासन में आपको फाँसी दी गई थी। मृत्युपश्चात आपकी अन्त्येष्टि सरयू तट पर बाबा राघवदास जी ने की थी। बरहज में बाबा
राघवदास जी के आश्रम में बिस्मिल जी की समाधि स्थित है
काश कोंग्रेस वामपंथियो ने गांधी नेहरू के झूठे महिमामंडन की जगह असली बलिदानीयो के जीवन को स्कूलों में पढ़ाया होता तो भारत मे सेकुलर वामपंथी भेड़िए पैदा ही नही होते
वाकई कैसे कैसे बलिदानी थे रामप्रसाद बिस्मिल और उनकी माता को नमन
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#भारत के पड़ोस #चीन में लाखों #लाशों का ढेर लग गया है
वॉल स्ट्रीट जनरल ने चीन में कोरोना के कहर का वर्णन करते हुए लिखा है कि चीन के शहरों में कोरोना से मरने वाले लोगों के शवों से अस्पतालों के मुर्दाघर भर चुके हैं बीजिंग के डोंगजिओ शवदाह गृह में काम करने वाली एक महिला का कहना है👇
कि हमें सांस लेने की भी फुर्सत नहीं है पहले 24 घंटे में सिर्फ 30 से 40 शव आते थे और आज 200 शव आए हैं और 2000 लोगों के शव कतार में हैं।
-बीजिंग में इमरजेंसी लागू है और सरकार ने यह कहा है कि सिर्फ गंभीर बीमारियों के लिए ही एंबुलेंस मंगवाए जाए लेकिन हालत यह है कि हर दिन 30,000 फोन
एंबुलेंस के लिए आ रहे हैं
-5 दिसंबर को अमर उजाला अखबार में यह खबर छपी थी कि अमेरिका के नेशनल इंटेलिजेंस की निदेशक एवरिल हैंस ने कहा है कि अगर चीन में लॉकडाउन हटा और जीरो कोविड पॉलिसी को हटाया गया तो वहां पर लाशों के ढेर लग जाएंगे और आज चीन में बिल्कुल वैसा ही देखने को मिल रहा है
हिंदू धर्म में पौष मास की अमावस्या तिथि को खास महत्व दिया जाता हैइस दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए खास उपाय किए जाते हैं।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व हैअमावस्या को पूर्वजों या पतरों का दिन कहते हैं। इस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है👇
पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या कहा जाता है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन चंद्रमा और सूर्य एक ही राशि में मौजूद रहते हैं।
पौष अमावस्या की तिथि
पौष अमावस्या तिथि आरंभ-22 दिसम्बर 2022,शाम 07:13बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त-23 दिसम्बर 2022, दोपहर 03:46 बजे तक
पौष अमावस्या तिथि- 23 दिसम्बर 2022, शुक्रवार
पौष अमावस्या के दिन क्या करें
पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है। ऐसे में इस दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।
जय सीता राम जी
!! झूठे हैं ये रिश्ते !!
एक बार एक संत के पास एक युवक सत्संग सुनने के लिए आया। संत ने उससे हाल-चाल पूछा, तो उसने स्वयं को अत्यंत सुखी बताया। वह बोला, ''मुझे अपने परिवार के सभी सदस्यों पर बड़ा गर्व है। मैं उनके व्यवहार से संतुष्ट हूं।
संत बोले, ''तुम्हें अपने👇
परिवार के बारे में ऐसी धारणा नहीं बनानी चाहिए। इस दुनिया में अपना कोई नहीं होता। जहां तक माता-पिता की सेवा और पत्नी-बच्चों के पालन-पोषण का संबंध है, उसे तो कर्तव्य समझकर ही करना चाहिए। उनके प्रति मोह या आसक्ति रखना उचित नहीं।" युवक को संत की बात ठीक नहीं लगी। उसने कहा, ''आपको
विश्वास नहीं कि मेरे परिवार के लोग मुझसे अत्यधिक स्नेह करते हैं। यदि मैं एक दिन घर न जाऊं, तो उनकी भूख-प्यास, नींद सब उड़ जाती है और पत्नी तो मेरे बिना जीवित भी नहीं रह सकती है।" संत बोले,तुम्हें प्राणायाम तो आता ही है। कल सुबह उठने के बजाए प्राणवायु मस्तक में खींचकर निश्चेत पड़े
सभी को मास्क पहनने की सलाह दी जाती है क्योंकि COVID-Omicron XBB कोरोनावायरस का नया संस्करण अलग, घातक और सही तरीके से पता लगाना आसान नहीं है।
नए वायरस COVID-Omicron XBB के लक्षण निम्नलिखित हैं:👇
1. खांसी नहीं होती है।
2. बुखार नहीं है।
इनमें से कुछ सीमित संख्या में ही होंगे:
3. जोड़ों का दर्द।
4. सिरदर्द।
5. गर्दन में दर्द।
6. ऊपरी कमर दर्द।
7. निमोनिया।
8. आमतौर पर भूख नहीं लगती है।
COVID-Omicron XBB डेल्टा संस्करण की तुलना में
5 गुना अधिक विषैला है और इसकी तुलना में मृत्यु दर अधिक है।
स्थिति को चरम गंभीरता तक पहुंचने में कम समय लगता है और कभी-कभी कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं।
आइए अधिक सावधान रहें!
वायरस का यह तनाव नासॉफिरिन्जियल क्षेत्र में नहीं पाया जाता है और अपेक्षाकृत कम समय के लिए सीधे
कनक वरण तप तेज बिराजा ||
सोना
जब तपता है
तो कंचन बनता है।
हनुमानजी के भीतर तप भरा है।
इसलिये तेज उनका कंचनरूप धारण कियें है।
तेज तप से आया है।
लंका सोने की है।
हनुमानजी ने पूरी लंका को आग में तपाया यह देखने के लिए कि सोना असली है या नकली।
नकली सोना जल गया।
और असली सोना यानी
हनुमानजी का बाल भी बांका नहीं हुआ।
क्यों ?
क्योंकि माँ जानकीजी रक्षा में बैठी थीं जानकीजी पावक रूप हैं।
पावक जरत देखि हनुमंता |
भयउ परम लघु रूप तुरन्ता ||
"भक्ति देवी"
भक्तों के लिये तो शीतल है।
और दुष्टों के लिये ज्वाला है।
जीवन में जो तेज है
वह तप से ही प्रकट होता है।
👇
हनुमानजी जैसा
कौन तपस्वी होगा ?
लंका वैभव का प्रतीक है।
लोगों के तो घरों में सोना है।
लेकिन लंका के सारे घर ही सोने के थे कितना वैभव होगा ?
लेकिन दुर्भाग्य से
इस वैभव का स्वामी अभिमानी था।
हनुमानजी के स्वामी भगवान् है।
जो रावण पूरे जगत को जला रहा था आज उसी का महल जल रहा है।👇
जय हिंद
जागो भारत जागो
दो राज्यों के असेम्बली चुनावो के परिणाम के बाद,
न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक आलेख लिखा, जिसका यथासम्भव हिंदी अनुवाद किया है
भारतीयों द्वारा वोट देने का पैटर्न एक दम साफ है उससे वर्तमान सरकार को सबक सीखना चाहिये..
-भारतीय मतदाता, फिस्कल डेफिसिट नही समझता और👇
उसे, कोई मतलब नही कि ये 2.4% रहे चाहे 3.4%. उन्हें सब्सिडी और फ्री-बी (मुफ्त देने की योजना) की भी समझ नही। उन्हें तो ये भी नही पता कि सब्सिडी और फ्री-बी एक उधार है जिसे एक दिन कोई न कोई चुकायेगा।
भारतीय जनता को GDP रेट से कोई मतलब नही, भले ही पिछले चार सालों में 3.8 से बढ़कर 7.4
हो गया, जो कि अमरीका, ब्रिटेन जापान आदि देशों से आगे है
- भारतीय लोग हमेशा शिकायत करेंगे, सिर्फ प्याज और दाल पर ही नही, डीजल पेट्रोल पर भी। उन्हें चीजे सस्ती भी मिलनी चाहिये और किसानों को भी अच्छी कीमत मिलनी चाहिये।
- भारतीयों के पुरानी आदते सुधारने को मत कहिये, उनकी नजर में ये