'मेरे पिता को ठगा। बेवकूफ बनाया। मैंने इसे समझा तो मेरा मन ईसाई धर्म से उचट गया। मैंने प्रण किया है कि जिस सरना को कैथोलिक संस्था ने अपवित्र किया, वह उनसे वापस लूँगा। उसी दिन अपने पुरखों के धर्म में लौटूँगा।'
ये कहना है क्लेमेंट लकड़ा का। 1/6
आप क्लेमेंट लकड़ा को जानते नहीं होंगे। मैं मिला हूं। उनके घर गया हूं। दीवारों पर लटके यीशु को देखा है। प्रमाण पत्र देखा है जो बताता है कि उनकी पत्नी दुलदुला की सरपंच हैं। उस डर को महसूस किया है, जिसमें वे रोज जीते हैं। उनके घर से टोकरी भर दस्तावेज लेकर लौटा हूं।
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56 साल के क्लेमेंट दो बेटियों के पिता हैं। सोचिए उस बाप पर क्या बीतती होगी जिसे धमकी दी जाती हो कि तुम्हारी बेटियों का जीवन बर्बाद कर देंगे। क्लेमेंट का दोष क्या है? बस ये कि उनके पिता ईसाई मिशनरियों के झांसे में आकर धर्मांतरित हो गए थे।
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क्लेमेंट के पिता का पहले धर्म गया। फिर 10 एकड़ जमीन गई। इस जमीन पर कैथोलिक संस्था का कब्जा है। चर्च है। स्कूल है। फादर और नन के रहने के लिए घर बने हुए हैं। खाली पड़ी जमीनों पर संस्था के ही लोग खेती करते हैं। क्लेमेंट का प्रवेश निषेध है।
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जमीन वापस पाने की कानूनी लड़ाई लड़ते-लड़ते, धमकियों के बीचे जीते-जीते क्लेमेंट के पिता 2000 में दुनिया छोड़कर चले गए। अब यही क्लेमेंट की जिंदगी है। अदालतों से उनके पक्ष में फैसले भी आए पर कब्जा नहीं हटा है। वे आज भी लड़ रहे हैं। आज भी वे उस जमीन पर नहीं जा सकते।
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ईसाई मिशनरियों से प्रताड़ित क्लेमेंट इकलौते नहीं हैं। ऐसे कई और क्लेमेंट ईसाई मिशनरियों से लड़ रहे हैं, जिनके पुरखों ने पहले अपना धर्म गंवाया, फिर जमीन।
क्या होता है जंगलराज? क्या अतीक अहमद-अशरफ का मारा जाना है जंगलराज?
जंगलराज... इस शब्द की कहीं भी चर्चा हो मेरी पीढ़ी के दिमाग की बत्ती जल जाती है। 1990 से 2005 का वह दौर याद आ जाता है, जब बिहार में लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी का राज था।
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15 साल के उस दौर की एक शब्द में व्याख्या 'जंगलराज' के तौर पर ही की जाती है। 15 अप्रैल 2023 की रात जब प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ मारा गया तो गिरोह के लिए यह जंगलराज हो गया।
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ऐसे में सवाल उठता है कि जंगलराज क्या है? क्या किसी माफिया/आतंकी का मरना जंगलराज है? क्या क्राइम रिकॉर्ड से जंगलराज का पता चलता है? यह इसलिए भी जानना जरूरी है क्योंकि आज जो जंगलराज कह रहे हैं, वही गाहे-बगाहे बिहार के उस जंगलराज को खारिज करने का भी प्रयास करते रहते हैं।
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बिहार के चंपारण के एक परिचित ने करीब सालभर पहले अपनी जमीन पर शांतिदूत के कब्जे को लेकर पुलिस से शिकायत की। एक साल में भी कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने आरटीआई डाली। जवाब मिला कि अभी जांच चल रही है। जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सरकार में थे तो...
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भाजपा के बड़े नेताओं के घरों को निशाना बनाया गया। इन बीजेपी नेताओं का आरोप था कि पुलिस ने उनकी शिकायतों पर गौर नहीं किया। सीमांचल के परिचित बताते हैं कि डेमोग्राफी चेंज की वजह से उनके लिए अपनी परंपराओं का निवर्हन करना कठिन हो गया है। पुलिस सुनती नहीं है।
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जंगलराज के बाद नीतीश कुमार के पहले कार्यकाल में बिहार पुलिस ने अच्छी साख अर्जित की थी। उसके बाद से वह लगातार ढलान पर है। आरोप है कि दारू और बालू से वसूली पर ही उसका फोकस है। इस फेर में वह कई बार पिटी भी है। महकमे के भीतर भी अधिकारी एक-दूसरे को निपटाने में लगे रहते हैं।
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मधुबनी के शंभू मुखिया से जुड़े प्रकरण में दैनिक जागरण पर तमिलनाडु पुलिस की कार्रवाई का विरोध होना चाहिए। जागरण ने जो कुछ छापा है वह शंभू मुखिया के भाइयों के हवाले से है। खबर छापने से पहले स्थानीय अधिकारियों से भी बात की गई थी।
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'जय श्रीराम' न कहने पर पिटाई की कई खबर मीडिया ने छापी थी। बाद में दावे झूठे निकले। खुद को पीड़ित बताने वाले व्यक्ति/समूह की बात छापने पर कार्रवाई होने लगे तो कोई मीडिया संस्थान नहीं बचेगा। 2/9 जय श्रीराम से जुड़े कुछ फेक दावे आप नीचे पढ़ सकते हैं।
मीडिया का काम है खुद को पीड़ित बताने वाले व्यक्ति समूह की बात को प्रकाश में लाना। पुलिस का काम है तथ्यों की पड़ताल करना। जयनगर के एक गांव का पीड़ित कुछ कहेगा तो जागरण का पत्रकार स्थानीय अधिकारियों से ही बात करेगा। वह जांच करने तिरुपुर नहीं जाएगा।
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ये बिहार के हर इलाके में कभी फलते-फूलते उद्योगों की लिस्ट का हिस्सा भर है। इन उद्योगों के कारण खेती आज की तरह घाटे का सौदा नहीं थी। न ही मजबूरी में दूसरे राज्यों में पलायन एकमात्र विकल्प।
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मिथिला देश की राजधानी #दरभंगा में पहले कुछ ऐसे इलाके पैदा हुए जो 'मिनी पाकिस्तान' कहलाए। अब दरभंगा से जयनगर हाईवे के दोनों तरफ ज्यादातर जगहों पर उनका कब्जा है। ओंसी जीरो माइल, मलिमल जैसे कई नए जगह भी अब 'मिनी पाकिस्तान' कहलाते हैं। 1/4
यही हाल बेनीपट्टी से जटही बॉर्डर का है। नए मस्जिद-मदरसे पैदा हो रहे। पुराने विस्तार ले रहे। जिस गांव में 100 घर मुस्लिम हैं, वहां कुछ साल के भीतर ही 2 से 3 मस्जिद बन गए। इन्हीं गांवों में हिंदुओं के 300 घर हैं पर मंदिर अब भी एक हैं।
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गांवों में होली हो तो वे मजहबी जलसा कर रहे। हर हिंदू आयोजन में विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे। मस्जिद के माइक पर कोई नियंत्रण नहीं। पर आपके नवाह के माइक से शोर हो रहा। उनकी शिकायत पर पुलिस पहुंच रही, माइक बंद करवा रही।
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10 साल पहले 17 साल की एक लड़की से रेप होता है। विरोध करने पर आरोपित जानलेवा हमला करता है। पीड़िता कोर्ट में शिकायत करती है। धारा 376 और धारा 307 के तहत एफआईआर दर्ज होती है।
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सालों पीड़िता और उसके परिजन इंसाफ के लिए चक्कर काटते हैं। कुछ नहीं होता है। फिर परिवार वाले चुपचाप पीड़िता की शादी कर देते हैं। आज उसके बच्चे भी हैं।
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10 साल बाद पुलिस पीड़िता के पिता का दरवाजा खटखटाती है। पीड़िता के पिता हाथ जोड़ खड़े हो जाते हैं। कहते हैं- अब हमें माफ कर दीजिए। न्याय नहीं चाहिए। बेटी की शादी हो चुकी है। अब केस के चक्कर में उसका बसा-बसाया परिवार उजड़ जाएगा। आरोपित भी मोहल्ला छोड़कर जा चुका है।
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