30 दिसंबर 1943 का दिन आजादी की लड़ाई का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव है, लेकिन इस बात को देश की अधिकाँश जनता जानती ही नहीं है क्योंकि इस बारे में स्कूलों में पढ़ाया ही नही जाता है.
इस दिन सुभाष चन्द्र बोस और उनकी आजाद हिन्द फ़ौज ने, जापानी सेना के सहयोग से अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह को ब्रिटिश शासन से आजाद कराकर, इसे भारत का प्रथम स्वाधीन प्रदेश घोषित किया था
30 दिसंबर, 1943 को माँ भारती के वीर सपूत "नेताजी सुभाष चंद्र बोस" ने भारतीय स्वतंत्रता का जयघोष करते हुए पोर्ट ब्लेयर में, तिरंगा फहराकर वहाँ अपने मुख्यालय की स्थापना की थी.
दीप समूह पर आजाद हिन्द फ़ौज के कब्जे के बाद, सिंगापुर से भारत की अस्थायी सरकार के प्रमुख सुभाष चन्द्र बोस जी ने भारत की आजादी की घोषणा की और भारत की जनता से आजादी की रक्षा करने का आह्वान किया था.
आज के दिन को एक, तरह से भारत का "प्रथम स्वतंत्रता दिवस" भी कह सकते हैं. सुभाष चन्द्र बोस ने एक घोषणा पत्र जारी किया ,
जिसमे कि - स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, प्रथम विदेश मंत्री और प्रथम राज्य प्रमुख के रूप में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा निम्नलिखित शब्दों में भारत के प्रति निष्ठा की शपथ ली.
मैं "सुभाष चन्द्र बोस" ईश्वर को साक्षी मानकर ये पवित्र शपथ लेता हूँ, कि -
मै सदैव भारत का एक दास रहूंगा,
अपने 38 करोड भाई-बहनों के कल्याण का ध्यान रखना, मेरा सर्वोच्च कर्तव्य होगा..
मैं स्वतंत्रता के इस पवित्र युद्ध को अपने जीवन की अंतिम साँस तक जारी रखूंगा,
मैं पूर्ण आज़ादी मिलने के बाद भी,
भारत की स्वतंत्रता के संरक्षण के लिए, अपने रक्त की आखरी बूंद बहाने के लिए सदैव तत्पर रहूंगा.
लेकिन आजादी की लड़ाई की इतनी महत्वपूर्ण घटना को भी, सत्ता की ताकत से नेहरू ने दबा दिया. अंडमान- निकोवार द्वीप समूह जिसकी पहचान कालापानी जेल के नायक "वीर सावरकर" और "सुभाष चन्द्र बोस" की विजय से है ।
वहां पर भी उनके नाम पर कुछ नहीं है. यहाँ तक कि - पोर्ट ब्लेयर के बंदरगाह का नाम भी नेहरु के नाम पर है "वीर सावरकर" और "सुभाष चन्द्र बोस" के नाम पर नही
लार्ड एटली, जिसने 'इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट' साइन किया था, 1955 में बंगाल आया था, जब गवर्नर ने उस से पूछा कि अंग्रेज़ भारत क्यो छोड गये ? तब एटली ने केवल तीन शब्द कहे "सुभाषं चंद्र बोस". भारत के इतिहास में इस बात को कभी बताया नही गया है. #जयहिंद #वंदे_मातरम् #भारत_माता_की_जय
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The Marathas under Shivaji and thereafter the Peshwa ruled India for a hundred years from 1674 until they were defeated by the British (which had a mix of India troops including Madras Artillery,
Mahars, Marathas, Rajputs, Muslims and Jews) in the third Maratha War of 1818. It was a British victory, not a reason for celebration by any Indian.
The Mughals of course, were a vassal state to the Marathas during this period.
Dalit is a term coined much after the 7th colonial census of 1931, when the term "scheduled castes and tribes" were used for the first time due to pressure from Christian evangelical organizations who wanted to ring fence these tribes for conversion!
पूज्य हीरा बा की अहमदाबाद या दिल्ली का गांधीनगर या वडनगर कहीं कोई समाधी नहीं बनेगी
इन फर्जी गांधी खानदान की भी समाधि बना है ...जिस बंगले में यह मरते हैं वह बंगला भी हड़प कर स्मारक बना लेते हैं और एक फर्जी ट्रस्ट के द्वारा उस बंगले पर कब्जा कर लेते हैं.. #हीराबेन_मोदी
दिल्ली में प्राइम लोकेशन की सैकड़ों एकड़ जमीन मरने के बाद भी उन्होंने कब्जा किया है ।श्रीपेरंबदूर में सैकड़ों एकड़ जमीन कब्जा किया है।
पूर्व प्रधानमंत्री श्री नरसिंह राव जी का जब देहांत हुआ तब उनका पार्थिव शरीर कांग्रेस दफ्तर के बाहर 3 घंटे तक पड़ा रहा।
उसे पार्टी दफ्तर में आने की इजाजत नहीं दी गई फिर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री को कहा गया कि आप नरसिम्हा राव के बेटे को समझाइए कि वह नरसिम्हा राव का पार्थिव शरीर आंध्र प्रदेश में ले जाकर दाह संस्कार करें ।
अनिल देशमुख तुरूंगा बाहेर येऊन जनतेच्या मनात संभ्रम निर्माण करण्याचा प्रयत्न करत आहेत. अनिल देशमुख केस संदर्भातील हे फॅक्ट..👇
"राष्ट्रवादी काँग्रेस पक्षाकडून गुन्हेगारांचे उदात्तीकरण करण्याचा पायंडा हा राजकीय गुन्हेगारीला उत्तेजन देणारा आहे" अनिल देशमुख स्वतःला निर्दोष आहे, ऐकीव माहितीवर मला अटक झाली अस माध्यमात सांगत आहेत.
Anil Deshmukh तुमच्या कार्यकर्त्यांना फसवू शकता, पण कायद्याला आणि जनतेला तुम्ही फसवू शकत नाही.
तुमच्या केस संदर्भातील फॅक्टस जनतेला वेळोवेळी माहीत झाले आहेत आणि पुढेही माहिती होतीलच..तुम्ही वसुलीबाज होता आणि पुढेही कोर्टात हेच सिद्ध होणार...
राहुल गांधी द्वारा महात्मा गांधी के प्रपौत्र को लिखा गया एक पत्र...
जिसमें राहुल गांधी द्वारा कहा गया कि... RSS ने ही गांधी जी की हत्या की थी, ताकि वे भाजपा के विरुद्ध कांग्रेस का साथ देने आ जायें।
जवाब में श्री कृष्ण कुलकर्णी, गांधी जी के पपौत्र द्वारा राहुल को गांधी जवाब👇
प्रिय राहुल गांधी जी,
मोहनदास करमचंद गांधीजी मेरे परदादा थे, उनकी हत्या श्री नाथूराम गोडसे ने की थी, कई जांचों और आयोगों ने इस मामले पर शोध किया और किसी ने भी गांधी जी की हत्या के मामले में RSS को नहीं फंसाया और न ही RSS को जिम्मेदार ठहराया।
मेरे दादा स्व. रामदास गांधी ने तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल जी को श्री नाथूराम गोडसे को मृत्युदंड से मुक्त करने के लिए लिखा था।
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि... 1969 में जब रामदास गांधी मुंबई में शरीर त्याग रहे थे...
आज २४ डिसेंबर, आजचाच तो दिवस जेव्हा ब्रिटिशांविरुद्ध सशस्त्र क्रांतीचा केतू उभारून अखंड भारतासाठी झुंज देणाऱ्या स्वातंत्र्यवीराला जन्मठेप व काळ्या पाण्याची शिक्षा सुनावण्यात आली, व त्यांच्या संपूर्ण मिळकतीवर जप्ती घालण्यात आली. #मृत्युंजय_दिन #वीर_सावरकर
एका २७ वर्षीय तरुणाचा आवाज बंद करण्याचा हा केविलवाणा प्रयत्न, संपूर्ण इंग्रज साम्राज्याला पुरून उरणारा हा २७ वर्षीय तरुण म्हणजेच क्रंतिकाऱ्यांचे मुकुटमणी स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर..
भारतातील क्रांतिकारकांना सशस्त्र क्रांतीचा लढा पुकारण्यासाठी मार्गदर्शन, मदत आणि हत्यारे पुरवणे आणि सोबतच इंग्रज अधिकाऱ्याच्या हत्येच्या कटात सहभागी असल्याने स्वातंत्र्यवीर सावरकरांना २५ वर्षाच्या २ काळापाण्याच्या शिक्षा सुनावण्यात आल्या, हाच तो दिवस २४ डिसेंबर, 'मृत्युंजय दीन '.
कॉंग्रेसचे नेते सावरकरांच्या मागे एवढे हात धुऊन का लागलेले असतात? सर्वसामान्य नागरिकांना पडलेला हा प्रश्न असतो. सावरकर तर हयात नाहीत, ते ज्या हिंदुमहासभेचे अध्यक्ष होते, त्या हिंदुमहासभेची राजकीय शक्ती नगण्य आहे. #वीर_सावरकर
तरीसुद्धा सावरकरांविषयी अनुदार उद्गार काढण्याचे राहुल गांधी आणि त्यांचे साथीदार काही सोडत नाहीत. ‘माफी मागायला मी काही राहुल सावरकर नाही, राहुल गांधी आहे,’ असे राहुल गांधी म्हणतात. असे म्हणणारे राहुल गांधी एक तर महामूर्ख असले पाहिजेत किंवा खूप धोरणी असले पाहिजेत.
सावरकरांविषयी अनुदार उद्गार काढून मतदानाच्या टक्केवारीत काहीही वाढ होत नाही, हे राहुल गांधी यांना समजत नाही, असे समजण्याचे कारण नाही.‘‘मी राहुल सावरकर नाही, मी राहुल गांधी आहे.’’ हे वाक्य दोन भारताचे दर्शन घडवते. एक भारत नेहरू-गांधींचा भारत आहे आणि दुसरा भारत सावरकरांचा भारत आहे.