अविद्या का रहस्य

एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा की बीरबल यह #अविद्या क्या है ?*

बीरबल ने बोला कि आप मुझे 4 दिन की छुट्टी दे दो फिर मैं आपको बताऊंगा !

अकबर राजी हो गया और उसने चार दिनों की छुट्टी दे दी !

बीरबल #मोची के पास गया और बोला कि भाई जूती बना दो,मोची ने नाप पूछी तो👇
बीरबल ने बोला भैया ये नाप वाप कुछ नहीं। डेढ़ फुट लंबी और एक बित्ता चौड़ी बना दो,और इसमें हीरे जवाहरात जड देना,,सोने और चांदी के तारों से सिलाई कर देना और हाँ पैसे की चिंता मत करना जितना मांगोगे उतना मिलेगा।

मोची ने भी कहा ठीक है भैया तीसरे दिन ले लेना !

तीसरे दिन जूती मिली तब
पारितोषिक देने के पहले बीरबल ने उस मोची से एक ठोस #आश्वासन ले लिया कि वह किसी भी हालात में इस जूती का कभी भी जिक्र नहीं करेगा यानि हर हालात में अनजान बना रहेगा
अब बीरबल ने एक जूती अपने पास रख ली और दूसरी #मस्जिद में फेंक दी । जब सुबह #मौलवी जी नमाज पढ़ने(बाँग देने ) के लिए मस्जिद
गए तो मौलवी को वो जूती वहाँ पर मिली।
मौलवी जी ने सोचा इतनी बड़ी और शानदार जूती किसी इंसान की तो हो ही नहीं सकती जरूर अल्लाह मियां नमाज पढ़ने आया होंगे और उसकी छूट गई होगी
उसने वह जूती अपने सर पर रखी, मत्थे में लगाई और खूब जूती को चाटा

*क्यों ?*

*क्योंकि वह जूती अल्लाह की थी ना
*वहां मौजूद सभी लोगों को दिखाया सब लोग बोलने लगे कि हां मौलवी साहब यह जूती तो अल्लाह की रह गई उन्होंने भी उसको सर पर रखा और खूब चाटा।*

*यह बात अकबर तक गई।*

*अकबर ने बोला, मुझे भी दिखाओ ।*

*अकबर ने देखा और बोला यह तो अल्लाहमियां की ही जूती है।
*उसने भी उसे खूब #चाटा, सर पर रखा
और बोला इसे मस्जिद में ही अच्छी तरह अच्छे स्थान पर रख दो !*

*बीरबल की छुट्टी समाप्त हुई, वह आया बादशाह को सलाम ठोका और उतरा हुआ मुंह लेकर खड़ा हो गया।*

*अब अकबर ने बीरबल से पूछा कि क्या हो गया मुँह क्यों 10 कोने का बना रखा है।

बीरबल ने कहा जहाँपनाह हमारे यहां चोरी हो गई,
अकबर
ने पूछा- क्या चोरी हो गया ?

बीरबल ने उत्तर दिया - हमारे #परदादा की जूती थी चोर एक जूती उठा ले गया । एक बची है,

*अकबर ने पूछा--क्या एक जूती तुम्हारे पास ही है ?

*बीरबल ने कहा - जी मेरे पास ही है ।उसने वह जूती अकबर को दिखाई । अकबर का माथा ठनका और उसने मस्जिद से दूसरी जूती मंगाई
और बोला *या अल्लाह मैंने तो सोचा कि यह जूती अल्लाह की है मैंने तो इसे चाट चाट के चिकनी बना डाली*

बीरबल ने कहा यही *अविद्या* है
पता कुछ भी नहीं और भेड़ चाल में जूती को चाटे जा रहे हैं,,

नोट--इस कहानी का CAA और NRC का विरोध करने वाले हिंदुओं से पूरा पूरा लेना देना है।

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Jan 1
जो "शांति से फैला,अमन अखलाक से फैला"का झूठ हमें परोसते नहीं थकते उनको जवाब देता एक विडिओ मिला। पाकिस्तान के तीन बड़े नाम हैं -डॉ इसरार अहमद (ये वाकई मेडिकल डॉक्टर भी थे,अपने जाकिर जैसे), खादिम हुसेन रिजवी (वही "लैट्रिन" वाले) -दोनों आज हयात नहीं -और इंजीनियर मुहम्मद अली मिर्जा👇
(आठ साल की दो बीवियाँ का जोक वाले)

दो अरबी मौलाना भी हैं, सब टाइटल के साथ। लेकिन अगर कोई कहें कि सब टाइटल गलत हैं तो हम इन तीन पाकिस्तानियों की ही बात करेंगे।

तीनों के तीनों ताल ठोंककर कह रहे हैं कि जो फैला वो तो तलवार से ही फैला, तेरा साल शांति से फैलाने से सौ लोग भी कन्वर्ट
नहीं हुए। लड़ाइयों का डीटेल भी दे रहे हैं लगभग सौ लड़ाइयाँ लड़ी उनके श्रद्धेय ने। अरबी में भी वही बात कही गई है लेकिन जैसे कहा,अरबी की बात नहीं करेंगे।

ये उनके बोल, इनके ही यहाँ ताल ठोंककर किये भाषणों से किसी ने काटकर एक क्लिप बना दी।किसने, पता नहीं,लेकिन जब एक्स मु इसे अपने
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Jan 1
फर्स्ट जनवरी मनाइए, बस याद रखिए कि

रोमन देवता जेनस के नाम पर वर्ष के प्रथम माह का नाम जनवरी रखा गया था।

विलियम जोन्स के अनुसार रोमन किस कार्य के आरंभ में जेनस की पुजा वैसे ही करते थे
जैसे भारत के लोग सबसे पहले गणेश की पूजन करते हैं।

आप समझ चुके होंगे कि ईसाइयत के पहले विश्व👇
में गणेश की प्रथम पूजा प्रचलित थी।

रोमन लोग गणेश को जेनस/ genus कहते थे।

गणेश बुद्धि के देवता हैं। यही धारणा रोम में भी थी।
जेनस से एक शब्द बना- जिनियस/ बुद्धिमान।

पहले रोम में दस माह का वर्ष होता था। तब मार्च माह से वर्ष आरंभ होता था।

भारतीयों का अनुसरण करते हुए रोम में
भी बारह माह का वर्ष बनाया।

इसके लिए जेनस के नाम पर जनवरी और फेबुआ के नाम पर फरवरी दो नए माह जोड़े गए ।

अँग्रेज रोमनों के चेले हैं। अँग्रेज ने भी गुरु का आदेश मानकर बारह माह का वर्ष अपनाया।

और रोमन के गुरु भारत पर रोमन के दुष्ट चेले अँग्रेजों ने अपना कैलेण्डर थोप दिया था।👇
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Jan 1
दाने तपसि शौर्ये च यस्य न प्रथितं वशः।
विद्यायामर्थलाभे च मातुरूच्चार एव सः।।
जिस मनुष्य की कीर्ति दान देने में, तपस्या में, वीरता में, विद्या अर्जित करने में नहीं फैलती,वह मनुष्य केवल अपनी माता के मल के समान होता है।
पूरी दुनिया आज 2023 में ही पहुँची

पर हमारी हिन्दू संस्कृति👇
बिक्रम संवत 2080 में जी रही है, गर्व करें हम सबसे आगे है

न भारतीयो नव संवत्सरोयं
तथापि सर्वस्य शिवप्रद: स्यात्।
यतो धरित्री निखिलैव माता
तत: कुटुम्बायितमेव विश्वम्।।

यद्यपि यह नववर्ष भारतीय नहीं है, तथापि सबके लिये कल्याणप्रद हो; क्योंकि सम्पूर्ण धरती सबकी माता ही है!
ब्रिटिश परंपरा को के प्रति श्रद्धा रखने वाले सभी मित्रों को आंग्ल नव वर्ष 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं।

प्रभु श्री राम से कामना है कि यह वर्ष मानवता के लिए आनंदमय, शांतिमय, सुखमय, आरोग्यमय एवं मंगलमय हो।

*आपके सपने पूरे हों, सबके जीवन में सुख,शांति,समृद्धि और *उत्तम स्वास्थ्य का
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Jan 1
सामान्यतः सभी धर्मों और पंथों में , मानव आचरण के दो पहलू सामने आते हैं ,वे हैं अच्छाई और बुराई.! इनके पक्ष में चलने वाले क्रमशः अच्छे और बुरे लोग माने जाते हैं। जो कुछ ३१ दिसम्बर की रात और १ जनवरी के प्रारंभ को लेकर यूरोप -अमेरिका और ईसाई समुदाय सहित अन्य लोग देख देखी करते हैं 👇
वह अच्छाई तो नहीं है !यथा शराब पीना, अश्लील नाचगाना ,सामान्य मर्यादाओं को तिलांजली देना ! होटल ,रेस्तरां और पब में जा कर मौज मजे के नाम पर जो कुछ होता है !! वह न तो सभ्यता का हिस्सा है और न ही उसे अच्छा होने का सर्टिफिकेट दिया जा सकता है।इसलिए सभ्यता अनुकूल यह नया के क्रियाकलापो
को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया में निर्मित सत्रारंभ है। इसकी तुलना कभी भी भारतीय नववर्ष से नहीं की जा सकती , क्योंकि वह ईश्वरीय है, सृष्टिजन्य है, नक्षत्रिय है इसी कारण सम्पूर्ण हिन्दू समाज में सभी धार्मिक आयोजन ,कार्य शुभारंभ मुहूर्त, मानव जीवन से सम्बद्ध मांगलिक कार्यों को आज👇
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Jan 1
संसार मे
दस दिशायें स्पष्ट है।
इसी भाँति से दस की संख्या भी पूर्णतः पूर्ण ब्रह्म का सूचक है।
किसी भी रहस्य का शुभारंभ शुन्य से होता है।
शुन्य
अर्थात आदि अन्त रहित संख्या जिससे जुडे उसे महान बना दे और स्वयं एक क्रम प्रवाहित कर दे ऐसा शुन्य का स्वभाव।
इसके बाद एक दो तीन से नौ 👇
तक संख्यायें होती है।
शून्य से ही सृष्टि होती है।
जब कुछ नही था
तो उस समय शुन्य था।
इस शून्य का अर्थ शून्य नही अपितु पुर्ण है।
इसी से नौ संख्याओं का विराट् प्रस्तुत हुआ करता है जो कि एक से नौ तक होता है।
यही रहस्य
क, च, ट, प, त,य, क्ष, त्र तथा ज्ञ का है।
क्योंकि यही आध अक्षर है
इन्ही से अन्य शब्दो का प्रादुर्भाव हुआ करता है।
प्रत्येक मनुष्य की देह पर नौ द्वार स्पष्ट है और दसवाँ द्वार अदृश्य है।
क्योकि वह शून्य रूपी विराट है।
जहाँ से समस्त संख्या रूपी भावनाओं का श्रीगणेश हुआ करता है।
शिरोमण्डल प्रदेश में
शून्य सर्वदा कार्यरत है।
देवी देवताओ का अपना
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Jan 1
मुस्लिम आफताब को हिन्दू योगा टीचर मिहिर बना कर श्रध्दा को ईसाई बना दिया और हिंदुओं को उस अपराध में फ्रेम करने की कोशिश जो एक मुस्लिम सिरफिरे दरिंदे ने किया।
क्राइम पेट्रोल सोनी टीवी पर आता है जिसका चैनल हेड शायद दीनी है।
आपको हल्की बात लगेगी पर हिन्दू वहशी है
ये संदेश बन चुका👇
ये एपिसोड बन चुका रिलीज हो चुका। कई फोन और लैपटॉप में स्टोर हो चुका।
अब इसका इस्तेमाल हिन्दू युवाओं को गिल्ट ट्रैप में डालने के लिए होगा। दस बारह साल बाद नई उम्र की लड़कियों को दिखाया जाएगा कि हिन्दू कितने वहशी होते हैं और मुस्लिम कितने स्वीट
जाहिर है ये घटना तब तक लोगों के जेहन
से उतर चुकी होगीये तकनीक बॉलीवुडमें बहुत पहले से चल रही हैमंदिरों में हरिजनों के प्रवेश और हरिजनों के कुएं विधवा उत्पीड़न,दहेज पर बहुत सी फिल्मों में सीन देखे होंगे
कभी मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे उठाते सीन देखे?
और भी बहुत कुछ हैये पहले की बातें हैं अभी की बातें कर लो
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