गुजरात प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे सोमनाथ नामक विश्वप्रसिद्ध मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों से एक स्थापित है। #सोमनाथ_मंदिर
पावन प्रभास क्षेत्र में स्थित इस सोमनाथ-ज्योतिर्लिंग की महिमा महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कंद पुराण आदि में विस्तार से बताई गई है। चन्द्रदेव का एक नाम सोम भी है। उन्होंने भगवान शिव को ही अपना नाथ-स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी इसीलिए इसका नाम 'सोमनाथ' हो गया।
कहते हैं कि सोमनाथ के मंदिर में शिवलिंग हवा में स्थित था। यह वास्तुकला का एक नायाब नमूना था। इसका शिवलिंग चुम्बक की शक्ति से हवा में ही स्थित था। कहते हैं कि महमूद गजनवी इसे देखकर हतप्रभ रह गया था।
सर्वप्रथम इस मंदिर के उल्लेखानुसार ईसा के पूर्व यह अस्तित्व में था। इसी जगह पर द्वितीय बार मंदिर का पुनर्निर्माण 649 ईस्वी में वैल्लभी के मैत्रिक राजाओं ने किया। पहली बार इस मंदिर को 725 ईस्वी में सिन्ध के मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने तुड़वा दिया था।
फिर प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका पुनर्निर्माण करवाया।
इसके बाद महमूद गजनवी ने सन 1024 में कुछ 5,000 साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, उसकी संपत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया। तब मंदिर की रक्षा के लिए निहत्थे हजारों लोग मारे गए थे।
ये वे लोग थे, जो पूजा कर रहे थे या मंदिर के अंदर दर्शन लाभ ले रहे थे और जो गांव के लोग मंदिर की रक्षा के लिए निहत्थे ही दौड़ पड़े थे।
महमूद के मंदिर तोड़ने और लूटने के बाद गुजरात के राजा भीमदेव और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया।
1093 में सिद्धराज जयसिंह ने भी मंदिर निर्माण में सहयोग दिया। 1168 में विजयेश्वर कुमारपाल और सौराष्ट्र के राजा खंगार ने भी सोमनाथ मंदिर के सौन्दर्यीकरण में योगदान किया था।
सन् 1297 में जब दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने गुजरात पर हमला किया तो उसने सोमनाथ मंदिर को दुबारा तोड़ दिया और सारी धन-संपदा लूटकर ले गया।
मंदिर को फिर से हिन्दू राजाओं ने बनवाया। लेकिन सन् 1395 में गुजरात के सुल्तान मुजफ्फरशाह ने मंदिर को फिर से तुड़वाकर सारा चढ़ावा लूट लिया। इसके बाद 1412 में उसके पुत्र अहमद शाह ने भी यही किया।
बाद में मुस्लिम क्रूर, हिंदूद्वेष्टि औरंगजेब के काल में सोमनाथ मंदिर को दो बार तोड़ा गया। 1665 ईस्वी में और 1706 ईस्वी में। 1665 में मंदिर तुड़वाने के बाद जब औरंगजेब ने देखा कि हिन्दू उस स्थान पर अभी भी पूजा- अर्चना करने आते हैं तो उसने वहां एक सैन्य टुकड़ी भेजकर कत्लेआम करवाया।
जब भारत का एक बड़ा हिस्सा मराठों के अधिकार में आ गया तब 1783 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा मूल मंदिर से कुछ ही दूरी पर पूजा-अर्चना के लिए सोमनाथ महादेव का एक और मंदिर बनवाया गया।
जितनी बार भी विधर्मियों द्वारा इसे तोड़ा गया उतनी बार हिन्दू राजाओं ने इसे बनवाया तथा फिर से पूजा-अर्चना प्रारम्भ की। फिर भारत की आजादी के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल ने समुद्र का जल लेकर नए मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया।
सरदार वल्लभभाई पटेल के संकल्प के बाद 1950 में मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ। 6 बार टूटने के बाद 7वीं बार इस मंदिर को कैलाश महामेरू प्रासाद शैली में बनाया गया। 1 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
मोदीजी ने सोमनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सौगात दी।सर्किट हाउस के साथ साथ विभिन्न परियोजनाओं का जैसे सोमनाथ समुद्र दर्शन पैदल पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और नवीनृत अहिल्याबाई होलकर मंदिर निर्माण शामिल हैं। सोमनाथ मंदिर परिसर में माता पार्वती के मंदिर की आधारशिला रखी ।
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एकदा वाचाच औरंग्याने आपल्या भावांची निर्घृण हत्या करून त्यांच्या प्रेतांची धिंड काढली होती - तरीपण तो क्रूर नव्हताच जरासा नॉटी होता इतकंच, भावा भावांत इतकं चालायचंच ना.. शेवटी मुघलच ते.
औरंग्याने हजारो हिंदूंची अनेकवेळा ठिकठिकाणी कत्तल केली - तरीपण तो क्रूर नव्हताच जरासा धार्मिक होता इतकंच. त्याला त्याच्या धर्माचा प्रसार करण्याचा अधिकार होताच ना?
औरंग्याने शीखांचे गुरु तेग बहादूर यांना दिल्लीत चांदणी चौकात हाल हाल करून ठार केले - तरीपण तो क्रूर नव्हताच जरा जास्त चिडायचा इतकंच. योग्य वयात त्याला कुणी बकरीच्या दुधाची व चरख्यावर सूत कातायची सवय लावली असती तर तो असा नसता झाला.
The caterwauling in the name of God, holding up posters, coordinated crying and victim playing, women and children out in the cold protesting against ‘state brutality’ and the online shills spreading fake news #HaldwaniEncroachment
the Haldwani issue has all the makings of snowballing into a Shaheen Bagh like situation. Since the 28th of December 2022, the residents of Haldwani, Uttarakhand, mostly Muslims, have been protesting against the authorities,who in accordance with a High Court order,
launched a drive to clear encroachments from Railway land in the area.
1.This is not an eviction drive that is being carried out at the whim of the administration. The authorities have been trying to evict land encroachers since 2007 – that is 15 years.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टीकडून नेहमीच इतिहास मोडून तोडून मुघल कसे चांगले होते, अफजल खान सीमांचे रक्षण करायला आला होता तसेच औरंग्याचेही उदात्तीकरण केले जाते.
सकल हिंदू समाजासाठी ही खूप गंभीर बाब आहे कारण राष्ट्रवादीकडून जो अजेंडा चालवला जातो तो हिंदूंसाठी अत्यंत घातक आहे.आता तर राष्ट्रवादीच्या नेत्यांनी राजकिय जिहादचा कळस केला आहे …
अजित पवार विधानसभेत म्हणतात संभाजी महाराज धर्मवीर नव्हते..आणि पुन्हा माफी मागायची सोडून त्यांचा एकक नेता त्यांना समर्थन देणारे वीडियो बनवून टाकतो त्यातील एक मुंब्र्याची औरंगजेबाची औलाद जितेंद्र आव्हाड म्हणतो औरंगजेब सुफी संत होता तो हिंदू विरोधी नव्हता…😡
२०० साल भारत में अंग्रेजों ने शासन किया, उससे पहले ४०० साल भारत में मुगलों का शासन आधे से अधिक भारत पर रहा।
विचार करने योग्य बात यह है कि ६०० साल की गुलामी के काल में वामपंथी इतिहासकारों ने एक यह झूठ फैलाए रखा कि ब्राह्मणों ने दलितों पर अत्याचार किए।
१९ वीं सदी से पहले भारत में दलित नाम का शब्द ही नहीं था।
भारत के किसी भी ग्रंथ में और किताब में जो कि १९ वीं सदी से पहले लिखी गयी हो उसमें दलित शब्दावली नहीं है।
आजाद भारत के बाद ही "दलित" शब्द उन हिंदुओं के लिए प्रयोग किया जाने लगा जो कि आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हुए थे।
औरंगजेब के ही कालखंड में एक फरमान जारी किया गया था और सार्वजनिक धार्मिक सभाओं पर रोक लगाई गयी, जो भी हिंदू खुले में धर्माचार्यों द्वारा धार्मिक कथाएं सुनते उनके कान फोड़ने और उन हिंदुओं के सिर कलम करने का आदेश जारी किया गया।
सावरकरांनी त्यांच्या हिंदुपदपादशाही या पुस्तकात लिहिलेले एका वाक़याचा संदर्भ देऊन काही मूर्ख याचा वेगळा अर्थ काढून सावरकरांविषयी द्वेष पसरवत आहेत…आणि @AjitPawarSpeaks च्या चुकीला लपवायचा प्रयत्न करत आहेत…सगळयात आघाडीवर आहे अफजल्याचा मानसपुत्र @Awhadspeaks 😡😡
“शिवाजीमहाराजांच्या जागी त्यांसारख्या शूर पण नाकर्ता आल्याने इतिश्री झाली असली पाहिजे”…शिवाजीमहाराजांसारखा कर्ता पुढारी कालवश झाल्याने आणि त्यांच्याजागी संभाजी प्रमाणे शूर व नाकर्ता पुत्र आल्याने, इतिश्री झाली असली पाहिजे, असे त्याला वाटले."
असे त्याला वाटले…म्हणजे कोणाला??
सांगा आव्हाड😡…'असे त्याला वाटले.' त्याला म्हणजे औरंगजेबाला…इकडे औरंगजेबाला काय वाटले असेल हे त्यांनी लिहिले आहे…त्यांना स्वतःला काय वाटले ते नाही😡…तुम्हीं सांगताय अभ्यास करुन बोलतोय मी…जो अफ़ज़ल्याच वर्णन मोठ रंगऊन सांगतो??…

चापलूसी की खड़ाऊ उठाने वालों की हमारे देश में कभी भी कमीं नहीं रही! इंदिरा के जमाने में तो उनके छोटे पुत्र संजय गांधी ने उस समय के दिग्गज मुख्यमंत्रियों चप्पलें उठवा दी थी! इनमें एनडी तिवारी, ज्ञानी जैल सिंह, विद्याचरण और श्यामाचरण शुक्ल, अर्जुन सिंह आदि शामिल थे! @INCIndia
उनकी इन गतिविधियों पर इंदिरा जी नाराज होने की बजाय खुश हुई थीं!
संजय से सीख लेने के लिए उस समय के बड़े बड़े नेता कतार लगाकर खड़े रहते थे। वह तो दुर्भाग्य जनक दुर्घटना में संजय हमारे बीच नहीं रहे। उनके छोड़े काम बाद में इंदिरा गांधी ने पूरे किए। यही उनके पतन का कारण बना
उनके कार्यकाल में गुलामनबी आजाद, अशोक गहलौत, आनंद शर्मा, सलमान खुर्शीद, शरद पवार आदि, माधव राव सिंधिया, जयराम रमेश, हेमवती नंदन बहुगुणा, शुक्ला बंधु, पी चिदंबरम जैसे गंभीर नेता उभरे। उसी दौर में दिग्विजय सिंह, मणिशंकर अय्यर, कपिल सिब्बल आदि का उदय हुआ।