🍎हिमाचल का गांव जहां हरेक करोडपति🍎
🍎🍎एशिया का सबसे अमीर विलेज🍎🍎
हर साल 150 करोड़ से ज्यादा का सेब बेचते यहां के लोग। सेब ने दुनियाभर में हिमाचल की पहचान एपल स्टेट के तौर पर बनाई। इसी सेब ने शिमला जिले के मड़ावग गांव को एशिया का सबसे अमीर गांव बनाया। अब मड़ावग में सेब 1/
की खेती करने वाला हर परिवार करोड़पति है।
प्रत्येक परिवार की औसत आय 35 से 80 लाख के बीच में है। आय का कम व ज्यादा होना सेब की फसल और रेट पर निर्भर रहता है। मड़ावग के बागवान हर साल औसत 150 करोड़ से 175 करोड़ का सेब बेचते हैं। इससे पहले शिमला का ही क्यारी गांव था एशिया
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का सबसे अमीर गांव।
🌿🌿 अब दशोली गांव लगा उभरने
दशोली गांव भी सेब के लिए देश में पहचान बना रहा है। यहां के 12 से 13 परिवार सबसे बेहतर क्वालिटी का सेब पैदा करने लगे है। दशोली का छोटा बागवान भी 700 से 1000 पेटी सेब और बड़ा बागवान 12 से 15 हजार पेटी सेब तैयार कर रहा है।
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मड़ावग गांव शिमला जिले के चौपाल तहसील के अंतर्गत आता है। यह शिमला से लगभग 90 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। गांव की आबादी 2200 से ज्यादा है। मड़ावग में सभी लोगों ने आलीशान घर बना रखे है। सेब की खेती के लिए लैटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। #Shimla#AppleState
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"🚲 Bicycles are a slow death 🚲"
A Banker Explains :Cyclist is a disaster for the country's economy. He doesn't buy cars, doesn't borrow money. He don't pay insurance. Don't buy fuel, don't pay to have the car serviced, and no #JustFunny 1/
🙃🙃🙃 repairs needed. He doesn't use paid parking. Doesn't cause any major accidents. No need for multi-lane highways. He is not getting obese. Healthy people are not necessary or useful to the economy. They are not buying the medicine. They dont go to hospitals
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or doctors. They add nothing to the country's GDP.
"On the contrary, each new McDonald's store creates at least 30 jobs—actually 10 Cardiologists, 10 Dentists, 10 Dietitians and Nutritionists—Plus the people who work in the store itself"
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🔥 लोहड़ी - 13 जनवरी 🔥
सन् 1547 मे पंजाब (पाकिस्तान) में गाँव पिन्डी भट्टियां में दुल्हा भट्टी के जन्म से चार महीने पूर्व उनके पिता और दादा सन्दल भट्टी को मुग़ल सम्राट हुमायूँ ने मरवाकर उनकी खाल में भूसा भरवाकर गाँव के बाहर लटकवा दिया. पंजाब की लोक गाथाओं में 1/
हुमायूँ की बर्बरता के किस्से सुनने को मिलते हैं.
तेरे सान्दल दादा मारया - दित्ता बोरे विच पा
मुग़लाँ पुट्ठियां खालां - लाह के भरया नाल हवा
दुल्हा भट्टी उस समय के राँबिनबुड थे. वह अकबर के सिपाहियों, अमीरों, जमीदारों से धन लूट कर गरीबों में बाँट देते थे.
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वह अकबर की आँख की किरकिरी बन गए थे, अकबर को आगरा से राजधानी लाहौर बदलनी पड़ी. लाहौर तब से पनपा, अकबर दहलता था दुल्हा भट्टी से.
सलीम घोड़े से सैनिकों के साथ भटक रहा था. दुल्हा भट्टी ने उसे पकड़कर यूँ ही ये कहकर छोड़ दिया, कि दुश्मनी बाप से है बेटे से नहीं.
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पंडित जसराज गाते हैं और साधना सरगम और बेला शेंडे बजाती हैं। दर्शकों में नौशाद, ओपी नय्यर, खय्याम, कल्याणजी-आनंदजी, बेगम अख्तर, परवीन सुल्ताना, सोनू निगम और जगजीत सिंह भी हैं.. 5.05 मिनट और श्रीजीबावा का सत्संग.
🆒 पिताजी बीमार पड़ गये, उन्हे नज़दीक के अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।
अस्पताल पहुँचते ही उसनें बेड पर उनकी फोटो खींची और Social Media "Father ill admitted to hospital" स्टेटस के साथ अपलोड कर दी।
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दोस्तों ने भी 'Like' मार-मार कर अपनी 'ड्यूटी' पूरी कर दी।
वह भी अपने मोबाइल पर पिताजी की हालत 'Update' करता रहा। पिताजी व्याकुल आँखों से अपने 'व्यस्त' बेटे से बात करने को तरसते रहे...! देखा कि पिताजी की हालत कुछ ज्यादा ख़राब है....!
पुराना वक्त होता तो बेटा
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भागता हुआ डाक्टर को गुहार लगाता।
...पर...उसने झट से 'बदहवास' पिता की एक-दो फोटो और खींच कर...
'Condition critical' के स्टेटस के साथ अपलोड कर दी... यारों ने हर बार की तरह इस बार भी अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से "Like" कर निभा दी।
💠भारत के लाल - लाल बहादुर शास्त्री💠
🙏11 जनवरी, 1966/ पुण्य-तिथि🙏
दृढ़ संकल्पित, निष्ठावान, सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले शास्त्री जी एक शांत व्यक्तित्व थे. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर सन् 1904 को हुआ था.
वह अपने
घर में सबसे छोटे थे उन्हें प्यार से नन्हें बुलाया जाता था.
बचपन में ही पिता की मौत होने के कारण नन्हें अपनी मां के साथ नाना के यहां मिर्जापुर चले गए. यहीं पर उनकी प्राथमिक शिक्षा हुई. उन्होंने विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल की. वह नदी तैरकर रोज स्कूल
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जाते थे। जब वे काशी विद्यापीठ से संस्कृत की पढ़ाई करके निकले तो उन्हें शास्त्री की उपाधि दी गई. शास्त्री जी का विवाह 1928 में ललिता शास्त्री के साथ हुआ. जिनसे दो बेटियां और चार बेटे हुए. शास्त्री जी 1920 में ही आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे. इस दौरान कई बार उन्हें गिरफ्तार भी
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