केवल #तुलसी ही क्यों? #कबीर क्यों नहीं!!
मात्र एक चौपाई ढोल गंवार... पर हंगामा काटने वाला नालीवादी गैंग कबीर को सिर माथे बैठाकर रखता है।कबीर पर दृष्टि नहीं जाती इनकी। चलो निम्न दोहे पढ़ लो...पर ध्यान रखना कि गरियाना सिर्फ तुलसीदास जी महाराज को ही हाँ क्योंकि ब्राह्मण को गरियाने👇
पर अर्गाज्म जो मिलता है तुम्हें। सत्य से ज्यादा जरूरी आर्गाज्म जो है तुम नालिवादियों वामियों के लिए।
तो पढ़ो...कबीर मियां को
बाबा कबीर के कुछ नारीवादी दोहे: 1.
नागिन के तो दोये फन,
नारी के फन बीस
जाका डसा ना फिर जीये,
मरि है बिसबा बीस।
साँप के तो केवल दो ही फन होते है 👇
पर स्त्री के बीस फन होते है।नारी डसने पर कोई जीवित नहीं बच सकता।वो यदि बीस को काटे तो बीस के बीस मर जाते हैं। (नारी सशक्तिकरण देख रहे हो, हैं?)
2.
कामिनि काली नागिनि,
तीनो लोक मंझार
हरि सनेही उबरै,
विषयी खाये झार।
एक औरत काली नागिन जैसी है जो तीनों लोकों में व्याप्त है। केवल
हरी का प्रेमी व्यक्ति ही उसके काटने से बच जाता है...
3.
नारी काली उजली,
नेक बिमासी जोये
सभी डरे फंद मे,
नीच लिये सब कोये।
स्त्री काली हो चाहे गोरी हो, भली हो या बुरी जो भी हो वह वासना के फंदे में बाँधती है। नीच व्यक्ति ही उसे अपने साथ रखता है।
(कबीर ने इसमें रंग का अच्छे-बुरे
का कोई भेद नहीं किया है, सब को बराबर रखा है। माने इक्वालिटी!)
आगे और है, इक्वालिटी दिलवा कर ही रहेंगे कबीर:
4. छोटी मोटी कामिनि,
सब ही बिष की बेल
बैरी मारे दाव से,
येह मारै हंसि खेल।
स्त्री छोटी हो या बड़ी सब की सब जहर की लता जी हैं।
दुश्मन तो फिर भी चाल से मारता है पर स्त्री
तो हँसी खेल में ही मार देती है।
(छोटे-बड़े, मोटी-पतली का भेद नहीं। ना उम्र की ही सीमा, ना वज़न का हो बंधन। सब एक समान भैया!)
एक और लो:
5. कबीर नारी की प्रीति से,
केटे गये गरंत
केटे और जाहिंगे,
नरक हसंत हसंत।
नारी से प्रेम के कारण कई लोग बरबाद हो गये और अभी भी बहुत लोग इसके
संग के कारण कई लोग हँसते-हँसते नरक जायेंगे।
(नरक पहुँचाना तो वैसे नारीवादी बहनों का टैलेंट है उनको विशेष ध्यान देना चाहिए।)
आगे और है:
6. नारी तो हम भी करी,
जाना नहिं विचार,
जब जाना तब परिहरि,
नारी बड़ा विकार !!
नारी का संग तो हमने भी किया, सोच विचार किए बिना ही। हरी की भक्ति
में लगकर ही जाना कि नारी बड़ा विकार है।
7. नारी की झाँई परत,
अंधा होत भुजंग,
कबिरा तिनकी कौन गति,
जो नित नारी संग
नारी की छाया पड़ने से तो साँप भी अंधा हो जाता है, उनकी क्या गति होगी जो नित ही नारी के संग रहता है।
तो हे नालिवादियो! अब कैसा लगा वास्तविक ताड़न....?
श्री राम स्तुति
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बागेश्वर धाम के महाराज श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी आजकल विवादों में है,
अगर विरोध करने वाली समिति और महाराज के बीच संवाद होता है तो या तो चमत्कार होगा, या नही होगा.
चमत्कार हो गया तो पूरे भारत की आस्था बढ़ जाएगी उनके प्रति और नही हुआ तो विरोध बढ़ जाएगा...
चिंतनीय प्रश्न-1👇
आज अधिकांश लोग परेशानी में है, और उनकी परेशानी कही आस्था रखने से दूर भी हो रही है, तो विरोधियों को परेशानी नही होनी चाहिए !
2- चमत्कार न भी हो तो मैने खुद देखा है, लोग उनके कार्यक्रम में जाकर नशे या व्यसन से दूर हुए है।
3- सनातन धर्म का प्रचार करना कोई गलत बात नही।👇
4- धर्म/कथा/उपदेश ही आने वाली पीढ़ी को बचा सकती है, नही तो आप देख ही रहे हो छोटे छोटे बच्चे बच्चियां कहा जा रहे हैं, लड़के-लडकिया नशे के आदि हो रहे है, पाश्चात्य संस्कृति में जा रहे है, वो सिर्फ धर्म से जुड़कर ही अच्छे रह सकेंगे।
वियतनाम विश्व का एक छोटा सा देश है जिसने अमेरिका जैसे बड़े बलशाली देश को झुका दिया। लगभग बीस वर्षों तक चले युद्ध में अमेरिका पराजित हुआ। अमेरिका पर विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से एक पत्रकार ने एक सवाल पूछा...
जाहिर सी बात है कि सवाल यही होगा कि आप युद्ध कैसे जीते या 👇
अमेरिका को कैसे झुका दिया... ??
पर उस प्रश्न का दिए गए उत्तर को सुनकर आप हैरान रह जायेंगे और आपका सीना भी गर्व से भर जायेगा।
दिया गया उत्तर पढ़िये...!!
सभी देशों में सबसे शक्ति शाली देश अमेरिका को हराने के लिए मैंने एक महान व् श्रेष्ठ भारतीय राजा का चरित्र पढ़ा।
और उस जीवनी से
मिली प्रेरणा व युद्धनीति का प्रयोग कर हमने सरलता से विजय प्राप्त की..!!
आगे पत्रकार ने पूछा...
"कौन थे वो महान राजा ?"
मित्रों जब मैंने पढ़ा तब से जैसे मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया आपका भी सीना गर्व से भर जायेगा...!!
वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने
खड़े होकर जवाब दिया...
"वो थे
साल 1959 में जब युवा दलाई लामा भारत के सिक्किम पहुंचे, तब उनके आस-पास मीडिया की भीड़ लग गई। उसी भीड़ में शामिल थी एक लड़की, हाथ में एक भारी-सा कैमरा लिए, जिसके बाहरी हिस्से पर लकड़ी का कवर था और एक फ़्लैश जिसका वज़न लगभग 9 किलो था। यह कोई और नहीं, बल्कि 👇
भारत की पहली महिला फोटो जर्नलिस्ट, होमी व्यारावाला थी। वह प्रेस में एकमात्र महिला थीं जिन्हें विशेष रूप से दिल्ली से इस मौके पर फोटो खींचने के लिए बुलाया गया था।
21वीं सदी में भले ही एक महिला फोटोग्राफर का होना बहुत आम लगे, लेकिन उस वक्त यह बड़ी बात थी। एक महिला के हाथों में
लोगों के लिए चर्चा का विषय था।
इसी को लेकर होमी ने एक इंटरव्यू में कहा- "लोग बहुत रूढ़िवादी थे। वे नहीं चाहते थे कि महिलाएं इधर-उधर घूमें और जब उन्होंने मुझे साड़ी में कैमरे के साथ घूमते हुए देखा तो उन्हें यह एक बहुत ही विचित्र लगा और शुरुआत में उन्हें लगा कि मैं कैमरे लेकर लोगों
भगवान विष्णु की पूजा सनातन धर्म में सबसे ज्यादा होती है कोई उन्हें विष्णु के रूप में तो कोई उन्हें कृष्ण या राम के रूप में पूजते है धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने कई अवतार समय समय पर धारण करके इस धरा को पाप से मुक्त करवाया है 👇
वेद व्यास जी द्वारा रचित भविष्य पुराण में बताया गया है की कलियुग में भी विष्णु कल्कि अवतार फिर से लेंगे |
"विष्णु का हरि और नारायण नाम "
पालनहार भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्त नारद मुनि उन्हें नारायण कहकर ही बुलाते हैं | इसके अलावा उन्हें अनन्तनरायण, सत्य नारायण, लक्ष्मीनारायण
शेषनारायण इन सभी नामों से भी बुलाया जाता रहा है | पर मूल बात यह है कि इन सभी नामों में नारायण जुड़ा रहा है|
नारायण इसलिए कहलाते है विष्णु
पौराणिक कथा के अनुसार,जल देवता वरुण भगवान विष्णु के पैरों से पैदा हुए थे साथ ही देव नदी गंगा भी भगवान विष्णु के पैरो से निकली थी जिन्हें हम
सोशल मीडिया पर झूठ फैलाया जा रहा है कि बागेश्वर धाम के संत महाराज श्री धीरेंद्र शास्त्री जी नागपुर से कथा छोड़कर भाग गए।
आईए उसका सच बताता हूं साथ ही झूठ फैलाने वाली विशेष ब्रिगेड से कुछ सवाल भी जिसका वो जवाब नहीं दे पाएंगे।
1. 👇
1. FIR होने के बाद भागे महाराज श्री धीरेंद्र शास्त्री जी?
Ans: नहीं! अभी तक कोई FIR नहीं हुई है, जबरन चैलेंज देने वाले श्याम मानव ने FIR करने की मौखिक गुजारिश करते हुए सिर्फ मीडिया में बयानबाजी तक हो हल्ला किया है।
2. श्याम मानव का चैलेंज?
Ans:
धीरेंद्र शास्त्री जी 7 दिनों तक
नागपुर में रहे, 2 दिन दरबार भी लगाया तब कहां थे श्याम मानव ??
तब मीडिया के सामने आकर क्यों नहीं कहा कि हमने चैलेंज दिया है? ये क्यों नहीं बता रहे कि चैलेंज किसके माध्यम से कैसे दिए हैं? लिखित दिए हैं या मौखिक दिए हैं? नागपुर से जाने ल बाद ही चैलेंज की बात क्यों? वो भी खास वर्ग के
भारत में आदिकाल से किसान मिश्रित खेती करते आये थे। मेरे दादा हमेशा गौचणी बोते थे। एक ही किल्ले में एक साथ गेहूँ, चणा, सरसों, मूली, शलजम, मेथी व अन्य फसलें बो दी जाती थी। जिससे यह आपस में एक दूसरे का पोषण करती रहती थी। अगर मौसम की मार या अन्य बीमारी आदि से कोई एक खराब हो जाये तो👇
तो भी किसानों को घाटा नहीं होता था। ना कोई यूरिया थी ना पेस्टीसाइड।
जब एक एकड़ में इतनी फसलें होंगी तो जाहिर सी बात है कि गेहूँ का प्रति एकड़ उत्पादन भी कम होगा। इसी कमी को आगे रख कर हरित भ्रांति में किसानों को केवल गेहूँ के लाभ व गेहूँ ही उगाना बता सिखा कर भ्रमित किया गया व
यूरिया व पेस्टीसाइड आदि को जमकर जमीन में डलवाया गया। इस एकल फसल प्रणाली ने किसानों व जमीन के इकोसिस्टम को बर्बाद कर के रख दिया।
अगर हमें खेती को लाभदायक बनाना है तो बुजुर्गों की राह पर ही चलना होगा। अगर हम तथाकथित आधुनिक कृषि वैज्ञानिकों की बात मानते रहेंगे तो साल दर साल बर्बाद