केवल #तुलसी ही क्यों? #कबीर क्यों नहीं!!!
.
मात्र एक चौपाई ढोल गंवार... पर हंगामा काटने वाला नालीवादी गैंग कबीर को सिर माथे बैठाकर रखता है। कबीर पर दृष्टि नहीं जाती इनकी। चलो निम्न दोहे पढ़ लो.....
पर ध्यान रखना कि गरियाना सिर्फ तुलसीदास जी महाराज को ही हाँ क्योंकि ब्राह्मण को गरियाने पर अर्गाज्म जो मिलता है तुम्हें। सत्य से ज्यादा जरूरी आर्गाज्म जो है तुम नालिवादियों वामियों के लिए।
तो पढ़ो... कबीर मियां को
बाबा कबीर के कुछ नारीवादी दोहे:
1.
नागिन के तो दोये फन,
नारी के फन बीस
जाका डसा ना फिर जीये,
मरि है बिसबा बीस।
साँप के तो केवल दो ही फन होते है पर स्त्री के बीस फन होते है। नारी डसने पर कोई जीवित नहीं बच सकता। वो यदि बीस को काटे तो बीस के बीस मर जाते हैं। (नारी सशक्तिकरण देख रहे हो, हैं?)
2.
कामिनि काली नागिनि,
तीनो लोक मंझार
हरि सनेही उबरै,
विषयी खाये झार।
एक औरत काली नागिन जैसी है जो तीनों लोकों में व्याप्त है। केवल हरी का प्रेमी व्यक्ति ही उसके काटने से बच जाता है...
3.
नारी काली उजली,
नेक बिमासी जोये
सभी डरे फंद मे,
नीच लिये सब कोये।
स्त्री काली हो चाहे गोरी हो, भली हो या बुरी जो भी हो वह वासना के फंदे में बाँधती है। नीच व्यक्ति ही उसे अपने साथ रखता है।
(कबीर ने इसमें रंग का अच्छे-बुरे का कोई भेद नहीं किया है, सब को बराबर रखा है। माने इक्वालिटी!)
आगे और है, इक्वालिटी दिलवा कर ही रहेंगे कबीर:
4. छोटी मोटी कामिनि,
सब ही बिष की बेल
बैरी मारे दाव से,
येह मारै हंसि खेल।
स्त्री छोटी हो या बड़ी सब की सब जहर की लता जी हैं।
दुश्मन तो फिर भी चाल से मारता है पर स्त्री तो हँसी खेल में ही मार देती है।
(छोटे-बड़े, मोटी-पतली का भेद नहीं। ना उम्र की ही सीमा, ना वज़न का हो बंधन। सब एक समान भैया!)
एक और लो:
5. कबीर नारी की प्रीति से,
केटे गये गरंत
केटे और जाहिंगे,
नरक हसंत हसंत।
नारी से प्रेम के कारण कई लोग बरबाद हो गये और अभी भी बहुत लोग इसके संग के कारण कई लोग हँसते-हँसते नरक जायेंगे।
(नरक पहुँचाना तो वैसे नारीवादी बहनों का टैलेंट है उनको विशेष ध्यान देना चाहिए।)
आगे और है:
6. नारी तो हम भी करी,
जाना नहिं विचार,
जब जाना तब परिहरि,
नारी बड़ा विकार !!
नारी का संग तो हमने भी किया, सोच विचार किए बिना ही। हरी की भक्ति में लगकर ही जाना कि नारी बड़ा विकार है।
7. नारी की झाँई परत,
अंधा होत भुजंग,
कबिरा तिनकी कौन गति,
जो नित नारी संग
नारी की छाया पड़ने से तो साँप भी अंधा हो जाता है, उनकी क्या गति होगी जो नित ही नारी के संग रहता है।
तो हे नालिवादियो! अब कैसा लगा वास्तविक ताड़न....?
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
एकबार किसी ने सूरदास जी से पूछा कि श्रेष्ठ कवि कौन हैं? आप या तुलसीदास?
सूरदास ने कहा की - कवि तो श्रेष्ठ मैं ही हूँ।
उसने कहा - मैंने तो सुना था ज्ञानी पुरुषों में अहंकार नहीं होता है लेकिन आपमें इसके विपरीत लक्षण हैं।
सूरदास बोले - तुमने कवि का कहा था कवि हम दोनों में मैं ही श्रेष्ठ हूँ... तुलसीदास कवि नहीं है.. उनका लिखा एक एक अक्षर शब्द ब्रह्म है जो जन्ममृत्यु के बंधन से मुक्त करवाने में समर्थ हैं.. ❤️
- श्रीहिताम्बरीश जी
"धर्म जानना है? रामचरितमानस पढ़ लो।" ❤️
- पूज्यचरण श्री करपात्री जी महाराज
श्रीरामचरितमानस का एक-एक शब्द शास्त्र सम्मत है। स्वयं महादेव ने जो भगवती पार्वती को सुनाया वही कथा आदिकवि वाल्मीकि के अवतार गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखी।
We get confused and mislead by many because we ignore to study the basics of SANATAN
The basic fundamental of Sanatan are:
It is not Religion but Dharma
Women are placed very high much above men. Hence if anyone says they insult women, is a pure white lie or misintreption..
Sanatan is about Varan basis, so no text will talk about Caste. It never insult Sudra. Even google is WRONG..
Sanatn text is written in sanskrit. So if a Avadhi saint pen down in Avadhi he will use different word as compared to person in Braj or Tamil or Bengal..
Ramayana itself has more then 100 versions
so study the basic fundamentals these good books tell you, bridge it with current time and apply in your work nbased on ur wisdom
क्योंकि कबीर ब्राह्मण नहीं थे ना इसलिए सब जायज है।
गाली तो ये केवल तुलसी ही को देगे
कबीर की नारी
‘नारी की झांई पड़त,
अंधा होत भुजंग ।
कबिरा तिन की कौन गति,
जो नित नारी को संग’।।
(नारी की छाया पड़ते ही सांप तक अंधा हो जाता है,तो जो हमेशा नारी के साथ रहता है उसकी कितनी दुर्गति होगी)
'कबीर नारी की प्रीति से,
केटे गये गरंत।
केते और जाहिंगे,
नरक हसंत हसंत।।
(नारी से प्रेम के कारण कितने लोग बरबाद होकर नरकगामी हो गए हैं और जाने कितने हंसते हंसते जायेंगे।)
'कबीर मन मिरतक भया,
इंद्री अपने हाथ।
तो भी कबहु ना किजिये,
कनक कामिनि साथ।।
(तो भी आप धन और नारी की चाहत न करें।)
'कलि मंह कनक कामिनि,
ये दौ बार फांद।
इनते जो ना बंधा बहि,
तिनका हूं मैं बंद।।
(कलियुग में जो धन और स्त्री ये दोनों माया मोह के बड़े फंदे हैं।)
When it comes to job, all women (and men also) are ready to listen to their bosses, ready to put in extra efforts, ready put in heart and soul for their job and career…but,they don’t want to hear any genuine sensible advices from elderly people in the family, especially in-laws.
They are sensitive towards family members making any recommendations, remarks, corrections for their own safety and good…
What happened? we lost something here…family values, relationships and life… we often forget that our job is temporary and family is permanent…but,
earning few extra money, we are losing our priorities in the life.
By the time we understand the value of grand parents in our children’s lives, it is often too late. Our children already missed the traditional knowledge, love and compassion, family values and patience…
श्री कृष्ण ने कभी नहीं कहा मेरे भरोसे रहो उन्होंने कहा मेरा भरोसा करो। पाँडव ने कभी श्री कृष्ण को ज्ञान नहीं पेला और पूर्ण विश्वास से संगठित होके युद्ध किया।
श्री मोदी ने कभी नहीं कहा मेरे भरोसे रहो उन्होंने कहा मेरा भरोसा करो।
पर रोज हम मोदी को ज्ञान पेलते है। युद्ध तो दूर की बात जो संगठित है उनको पैसा लेके तोड़ते है।
विश्वास ना हो तो इन बातों पे मंथन करो
👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻
Who fight cases for terrorist? HINDUS
Who fight for Muslim reservation? HINDUS
Who fight for Muslims rights? HINDUS
Who fight for Masjid etc? HINDUS
Who fight cases for Love Jihadis? HINDUS
Who fight against Ram temple, Mathura, Kashi Masjid? HINDUS
Who fight cases for Ajmer scandal? HINDUS
Who fight for Jihadis? HINDUS
Who watch films mocking Hindus? HINDUS