सावधान मित्रों
मैं भी झांसे मे आ गया था
बहुत बड़ा
धोखा
जो गांधी गोड से एक युद्ध फ़िल्म आने की चर्चा है वह राजकुमार संतोषी और असगर वजाहत की देन है।
पूर्णतः वामपंथी एजेंडा।
यह ट्रेलर आपको भ्रमित करने के लिए है बड़ा धोखा है #विध्वंस190123
ट्रेलर में जानबूझकर ऐसे डायलॉग रखे गए हैं कि राष्ट्रभक्तों को लगे कि यह फिल्म उनके अनुकूल है। और वह इसका विरोध या बायकॉट न करें*
गौरतलब तथ्य:-
1.असगर वजाहत- एक पत्रकार, वामपंथी लेखक हैं जो पाकिस्तान और लाहौर के पक्ष में निरन्तर लिखता रहा है।
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amu प्रोडक्ट है, जामिया का प्रोफेसर, राजकमल प्रकाशन पर आश्रित, बीबीसी का एडिटर और 2006 में गांधी बनाम गोडसे पर नाटक लिखकर यूपीए से पुरस्कृत हो चुका है।
2.राजकुमार संतोषी- यदि इसे समझना है तो इसकी वृहद स्टारकास्ट फ़िल्म
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लज्जा के बारे में विकिपीडिया पर पहले पढ़ लीजिए। इस फ़िल्म में सीता के पर्याय नाम वाली चार स्त्रियों (जानकी, वैदेही, मैथिली, रामदुलारी) की कहानी है जो अपने हिन्दू पतियों, प्रेमियों से बच्चे जनने, दहेज,विवाहेतर सम्बन्धों से
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निरन्तर परेशान है और स्थानीय गुंडे व नरमदिल चोर से सहायता प्राप्त करती हैं।
यही नहीं, इनके पतियों के नाम भी रघु, पुरुषोत्तम आदि रखे गए हैं।
इसी फिल्म में माधुरी दीक्षित सीता के रोल में थियेटर पर बहुत बकवास करती है।
निष्कर्ष- जैसे कश्मीर फ़ाइल दबाने को
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शिकारा बनाई गई थी वैसे ही गांधी गोडसे नामक यह फरेब रचा जा रहा है।
सनातनी बंधुओं पठान बायकॉट से बचने के लिए बालीवुड की नई चाल है
गांधी गोडसे फिल्म की रिलीज भी 26 जनवरी रखी गई है
आपको अगाह करना फ़र्ज़ है
निर्णय आपको करना है। #BoycottBollywoodForever
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मृत्यु तो एक घटना है लेकिन फिर भी....
की है एक सबसे अच्छी तुलना...
एक देवी और एक महारानी का अंतिम संस्कार:-
उस दिन एक ऐसी देवी का देहांत हो गया जिसने भारत में एक ऐसे बच्चे को जन्म दिया जिसे भारत के 75 वर्षों के #विध्वंस180123
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इतिहास में नेतृत्व करने के लिए धरती का सबसे महान पुत्र बनना तय था।
वह शख्स जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री है,
उसने अपनी ''निजी क्षति'' को राजकीय शोक नहीं बनने दिया.
यह एक आम भारतीय का अंतिम संस्कार था; मां की अर्थी को कंधा देता एक बेटा.
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जब तक सूर्य पश्चिम में उदित हुआ,
तब तक एक बेटे ने जीवन की एक सदी सेवा में लगा चुकी माँ को भगवान के पैरो में समर्पित कर अपने काम पर वापस लौट चुका था, अंतिम संस्कार उतना ही तेज था जितना बच्चे को जन्म देने में समय लगता है, महानता इसी से बनती है।
यही धर्म का लोकाचार है।
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जंगली जानवर तक अपनी स्वतंत्रता के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं।
और आप?
यह घटना कर्नाटक के कोम्बारू अभ्यारण्य से सटे विश्राम गृह की है।
एक तेंदुआ कुत्ते का पीछा कर रहा था। कुत्ता खिड़की से शौचालय में घुस गया। शौचालय बाहर से बंद था। #विध्वंस180123
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तेंदुआ कुत्ते के पीछे पीछे वहीं घुस गया और दोनों शौचालय में फंस गए।
कुत्ते ने तेंदुए को देखा तो घबरा गया और चुपचाप एक कोने में बैठ गया। उसने भौंकने की भी हिम्मत नहीं की।
हालांकि तेंदुआ भूखा था और कुत्ते का पीछा कर रहा था, फिर भी उसने कुत्ते
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को नहीं खाया। वह एक छलांग में कुत्ते को नोच-नोच कर खाना खा सकता था।
लेकिन दोनों जानवर लगभग बारह घंटे तक अलग-अलग कोनों में एक साथ थे। इन बारह घंटों के दौरान तेंदुआ भी शांत रहा।
वन विभाग ने तेंदुए को निशाने पर लिया और ट्रैंकुलाइजर डार्ट का इस्तेमाल कर उसे पकड़ लिया।
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"डीमो" मोदी De-Monetization
वास्तव में मोदी का मास्टरस्ट्रोक था?
कल सीबीआई ने पूर्व वित्त सचिव अरविंद मायाराम पर भ्रष्ट और संदिग्ध अनुबंधों के लिए मामला दर्ज किया
"डे ला रुए मुद्रा"(DE LA RUE SCAM) सौदा। #विध्वंस160123
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यह खबर तो आपने पढ़ी ही होगी, लेकिन क्या आप इसका महत्व समझ पाए?
आपको कुछ चौकानेवाले विवरण बताना चाहता हूं!
तो अपनी सीट बेल्ट बांध लें!
सीबीआई ने पूर्व वित्त सचिव अरविंद मायाराम के परिसरों पर छापेमारी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद
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किए। भारत के बैंक नोटों में एक्सक्लूसिव कलर शिफ्ट सिक्योरिटी थ्रेड की आपूर्ति में संदिग्ध प्रथाओं के लिए उनके और ब्रिटेन स्थित कंपनी "डे ला रू" के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
क्या आपको पता है कि इसका क्या मतलब है?
"डे ला रुए" घोटाला क्या है?
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ये चीज क्या है कम्युनिष्ट आखिर
एक जमाना था ..
कानपुर की "कपड़ा मिल" विश्व प्रसिद्ध थीं कानपुर को "ईस्ट का मैन्चेस्टर" बोला जाता था;
लाल इमली ब्रांड था एक इसके जैसी फ़ैक्टरी के कपड़े प्रेस्टीज सिम्बल होते थे. #विध्वंस150123
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वह सब कुछ था जो एक औद्योगिक शहर में होना चाहिए;
मिल का साइरन बजते ही हजारों मज़दूर साइकिल पर सवार टिफ़िन लेकर फ़ैक्टरी की ड्रेस में मिल जाते थे;
बच्चे स्कूल जाते थे;
पत्नियाँ घरेलू कार्य करतीं;
और इन लाखों मज़दूरों के साथ ही
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लाखों सेल्समैन,मैनेजर,क्लर्क सबकी रोज़ी रोटी चल रही थी;
फ़िर "कम्युनिस्टो" की निगाहें कानपुर पर पड़ीं.. तभी से....बेड़ा गर्क हो गया;
"आठ घंटे मेहनत मज़दूर करे और गाड़ी से चले मालिक।"
ढेरों हिंसक घटनाएँ हुईं,
मिल मालिक तक को मारा पीटा भी गया।
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प्यारे देशभक्तों
उस दिन दुकान पर काफी भीड़ थी मैं ग्राहको को दवाई दे रहा था.. दुकान से थोड़ी दूर पेड़ के नीचे वो बुजुर्ग औरत खड़ी थी। मेरी निगाह दो तीन बार उस महिला पर पड़ी तो देखा उसकी निगाह मेरी दुकान की तरफ ही थी। #विध्वंस150123
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मैं ग्राहकों को दवाई देता रहा लेकिन मेरे मन में उस बुजुर्ग महिला के प्रति जिज्ञासा
मैंने दुकान का काउंटर दुकान में काम करने वाले लड़के के हवाले किया और उस महिला के पास गया।
मैंने पूछा.."क्या हुआ माता जी कुछ चाहिए आपको.. मैं काफी देर से आपको
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यहां खड़े देख रहा हूं गर्मी भी काफी है इसलिए सोचा चलो मैं ही पूछ लेता हूं आपको क्या चाहिए?
बुजुर्ग महिला इस सवालपर कुछ सकपका सी गई फिर हिम्मत जुटा कर उसने पूछा... "बेटा काफी दिन हो गए मेरे दो बेटे हैं। दोनो दूसरे शहर में रहते हैं। हर बार गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के
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प्यारे देशभक्तों
धंसता जोशीमठ,
उत्तराखंड के रास्तों पर अक्सर भूस्लखन होता ही रहता है,
जिससे रास्ते अक्सर जाम रहते है,
पहाड़ों पर हरियाली भी कम है
पहाड़ बड़ी चट्टानों की जगह छोटे छोटे हिस्सो मे है,
पिछले कुछ माह में दिल्ली और #विध्वंस150123
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आसपास भूकंप के झटके लगातार आए है और उत्तराखंड सहित हिमालय क्षेत्र इससे प्रभावित होता है,
साथ ही बड़े बांधों के कारण एकत्रित जल भंडार का दबाव भी पहाड़ों को प्रभावित करता है साथ ही अंदरूनी भूगर्भीय जल बहाव,
नदियों की दिशा भी बदलती है इससे,
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भूगर्भ के जल भंडार खाली होने से भी जमीन,
पहाड़ धंसते है;
इन सबके अलावा एक दो वर्ष पहले जोशीमठ के नीचे नदी में तेज बाढ़ अचानक आई थी जो शायद अपना असर छोड़ गई हो;
तिसपर जोशीमठ की बसाहट एकदम ढलान पर है,
और जोशीमठ से होकर ही चीन सीमा, विष्णुप्रयाग संगम,
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