ये कहानी आपके दिल को टच कर लेगी दोस्तों

एक आदमी की कार पार्किंग से चोरी हो गयी। दो दिन बाद देखा तो कार वापस उसी जगह पार्किंग में ही खड़ी थी।

अंदर एक लिफाफा था उसमे एक माफीनामा था

माँ की तबियत अचानक बिगड़ जाने से रातों रात बड़े अस्पताल लेकर जाना आवश्यक था।
लेकिन इतनी रात में और छुट्टियों के सीजन में गाडी मिली नहीं इसी वजह से आपकी गाड़ी को उपयोग में लेना पड़ा।

आपको तकलीफ देने के लिये खेद है....गाडी में जितना पेट्रोल था उतना ही है। उसका लाक भी ठीक करा दिया है।
आपको गाड़ी की मदद के एवज में कल रात "पठान फिल्म" की 5 टिकेट्स आपके परिवार के लिए कार में रखें हैं।

मुझे बड़े दिल के साथ माफ़ करिये ये विनती है आपसे.!!

चिट्ठी में स्टोरी ओरिजिनल लगने से और गाड़ी जैसी की तैसी वापस सही सलामत मिलने से परिवार शांत हो गया और
दूसरे दिन "पठान" देखने चला गया, और जाए भी क्यों न, आखिर 12 लाख की गाड़ी वापस जो मिल गयी थी।

फिल्म देखकर रात को वापस लौटा तो घर का दरवाजा टूटा हुआ था। अंदर जाकर देखा तो सब कीमती सामान गायब था।
करीब 25-30 लाख की चोरी हो गयी थी।

बाहर टेबल पर एक लिफाफा था, जिसमे लिखा था...
पठान का बॉयकॉट करना था न, देखने से धर्म संपत्ति और संस्कृति की हानि हो सकती है
🚩🙏जय श्री राम 🙏🚩

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Jan 23
भाई, ये मौर्या रामभक्तों को गोलियों से भुनवाने वाली श्रीराम विरोधी पार्टी का सदस्य है इसलिए इस राक्षस को राम और रामचरितमानस कैसे सुहाएगी?

दरअसल तुलसीदास को समझने के लिए सद्बुद्धि चाहिए। इसके जैसे कुटिल बुद्धि वाले नीच उनको नहीं समझ सकते।
ऐसे लोग बीच बीच में से कुछ दोहे उठा कर बकवास किया करते हैं ।

तुलसीदास समदर्शी थे । वे बिना लाग लपेट के अपनी बात कहते थे । वरना वे ब्राह्मणों द्वारा किए जाने वाले पुरोहित कर्म को निम्न श्रेणी का क्यों कहते । उन्होंने रामचरितमानस में लिखा है:
'उपरोहित्य कर्म अति मंदा।
बेद पुरान सुमृति कर निंदा॥"

उसी रामचरितमानस में उन्होंने देवताओं को सदा स्वार्थी बताया है और देवराज इंद्र की तुलना तो कुत्ते से की है।

उन्होंने तो भगवान विष्णु के बारे में भी अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया है और उनको कपटी, ईर्ष्यालु, धोखेबाज,
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Jan 22
दुर्भाग्य है कि जहां जगतगुरु की प्रतिष्ठा प्राप्त शंकराचार्य जी की एक आवाज न केवल भारत में बल्कि भौगोलिक सीमा तोड़कर जगत भर में सुनी जानी चाहिए थी। स्वयं सनातन समाज के सभी लोग भी नहीं सुन पाते, शंकराचार्य जी को बयान दिए हुए आज 2 दिन हो गए हैं।
बागेश्वर बाबा के विरोध में उन्होंने बयान दिया है, लेकिन कितने लोगों तक अब भी उनकी बात पहुंच पाई है?

मोहन भागवत कौन हैं? क्या किसी सनातन समाज की परंपरा से आते हैं? क्या उन्हें जगतगुरु का कोई पद मिला हुआ है? क्या देश की आम जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधित्व दिया है? बिल्कुल नहीं।
मोहन भागवत एक स्वयंसेवी संस्था के प्रमुख मात्र हैं। लेकिन उनकी एक धीमी आवाज भी देशभर में सुनी जाती है। न केवल देशभर में बल्कि देश के बाहर की भी कान खड़ी रहती है। क्यों? स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जैसे संत इसके लिए अंततः सनातन समाजी को ही दोषी ठहराते हैं।
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Jan 22
परम पूजनीय ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य जी,

जोशी मठ की दरारें ही नहीं , सनातन धर्म के लोग जो आसमानी किताब के ढोंग और चमत्कार से खिंचे जा रहे हैं और जो दरार हमारे समाज में पड़ रही है उसे भरने की आज आवश्यकता है ..
एक ढोंगी भारत तेरे टुकड़े के अवयवों के साथ घूम घूम बयान दे रहा है;

कि यह देश पुजारियों का नहीं बल्कि तपस्वियों का है और आप मौन हैं?

क्या आप अर्चा अवतार नहीं मानते?क्या अर्चना(जिसे सामान्य हिंदी में पूजा कहते हैं) सनातन धर्म का अंग नहीं है?क्यों नहीं तुरंत प्रतिकार किया गया?
क्या सेवा, सनातन हिन्दू धर्म का अंग नहीं है? क्यों नहीं फ़िरोज़ गांधी के अवयव का विरोध हुआ?

क्या उपासना, सनातन हिन्दू धर्म का अंग नहीं है?

आपने पूछा उस ढोंगी से कि "तपस्या" की परिभाषा बताये? तपस्या, जीवन का अंग अवश्य है पर वह अहंकार को जन्म न दे।
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Jan 22
#राधिका_पंडिताइन.....!
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Jan 22
शबरी बोली, यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो भगवन(राम) तुम यहाँ कहाँ से आते?" राम गंभीर हुए कहा, "भ्रम में न पड़ो माते ! राम क्या रावण का वध करने आया है? ... अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से बाण चला कर कर सकता है,
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Jan 22
जब पार्वती ने बनाया भोजन तो शिवजी ने उन्हें बताई ये अनोखी बात

एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा की प्रभु मैंने पृथ्वी पर देखा है कि जो व्यक्ति पहले से ही अपने प्रारब्ध से दुःखी है आप उसे और ज्यादा दुःख प्रदान करते हैं और जो सुख में है आप उसे दुःख नहीं देते है।
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जब भगवान के जाते ही माता पार्वती रसोई में चूल्हे को बनाने के लिए बाहर से ईंटें लेने गईं और गांव में कुछ जर्जर हो चुके मकानों से ईंटें लाकर चूल्हा तैयार कर दिया।
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