प्यारे देशभक्तों
अदानी और
हिंडन बर्ग
इस खेल को समझिए
एक कथित रिसर्च फर्म दो साल मे तैयार की हुई रिपोर्ट एक ख़ास मौके पर निकालती है, और एक दूसरे देश का बड़ा Corporate Group उसके निशाने पर होता है,
इससे Invester sentiments पर #विध्वंस290123
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प्रभाव पड़ता है और लगभग 4,00,000 करोड़ का Market Cap का नुकसान उस group को होता है.
सबसे पहला सवाल....
कि रिपोर्ट किसकी है?
Hinderburg Research नाम की एक कंपनी की.
यह Hinderburg Research क्या है??
क्या यह कोई Financial संस्था है??
नहीं
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क्या यह कोई Regulatory संस्था है? नहीं....
क्या यह कोई कानूनी या सरकारी संस्था है? नहीं.....
क्या यह कोई CA type के लोगों का समूह है? नहीं.....
Google करेंगे तो पता लगेगा कि यह एक Short Selling करने वाली एक कथित Investor Activism करने वाली छोटी सी कंपनी है...
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जिसमें 2020 तक 5 employee हुआ करते थे.. आज भी 10-12 ही होंगे.
यह कंपनी Short Selling की tactics अपना कर कई कंपनियों को ऐसे ही चूना लगा चुकी है...
अधिकतर कंपनियों को 80-90% market cap का नुक्सान हुआ है
कुछ ही लोगों को यह पता होगा कि US Securities and Exchange
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Commission (SEC) and Department of Justice इस तरह की short selling करके पैसे कमाने वाली कंपनियों के nexus की जांच कर रही है.. जिसमें Hinderburg भी एक है.
यह संस्था Invester activism के नाम पर Target Attack करती है....
और share बाजार हमेशा
sentiments पर चलता है....
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कुछ भी Negative ख़बर आने पर बिकवाली शुरू हो जाती है,
दो साल से रिपोर्ट बन रही थी..
लेकिन Release होती है
अडानी के FPO से बिल्कुल पहले.
अडानी के बारे मे कहा जा रहा है कि उनके stocks over वैल्यूड हैं...
लेकिन stocks over valued होना Scam कबसे हो गया??
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मोनोपोली करना अगर चोरी है...
तो Google,
Microsoft,
Facebook, और Apple क्या हुए??
अडानी पर आज तक कोई anti trust जैसे case नहीं लगे...
जो असलियत मे मोनोपोली रोकने के कानून हैं....वहीं Microsoft, Google, Apple, और Facebook जैसों ने तो कई बिलियन ऐसे मामलों मे
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penalty मे चुकाये हैं.... आप उन्हें तो चोर नहीं बोलते??
भारत विश्व में पश्चिम के वर्चस्व को चुनौती दे रहा है...
हमले तो होंगे ही.....
जो आज अडानी पर हुए हमले पर जश्न मना रहे हैं...
कल को उनकी कंपनी या संस्था भी ऐसे ही लपेटी जा सकती है....
इसलिए संभल कर रहें...
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क्यूंकि यह Hybrid Warfare है..... शिकारी भी आप हैं और शिकार भी.
इजराइल का एक युवक नैट एंडरसन इजराइल में एंबुलेंस चलाता है और बेहद गरीबी में जिंदगी जीता था
वह बेहतर जिंदगी की तलाश में अपने चाचा के पास न्यूयॉर्क आ गया न्यूयॉर्क
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में यहूदी लॉबी शेयर बाजार ट्रेडिंग मेटल ट्रेडिंग हीरे और दूसरे कीमती पत्थर तथा एंटीक चीजों के व्यापार में एकाधिकार है
एंडरसन अपने एक रिश्तेदार के शेयर बाजार की फॉर्म में नौकरी करने लगा और धीरे-धीरे उसने शेयर बाजार की बारीकी को जान लिया फिर वह समझ
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गया कि जब किसी कंपनी का शेयर गिर जाए तब उसे खरीद लेना सबसे बड़ा फायदा होता है शेयर बाजार की भाषा में इसे शॉर्ट सेलिंग कहते हैं
उसके बाद एंडरसन ने एक फर्म बनाई जिसका नाम हिडेनबर्ग रखा गया उसने हिडेनवर्ग नाम भी एक ऐतिहासिक आपदा पर रखा जिसमें एक हीलियम से
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भरा एयरशिप क्रैश हो गया था और 200 से ज्यादा लोग मारे गए थे
फिर हिडेनबर्ग अमेरिका में कई कंपनियों के बारे में फर्जी रिपोर्ट प्रकाशित की यह कंपनी के फाइनेंसियल चीजों में काफी गड़बड़ी है और फिर रिपोर्ट आने के बाद जब उस कंपनी के शेयर गिर जाते थे तब
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एंडरसन उस कंपनी के शेयर काफी खरीद लेता था
और कुछ समय के बाद जब शेर बढ़ जाते तब उन्हें बेचकर काफी मुनाफा कमाता था
अदानी के बारे में हिदेनबर्ग की रिपोर्ट आ गई सारे वामपंथी और सेकुलर सूअर घाघरा उठा कर डांस कर रहे हैं लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि भाई इस
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हिडेनबर्ग फर्म के खिलाफ अमेरिका में 3 क्रिमिनल जांच चल रही है और इसके बैंक अकाउंट लंबे समय तक सीज किए गए थे और इसे अब अमेरिका के न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड किसी भी कंपनी के बारे में कोई भी रिपोर्ट प्रकाशित करने से प्रतिबंधित किया गया है
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यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने अपने रिपोर्ट में लिखा है कि हिडेनबर्ग फॉर्म जानबूझकर सिर्फ शार्ट सेलिंग के लिए कंपनियों की नेगेटिव रिपोर्ट प्रकाशित करती है ताकि उसके शेयर गिर जाएं और बाद में इस कंपनी के डायरेक्टर लोग और उनके रिश्तेदार उस शेयर को खरीद लेते थे
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अमेरिका में हिडेनबर्ग फार्म के मालिक एंडरसन को 15 दिनों तक हिरासत में भी रहना पड़ा था
सोचिए एक विदेशी अपराधी के फर्जी रिपोर्ट पर इस देश में कितना नंगा नाच हो रहा है लेकिन कोई पूरी सच्चाई नहीं बता रहा आप गूगल पर हिडेनबर्ग के बारे में पूरी सच्चाई जानिए एंडरसन के
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बारे में पूरी सच्चाई जानीये यह बंदा कितना बड़ा खिलाड़ी है
ये ऐसे ही है जैसे कोई रियल एस्टेट एजेंट यह अफवाह फैलाने मकान में भूत है या फलाने मकान में कई लोगों ने आत्महत्या किया था फिर उसकी कीमत गिर जाए और वह उस मकान को खरीद ले; #विध्वंस290123
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साथियों
सबसे मजे में तो निर्मल बाबा रहे,
लाल हरी चटनी खिलाकर,
कभी किरपा अटकाकर,
कभी किरपा बरसाकर लोगों का जमकर तिया काटा,
दसवंद के नाम से जमकर माल बटोरा,
टिकट बेचे तो बाकायदा मनोरंजन कर चुकाया,
शानदार कुर्सी पर झकाझक कुर्ता पायजामा, मौजे पहनकर राजाओं के
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जैसे दरबार सजाया,
माल अंटी किया और अब मौज काट रहे हैं..
बस निर्मल बाबा ने एक काम नहीं किया, कभी सनातन धर्म की बात नहीं की,
कभी किसी विधर्मी की घर वापसी नहीं कराई, कभी हिंदुओं को एकजुट होने के लिये नहीं कहा,
कभी हिंदुओं को जातपात से उठकर
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केवल हिन्दू बनने को नहीं कहा,
इसलिये किसी दो कौड़ी के श्याम मानव की नज़रों में नहीं चढ़े और आज मौज में हैं..
बाकी कोई पादरी खुलेआम करंट लगाकर, पानी में डुबकी लगवाकर,
कोई मौलवी झाड़ फूँक करके,
आसमानी आयतें पढ़कर भूत प्रेत भगा दे, कोई बाबा बंगाली प्रेम,
शादी,
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जिद्दी कोठा गंध मचाने पर आमादा!
जजों की नियुक्ति को लेकर बनाए गए कॉलेजियम पर सुप्रीम कोठा और केंद्र सरकार के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है।
सुप्रीम कोठा कॉलेजियम समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट में नियुक्त करना चाहता है, #विध्वंस250123
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लेकिन केंद्र ने कृपाल के नाम पर आपत्ति दर्ज कराई है।
केंद्र ने इसके लिए खुफिया एजेंसी रॉ-आईबी की रिपोर्ट का हवाला दिया था।
इसमें समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल के विदेशी पार्टनर को लेकर सवाल खड़ा किया गया है।
लेकिन कॉलेजियम ने इन एजेंसियों की आपत्तियों को खारिज कर दिया था।
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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते पहली बार जजों के बारे में दी गईं केंद्र की आपत्तियों और रॉ-आईबी की रिपोर्ट्स को सार्वजनिक कर दिया था।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को देश की खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट्स को सार्वजनिक करने पर कहा- यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।
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भारत के सबसे प्रसिद्ध फिल्म पटकथा लेखक सलीम खान (सलमान खान के पिता) ने एक बार एक वरिष्ठ पत्रकार से एक साक्षात्कार में कहा था: #विध्वंस250123
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क्या किसी को याद है कि मुंबई के दंगों के दौरान महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन था,
जो गुजरात के दंगों से कम घातक नहीं था; 2002?
क्या किसी को मल्लियाना और मेरठ दंगों के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री का नाम याद है
या बिहार के मुख्यमंत्री का नाम जब कांग्रेस के शासन में भागलपुर या
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जमशेदपुर दंगे हुए थे? क्या हम गुजरात के उन पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम सुनते हैं जिनके नेतृत्व में भारत के बाद सैकड़ों दंगे हुए?
क्या किसी को याद है कि 1984 में जब सिखों का कत्लेआम हुआ था तब दिल्ली की सुरक्षा की कमान किसके हाथ में थी??
भारत की राजधानी में?
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प्यारे देशभक्तों
एक भारतीय के रूप में बीबीसी के खिलाफ जवाब देने के लिए मुझे भी और आपको भी समय निकालनाचाहिए।
बीबीसी का हमेशा भारत विरोधी रुख रहा है। बीबीसी को 1970 के दशक में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने भारत विरोधी होने के कारण बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
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उस समय बीबीसी के खिलाफ 41 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे।
आज यह रूस और चीन में प्रतिबंधित है।
वहाँ उनकी कोई विश्वसनीयता नहीं है और कई मौकों पर उन्होंने अपनी झूठी खबरों के लिए माफी भी मांगी है।
मोदी 2002 में सीएम थे,
उनसे SC द्वारा नियुक्त SIT टीम द्वारा
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पूछताछ की गई थी और जांच का बड़ा हिस्सा UPA के दौरान किया गया था
SC को दंगों को प्रायोजित करने वाले राज्य का कोई सबूत नहीं मिला।
SC ने कई गवाहों से पूछताछ के बाद यह फैसला दिया और मोदी सरकार के मंत्रियों को जेल में डाल दिया गया।
उन्हें दोषी न पाकर छोड़ दिया गया।
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2007 में एक फिल्म आई थी-
"चक दे इण्डिया"
जिसके नायक थे
'शाहरुख खान'।
फ़िल्म में उनका नाम था 'कबीर खान' और हॉकी कोच बने थे।
यह एक सच्ची घटना पर फिल्मायी फ़िल्म थी।
पूरी फिल्म में इसे "स्लिम" होने के कारण प्रताड़ित होते तथा देशभक्त बनते हुए दिखाया गया था।
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कुछ तथ्यों पर आपका ध्यान न गया होगा कि जिस वास्तविक पात्र पर यह फ़िल्म बनी है, वह हॉकी के खिलाड़ी श्री "मीर रंजन नेगी" जी हैं जो कि "हिन्दू" हैं। अब प्रश्न यह है कि इस पात्र को फ़िल्म में हिन्दू ही क्यों नहीं रहने दिया गया?
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दूसरा उदाहरण, फ़िल्म छपाक को लेकर है जो 2020 में रिलीज़ हुई। यह फ़िल्म भी एक सत्य घटना (दुर्घटना) पर फिल्मायी गई है जो लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित है।
असल दुर्घटना में लक्ष्मी के ऊपर एसिड फेंकने वाले अपराधी का नाम नईम खान है जिसे फ़िल्म में बदल कर “राजेश”
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