👇🏿 99% लोग नहीं जानते कि :-
भारत से हुआ समयसूचक AM और PM का उदगम
पर हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब होता है :
AM : (ante meridian)
PM : (post meridian)
एंटी यानि पहले, लेकिन किसके?
पोस्ट यानि बाद में, लेकिन किसके?
यह ..Cont....👇🏿
कभी साफ नहीं किया गया, क्योंकि यह चुराये गये शब्द का लघुतम रूप था।
👉🏾 ...अध्ययन करने से ज्ञात हुआ और हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को अपनी आंधियों में उड़ा दिया और अब, सब कुछ साफ-साफ दृष्टिगत है।
कैसे? देखिये... cont 👇🏿
🔻AM = आरोहनम् मार्तण्डस्य Aarohanam Martandasya
🔻PM = पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasya
सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसीको गौण कर दिया।
अंग्रेजी के AM PM शब्द संस्कृत के उस 'मतलब' को नहीं इंगित करते जो कि
Cont...👇🏿...
वास्तव में है।
🔻आरोहणम् मार्तण्डस्य Arohanam Martandasaya यानि सूर्य का आरोहण (चढ़ाव)।
🔻पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasaya यानि सूर्य का ढलाव।
दिन के बारह बजे के पहले सूर्य चढ़ता रहता है - 'आरोहनम मार्तण्डस्य' (AM)।
बारह के बाद सूर्य का ...cont 👇🏿
अवसान/ ढलाव होता है - 'पतनम मार्तण्डस्य' (PM)।
पश्चिम के प्रभाव में रमे हुए और पश्चिमी शिक्षा पाए कुछ लोगों को भ्रम हुआ कि समस्त वैज्ञानिकता पश्चिम जगत की देन है #सनातन_राष्ट्रीय_धर्म
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*यह एक अनोखा व्यंग***
*केवल आनंद लीजिए, छींटाकसी नहीं!!** 😜😛
*देश भर में पड़ रही कंपकपाती ठण्ड पर विभिन्न दलों/नेताओं की राय इस प्रकार हो सकती है।**
*भाजपा:- ये कंपकपाती ठण्ड सबका साथ, सबका विश्वास का अद्भुत उदाहरण है। ये ठण्ड बिना किसी
जाति, धर्म का भेदभाव किए बिना सभी पर समान रूप से पड़ रही है। हम इस सद्भावनापूर्ण ठण्ड का स्वागत करते हैं। भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं।**
*कांग्रेस:- ऐसा नही है कि ये ठण्ड हमारी सरकार में नहीं पड़ती थी, पड़ती थी किन्तु ऐसी भेदभावपूर्ण, विद्वेषपूर्ण ठण्ड आज से पहले
कभी नहीं पड़ी। हम पूछना चाहते हैं इस सरकार से अल्पसंख्यक इलाकों में ही ज्यादा ठण्ड क्यों पड़ रही हैं ? लोकतंत्र में इतनी ठण्ड बर्दाश्त नहीं। हम संसद में इस कंपकपाती ठण्ड पर बहस चाहते हैं।**
*केजरीवाल:- हम पूछना चाहते हैं, मोदी जी से कि आखिर चुनाव के ऐनवक्त
एक नौजवान जीवन से निराश था। जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठा रोता रहता था। एक दिन मृत्यु की देवी वहाँ से गुज़री और उससे पूछा, “तुम इतना दुखी क्यों हो?”
उसने कहा, “क्योंकि मैं बेहद असफल हूँ।”
मृत्यु की देवी ने उसे वरदान दिया कि तुम बेहद सफल वैद्य बनोगे, लेकिन सबका इलाज मत ....🔻
करना। मरीज़ के पास जाकर आँख बंद कर लेना। तुम्हें अगर मैं मरीज़ के पैर की तरफ़ खड़ी दिखूँ, तो समझ जाना कि यह ठीक हो जाएगा। अगर मैं उसके सिर की ओर दिखूँ, तो जान लेना कि कुछ ही दिनों में मैं उसे अपने साथ ले जाऊँगी। ऐसे मरीज़ का इलाज करने से मना कर देना।
नौजवान ने ऐसा ही .. 🔻
करना शुरू किया और दूर-दूर तक एक सफल वैद्य के रूप में उसकी कीर्ति फैल गई, कि वह जिस मरीज़ को हाथ लगाता है, वह ठीक हो जाता है। वह सफल व धनवान हो गया।
एक रोज़ उस देश की राजकुमारी बीमार पड़ गई। राजा ने घोषणा करवाई कि जो इसका इलाज कर देगा, मैं इसकी शादी उसी से कराऊँगा। जगह ...🔻
कई हजार वर्ष पुरानी बात है। अनपढ़ों का एक गांव था। सभी के पास कोई ना कोई स्वरोजगार था, खेती थी, बगीचे थे धन- धान्य से समृद्ध था, उस गांव में कोई भी गरीब नहीं था।
उसी गाँव में एक पढ़ा लिखा व्यक्ति भी रहता था। वह रोज कुछ ना कुछ पढ़ता और लिखता रहता था। लोगों की समझ में नहीं ...C🔻
आता था कि वह करता क्या है। लेकिन फिर भी सम्मान बहुत करते थे उसका, क्योंकि विलायत से बहुत महंगी डिग्री लेकर आया था।
एक दिन उसने गांव के सभी लोगों को बुलाया और बोला कि तुम लोग भी पढ़ना लिखना सीख लो। फिर तुम्हें भी खेती, मजदूरी करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
गांव वाले .... C🔻
सहर्ष सहमत हो गए और कुछ ही दिनों में सभी पढ़े लिखे हो गए। अब सभी दिन भर बैठकर पढ़ते लिखते रहते थे। दिन भर बैठे-बैठे कोई ना कोई कुछ ना कुछ लिखता रहता और फिर दूसरे को पढ़ाता। फिर दूसरा व्यक्ति अपना लिखा उसे देता पढ़ने के लिए।
कुछ ही दिनों में वह गांव पढ़े लिखे
..... C🔻
#राम_धनुष_टूटने_की_सत्य_घटना
बात 1880 के अक्टूबर नवम्बर की है। बनारस की एक रामलीला मण्डली रामलीला खेलने तुलसी गांव आयी हुई थी। मण्डली में 22-24 कलाकार थे, जो गांव के ही एक आदमी के यहाँ रुके थे, वहीं सभी कलाकार रिहर्सल करते और खाना बनाते खाते थे
पण्डित कृपाराम दूबे उस रामलीला मण्डली के निर्देशक थे, वे हारमोनियम पर बैठ के मंच संचालन करते थे और फौजदार शर्मा साज-सज्जा और राम लीला से जुड़ी अन्य व्यवस्था देखते थे...। एक दिन पूरी मण्डली बैठी थी और रिहर्सल चल रहा था! तभी पण्डित कृपाराम दूबे ने
फौजदार से कहा... इस बार वो शिव धनुष हल्की और नरम लकड़ी की बनवाएं, ताकि राम का पात्र निभा रहे 17 साल के युवक को परेशानी न हो.. पिछली बार धनुष तोड़ने में समय लग गया था...!
इस बात पर फौजदार कुपित हो गया, क्योंकि लीला की साज-सज्जा और अन्य व्यवस्था वही देखता था..
गुरुदेव श्री बाबा नीम करौली महाराज
का एक अलौकिक मज़ेदार प्रसंग
🌷तेरा ड्राइवर बड़ा तेज है राम राम कह
🌷कर जहाँ चाहे वहीं गाडी़ चला देता है
छठे दशक में कुमाऊँ मण्डल के तत्कालीन कमिश्नर, श्री प्रकाश कृष्ण ने बाबा जी को अपने घर नैनीताल लाने के लिये अपनी गाड़ी कैंची धाम भेजी
भीषण..
वर्षा के कारण नैनीताल-भवाली रोड कई जगह कमजोर पड़ गई थी पर बाबा जी आये और लौट भी गये। तब ड्राइवर कार को वापिस ले गया।
रास्ते में पाइन्स में चुंगी के मुन्शी ने ड्राइवर को टोका कि कहाँ से आ रहे हो ? उसने बताया कि नीम करौली बाबा जी को कैंची आश्रम पहुँचा कर आ रहा हूँ ।
तब ....
चुंगी मुन्शी, रघुनन्दन ने उसे डांट कर कहा, “झूठ बोलता है । पीछे तो सड़क टूटी हुई है बड़ी देर से ।” और ड्राइवर के यह कहने पर भी कि यह तो उसका चौथा चक्कर है, वह नहीं माना ।
नैनीताल लौटकर ड्राइवर ने यह बात कमिश्नर साहेब को बताई तो वे आश्चर्यचकित रह गये । जिज्ञासावश जब उन्होंने ...
किरलियान फोटोग्राफी ने मनुष्य के सामने कुछ वैज्ञानिक तथ्य उजागर किये हैं। किरलियान ने मरते हुए आदमी के फोटो लिए, उसके शरीर से ऊर्जा के छल्ले बाहर लगातार विसर्जित हो रहे थे और वे मरने के तीन दिन बाद तक भी होते रहे।
मरने के तीन दिन बाद जिसे
हिन्दू तीसरा मनाता है।
अब तो वह जलाने के बाद औपचारिक तौर पर उसकी हड्डियाँ उठाना ही तीसरा हो गया। यानि अभी जिसे हम मरा समझते हैं, वह मरा नहीं है। आज नहीं कल वैज्ञानिक कहते हैं कि तीन दिन बाद भी मनुष्य को जीवित कर सकेगें।
और एक मजेदार घटना किरलियान के फोटो में देखने को
मिली कि जब आप क्रोध की अवस्था में होते हो तो तब वह ऊर्जा के छल्ले आपके शरीर से निकल रहे होते हैं। यानि क्रोध भी एक छोटी मृत्यु तुल्य है।
एक बात और किरलियान ने अपनी फोटो से सिद्ध की कि मरने से ठीक छह महीने पहले ऊर्जा के छल्ले मनुष्य के शरीर से निकलने