हम सभी ने वो कहानी या वृत्तांत सुन रखा है जिसमें गौतम ऋषि की पत्नी #देवी_अहिल्या श्राप की वजह से एक पत्थर में बदल गयी
और प्रभु श्री राम जब गौतम ऋषि के आश्रम पहुँचे तो अपने श्री चरणोंके स्पर्श से देवी अहिल्या को श्राप मुक्त कर दिया
अब इस कथा पर भी वामपंथियों और कथित नारीवादियों👇
को अक्सर रोते छाती पीटते ही देखा कथित तर्कशास्त्री भी देखे जो पूछते हैं कैसे पैर लगाने से एक पत्थर स्त्री हो लिया
आगे एक और कहानी जुड़ती है जब प्रभु समुद्र पर सेतु निर्माण करवाते हैं और वानर सेना राम नाम लिखे पत्थर पानी में फेंकती है तो वे तैरने लगते हैं राम नाम की महिमा ही ऐसी
लेकिन पुनः वही रोना पत्थर भला कैसे तैर गए होंगे..तैरे भी होंगे तो उसके पीछे विज्ञान होगा.. बड़े धार्मिक दृष्टि रखने वाले हिन्दू भी यहाँ तर्क के जाल में उलझ जाते हैं..डिफेन्सिव हो लेते हैं
लेकिन अब में बड़े गर्व से कहता हूँ हाँ ये होता है.... किसी प्रमाण की आवश्यकता न तर्क की.और
नविज्ञान की.ये सिर्फ प्रभु श्री राम के नाम की महिमा मात्र से संभव हुआ था के एक शिला श्राप मुक्त हो देवी अहिल्या हो गयी के बस नाम भर लिख दिया तो विशाल पत्थर पानी पर तैरने लगे
में अब खुद इस बात का प्रत्यक्षदर्शी हूँ के ये संभव है.वाकई श्री राम की कृपाऔर उनका नाम मात्र ये कर देता है
में खुदको बेहद भाग्यशाली मानता हूँ जो इसे प्रत्यक्ष रूप में प्रमाणित होते देख रहा.और सिर्फ में नहीं हर श्री राम का सेवक उनका दास आज खुद के इस सौभाग्य पर गर्व कर सकता है.श
हाँ में देख रहा हूँ के कैसे पत्थर को राम नाम मिले वो भी तर जाते हैं..... 6 करोड़ साल से वे महज एक नदी में
पड़े पत्थर भर थे.सामान्य से पत्थर...
और फिर उन्हें श्री राम के नाम का सहारा मिला...बस एक वो पल वे तर गए. 6 करोड़ साल की प्रतीक्षा समाप्त हुईं....
कोई भी उस महिमा को देख ले #नेपाल_से_अयोध्या के मार्ग पर जहाँ जहाँ से उन्हें लाने वाला ट्रक गुज़र रहा है सड़क के दौनो तरफ उन्हें एक
नज़र देख भर पाने को व्याकुल जनसमूह है.... छू भर लेना चाहता है... प्रणाम कर लेना चाहता है.... पुष्प अर्पित कर रहा....
6 करोड़ साल से मात्र पत्थर प्रभु ने एक दृष्टि डाल आज पुनः जीवंत और पूजनीय कर दिए....
राम से बड़ा राम का नाम.....!
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वेद ही विज्ञान है और हमारे ऋषि ही वैज्ञानिक हैं ।
सौरमंडल में नौ ग्रह है व सभी सूर्य की परिक्रमा लगा रहे है, व बह्ममांड अनंत है, ये हमारे पूर्वजो को बहुत पहले से पता था। रामचरित्र मानस में काक भुशुंडि - गरुड संवाद पढिए, बह्ममांड का ऐसा वर्णन है, जो आज के विज्ञान को भी नहीं पता।👇
यदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता।
यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास "विद्युत" शब्द भी नहीं होता।
यदि "Telephone" जैसी तकनीक प्राचीन भारत में नहीं थी तो, "दूरसंचार" शब्द हमारे पास क्यो है।
Atom और electron की जानकारी नहीं थी तो अणु और परमाणू शब्द कहा से आए।
Surgery का ज्ञान नहीं था तो, "शल्य चिकितसा" शब्द कहा ये आया।
विमान, विद्युत, दूरसंचार , ये शब्द स्पष्ट प्रमाण है, कि ये तकनीक भी हमारे पास थी।
फिसिक्स के सारे शब्द आपको हिन्दी में मिल जाएगे।
बिना परिभाषा
ये पत्थर 6 करोड़ साल पुराने है।
हो सकता है ये पत्थर 6 करोड़ साल से अभिशप्त हो और मुक्ति के लिए तपस्या कर रहे हो।
मुक्ति भी मिली तो नेपाल के गंडक नदी से मुक्त हुए और ईश्वर की कृपा हुई तो ये पत्थर स्वयं भगवान हो गए।
मेरा ईश्वर में अतिविश्वास है, मैं घोर आस्तिक हूँ मुझे पता है👇
कि कण-कण में भगवान है, हमारे अगल-बगल हर जगह विधमान है।
सबकुछ वही कर और करा रहे है।
अब देखिए अयोध्या जी में उत्सव का माहौल है क्योंकि राम लला वर्षों बाद अपने जन्मस्थान पर जा रहे है तो ऐसे शुभ कार्य में उनके ससुराल वाले कैसे पीछे रहते।
नेपाल की गंडकी नदी से वर्षो पुराने शालिग्राम
बाहर निकले है।
ये पत्थर मानो भक्ति में 6 करोड़ साल से डूबे हुए थे।
प्रभु के कहने से बाहर आए।
अब तय किया गया कि इनसे राम मंदिर के गर्भगृह के लिए सीताराम की मूर्ति बनाई जाएगी।
प्रभु की लीला देखिए।
वर्षो से तपस्या में लीन शालिग्राम को आशीर्वाद में राम होना मिला है, कहते 👇
*यदि कोई आपसे पूछे*
कि
*अभिमन्यु* कैसे मारा गया ?
तो संभवतः आपके पास दो जवाब होंगे !
*पहला* :
अभिमन्यु को कौरव सेना के दर्जनों
महारथियों ने घेरकर मार दिया !!👇
*दूसरा* :
अर्जुन से चक्रव्यूह तोड़ने की विद्या सुनते
हुए सुभद्रा की नींद लग गई थी,
जिससे अभिमन्यु
माँ के गर्भ में चक्रव्यूह तोड़ने का हुनर
नहीं सुन पाया चक्रव्यूह में फंसकर मारा गया !!
*लेकिन यह इस सवाल का सही जवाब*
*नहीं है...*
इस सवाल का सही जवाब है....
*कौरवों की वो रणनीति*
जिसके तहत *अर्जुन को युद्धक्षेत्र से*
*जानबूझकर* इतनी दूर ले जाया गया कि,
वो *चाहते हुए भी* अपने बेटे को
बचाने हेतु समय पर नहीं पहुंच सके...!
अडानी इफेक्ट पर एयूएम कैपिटल के रिसर्च प्रमुख और आर्थिक विशेषज्ञ राजेश अग्रवाल कहते हैं,अडानी समूह को लेकर अभी चौतरफ़ा नकारात्मक ख़बरें आ रही हैं, ऐसे में समूह के लिए सबसे बड़ी चुनौती निवेशकों की घबराहट को दूर करना होगा।
एफ़पीओ रद्द होना और एक के बाद एक ख़बरें कंपनी के ख़िलाफ़👇
आना, क्या इससे अदानी समूह के भविष्य में निवेश पर असर पड़ेगा?
इंफ्राविज़न फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी विनायक चटर्जी कहते हैं, मुझे नहीं लगता कि इससे कंपनी की साख या उसकी भविष्य की निवेश योजनाओं पर असर पड़ेगा। इंफ्रा एक्सपर्ट होने के नाते में लंबे समय से इस समूह को देख रहा हूँ।
मैंने पोर्ट्स,एयरपोर्ट्स,सीमेंट और अक्षय ऊर्जा से जुड़े उनके कई प्रोजेक्ट्स देखे हैं जो मज़बूत, स्थायी और अच्छा पैसा दे रहे हैं। उन पर शेयर बाज़ार के उतार चढ़ाव का कोई असर नहीं है।
विनायक कहते हैं, जो कंपनियाँ अदानी के प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रही हैं, वो अपने सेक्टर की एक्सपर्ट
पतंजलि..अडानी..अंबानी...हानिकारक अंत में...
लेकिन
क्या एमआरएफ पर कभी हमला हुआ था?
क्या विप्रो पर कभी हमला हुआ है?
क्या हिमालय पर कभी हमला हुआ है?
क्या वॉकहार्ट पर कभी हमला हुआ है?
क्या प्रेस्टीज ग्रुप पर कभी हमला हुआ है?
क्या अम्मी की बिरयानी पर भी हमला हुआ है?!!
...👇
क्या मोंगिनिस पर कभी हमला हुआ है?
क्या सिप्ला पर कभी हमला हुआ है?
क्या रेड चिलीज पर कभी हमला हुआ है?
क्या हमदर्द पर कभी हमला हुआ है?
क्या स्पोर्ट्सवीक पर कभी हमला हुआ है?
क्या निज़ाम समूह पर कभी हमला हुआ है?
क्या लिबर्टी समूह पर कभी हमला हुआ है? !!
क्या दिल्ली दरबार
समूह पर कभी हमला हुआ है?
क्या ईटीए स्टार समूह पर कभी हमला हुआ है?
क्या बुखारी जमात पर कभी हमला हुआ है?
क्या पटेल रोडवेज पर कभी हमला हुआ है?
क्या ईस्ट वेस्ट एयरलाइंस पर कभी हमला हुआ था?
क्या अल कबीर समूह पर कभी हमला हुआ है? !!
क्या आईडी फ्रेश फूड पर कभी हमला हुआ है?
क्या
जैसे एक गृहस्थ
व्यक्ति का अपने पूरे परिवार के साथ सम्बन्ध रहता है।
वैसे ही परमात्मा का भी
पूरे संसार के साथ सम्बन्ध है।
संसार में भले या बुरे श्रेष्ठ या निकृष्ट कैसे ही प्राणी क्यों न हों
पर परमात्मा का सम्बन्ध सबके साथ समान ही होता है।
समोऽहं सर्वभूतेषु ||
भगवान कहते हैं कि👇
प्राणियों के साथ ही नहीं
परिस्थितियाँ अवस्थाओं घटनाओं आदि के साथ भी एक समान सम्बन्ध है।
अब आप ध्यान दें कि
किसी व्यक्ति में यदि विशेष योग्यता है तो क्या उसके साथ परमात्मा का विशेष सम्बन्ध है ?
नहीं है।
उसमें जो विशेषता प्रतीत होती है वह सांसारिक दृष्टि से ही है।
परमात्मा का तो
सबके साथ सम्बन्ध है उस सम्बन्ध में कभी कमी या अधिकता नहीं होती।
अतः किसी गुण योग्यता या विशेषता से हम परमात्मा को प्राप्त कर लेंगे
तो यह बात संसार की विशेषता या महत्ता को लेकर की जाती है।
यदि संसार से विमुख होकर देखें तो सब-के-सब परमात्मा को प्राप्त करने के अधिकारी हैं।
सांसारिक