"सुपर पावर इन मेकिंग" भारत पर आर्थिक, धार्मिक और संस्कृतिक हमले होगे..
हमे अपनी भूमिका तय करनी है कि हम आलोचक या समर्थक किस भूमिका मे रहते है.
क्योंकि कल तक गरीब भारत ही वैश्विक जगत के लिए फिट था लेकिन आज भारत को पहचानना वैश्विक जगत की मजबूरी बनता जा रहा है और इसीलिए👇
एक नागरिक के तौर पर हमारी जिम्मेदारी बढ़ती जा रहीं है.
#गरीब_भारत कल तक अंतर्राष्ट्रीय बाजार और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ negotiate नहीं कर पाता था जिसकी हर स्तर पर भार गरीब जनता पर पड़ता था लेकिन आज भारत हर स्तर पर अपनी शर्तों पर negotiate कर रहा है.
दवा, हथियार और
पेट्रो हर चीज़ पर भारत का नजरिया बदल चुका है और पूरा वैश्विक जगत इसको पहचानना शुरू कर दिया है
भारत के सभी पड़ोसी देशों की अर्थव्यवस्था की बाजा बज चुकी हैं लेकिन भारत आगे बढ़ता जा रहा है
इसके लिए मोदी जी और भारत की जनता दोनों बधाई योग्य है क्योंकि मोदी जी ने दिलेरी के साथ👇
आर्थिक सुधारों को लागू किया तो आम जनमानस ने हर दिक्कतों को बर्दाश्त करते हुए स्वीकार किया
आत्मनिर्भर भारत का फल आने वाले समय मे बेह्तरीन तरीके से देश को मिलेगा
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आसमान से गिरे उद्धव और
खजूर में नहीं अटक सके,
बल्कि पूरी तरह धराशाई हो गए -
आसमान से गिरे खजूर में अटके मुहावरे का मतलब यही कहा गया है कि एक परेशानी से निकलकर दूसरी परेशानी में आना - लेकिन उद्धव ठाकरे के लिए कुछ और ही सच्चाई हो गई - वह तो मुख्यमंत्री बनकर सातवें आसमान पर 👇
पहुँच गए थे जहाँ से ऐसे गिरे कि कहीं किसी खजूर में अटकने की बजाय पूरी तरह धराशाई हो गए - हिंदुत्व को छोड़ “सेकुलर” बन कर दरगाहों पर सरकारी धन लुटाना भी काम नहीं आया - और पिता की विरासत भी एकनाथ शिंदे के हाथों लुटवा दी -
वैसे तो कई महारथी थे उद्धव की सेना में परंतु सबसे बड़ा
बेलगाम संजय राउत था और आज भी है जिसे उद्धव ने कंट्रोल करने की जरूरत ही नहीं समझी - शरद पवार की बनाई धुन पर संजय राउत ता ता थैया करता रहा और उद्धव सेना को पलीता लगाता रहा - बड़े फक्र से कहा था राउत ने कि “मुझसे पंगा मत लेना, मैं एक नंगा आदमीहूँ, शिव सैनिक हूँ, मेरे पास भाजपा की
अनुज बधू भगिनी सुत नारी।
सुनु सठ कन्या सम ए चारी॥
इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई।
ताहि बधें कछु पाप न होई॥
"छोटे भाई की पत्नी" "बहन"
"पुत्र की पत्नी" और "अपनी पुत्री"
इन चारों में कोई अंतर नहीं है।
किसी भी पुरूष के लिए ये एक समान होनी चाहिए।
इन पर अपनी कुदृष्टि रखने वाला या इनका👇
अपमान करने वाले का वध करने से पाप का भागी नहीं बना जा सकता।
छोटे भाई की पत्नी
किसी भी पुरूष के लिए बहू के समान होती है।
उस पर बुरी नजर रखने वाले का सर्वनाश हो जाता है।
किष्किन्धा के राजा बालि ने अपने छोटे भाई सुग्रीव को राज्य से बाहर करके उसकी पत्नी रूमा के साथ गलत व्यवहार
किया था।
जो अनुचित था।
श्रीराम ने बाली को मारकर उसे उसके कृत्यों की सजा दी।
अपनी बेटी और पुत्र की पत्नी में कोई अंतर नहीं समझना चाहिए।
जैसी भी परिस्थितियां हों सदा अपनी बहू के मान-सम्मान की रक्षा करनी चाहिए।
उसे किसी भी तरह का कोई दुख-संताप नहीं देना चाहिए।
वाल्मीकि रामायण
तस्यापि चेत्प्रसन्नोऽसौ फलं यच्छति वाञ्छितम् |
ऋद्ध किंचित्समादाय क्षुल्लकं जलमेव वा ||
यो दत्ते नियमेनासौ तस्मै दत्ते जगत्त्रयम् |
तत्राप्यशक्तो नियमान्नमस्कारं प्रदक्षिणाम् ||
य: करोति महेशस्य तस्मै तुष्टो भवेच्छिव:|
प्रदक्षिणास्वशक्तोऽपि य: स्वान्ते चिन्तयेच्छिवम् ||
उन पर 👇
भी प्रसन्न होकर
भगवान शिव मनोवांछित फल प्रदान करते हैं जो बड़े मोल की वस्तु कुछ लेकर या अल्प मोल की वस्तु अथवा केवल जल ही लेकर जो नियम से शिवार्पण करते हैं।
शिव जी प्रसन्न होकर
उसे त्रैलोक्य देते हैं और जो यह न हो सके तो नियम से नमस्कार अथवा प्रदक्षिणा जो नित्यप्रति भगवान 👇
शिव जी की करता है।
उसके ऊपर भी भगवान शिव जी प्रसन्न होते हैं और जो प्रदक्षिणा में असमर्थ हो वह केवल मन में ही भगवान शिवजी का ध्यान करे।
यदि यह न हो सके
तो भगवान शिवजी पर
नित्य प्रति जलाभिषेक ही करें
अथवा उन्हें नित्य प्रति नमस्कार ही करे अथवा उनकी प्रदक्षिणा ही करे।
अथवा मन
ने पिछले हजार साल में लगभग 20 करोड़ हिंदुओं की निर्मम हत्या हत्या की और मुगल बहरूपिया, ड्रामेबाज, नौटंकीबाज, धोखेबाज, गद्दार अभी भी हमें पढ़ा रहे हैं बता रहे हैं गलतफहमी में रखना चाह रहे हैं मदबुद्धि हिंदुओं को बुड़बक बनाना चाह रहे थे, की मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना*
मुगलों ने लगभग 20 करोड़ हिंदुओं का धर्मांतरण कराया और अभी भी हमें ज्ञान दे रहे हैं मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना*
*मुगलों ने लाखों हिंदू महिलाओं को जोहर करने पर मजबूर किया, जिंदा आग में जलने को मजबूर किया, जलाकर मरवा दिया 2 साल की बच्चों से लेकर 70 साल की महिलाओं को मरवा दीया
कुछ लोग तो खैर खुद को श्रेष्ठतम बताते हुए दुनिया पर राज करने के मंसूबे पाले हुए हैं , उनकी बात छोड़िए !
उनकी बात भी मत कीजिए जो कभी सिमी तो कभी पीएफआई बनाकर 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का ख़्वाब देख रहे थे और अब जेलों में हैं !
हमारा सवाल उनसे है जो देश मे👇
1947 से राज करते रहे और आज विपक्ष का सबसे बड़ा दल हैं !
आपने ही तो सर्व धर्म सम भाव के आदर्श वाला संविधान बनाया था ?
तो फिर सर्व धर्म सम विधान और सर्व धर्म एक कानून का पालन क्यों नहीं कराया ?
क्यों बनाए जितने धर्म उतने कानून ?
क्यों नहीं लाल चौक पर 1947 में फहराया तिरंगा ?
क्यों लगाई 370 और जब लगाई , तब कहां गया था संविधान ?
एक राष्ट्र , एक विधान , एक ध्वज एक निशान की बात तब याद नहीं आई जब संविधान में धर्म निरपेक्ष शब्द जोड़ा था ?
अच्छा होता तभी लागू कर देते कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिकता कानून ? इतने झंझट तो न होते ? उस समय मजहब के आधार पर
काले ने तो शिक्षा का कानून बनाकर और गुरुओं को जिंदा जलाकर गुरुकुल बंद कराए परन्तु फिर भी हम मिटे नहीं बल्कि लड़े और जीते। गुरुकुल बंद होने के बाद भी हमारा नैतिक व चारित्रिक पतन नहीं हुआ।
लेकिन आजादी के बाद हम प्रगतिवाद, नारीवाद, बाजारवाद आदि के चक्करों में उलझे और नैतिक, 👇
चारित्रिक, सांस्कृतिक हर तरह के पतन के मार्ग पर द्रुति गति से चल पड़े हैं। इसका सबसे बड़ा कारण रहा है कांग्रेस और वामपंथ का गठजोड़। मुस्लिम लीग बन चुकी कांग्रेस ने ब्राह्मण बाद नामक राक्षस की रचना की और वामपंथ ने सारे संचार माध्यम से ये साबित किया कि ब्राह्मण लूट रहे हैं। फिर
फिर ब्राह्मण को शोषक बताया जाना आरंभ होते ही पुरोहित को बेज्जत किया जाने लगा। बस फिर घर के साथ गांव में भी पुरोहित ज्योतिषी नाडी वैद्य (आयुर्वेद आचार्य) होना बंद हो गए। क्योंकि ज्यादातर ये तीनों कार्य एक ही व्यक्ति करता था और अधिकतर वो पुजारी भी होता था। पुरोहित की सेवाएं लेना