#इतिहास_के_पन्नों_से
1842 में खंडवा जिले के बड़दा गांव में जन्मे टंट्या भील (टंट्या मामा) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें भारतीय रॉबिन हुड भी कहा जाता है। 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद, अंग्रेजों ने बेहद कठोर कार्रवाई की, जिसके बाद ही टंट्या भील ने अंग्रेज़ों के खिलाफ 👇
लड़ना शुरू किया। वह उन महान क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्होंने बारह साल तक ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया।
विदेशी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए, अपने अदम्य साहस और जुनून के बल पर वह 12 साल तक लड़ते रहे और आदिवासियों और आम लोगों की भावनाओं के प्रतीक बने। वह ब्रिटिश
सरकार के सरकारी खजाने और उनके चाटुकारों की संपत्ति को लूटकर गरीबों और जरूरतमंदों में बांट देते थे
टंट्या भील,गुरिल्ला युद्ध में निपुण थे लेकिन एक लंबी लड़ाई के बाद,वर्ष 1888-89 में राजद्रोह के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जबलपुर जेल ले जाया गया,जहां ब्रिटिश अधिकारियों
ने उन्हें अमानवीय रूप से प्रताड़ित किया। टंट्या भील की गिरफ्तारी की ख़बर 10 नवंबर 1889 को न्यूयॉर्क टाइम्स के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। इस ख़बर में उन्हें 'भारत का रॉबिन हुड' बताया गया था।
19 अक्टूबर 1889 को उन्हें फांसी की सज़ा सुनाई गई थी। भारत के वीर सपूत है👇
youtube.com/@dharmgyan789
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52 साल से हमारे पास घर नहीं… राहुल गाँधी की बात पर सोनिया ने फेरे रखा मुँह: PM आवास से बड़ा है 10 जनपथ, रेंट मात्र ₹4610
26 February, 2023
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चल रहे कॉन्ग्रेस के 85वें अधिवेशन के आखिरी दिन राहुल गाँधी ने अपना भाषण दिया। इस भाषण में उन्होंने अपनी👇
भारत जोड़ो 🚜 का तो जिक्र किया ही लेकिन साथ में वह 1977 के एक अनुभव के बारे में भी बोलते दिखे। उन्होंने बताया कि 52 साल हो गए हैं उनके पास अपना घर नहीं है। अब उनके इस बयान की सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। वहीं वीडियो में देख सकते हैं कि राहुल के बोलते वक्त सामने बैठी
सोनिया गाँधी भी इधर-उधर देख रही हैं।
समाचार एजेंसी द्वारा शेयर की गई वीडियो में राहुल गाँधी कहते हैं, “मैं छोटा था, 1977 की बात है। चुनाव आया, मुझे उसके बारे में कुछ नहीं मालूम था। घर में अजीब सा माहौल था। मैंने माँ से पूछा मम्मी क्या हुआ। माँ ने कहा हम घर छोड़ रहे हैं। तब तक मै
रुद्राक्ष की महिमा
प्रायः पानी में
डूबने वाला रूद्राक्ष असली
और जो पानी पर तैर जाए उसे नकली माना जाता है।
लेकिन यह सच नहीं है।
पका हुआ रूद्राक्ष पानी में डूब जाता है जबकि कच्चा रूद्राक्ष पानी पर तैर जाता है।
इसलिए इस प्रक्रिया से रूद्राक्ष के पके या कच्चे होने का पता 👇
तो लग सकता है। पर असली या नकली होने का नहीं।
प्रायः गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं।
वस्तुतः में रूद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर रंग चढ़ाया जाता है।
बाजार में मिलने वाली रूद्राक्ष की मालाओं को पिरोने के बाद पीले रंग से रंगा जाता है।
रंग कम होने से कभी-कभी हल्का रह जाता है।
काले और गहरे भूरे रंग के दिखने वाले रूद्राक्ष प्रायः इस्तेमाल किए हुए होते हैं, ऐसा रूद्राक्ष के तेल या पसीने के संपर्क में आने से होता है।
कुछ रूद्राक्षों में प्राकृतिक रूप से छेद होता है।
ऐसे रूद्राक्ष बहुत शुभ माने जाते हैं।
जबकि
अपने कार्यों के अनुसार
ही पहनिए रुद्राक्ष
1: वकील जज व न्यायालयों में काम करने वाले लोगों को 1, 4 व 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहिए।
2: वित्तीय क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति बैंक कर्मचारी चार्टर्ड एकाउन्टेंट को 8, 11, 12, 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
3: प्रशासनिक अधिकारी व👇
व पुलिस कर्मचारी को 9 व 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
4: चिकित्सा जगत से जुड़ें लोगों डाॅक्टर, वैद्य, सर्जन को 3, 4, 9, 10, 11, 12, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
5: इंजीनियर को 8, 10, 11, 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
6: वायुसेना से जुड़े कर्मचारियों व 👇
पायलट को 10 व 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
7: शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों व अध्यापकों को 6 और 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
8: ठेकेदारी से संबंधित लोगों को 11, 13 व 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
9: जमीन जायदाद के क्रय विक्रय से जुड़े लोगों को 1, 10, 14 मुखी
थल सेना में एक आर्टिलरी गन(तोप) होती है जो फिलहाल दुनिया के लगभग 126 देशों के पास है सभी देशों की ये तोप चाहे किसी भी देश में बनी हो लेकिन इसका केलीबर (बेरल का साइज)155 मिलीमीटर होता है इस तोप में जो गोला प्रयोग होता है उसकी कीमत रूस में 1.60 करोड़ रुपए और अमेरिका में लगभग 2.40👇
करोड़ भारतीय रुपए होती है पहले हमारी सेना इसके गोले आयात करती थी उसके बाद 2019 में जब यह गन भारत में बनने लगी तो रूस, फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका ने इसके गोले की तकनीक देने से साफ इन्कार कर दिया।
अब भारत के कल्याणी ग्रुप ने इसके सभी प्रकार के गोलों की तकनीक इजाद कर ली और यह भारतीय
गोला लगभग 80 लाख रुपए में पड़ेगा।
इसका असर यह हुआ की जिन126 देशों के पास यह तोप है उनमें से 74 देश इसका गोला बारूद भारत से खरीदने के लिए कतार में हैं।
यह होता है #आत्मनिर्भर_भारत