"52 साल हो गए, मेरे पास घर नहीं है"
: राहुल गांधी, कांग्रेस महाधिवेशन में
राहुल द्वारा 2009 और 2019 के चुनावी हलफनामों में दर्ज इन सम्पत्तिओं के विवरण संलग्न है
दूसरा जब जन्म ही सरकारी बंगलों में हुआ हो, जवानी एकड़ो के सरकारी बंगले में गुजर गई, देश को खानदान की विरासत मान जीवन👇
सरकारी बंगले में गुजारने का इरादा हो तो क्यों घर खरीदना? अभी भी आपके हलफनामे अनुसार 15 करोड़ की घोषित संपत्ति के अकेले मालिक हैं आप...
माता जी अलग और आप अलग बंगलो में रहते है....क्या 2024 में अगर चुनाव हारते है तो दोनो बंगले खाली करेंगे?
नेशनल हेराल्ड की 38% संपत्ति के अविभाजित
हकदार हो अभी, जब तक फैसला न हो जाए तब तक तो हो...
वर्ष में कई बार विदेश जाते है इसके करोड़ो कहां से आते हैं?
दरअसल मानसिकता इस देश को अपनी जागीर समझने की रही हो और झूठ बेंचा जाता रहा है आपके परिवार द्वारा... 6वीं 7वीं के बच्चे स्कूल में जिंदाबाद मुर्दाबाद करते थे तो चाटुकारों ने
बताया की इंदिरा जी बचपन से स्वतंत्रता संग्राम में रही और उन्होंने वानर सेना बनाई थी, ये अलग बात है की उस वानर सेना की ये इकलौती सैनिक थी.... #CongressParty
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मुझे रिवाल्वर के लाईसेंस लेने का शौक चर्राया,तो 2 सेट अप्लिकेशन डाल दी , जिसकी एक प्रति “एसएसपी” के द्वारा क्राईम हिस्ट्री और एक प्रति “एसडीएम” के माध्यम फाइनेंशियल करप्शन वेरीफाई की जाती है।
और हमारे क्षेत्र के थाने में वेरिफिकेशन के लिए फाईल आ गयी। मैं थाने में थानाध्यक्ष👇
के सामने बैठा था ।
थानाध्यक्ष ने मुझसे मेरा फ़ोन मांगा तो मैंने दे दिया, उन्होंने मेरा नंबर पूछा ? मैंने बता दिया 98936*****।
थानाध्यक्ष ने सम्मान के साथ मेरा फ़ोन वापस कर दिया, मेरी फाईल मंगाई और साईन करके बोला कि आप तो बेहद शरीफ़ आदमी हैं आप को रिवाल्वर क्यों चाहिए?
मैंने
कहा कि व्यापारी आदमी हूं, अक्सर टूर पर रहता हूं और देर रात तक आता हूं।
थानाध्यक्ष ने मुस्कुराते हुए कहा , लीजिए कर दिया।
मैंने हिम्मत करके थानाध्यक्ष से पूछा कि सर आपको मेरे नंबर से मेरी शराफत का अंदाजा कैसे लगा?
थानाध्यक्ष बोला आपका फोन नंबर 98936***** एयरटेल के शुरुआती दिनों
मन की मृत्यु होती है क्या ?
मनुष्य
मूलतः आत्म स्वरूप है।
प्रकृति के साथ उसका संयोग भी अनादि है।
इस संयोग से ही सर्वप्रथम मन का निर्माण होता है।
यही मन अहंकार एवं वासनायुक्त होकर प्रकृति तत्त्वों का संग्रह कर अपनी वासना पुर्ति हेतु विभिन्न शरीरो का निर्माण कर लेता है।
जिसका 👇
अन्तिम रूप यह स्थूल शरीर है।
यह आत्मा ऐसे 7 शरीरों से आबद्ध है जो सुक्ष्म से सुक्ष्मतर होते चले गये है।
ये सभी आवरण आत्मा के वस्त्र की भांति हैं।
जिनको उतार फेकने पर ही आत्मा का वास्तविक स्वरूप प्रकट होता है।
आवरण युक्त होने से मनुष्य आत्मा को न देख कर इन 7 शरीरो को ही अपना
वास्तविक स्वरूप समझने लगता है।
इस भ्रान्ति को मिटाना ही आत्मदर्शन का मार्ग है।
ये सभी आवरण
मन की कल्पना से ही रचित है।
इसलिए इनके छुट जाने पर भी मन जीवित रहता है जो अपनी वासना पूर्ति हेतु पुनः नये शरीरो का निर्माण कर लेता है।
यह क्रम कई जन्मो तक चलता रहता है।
ज्ञान की
अंतिम
मन
समस्त खजाने का पहरेदार मन है
जिसको तैयार करके ही इस खजाने के कक्ष मे प्रवेश किया जा सकता है।
मनुष्य एक सीमित दायरे मे रहकर ही थोडी सी सम्पदा से ही अपना गुजारा करके संतुष्ट हो जाता है।
इस थोडी सी सम्पदा से ही वह अपने कार्यो का सम्पादन करता है।
उसके स्वार्थ ही उसे संकीर्ण घेरे👇
से बहार निकलने मे बाधक है।
यदि वह स्वार्थों के संकीर्ण घेरे से बहार निकल कर अपनी दृष्टि को विशाल कर दे तथा मानव हितों की ओर ध्यान देने लगे तो इस खजाने की चाबी का रहस्य ज्ञात हो सकता है कि उसका उपयोग किस प्रकार किया जाये।
जो अपने घेरे को विस्तृत कर देता है वही सिद्धियों का स्वामी
बन जाता है।
अपनी अन्तर्निहित शक्तियों को जाग्रत करना है सिद्धियाँ कहलाती है।
सामान्य मनुष्य जो कार्य नही कर सकता।
उन्हे कर सकने की क्षमता अर्जित कर लेना ही सिद्धियाँ है। जय श्री गणेश जी 🙏🙏🌹🌹
#चमत्कार
एक राजा का हाथी था. जिसने अनेकों युद्ध लड़े और जीते थे। पूरे राज्य का प्रिय था। जब बूढ़ा हो गया तो एक बार तालाब किनारे फंस गया। राजा समेत पूरा राज्य दुःखी..महावत बुलाए निकालने के लिए।उन्होंने उसे भाले भोंके व नश्तर चुभाए, दर्द दिया पर हाथी फंसता गया..और मरणासन्न हो गया👇
दर्द के मारे बैठ गया.. और आंखों में आंसू बहने लगे।
राजा भी दुःखी, राज्य भी दुःखी। तब उसके पुराने महावत को बुलाया गया। उसने देखा तो चिल्लाया की यह क्या कर रहे हो? मार डालोगे क्या? बैंड बजाओ,दुंदुभी और युद्ध के नगाड़े बजाओ!
युद्ध के नगाड़े सुनते ही अपूर्व चमत्कार हो गया।
वो 🐘
हाथी क्षणभर में ही छलांग लगाकर खड़ा हो गया।
सुरमा था,उस क्षण में भूल गया कि वो बूढ़ा है।
भूल गया कि कमजोर है; फिर से जवान हो गया।
हम उतने ही जवान होते हैं..जितनी हिम्मत होती है।
हिम्मत, साहस से ही बूढ़े और जवान होते हैं
साहस पर चोट लगते ही हाथी फिर से जवान हो गया।
युद्ध के नगाड़े
मन और संसार
जीवन के सभी सांसारिक कर्म
यधपि शरीर से होते है किन्तु उसका कारण मन ही है
जिसका मन जिस ओर जाता है
उसी कार्य मे उसकी प्रवृति होती है
अन्य की ओर से वह उदासीन रहता है
कार्य को क्रियान्वित करने की योजना भी मन ही बनाता है इसी प्रकार जीवन के समस्त कर्मों का कारण केवल मन है👇
दूसरे शब्दो मे कहा जा सकता है कि
मन ही मनुष्य है।
मन की उत्कृष्टता ही
मनुष्य के व्यक्तित्व को उत्कृष्ट बनाती है।
मन स्वमं के संस्कारो एवं आनुवांशिक गुणों का समुह है जो बाह्य वातावरण पाकर विकसित होते है
जो व्यक्ति मूल गुणो के उद्दीपन का कार्य करता है
जिससे उनके विकास का सुअवसर
मिलता है
मनुष्य अपनी मनःशक्ति के संकल्प से ही कुण्डलिनी शक्ति को जाग्रत कर सकता है।
मन वृत्तियों को समझकर
यदि इसका सुनियोजित उपयोग किया जाये तो मनुष्य के विकास की अनन्त सम्भावनाएँ है। जय श्री राधे कृष्णा 🙏🙏🌹🌹
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