#पक्षपाती_दोगली_दलाल_मीडिया #हाथरस केस में 4 में से तीन आरोपी रामू, लवकुश और लवी की रिहाई हो गयी है, तीनों आरोपियों की वारदात के समय किसी अन्य स्थान पर मौजूदगी के सबूत मिले, रामू तो बाकायदा कंपनी के CCTV में काम करता मिला, कोर्ट में डॉक्टरों ने माना कि लड़की 4/1
4/2 की हाइमन में कोई टियर नहीं मिला, प्रेगनेंसी रिपोर्ट नेगेटिव, प्राइवेट पार्ट पर कोई इंजरी नहीं, अंदरूनी कपड़ों पर कोई सीमेन का ट्रेस नहीं...
हम उस दिन भी बोल रहे थे आज भी बोल रहे हैं की ये केस ही फ़र्ज़ी है, कोई बलात्कार हुआ ही नहीं, ये कहानी ही है प्रेम प्रसंग की,
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4/3 प्रेम वो भी ऐसा की आरोपी लड़का संदीप कान की बाली बेचकर लड़की को शॉपिंग कराया, 105 कॉल हुए एक महीना में उन दोनों के बीच...
और इसी प्रेम प्रसंग में उस लड़की की हत्या हुई वो भी उसी के घरवालों के द्वारा...लड़की कहकर मरी की संदीप ने मारा, संदीप लड़की के भाई का भी नाम है,
4/4 3 छूट गए हैं, उम्मीद है हाइकोर्ट में साइंटिफिक एविडेंस की मौजूदगी में चौथा आरोपी संदीप भी छूटेगा, लड़की के घरवालों के, मीडिया के पास मात्र एक ही साइंटिफिक एविडेन्स है की "लड़की दलित थी" ।।।
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सत्ता का केंद्र 10 जनपथ था। बुद्धजीवियों का अड्डा स्कॉच, चिवास के साथ खान मार्केट से बिरियानी शाम को आ जाती थी। पंडित आलोक शर्मा ,उर्मिलेश,वाजपेयी आदि पत्रकार का जमघट लगता था।दिल्ली से लेकर कराची तक मुशायरों का दौर चल रहा था। लौहार फेस्टिवल
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में अख्तर साहब मुख्य अथिति थे तो कराची में शबाना आजमी।
इधर कश्मीर में आतंकवाद तांडव किया था। माओवादी लाल कॉरिडोर का स्वप्न पूरा हुये देख रहे थे। नेपाल में वामपंथियों ने सत्ता हथिया ली थी।देश कमोबेश ईसाई मिशनरियों के हाथ में था।धर्मपरिवर्तन को दशजनपथ का प्रत्यक्ष समर्थन था।
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मैडम चाहती थी,पाकिस्तान से सम्बंध और भी ठीक हो ! वह भी किसी कीमत पर। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कयानी और मनमोहन सिंह मिश्र की राजधानी काहिरा मे मिले,पाकिस्तान जो चाहता था सब कुछ मिल गया।
दूसरे दौर की वार्ता का कार्यक्रम भी बन गया। मीडिया के लिये कश्मीर में मरते सैनिकों का कोई
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जिसका नाम ब्लादिमीर पुतिन हैं। एकदम आग से निकला है वो....हिलेरी क्लिंटन की किताब हार्ड चॉइस से!
द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था। एक रूसी सैनिक सीमा पर से दो दिनों की छुट्टी लेकर अपनी पत्नी से मिलने घर आता है। घर पहुंचने पर वो लाशों का ढेर देखता है
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जिन्हें दफनाने के लिए गाड़ियों मे लादने की तैयारी चल रही थी। जब वो और नजदीक आता है तो लाशों के ढेर मे उसे एक महिला की पैर दिखाई देती है। पैरों में पहने जूते से वो पहचान जाता है कि ये उसकी पत्नी है। वो दौड़कर अधिकारियों से अपनी पत्नी की लाश मांगता है ताकि अपनी
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पत्नी का अंतिम संस्कार वो खुद कर सके।
थोड़ी मिन्नतों के बाद अधिकारी उसे उसकी पत्नी की लाश सौंप देते हैं। सैनिक को अपनी पत्नी जैसे ही मिलती है उसे लगता है कि उसमे अभी जान बाकी है। वो उसे घर ले आता है और उसकी सेवा सुश्रुसा करता है। उसकी पत्नी बच जाती है।
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रजस्वला का विज्ञान या रजस्वला स्त्री को क्यों विधि निषेध है #भाग-3
ये पोस्ट लोगो को मजे लेने के लिए नहीं की है।क्योंकि सबके घर में नारी प्रधान रहता है तो सोच समझकर अपनी राय रखे,
नारी तू नारायणी,
अब मुझे कोई महिला विरोधी ना समझे मैं वही बता रहा हूं जो शास्त्रों में लिखा है,
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पहले के जमाने में जब लड़की रजस्वला होती थी तो उसकी पूजा की जाती थी और जब तक लडकी को रजस्वला नही होता था तो मां बाप को चिंता रहती थी,और रजस्वला लड़की की पूजा अभी भी केरल में होती है,
केरल राज्य में एक बहुत ही सुंदर और प्रशंसनीय परंपरा है जिसके अनुसार जब भी कोई कन्या अपने मासिक
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काल के शुरुआत में पहुंचती है तो उसे पारंपरिक रूप से स्त्री होने की सम्मानित उपाधि से पूजा जाता है उसका सम्मान किया जाता है इससे खूबसूरत और क्या हो सकता है कि जिस टॉपिक पर आज भी हमारे देश में लोग बात करने में हिचकिचाते हैं,शर्माते हैं उस टॉपिक पर लोग इतने व्यापक तौर पर अपनी
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