#WamanMeshram #ParivartanYatra#Day13
*भारत मुक्ति मोर्चा व बहुजन क्रांति मोर्चा की EVM भंडाफोड़ राष्ट्रव्यापी परिवर्तन यात्रा पार्ट 2 का जालना जिले मे जगह-जगह स्वागत हो रहा है, परिवर्तन यात्रा ने बाबासाहेब को फूलमाला पहनाकर अभिवादन किया |*
#WamanMeshram #ParivartanYatra#Day13
*भारत मुक्ति मोर्चा व बहुजन क्रांति मोर्चा की EVM भंडाफोड़ राष्ट्रव्यापी परिवर्तन यात्रा पार्ट 2 का जालना जिले मे जगह-जगह स्वागत हो रहा है, परिवर्तन यात्रा ने बाबासाहेब को फूलमाला पहनाकर अभिवादन किया |*
आजादी का आन्दोलन अगर सबकी आजादी का आन्दोलन होता तो जोतीराव फुले इस आन्दोलन मे सहभागी हो गये होते| क्योंकि समकालीन दौर मे बहुजन समाज के सबसे बुद्धिमान, अक्लमंद और सयाने व्यक्ति जोतीराव फुले ही थे| 1885 को कांग्रेस की स्थापना होने के बाद अंग्रेजो की गुलामी खत्म कर आजादी हासील
करना यह कांग्रेस पार्टी का सिद्धान्त था| जोतीराव फुले इस सिद्धान्त के खिलाफ थे| क्योंकि अछूतो को अंग्रेजो के नही बल्कि ब्राह्मणो के धर्मग्रन्थो नुसार अछूत माना गया| अछूत ब्राह्मणो द्वारा पैदा किये गये गुलाम थे| "मनुस्मृति" अछूतो के नही बल्कि शूद्रो के विरोध मे लिखा गया ग्रन्थ
है| वर्ण व्यवस्था मे ‘शूद्र’ चौथा वर्ण है| अछूत चौथे वर्ण मे नही है| कई शास्त्रो मे इन्हे ‘पंचम’ कहा गया| ‘पंचम’ शब्द का अर्थ होता है, जो चौथा नही है| ये वर्ण बाह्य लोग है| आदिवासी भी वर्ण बाह्य लोग है|
विमूक्त जाति, घुमंतू जमाती, अतिपिछड़ी जातियाँ वर्ण व्यवस्था के अंदर नही है|
बुद्ध की मुद्रा मे बैठी हुई यह मूर्ति कोणागमन बुद्ध की है|
चौकी पर दक्षिणी धम्म लिपि मे कोणागमन बुद्ध का नाम लिखा हुआ है और नाम को मैंने लाल घेरे मे कर रखा है| ( चित्र 1 )
कोणागमन की यह मूर्ति कर्नाटक के कनगनहल्ली से मिली है|
कोणागमन की ऐतिहासिकता पर कोई शक नही| कारण कि सम्राट
असोक ने कोणागमन की स्मृति मे नेपाल के निगलिहवा मे स्तंभ खड़ा कराया है|
पिछले दिनो मैंने कोणागमन बुद्ध के गाँव निगलिहवा की यात्रा की थी और उस स्तंभ को देखा था तथा स्तंभ पर लिखा हुआ उनका नाम भी पढ़ा था| ( चित्र 2 )
भारत का मौर्य कालीन इतिहास जब असोक के स्तंभो और अभिलेखो के आधार
पर लिखा गया है, तब कोणागमन की ऐतिहासिकता पर सवाल खड़ा करना नाइंसाफ़ी होगी|
बुद्ध के पहले बुद्ध रहे है और भारत हजारो साल बौद्ध भारत रहा है|
EVM को लेकर मीडिया की राष्ट्रद्रोही भूमिका–
सुप्रीमकोर्ट के द्वारा EVM के विरोध मे 08अक्टूबर2013 को जो निर्णय दिया, इसकी कोई खबर या कोई जानकारी सारे देश के लोगो को या मतदाताओ को नही है| इसकी कोई जानकारी देश के लोगो को क्यों नही है? EVM के विरोध मे सुप्रीमकोर्ट का यह एक लैण्डमार्क
जजमेन्ट और ऐतिहासिक जजमेन्ट है| इसकी खबर अखबार वालो को अपने-अपने अखबार मे फ्रंट पेज पर लीड न्यूज मे छापनी चाहिए थी और इस पर एडिटोरियल लिखना चाहिए था|
इस जजमेंट पर एक्सपर्ट्स लोगो के ओपेनियन लिखे जाने चाहिए थे| इस खबर को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मे प्रमुखता से प्रसारित करना चाहिए था,
मगर भारत के प्रिन्ट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इस खबर को ब्लैक आउट किया| इस खबर को ना ही प्रिंट मीडिया ने छापा और न ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इसे प्रसारित किया| जिस देश मे सुप्रीम कोर्ट के लैण्डमार्क जजमेंट की खबर मीडिया नही छापता है, वह मीडिया कितना एरोगेन्ट हो गया होगा,
@WamanCMeshram
सुप्रीम कोर्ट का EVM के विरोध मे लैंडमार्क जजमेंट -
08अक्टूबर2013 को सुप्रीम कोर्ट ने EVM के विरोध मे फैसला दिया| डा.सुब्रमण्यम स्वामी ने EVM के विरोध मे सुप्रीम कोर्ट मे केस दायर किया था| डा.सुब्रमण्यम स्वामी का यह कहना था कि EVM मे कमियाँ है, खामियाँ है,
कमजोरियाँ है और दोष है| इसलिए EVM से चुनाव नही करना चाहिए| सुप्रीम कोर्ट के जजो ने इस बात को स्वीकार किया कि EVM मे कमियाँ है, खामियाँ है, कमजोरियाँ है और दोष है|
सुप्रीम कोर्ट के जजो ने EVM का यह दोष स्वीकार करने के बाद डा.सुब्रमण्यम स्वामी को पूछा कि हम लोग चुनाव मे EVM को
रखना चाहते है इसलिए EVM मे उन कमियाँ, खामियाँ, कमजोरियाँ और दोष को दूर करने के लिए क्या आपके पास कोई सुझाव है? डा.सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि हाँ, मेरे पास EVM मे कमियाँ, खामियाँ, कमजोरियाँ और दोष को दूर करने का सुझाव है| सुप्रीम कोर्ट के जज ने पूछा की क्या
आपको भ्रम हो सकता है कि ये बैठी हुई मूर्ति तथागत बुद्ध की है| लेकिन यह मूर्ति तथागत बुद्ध की नही है, बल्कि वेस्सभू बुद्ध की है|
वेस्सभू बुद्ध 24वें बुद्ध थे, जबकि तथागत बुद्ध 28वे बुद्ध थे| चौकी पर ध्यान से देखिए, चौकी पर तथागत बुद्ध के नही, बल्कि वेस्सभू बुद्ध के प्रतीक बने है|
वेस्सभू बुद्ध की यह प्रतिमा कनगनहल्ली ( कर्नाटक ) से मिली है| चूना - पत्थर की बनी है| चौकी पर धम्म लिपि मे वेस्सभू बुद्ध का नाम लिखा है|
वेस्सभू बुद्ध के प्रतीको के सहारे हम इतिहास मे तथागत बुद्ध से पहले के इतिहास को समझ सकते है और पूर्व के अन्य बुद्धो के सहारे हम सिंधु घाटी
बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क, भारत मुक्ति मोर्चा, बहुजन क्रांति मोर्चा और बामसेफ अहमदनगर महाराष्ट्र की ओर से माननीय कलेक्टर सिद्धाराम सलीमत साहब जो कल ही नए-नए ज्वाइन हुए है| इनको नेपाल के लुंबिनी मे जो गुजरात के ओबीसी राम कथाकार मोरारी बापू यह राम कथा सुनाने गए है और रामकथा के
वक्त तथागत बुद्ध का फोटो लगाकर वहां राम कथा सुना रहे है| इनके विरोध मे और लुंबिनी का सिद्धार्थ गौतम बुद्ध का जन्म स्थल का ब्राह्मणी करण करने के विरोध मे और अजंता गुफाओ मे जो बुद्ध की मूर्ति 26 नंबर के गुफा मे है, उनके साथ छेडछाड करके वहां होम हवन यज्ञ करके ब्राह्मणी करण करने की
कोशिश के विरोध मे जोकि बुद्धिस्ट वर्ल्ड हेरिटेज जागतिक बुद्धिस्ट धरोहर को तहस-नहस करने की कोशिश के विरोध मे और जुन्नर बौद्ध गुफाओ का भी ब्राह्मणी करण करने की कोशिश के विरोध मे आज अहमदनगर कलेक्टर को निवेदन प्रत्यक्ष रूप से चर्चा करके उनको प्रत्यक्ष इस घटनाक्रम को समझाने के बाद