महिला दिवस की शुभकामनाओं के साथ दो शब्द ... #मैंने__देखा ..?
#एक__लड़की महिला सीट पर बैठे पुरुष को
उठाने के लिए लड़ रही थी
तो दूसरी लड़की
महिला - कतार में खड़े पुरुष को
हटाने के लिए लड़ रही थी
मैंने दिमाग दौड़ाया
तो हर ओर लड़की को लड़ते हुए पाया
जब लड़की घर से निकलती है👇
तो उसे लड़ना पड़ता है
गलियों से राहों से
सैकड़ों घूरती निगाहों से
लड़ना होता है तमाम अश्लील फब्तियों से
एकतरफा मोहब्बत से
ऑटो में सट कर बैठे किसी बुजुर्ग की फितरत से
उसे लड़ना होता है
विडंबना वाले सच से
टीचर के बैड टच से
वह अपने आप से भी लड़ती है
जॉब की अनुमति न देने वाले
बाप से भी लड़ती है
उसे हमेशा यह दर्द सताता है
चार बड़े भाइयों के बजाय पहले मेरा डोला क्यों उठ जाता है
वह स्वाभिमान के बीज बोने के लिए लड़ती है
खुद के पैरों पर खड़े होने के लिए लड़ती है
वह शराबी पति से रोते हुए पिटती है
फिर भी उसे पैरों पर खड़ा करने के लिए लड़ती है
वह नहीं
लड़ती महज शोर मचाने के लिए
वह लड़ती है चार पैसे बचाने के लिए
वह अपने अधिकार के लिए लड़ती है
सुखी परिवार के लिए लड़ती है
वह साँपों से चील बनके लड़ती है
अदालत में वकील बन के लड़ती है
वह दिल में दया ममता प्यार लेकर लड़ती है
तो कभी हाथ में तलवार लेकर लड़ती है
वह लेखिका बनके पेन
से लड़ती है
जरूरत पड़े तो फाइटर प्लेन से लड़ती है
प्यार में राधा दीवानी की तरह लड़ती है
तो जंग में झांसी की रानी की तरह लड़ती है
कभी कील बनके लड़ती है कभी किला बनके लड़ती है
कभी शर्मीली तो कभी ईरोम शर्मिला बनके लड़ती है
कभी शाहबानो बन पूरे समाज से लड़ती है
तो कभी सत्यवती बन
यमराज से लड़ती है
कभी रजिया कभी अपाला बनके लड़ती है
कभी हजरत महल कभी मलाला बनके लड़ती है
कभी वाम तो कभी आवाम बनके लड़ती है
और जरूरत पड़े तो मैरीकॉम बनके लड़ती है
कभी दुर्गावती कभी दामिनी बनकर लड़ती है
अस्मिता पर आंच आये तो
पन्नाधाय और पद्मिनी बनके लड़ती है
कभी नफरत में कभी
अभाव में लड़ती है
तो कभी इंदिरा बन चुनाव में लड़ती है
उसने लड़ने की यह शक्ति यूं ही नहीं पाई है
वह नौ महीने पेट के अंदर लड़ कर आई है
सच में लड़कियां बड़ी लड़ाका होती हैं
youtube.com/@dharmgyan789
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भारत के श्रीराम
अर्थात श्रीराम भारत के
भारत के रोम-रोम में "राम" हैं।
"राम" भारत का मन अंतरंग हैं।
प्रत्येक रूप प्रतिरूप में राम की ही चेतना है।
रूपं-रूपं प्रतिरूपो वभूव ||
श्रीराम
श्रद्धा हैं विवेक हैं
प्रज्ञा हैं साक्ष्य हैं साक्षी हैं।
कर्ता हैं और कार्यकर्ता भी हैं। 👇
राम"और "आनंद" पर्यायवाची हैं।
"राम"आनंदकंद सच्चिदानंद हैं।
राम-तत्व रामत्व ही ऋग्वेद का ऋत है।
श्रीराम भारत का सर्वोत्तम शील और पुरुषोत्तम मर्यादा हैं
राम नाम मन्त्र है
राम नाम वेद की ऋचा है।
राम गान सामगान है।
"राम" भारत की
मधु-अभीप्सा हैं
दिव्य सोम हैं
और भव्य ओSम् भी हैं
राम अनंत हैं।
राम भारतीय शील का आकाश हैं
राम आसेतु हिमांचल फैली राष्ट्रीय चेतना का प्रवाह।
राम रसायन हैं तुलसी की रामचरित मानस में ||
"राम" नाम महाऊर्जा है।
"राम"
शिव संकल्प और मधुर वाणी है
राम ध्यान है
राम विज्ञान है
राम श्रद्धा है
राम आशा है
राम परम् तेजोमय रूपरस भगवत्ता भी है।
सोशल मीडिया पर उटपटांग पोस्ट करके और अपनी जानकारी सार्वजनिक करके बड़ी-बड़ी पोस्ट में विद्यमान हिंदू मुस्लिमों द्वारा निशाना बनाए जाते हैं और अच्छी खासी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है...
और उनकी पोस्ट की रीच भी कोई बहुत अधिक नहीं होती... इसके बजाय अपनी अच्छी खासी नौकरी से जो ठीक-ठाक👇
पैसा कमा रहे हैं... उसका एक छोटा प्रतिशत उन हिंदू पत्रकार संस्था या व्यक्ति को देना चाहिए या दिया जा सकता है जो दिन भर विभिन्न स्थान से तथ्य एकत्रित करके यूट्यूब पोस्ट ट्विटर में पड़ा हुआ है और हिंदू विचारधारा का झंडा उठाए हुए हैं....
अपनी नौकरी में हाथ धोने से अच्छा यह है कि जो
हिंदू विचारधारा का झंडा उठाए हुए हैं उनके हाथ को मजबूत करें...
कई लोग काफी अच्छा पोस्ट ट्वीट यूट्यूब वीडियो भी बनाते हैं...
लेकिन उचित रोजगार ना होने के कारण उन्हें अपना मिशन बीच में छोड़ना पड़ता है कहा भी गया है भूखे भजन न होय गोपाला..
इसकी बजाय जो किसी संस्थान से जुड़े नहीं हैं
अभी जो दिल्ली की शिक्षा मंत्री बनी है अतिशी मारलेना उनके पिता का नाम विजय सिंह और माता का नाम तृप्ति वाही है
अतिशी मारलेना के माता-पिता दोनों कट्टर कम्युनिस्ट हैं इन्होंने कई बार नक्सली संगठनों को मदद दिया है और यह इतने कट्टर माओवादी हैं कि जब इनकी बेटी पैदा हुई तब उन्होंने 👇
उसका नाम आतिशी मारलेना रखा यानी कार्ल मार्क्स के नाम से mar और लेनिन के नाम से lena रखा यानी दुनिया का सबसे यूनिक सरनेम मारलेना रखा
उधर कार्ल मार्क्स के देश जर्मनी और लेनिन के देश रूस में इन दोनों को पूछने वाला कोई नहीं लेकिन भारत में उनके भी पुजारी भरे पड़े हैं
जब अतिशी
मारलेना दिल्ली लोकसभा का चुनाव लड़ रही थी तब इस के नाम से लोगों को यह लग रहा था कि यह ईसाई है फिर इसने कोर्ट में एफिडेविट देकर ऐलान किया कि वह अपने नाम का सरनेम मारलेना से हटाकर सिंह कर रही है
लेकिन सबसे आश्चर्य बात यह है कि आतिशी मारलेना के माता पिता विजय सिंह और तृप्ति वाहि
गांधी परिवार की राजनीति का अन्तिम साल हैं ये इसलिए रो रहे है विदेशी धरती पर इसलिए ओहुल गांधी को पूरा सनकी बनाकर रख दिया है.जनता इनको वोट नहीं दे रही है.
अब बीजेपी उसमें क्या करेगी?
बीजेपी का क्या रोल है?
क्या बीजेपी इनके सामने से अपने प्रत्याशी हटा ले?
इस तरह का रोना रो रहे हैं👇
मानो मंगल ग्रह से इनके वोटर आते थे.
लेकिन अब वह आ नहीं पा रहे हैं.
भाजपा ट्रैक उखाड़ दी है,
अब जैसा चल रहा है वैसे में तो 2024 के चुनाव में यह दहाई तक के लिए तरस जाएंगे. और उसके बाद फिर रोएंगे कि विपक्ष समाप्त हो गया. अरे महामूर्ख,अपनी बातों, अपनी हरकतों को तो देख.
हर जगह 👇
जा के रोता रहता है,
मोदी ने ले ली
ले ली
दर्द दे रहा
बहुत-बहुत दर्द हो रहा,
दीदी प्रियंका कुछ करो,
मोम सोनिया कुछ करो,
दादा, भैया, नाना नानी दादी कोई तो कुछ करो !!
अरे मिट्टी के माधो,,
जो अतीक अहमद मुख्तार अंसारी जैसे अपराधियों और उनके काले साम्राज्य को बुलडोजर से कुचल रहा हो
जिस अतीक अहमद के डर से दस जजों ने केस सुनने से मना किया था जिस मुख्तार अंसारी अतीक अहमद के घर बड़े बड़े अधिकारी जाने से डरते थे जो
आजम खां जिलाधिकारी को नौकर👇
समझता था
ऐसे लोगो को आज एक सिपाही औकात बताता है इसी योगी के के कारण
उस योगी के न्याय पर क्षण क्षण में संदेह करना तुम्हारा मानसिक खतना नहीं, तो और क्या है?
कितनी कमजोर याददाश्त है तुम्हारी
राम मंदिर फैसले के बाद
उत्तर प्रदेश में यदि बाबाजी ना होते, दिल्ली से भयानक स्थिति होती
दिल्ली से भयानक दंगे होते , क्या तैयारी थी तुम्हारी??
लाठियां NSA भूल गए
संक्रमित थूकते हुए लोग और उन पर पड़ती लाठियां भूल गए?
लखनऊ में शाहीन बाग बनाते हुए लोगों पर पडती हुई लाठियां भूल गए?
श्री राम मंदिर फैसले पर कोई गुंडा अपनी चु तक नही कर पाया भूल गए?