अरे मिट्टी के माधो,,
जो अतीक अहमद मुख्तार अंसारी जैसे अपराधियों और उनके काले साम्राज्य को बुलडोजर से कुचल रहा हो
जिस अतीक अहमद के डर से दस जजों ने केस सुनने से मना किया था जिस मुख्तार अंसारी अतीक अहमद के घर बड़े बड़े अधिकारी जाने से डरते थे जो
आजम खां जिलाधिकारी को नौकर👇
समझता था
ऐसे लोगो को आज एक सिपाही औकात बताता है इसी योगी के के कारण
उस योगी के न्याय पर क्षण क्षण में संदेह करना तुम्हारा मानसिक खतना नहीं, तो और क्या है?
कितनी कमजोर याददाश्त है तुम्हारी
राम मंदिर फैसले के बाद
उत्तर प्रदेश में यदि बाबाजी ना होते, दिल्ली से भयानक स्थिति होती
दिल्ली से भयानक दंगे होते , क्या तैयारी थी तुम्हारी??
लाठियां NSA भूल गए
संक्रमित थूकते हुए लोग और उन पर पड़ती लाठियां भूल गए?
लखनऊ में शाहीन बाग बनाते हुए लोगों पर पडती हुई लाठियां भूल गए?
श्री राम मंदिर फैसले पर कोई गुंडा अपनी चु तक नही कर पाया भूल गए?
इनकी हेकड़ी
आजम खान
समेत अतीक अहमद मुख्तार अंसारी और उनके गुर्गों की हालत क्या कर रखी है ,, दिखाई देता है या नहीं??
खुद के दुश्मन मत बनो
थोड़ा बहुत धीरज है या विरोधियों और
देशद्रोहियों की बातों में आकर तुरंत अपना आपा खो देते हो और जातिवाद में फंसकर खुद के ही दुश्मन बन जाते हो।
एक बात ध्यान रखो ..
जिन्हें स्वयं श्री राम लला ने अपनी सेवा के लिए नियुक्त किया हो, तुम जैसे जाहिल लोग उसका कुछ नहीं बिगाड पायेंगे।
तुम बिगाड़ लोगे सिर्फ अपना
एक अंग्रेजी की कहावत है,
पेशेंस इज द नेम ऑफ गेम #जय__जय__श्री__राम
youtube.com/@dharmgyan789
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कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में जाना और वहां पर जाकर भाषण देना कोई बड़ी बात नहीं है !! आप यदि वामपंथी विचारधारा रखते हैं, और उसमें कोई पश्चिमी देशों की "विचारधारा" और उनके निर्देशों पर ना चलने वाले देशों के खिलाफ कुछ बोलना चाहते हैं तो 👇
जॉर्ज सोरोस"जैसे लोग आपको फंडिंग करके उस देश के खिलाफ बोलने के लिए माहौल भी बना देंगे,और भीड़ भी इकट्ठा करवा देंगे !? यदि आप किसी भी विचारधारा से ग्रसित नहीं है,तो भी आप कुछ "पैसा खर्च करके" कानपुर के कल्लू हलवाई को वहाँ ले जाकर जलेबी कैसे बनते है उसपर लेक्चर भी झाड़ के आ सकता है
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में, 10 जनपथ के युवराज की नौटंकी को लेकर 'कई व्यक्ति' चिंतित हो रहे हैं कि, वामपंथियों का प्रयास सफल तो नहीं हो जाएगा, कैम्ब्रिज में बोलना वैसे भी उतना कठिन नहीं है, कोई भी पचास छात्रों का दल किसी को भी "आमंत्रण" दे कर, एक कमरे में लेक्चर करा सकता है !! वैसे
हिंदुत्व किताबों में नहीं है, हिंदुत्व जीवन में है, लोकमन में है।
हिंदू समाज का आदर्श व्यवहार समुच्चय हिंदुत्व है।
देवी देवता, किताब, भगवान, पूजापाठ, योग, जोग, भोग, कर्मकांड, वेद पुराण भी हिंदुत्व नहीं है।
वह व्यवहार समुच्चय जो दूसरों को भी स्वयं जैसा मानकर स्वयमेव जयते 👇
निःस्वार्थ भाव से उत्पन्न होता है, वह हिंदुत्व है।
सभी के भीतर मैं और मेरे भीतर सभी, ऐसा मानकर जाग्रत संवेदना और उस संवेदना से उत्पन्न कर्म हिंदुत्व है।
शास्त्र, वर्ण, आश्रम, घंटी, घंटा, धूप हिंदुत्व नहीं है, स्वर्ग की कामना, मोक्ष की कामना भी हिंदुत्व नहीं है।
निःस्वार्थ भाव
से स्वयं का विस्तार करते हुए आत्मतत्व को इतना निश्छल और शुद्ध बना लेना कि वह स्वयं ही परमात्म तत्व में विलीन हो जाय, ऐसा कामनाविहीन मानस और उससे उत्पन्न कर्म हिंदुत्व है।
शास्त्र, सम्प्रदाय, मत यह सब यदि मूल तत्व के चिंतन में उपयोगी हैं, तब तक तो इनको महत्व दिया जा सकता है,
मुझे शिकायत है उन शिकायत कर्ताओं से......
देश की कोई भी एजेंसी (सी बी आई,आई डी, चुनाव आयोग जैसी अन्य) जब भी अपनी तरफ से कोई कार्रवाई कर किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं से पूछताछ या फिर गिरफ्तार करती है तो ऐ लोग उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करने लगते हैं! अपने कार्यकताओं के👇
माध्यम से धरना प्रदर्शन करवा कर देश के सामने अपने पक्ष को रखकर बताने की कोशिश करते हैं कि वो बेगुनाह है, उन्हें सरकार एजेंसियों के सहयोग से फंसाने की कोशिश कर रही है।
क्या इन्हें अपने देश की न्यायपालिका पर विश्वास नहीं है?
क्या इन नेताओं को एजेंसियों के खिलाफ बोलने का अधिकार
प्राप्त है?
क्या ऐ अन्य देशवासियों से अलग है?
मुझे शिकायत है इन सभी से जो देश की जांच एजेंसियों के खिलाफ बोलते हैं!!
दुनियां में मैत्री धीरे-धीरे खोती गई है।
लोग नाममात्र को मैत्री कहते हैं;
उसे परिचय कहो,बस ठीक है;
इससे ज्यादा नहीं।
दुनिया से मैत्री का फूल
तो करीब-करीब खो गया है।
क्योंकि मैत्री के फूल के लिए
सरलता चाहिए,निष्कपटता चाहिए।
कपट, माया अगर बीच में आई तो मैत्री
समाप्त हो जाती है👇
अगर गणित बीच में
आया तो मैत्री समाप्त हो जाती है।
मैत्री तो एक काव्य है–गणित नहीं, तर्क नहीं।
मित्र के सामने हम अपने को वैसा ही
प्रगट कर देते है जैसे हम हैं।
इसलिए तो मित्र के पास राहत मिलती है।
कम से कम कोई तो है जिसके
पास जाकर हमें झूठ नहीं होना पड़ता;
नहीं तो चौबीस
घंटे झूठ।
पत्नी है तो उसके सामने झूठ।
दफ्तर है, मालिक है, तो उसके सामने झूठ।
बाजार में संगी-साथी हैं, उनके साथ झूठ।
सब तरफ झूठ है। तो तुम कहीं खुलोगे कहां?
तुम बंद ही बंद मर जाओगे।
हवा का झोंका, सूरज की किरणें तुममें
कहां से प्रवेश करेंगी? तुम कब्र बन गये।
कहीं कोई तो हो
छत्रपति संभाजी महाराज महान मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बड़े पुत्र थे।उनका जन्म 14मई, 1657 को महाराष्ट्र के पुणे में स्थित पुरंदर के किले में हुआ था और वे भोंसले वंश के थे। संभाजी महाराज ने अपने बचपन के दिनों से ही अपने पिता की तरह अपना जीवन देश और हिंदुत्व के लिए👇
समर्पित कर दिया था।
संभाजी महाराज बचपन से छत्रपति शिवाजी के साथ युद्ध भूमि में रहकर युद्ध के कला कौशल और कूटनीति में दक्ष हो गए थे। उन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब से 120 युद्ध लड़े और सभी में औरंगजेब को हार का सामना करना पड़ा था। उस समय मराठों का सबसे शक्तिशाली दुश्मन मुगल सम्राट
औरंगजेब ने भारत से बीजापुर और गोलकुंडा के शासन को समाप्त करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
इतिहासकारों के अनुसार औरंगजेब ने संभाजी महाराज को इस्लाम अपनाने को कहा था। गंभीर यातनाओं के अधीन होने के बाद भी, संभाजी ने अपना पक्ष रखा और धर्म परिवर्तन से इनकार कर दिया। उनके सर्वोच्च