क्या क्या बोला जा रहा है ब्राह्मण के लिए फोटो में आप देख लो।ये वही लोग है जिनके पुरखों ने तलवार के जोर पर सलवार पहनी थी और अभी जय मीम वाले पेल रहे हैं इनको
त्रेता युग में क्षत्रियों का शासन था !
महाभारत काल मे यादव क्षत्रियों का शासन था !
उसके बाद दलित-मौर्य @NSO365
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और बौद्धो का राज था !
उसके बाद 600 साल मुसलमान बादशाह (अरबी लुटेरों) का राज था
फिर 300 साल अंग्रेज राज था,
पिछले 70 वर्षों से अंबेडकर का संविधान राजकाज चला रहा है़।
लेकिन फिर भी सब पर अत्याचार ब्राहमणों द्वारा किया गया.. अमेजिंग।
मूर्खता की कोई सीमा नही!!
ब्राह्मणों को गाली
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देना, कोसना, उन्हें कर्मकांडी, पाखंडी, लालची, भ्रष्ट, ढोंगी जैसे विशेषणों के द्वारा अपमानित करना आजकल ट्रेंड में है। कुछ लोग ब्राह्मणों को सबक सिखाना चाहते हैं, कुछ उन्हें मंदिरों से बाहर कर देना चाहते हैं.. वगैरह-वगैरह।
कुछ कथित रूप से पिछड़े लोगों को लगता है कि ब्राह्मणों की
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वजह से ही वो 'पिछड़े' रह गये, दलितों की अपनी दलीलें हैं, कभी-कभी अन्य जातियों के लोगों के श्रीमुख से भी इस तरह की बातें सुनने को मिल जाती हैं।
आमतौर से ये धारणा बनाई जा रही है कि ब्राह्मणों की वजह से समाज पिछड़ा रह गया, लोग अशिक्षित रह गये, समाज जातियों में बंट गया, देश में
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अंधविश्वासों को बढ़ावा मिला.. वगैरह-वगैरह।
आज, ऐसे सभी माननीयों को हृदय से धन्यवाद देते हुए मैं आपको जवाब दे रहा हूं... इस वैधानिक चेतावनी के साथ कि मैं भी ब्राह्मण वंश से हूं अगर ब्राह्मण उठ खड़ा हुआ तो तुमको छुपने की जगह भी नही मिलेगी,ब्राह्मण शास्त्र और शस्त्र दोनो का
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ही ज्ञाता है तो सुन लो मेरे वंश की गाथा👉
लेकिन आप जान लीजिये- वो कौटिल्य जिसने संपूर्ण मगध साम्राज्य को संकटों से मुक्ति दिलाई, देश में जनहितैषी सरकार की स्थापना कराई, भारत की सीमाओं को ईरान तक पहुंचा दिया और कालजयी ग्रन्थ 'अर्थशास्त्र' की रचना की (जिसे आज पूरी दुनिया पढ़
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रही है) वो कौटिल्य ब्राह्मण थे।
यवन आक्रमणकारियों डीमिट्रीयस और मिनैन्डर को हराकर भारतीय सीमा से बाहर खदेड़ देना वाला मगध सम्राट पुष्यमित्र शुंग भी ब्राह्मण था और पतंजलि उसके गुरु थे।
आदि शंकराचार्य जिन्होंने संपूर्ण हिंदू समाज को एकता के सूत्र में बांधने के प्रयास किये, 8वीं
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सदी में ही पूरे देश का भ्रमण किया, विभिन्न विचारधाराओं वाले तत्कालीन विद्वानों-मनीषियों से शास्त्रार्थ कर उन्हें हराया, देश के चार कोनों में चार मठों की स्थापना कर हर हिंदू के लिए चार धाम की यात्रा का विधान किया, जिससे आप इस देश को समझ सकें। वो शंकराचार्य ब्राह्मण थे।
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कर्नाटक के जिन लिंगायतों को कांग्रेसी हिंदूओं से अलग करना चाहतें हैं, उनके गुरु और लिंगायत के संस्थापक- बसव- भी ब्राह्मण थे।
भारत में सामाजिक-वैचारिक उत्थान, विभिन्न जातियों की समानता, छुआछूत-भेदभाव के खिलाफ समाज को एक करने वाले भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत रामानंद,(जो केवल कबीर
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के ही नहीं बल्कि संत रैदास के भी गुरु थे) ब्राह्मण थे।आज दिल्ली में जिस भव्य अक्षरधाम मंदिर के दर्शन करके दलितों समेत सभी जातियों के लोग खुद को धन्य मानते हैं,उस मंदिर की स्थापना करने वाला स्वामीनारायण संप्रदाय है जिसके जनक घनश्याम पांडेय भी ब्राह्मण थे।
वक्त के अलग-अलग कालखंड
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में हिंदू समाज में व्याप्त हो चुकी बुराईयों को दूर करने के लिए 'आर्य समाज' व 'ब्रह्म समाज' के रूप में जो दो बड़े आंदोलन देश में खड़े हुए, इन दोनों के ही जनक क्रमश: स्वामी दयानंद सरस्वती व राजा राममोहन राय (जिन्होंने हमें सती प्रथा से मुक्ति दिलाई) ब्राह्मण थे। भारत में विधवा
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विवाह की शुरुआत कराने वाले ईश्वरचंद्र विद्यासागर भी ब्राह्मण थे। इन सभी संतों ने जाति-पांति, छुआछूत, भेदभाव के खिलाफ समाज को जागरुक करने में अपना जीवन खपा दिया- लेकिन समाज नहीं सुधरा।
भगवान श्रीराम की महिमा को 'रामचरित मानस' के जरिये घर-घर में पहुंचाने वाले तुलसीदास और भगवान
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श्रीकृष्ण की भक्ति की लहर पैदा करने वाले वल्लभाचार्य भी ब्राह्मण थे। ये भी याद रखिये- मंदिरों में ब्राह्मणों का वर्चस्व था, जैसा कि आप लोग कहते हैं, फिर भी भारत में भगवान परशुराम (ब्राह्मण) के मंदिर सामान्यत: नहीं मिलते। ये है ब्राह्मणों की भावना।
विदेशी आधिपत्य के खिलाफ सबसे
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पहले विद्रोह का बिगुल बजाने संन्यासियों में से अधिकांश लोग ब्राह्मण थे। अंग्रेजों की तोपों के सामने सीना तानने वाले मंगल पांडेय, रानी लक्ष्मीबाई, अंग्रेज अफसरों के लिए दहशत का पर्याय बन चुके चंद्रशेखर आजाद, फांसी के फंदे पर झूलने वाले राजगुरु - ये सभी ब्राह्मण थे।
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वंदेमातरम जैसी कालजयी रचना से पूरे देश में देशभक्ति का ज्वार पैदा करने वाले बंकिमचंद्र चटर्जी, जन-गण-मन के रचयिता रविंद्र नाथ टैगोर ब्राह्मण, देश के पहले आईएएस (तत्कालीन ICS) सत्येंद्रनाथ टौगोर भी ब्राह्मण। स्वतंत्रता आंदोलन के नायक गोपालकृष्ण गोखले (गांधी जी के गुरु), बाल
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गंगाधर तिलक, राजगोपालाचारी ब्राह्मण। भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में अटल बिहारी वाजपेयी भी ब्राह्मण।
*नेहरु सरकार से त्यागपत्र देने वाले पहले मंत्री जिन्होंने पद की बजाय जनहित के लिए संघर्ष का रास्ता चुना और कश्मीर के सवाल पर अपने प्राणों की आहुति दी- वो डॉ.श्यामा
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प्रसाद मुखर्जी भी ब्राह्मण। बीजेपी के सबसे बड़े सिद्धांतकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय, हिंदू समाज की एकता, जातिविहीन समाज की स्थापना और सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना के लिए खड़ा हुआ दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- की नींव एक गरीब ब्राह्मण परिवार
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से ताल्लुक रखने वाले पूज्य डॉ. हेडगेवार जी ने डाली थी। उन्होंने अपने खून का कतरा-कतरा हिंदूओं को ताकत देने और उन्हें एकसूत्र में पिरोने में खपा दिया, केवल ब्राह्मणों की चिंता नहीं की। संघ के दूसरे सरसंघचालक- डॉ. गोलवलकर- जिन्होंने संपूर्ण हिंदू समाज को ताकत देने के लिए सारा
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जीवन समर्पित कर दिया- वो भी ब्राह्मण।*
यही नहीं, देश में पहली कम्यूनिस्ट सरकार केरल में बनाने वाले नंबूदरीपाद समेत मार्क्सवादी आंदोलन के कई प्रमुख रणनीतिकार ब्राह्मण ही थे। समकालीन नेताओं की बात करें तो तमिलनाडु में जयललिता ब्राह्मण थीं,
मायावती,जिन्होंने 'तिलक-तराजू और तलावर,
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इनको मारो जूते चार' जैसा अपमानजनक नारा बार-बार लगवाया, उन पर जब लखनऊ के गेस्ट हाउस में सपा के गुंडों ने जानलेवा हमला किया, उन्हें मारा-पीटा, उनके कपड़े फाड़े, और शायद उनकी हत्या करने वाले थे, उस समय जान पर खेलकर उन गुंडों से लड़ने वाले और मायावती को सुरक्षित वहां से निकालने
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वाले स्वर्गीय ब्रह्मदत्त द्विवेदी भी ब्राह्मण थे।
*फिर भी, जिन्हें लगता है कि ब्राह्मण केवल मंदिर में घंटा बजाना जानता है- वो ये भी जान लें कि भारत के इतिहास का सबसे महान घुड़सवार योद्धा और सेनानायक- जो 20 साल के अपने राजनीतिक जीवन में कभी कोई युद्ध नहीं हारा, जिसने मुस्लिम
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शासकों के आंतक से कराहते देश में भगवा पताकाओं को चारों दिशाओं में लहरा दिया और जिसे बाजीराव-मस्तानी फिल्म में देखकर आपने भी तालियां ठोंकी होंगी,- वो बाजीराव बल्लाल भी ब्राह्मण था।*
शासन, कूटनीति, धर्मनीति के शिखर मापदंड स्थापित करने के अलावे भी लोकोपयोगी ज्ञान-विज्ञान के
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क्षेत्रों में योगदान देने वाले ब्रह्मणों की सूची भी छोटी नहीं है।
विश्व का पहला शब्द व्युत्पत्ति शास्त्र निरुक्त की रचना महर्षि यास्क ने की। विश्व का पहला व्याकरण , अष्टाध्यायी, महर्षि पाणिनि ने लिखा। उसका भाष्य आचार्य पतंजलि ने लिखा आज जो घर-घर में योग के कारण जाने जाते हैं
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और पतंजल योगशास्त्र लिखा था।
शल्य चिकित्सा के जनक और सुश्रुत संहिता के लेखक आचार्य सुश्रुत ब्राह्मण थे।ओषधि शास्त्र के नियामक,चरक संहिता के लेखक चरक को याद रखा जाना चाहिए।
मध्य काल में भी आयुर्वेद के शास्त्रीय नियामक,शोधकर्ता और.लेखकों की लम्बी सूची है।
शार्गंधर संहिता के लेखक
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शार्गंंधर, वाग्भट्टीय के वाग्भट्ट, भाव प्रकाश के भाव मिश्र...इन विभूतियों ने आर्युवेद को सैद्धांतिक और शोधीय आधार दिया।
चन्द्रगुप्त मौर्य के धार्मिक गुरु श्री भद्रबाहु भी ब्राह्मण थे और पटना सीटी में कहीं आश्रम था जहाँ उनकी खड़ाऊँ की प्रतिमूर्ति रखी गई है।
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महान ज्योतिष आर्यभट्ट, वाराहमिहिर, भास्कर प्रथम, भास्कर द्वितीय, ब्रह्मगुप्त सभी ब्राह्मण थे।
इन सबों ने अध्यावसाय , त्याग, संयम और लोकोपकारी मार्ग को अपनाया। इनका योगदान समाज , देश और विश्व कल्याण में वृहत है।
ऐश्वर्य, धन और मदान्ध शक्त्यौपासक नहीं रहे।
आज भी इस समाज को जन
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कल्याण की भावना से कार्य करने की महति जरूरत है। ऐश्वर्य और.शक्ति के पीछे अंध दौड़ को नहीं अपनाना चाहिये। समाज अभी भी उम्मीद रखता है, कोसने के साथ ही।
तुम लोग ब्राह्मणों को बाहरी बोलते हो,तुम तो पैदा भी नही हुए थे ब्राह्मण इस धरती पर है,
तुम हमे इस भारत की पावन धरती से बाहर
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निकालने की बात करते हो,
ब्राह्मण शांत है इसका मतलब ये नही है तुम सर पर चढ़कर नाचोगे,ब्राह्मण को भी नचाना आता है इतना भी ध्यान रखना😡
इस कोसने को अन्तर्मन पर लेने की जरुरत नहीं है।
क्षमा सज्जनों का भूषण है।
*तो ब्राह्मणों को कोसने वाले इतिहास को ठीक से पढ़ लें.।।
*सभी ब्राह्मण
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बन्धुओं से निवेदन करता हूं कि अपने पूर्वजों का इतिहास बच्चों को जरूर बताएं ।*
🌹बोलो #परशुराम भगवान की जय🚩
अगर इस पोस्ट से किसी मित्र को बुरा लगे तो अपने इतिहास को भी पढें, ताकि भ्रांति दूर हो।।
ज्यादा जानकारी के लिए लिंक ट्वीट को भी देख और सुन लो
#संभल कर। पीछे मत देखना,मोदी का साया है!
हां,शुरू करो भाषण...
तो,एक आदमी खड़ा था।मेने उससे पूछा।मैं उसके पास गया अंधेरा था वह आगे बढ़ा उसके पास एक मशीन थी। वह बिजली के खंभे के पास जाकर खड़ा हो गया।मैने उसे देखा।उसके निकट गया।खंभे के ऊपर बिजली के बलब टूटे थे। @SupriyaShrinate
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दूर के एक खंबे से रोशनी आ रही थी। उस खंभे के बलब ठीक थे। मैं उससे पूछा, भैया रात को कितनी देर सोते हो? उसने ने कहा एक मिनिट भी नही। मुझे बड़ा बुरा लगा। इस शहर में सभी परेशान है। रात को जो सोता नहीं वह सबेरे उठेगा क्या ? देखो, लाओ। अपना यह मशीन मुझे देकर देखो। सामने क्या है,
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चिड़िया है।दिन में यही चिड़िया फुदक कर आलू खेत में जाती है तुमने कभी आलू खेत देखा है ?उस आदमी ने कहा, यह प्रिंटर मशीन है। अखबार छापने के वर्कशॉप में मैं काम करता हूं। रात का काम रहता है।दिन भर मेरा सोना होता है।
मैंने उस आदमी से कहा,दुनिया में तीन चीजे हैं,मशीन आलू और सोना...
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सार्वजनिक जीवन में मर्यादा से रहें🚩
जिस प्रकार किसी को मनचाही स्पीड में गाड़ी चलाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि रोड सार्वजनिक है। ठीक उसी प्रकार किसी भी लड़की को मनचाही अर्धनग्नता युक्त वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं है क्योंकि जीवन सार्वजनिक है। एकांत रोड में स्पीड
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चलाओ, एकांत जगह में अर्द्धनग्न रहो। मगर सार्वजनिक जीवन में नियम मानने पड़ते हैं।👌💯
भोजन जब स्वयं के पेट मे जा रहा हो तो केवल स्वयं की रुचि अनुसार बनेगा, लेकिन जब वह भोजन परिवार खायेगा तो सबकी रुचि व मान्यता देखनी पड़ेगी।
लड़कियों का अर्धनग्न वस्त्र पहनने का मुद्दा
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उठाना उतना ही जरूरी है, जितना लड़को का शराब पीकर गाड़ी चलाने का मुद्दा उठाना जरूरी है। दोनों में एक्सीडेंट होगा ही।
अपनी इच्छा केवल घर की चारदीवारी में उचित है। घर से बाहर सार्वजनिक जीवन मे कदम रखते ही सामाजिक मर्यादा लड़का हो या लड़की उसे रखनी ही होगी।
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झारखंड की सुशीला अपने पति अलग रहती थी. उसके एक बेटा भी है. वह 11 जनवरी 2022 को अपने भाई को बोलकर निकली कि वह दुमका में अपनी सहेली के घर जा रही है. मगर वह अरबाज के घर पहुँची जहां पर उसकी बीवी लता टुडू, प्रियंका मुर्मू और साहिल अंसारी पहले से मौजूद थे. फिर 12 जनवरी की रात
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सुशीला ने सुना कि उसे बेचे जाने की तैयारी हो रही है.
सुशीला ने हो हल्ला किया. उसे शांत करा दिया गया, मार कर! गला दबाकर हत्या कर दी गयी और फिर शव को जला दिया गया. पुलिस को अब चौदह महीने बाद पता लगा कि आखिर उसकी हत्या किसने और क्यों की थी!
उसके कातिलों को सजा मिल जाएगी,
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मगर बच्चे की माँ चली गयी!
जब तक ये कथित प्यार की आजादी का भूत रहेगा, जब तक पति से अलग होकर संबंधों की परिपक्वता मापी जाती रहेगी, तब तक लडकियां शिकार होती रहेंगी! प्यार जीवन से बढ़कर नहीं होता, प्यार कर्तव्यों से बढ़कर नहीं होता!
हिंसा करने वाले हर सम्बन्ध से बाहर निकलना
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भीमटोलॉजी समझिये ....
हिरण्यकश्यप एक शुद्र था .... हिरण्यकश्यप एक राजा था ....
(B-शूद्रों को राज करने का अधिकार नहीं था) ....
हिरण्यकश्यप ने तप जप द्वारा ब्रह्मा को प्रसन्न कर के आशीर्वाद प्राप्त किया ....
(B-शूद्रों को पूजा पाठ यज्ञ हवन तपस्या करने का अधिकार नहीं था) ....
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हिरण्यकश्यप का बेटा प्रह्लाद शस्त्र अस्त्र शास्त्र वेद उपनिषद की शिक्षा के लिए गुरुकुल जाता था ....
(B-शूद्रों को शिक्षा दीक्षा का कोई अधिकार नहीं था) ....
हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे को मारने के अनेक प्रयास किये ....
(B-शुद्र सदियों से शोषित वंचित पीड़ित है जिनके कानों में शीशा
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पिघला के डाला जाता था) ....
होलिका अपने भाई हिरण्यकश्यप के साथ मिलकर प्रजा पर अत्याचार करती थी और नर मांस भक्षण करते हुए गन्दगी फैलाती थी ....
(B-होलिका एक मासूम अबला नारी थी जिसे मनुवादियों ने जला कर मार दिया) ..
होलिका ने मासूम प्रह्लाद को जलाकर मारने की कुचेष्टा की परन्तु
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#एक महोब्बत ऐसी भी"...
शाम का समय था...
मैं रेलवे स्टेशन पर एक बैंच पर एकांत में बैठा ट्रैन का इंतजार कर रहा था।
ट्रैन दो घंटे बाद आने वाली थी।
अचानक एक सुंदर सी महिला मेरे पास आकर बैठ गई।
मैं महिलाओं से वैसे ही घबराता हूँ।
अनजान हो तो मेरी जान ही निकलने लगती है।
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कुँवारा ब्रह्मचारी आदमी ठहरा
इतने करीब जनानी को कैसे सहन कर पाता।मैं खड़ा होकर चलने लगा
तो उसने कहा बैठ जाओ।
मैंने आँखों से प्रश्न किया:-",?"
जवाब में वह बोली:-
",पहचाना नही क्या?"
मैंने "ना"
में गर्दन हिलाई।
उसने उदास होकर कहा:-"मैं दामिनी"।
"ओह"
मेरे मुख से बस इतना ही निकला।
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यादों पर जमा कुछ कोहरा हटा
और गौर से उसका चेहरा देखा
तो उसकी दस साल पुरानी वास्तविक आकृति जहन में उभर आई।
मोहल्ले की लड़की थी।
साथ में भी पढ़ी थी।
सालभर पागल भी रही थी।,.
"बहुत दर्द हुआ आज,
जिसके लिए खुद को बर्बाद कर लिया।
वो शख्स तो मुझे पहचानता भी नही"।
वो मरी आवाज में बोली।
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कल 5 ग्लास गन्ने का रस पीया आप भी पीओ😂
गन्ने का रस गर्मियों का अमृत ! गर्मियों में हैल्थ का साथी गन्ने का जूस
गर्मियां शुरू हो गई है अब सलमान, शाहरुख ,आमिर खान,रणवीर सारे 20 रू के कोल्ड ड्रिंक्स के लिये जान जोखिम मे डाल कर इधर उधर कुदने लगेंगे, और आपको ये पीने के लिए
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दुहाई देते फिरेंगे!
मगर हम लोग उनकी नही सुनेंगे...
हम सीधे गन्ने के रस वाले की दुकान पर जायेंगे और घुंगरू के ताल पर चलने वाले मशीन से निकला रस पियेंगे … वो भी आयोडीन युक्त नमक मिला कर… केमिकल पिने से अच्छा है नैसर्गिक रस पिना, साथ मे 4 पैसे किसान को भी मिलने देते है .
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भारत का पैसा भारत मे रहने देते है .... और देखिए हमारे देश कि बेटियां भी लोकल फॉर वोकल कि मुहिम में जुड़ गई है, केवल आपका साथ और समर्थन चाहते हैं।
गन्ने का जूस गर्मियों के मौसम में सबसे अच्छा पेय माना जाता है। गन्ने का रस बुखार के रोगियों के लिए अत्यंत हितकारी है। एक शोध के
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