लाइफ़ इन्शुरन्स लेते समय इन बातों को ज़रूर ध्यान में रखें ताकि क्लेम मिलने में आसानी रहे और एजेंट और विशेषकर बैंक द्वारा बेची गयी चीटिंग से बच सकें:
१. पॉलिसी फ़ॉर्म हमेशा खुद ही भरें, क्यूँकि कुछ जानकरियाँ आप से एजेंट पूछता ही नहीं अपने मन से भर देता है जैसे आपके पारिवारिक …
सदस्यों के हेल्थ की सही सही जानकारी , आपके खुद की हेल्थ की डिटेल में जानकारी , क्यूँकि इस आधार पर ही कम्पनी आपका मेडिकल टेस्ट करवाती है और एजेंट को डर रहता है कि कहीं कुछ बीमारी निकल गयी तो पॉलिसी का प्रीमीयम बढ़ सकता है या पॉलिसी रद्द भी हो सकती है इसलिए जब एजेंट फ़ॉर्म भरता है
तो वो आपसे पूछे बिना ही लिख देता है कि आप और आपका परिवार पूर्ण स्वस्थ है और बाद में इसी ग़लत जानकारी के लिए आपका क्लेम रूक जाता है और यह देखने के लिए आप जीवित भी नहीं रहते है
२. पॉलिसी डॉक्युमेंट मिलने के बाद उसको खोल कर ज़रूर पढ़े , 95% अच्छे अच्छे पढ़े लिखे लोग भी पॉलिसी
डॉक्युमेंट नहीं पढ़ते , एजेंट ने जो भी आपको दावे किए है बेचते समय उनका सच पॉलिसी डॉक्युमेंट्स में ही मिल सकता है और यदि एजेंट के दावे झूटे निकलते है (75% झूटे ही होंगे ) तो आप १५ दिन के अंदर पॉलिसी को फ़्री लुक करा कर अपना पूरा पैसा कम्पनी से वापिस ले सकते है #lifeinsurance
3. पॉलिसी लेते समय निवेश की जगह रिस्क कवर करने पर ज़्यादा फ़ोकस करें और क्रिटिकल इलनेस का राइडर ज़रूर ले क्यूँकि इसमें आपको जीते जी भी इनमे कवर किसी बीमारी के डाईग्नोसिस होने पर ही आपको क्लेम मिल सकता है और यह मेडिक्लेम से अलग मिलेगा
रिटिकल इल्नेस में मुख्यतः हार्ट अटैक ,किडनी फैल्योर,ऑर्गन ट्रान्स्प्लैंट, कैन्सर इत्यादि बड़ी बीमारी कवर होती है , इनके डायग्नोसिस होने पर ही कम्पनी ३० दिन के इंतज़ार करके क्लेम दे देती है पर यदि ३० दिन के अंदर डेथ हो जाति है तो फिर केवल डेथ क्लेम ही मिलता है , ३० दिन के बाद
डेथ होने पर दोनो क्लेम मिलते है और आपकी बीमारी पर जो खर्चा हुआ है उसके लिए आपको मेडिक्लेम से अलग से पैसा मिलेगा
बीमारी की वजह से आपकी कार्य करने की क्षमता कम हो जाति है और आपकी आय प्रभावित होती है उसी के लिए क्रिटिकल इल्नेस का राइडर दिया जाता है
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