हम ताउम्र किसी हिन्दू संगठन से नहीं जुड़ते. ना ही उन लोगों को आर्थिक या सामाजिक सहयोग देते हैं.
कभी उनके कार्यक्रमों में हिस्सा तक नहीं लेते हैं.
ना ही कभी बच्चोँ को धर्म दिखाते हैं और ना ही मंदिर में जाते हैं.
ना ही हम किसी हिन्दू संस्था के लिए कभी आवाज़ उठाते हैं.
फिर एक दिन👇
विधार्मियों से टकराव हो जाता है और तब खुद को अकेला पाते हैं.तब तोहमत लगती है की हाय हमारी मदद को को हिन्दू संगठन नहीं आया
क्या आप गए जब उन्हें आपकी ज़रूरत थी?कभी आपने सोचा की ये जो लोग इन सब संस्थाओं से जुड़े हैं वो भी आपकी तरह ही व्यस्त हैं पर फिर भी धर्म के लिए वक़्त निकालते है
क्या उनके दिन में 48 घंटे हैं? वो लोग आतंकवादी तो नहीं जिनसे आपने दूरी बना रखी है. आपके हमारे जैसे साधारण घरों से ही हैं सब.
सच तो ये है की 99% हिन्दुओं को हिन्दू संगठनों की याद विधर्मियों के जूते खा कर ही आती है.
youtube.com/@dharmgyan789
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राहुल G ने फरमाया है कि मोदी जी डरपोंक है ....... चीन से डर गए ...... मुझे खयाल आया कि इनको बताऊँ ...... नेहरू क्या था ???
वैसे इसपे पर्याप्त बहस हो सकती है कि नेहरू डरपोंक था या नेहरू Chewतिया था .
1948 के प्रथम Indo Pak War में जब पाक सेना श्रीनगर तक आ गयी थी तो Indian Army👇
आयी और उनको सिर्फ एक दिन में 60 km खदेड़ दिया . बस तभी नेहरू UN में चला गया जबकि Army ने कहा था कि सिर्फ एक दिन और दे दो , बाकी का Area भी खाली करा लेंगे .पर नेहरू नही माना , UN गया . Cease Fire करा दिया .जो सेना जहां थी वहीं खड़ी हो गयी ..नतीजा ये हुआ कि आज 78,000 Sq Km यानी
आधा जम्मू काश्मीर पाकिस्तान के कब्जे में है और POJK कहलाता है
फिर नेहरू ने अपना Chewतियापा और फैलाया पंच शील और हिंदी चीनी भाई भाई वाला .
नेहरू ने चीन से दोस्ती कर ली और Dodo बन गया । अब ये मत पूछना की Dodo क्या होता है । जब नेहरू dodo बन गया तो उसने कहना शुरू किया , अब Army
नौकरी के लिए तुम सिकन्दर की सेना में भर्ती होकर चाणक्य के विरुद्ध लड़े, खिलजी के सेना में भर्ती होकर गुरुकुल तोड़े, अकबर की सेना में भर्ती होकर हेमचन्द्र विक्रमादित्य के विरुद्ध लड़े तो कभी राणाप्रताप और अहिल्याबाई के विरुद्ध।
नौकरी के बदले 👇
तुमने औरंगजेब की सेना में भर्ती होकर राममंदिर तोड़ा, कृष्णजन्मभूमि तोड़ी, काशी तोड़ा, शिवाजी को धोखा दिया, तुमने अंग्रेज़ो की नौकरी की और रानी लक्ष्मीबाई, तांत्याटोपे, कुँवरसिंह, नानासाहेब की मुखबिरी भी की, तुमने आजाद हिंद फौज पर गोलियां बरसाई। तुमने नौकरी के लिए जलीयांवाला बाग
जैसा भयानक खुनी खेल आजादी के दिवानो के साथ खेला.
तुममें अब सनातनी हिन्दू अब बचा ही नहीं है। राम-कृष्ण विवेकानन्द के सिद्धान्तों वाले तुम रहे ही नहीं।
मैं तुम जैसा नहीं जो नौकरी के लिए, रोजगार के लिए, सस्ते टमाटर प्याज के लिए, मुफ्त बिजली पानी के लिए धर्म भूल जाऊं व सनातन व
100 बिलियन डॉलर का जो नुकसान तुमने अदानी का किया था उसकी भरपाई तो भारतीय निवेशकों ने ही कर दी थी लेकिन तुम्हारे इन बैंकों का जिनका अब तक 👇
अट्ठारह सौ बिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है उसकी भरपाई कौन करेगा? तुम्हारा बाप
चचा बाइडेन जरा अपनी मुर्गियों को कह दो कि रिसर्च रिसर्च का खेल बंद करें और भारतीय अंडों के ऊपर बैठकर चूजा निकालने की कोशिश ना करें। नहीं तो तुम्हारी मुर्गियों के सारे अंडे एक-एक करके फूट जाएंगे। अभी
तो 4 ही फूटे हैं और कम से कम 6 और लाइन में लगे हुए हैं अगर उन को बचाना है तो भारतीय सपेरों को कहो कि बीन बजाना बंद कर दें। कहीं ऐसा ना हो कि यह तीनों बीन बजाते रहे और तुम्हारी अपनी मुर्गियां इनकी बीन की धुन पर नाच नाच कर अपने ही अंडे फोड़तीं रहें और आपके आर्थिक अंडे फूटते रहें।
अगर आपमें कॉन्फिडेंस नहीं है तो फिर आप सक्षम होते हुए भी किसी काम को नहीं कर पाओगे और अगर आपमें कॉन्फिडेंस कूट कूट कर भरा हुआ है तो आप असंभव काम को भी संभव कर दिखाओगे.
महामद को आप चाहे जैसा भी कहो लेकिन वो इंसानों के इस मनोविज्ञान को अच्छी तरह समझता था इसीलिए उसने अपने जे हादी👇
सेना को एक कॉन्सेप्ट दे दिया कि तुम विजेता हो और तुम्हारा जन्म धरती पर राज करने के लिए हुआ है.
तुम्हें छोड़कर धरती पर बाकी जितने भी लोग हैं वे सब तुम्हारे गुलाम हैं और तुम उनके साथ चाहे जैसा भी व्यवहार कर सकते हो"
उसका ये कॉन्सेप्ट बेहद सफल रहा और पीढ़ी दर पीढ़ी आजतक चला रहा है.
आज भी जब कोई इंसान कन्वर्ट होकर मूतलमान बनता है तो वो खुद को इस धरती का मालिक समझने लगता है और बाकियों को अपना गुलाम
भले ही वो पंचर बनाता हो अथवा उसकी माँ बहनों का दिन रात हलाला होता हो लेकिन वो खुद को समझता राजा हीहै
यही कारण है कि.मूतलमान भले ही दुनिया के किसी भी कोने मेंरहे
राम भगत जग चारि प्रकारा।
सुकृती चारिउ अनघ उदारा॥
संकट से घबड़ाए हुए
आर्त भक्त नाम जप करते हैं।
तो उनके बड़े भारी बुरे-बुरे संकट मिट जाते हैं और वे सुखी हो जाते हैं।
जगत में चार प्रकार के
1: "अर्थार्थी" धनादि की चाह से भजने वाले।
2: "आर्त" संकट की निवृत्ति के लिए भजने वाले।
👇
3: "जिज्ञासु" भगवान को जानने की इच्छा से भजने वाले।
4: "ज्ञानी" भगवान को तत्व से जानकर स्वाभाविक ही प्रेम से भजने वाले रामभक्त हैं और चारों ही पुण्यात्मा पापरहित और उदार हैं।
"राम" नाम के दोनों अक्षर
नर और नारायण के समान सहृदय भाई स्वरूप हैं।
जो कि संसार के पालनकर्ता और विशेष
रूप से भक्तों की रक्षा करने वाले हैं
यह दोनों अक्षर भक्ति रूपी सुंदर स्त्री के कर्णफूल रूपी सुंदर आभूषण के समान हैं और संसार के लिये कल्याणकारी निर्मल चन्द्रमा और सूर्य के समान हैं
इस लिये यह राम नाम रूपी वृक्ष समाज के लिए और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
जय जय श्रीराम
जय श्री राम
*द फ्रेंड्स कमिटी ~ एक बार जरूर पढ़ें*
स्कूल से लौटते समय एक पोते ने अपने दादाजी से एक प्रश्न पूछा....
पत्नी' और 'प्रेमिका' में क्या अंतर है ?
दादाजी ने एक मिनट के लिए सोचा और स्पष्टीकरण को इस तरह सरल किया;
सुनो बेटा : पत्नी एक टीवी की तरह होती है और
प्रेमिका एक मोबाइल की 👇
तरह होती है। टीवी आप घर पर देखते हैं, लेकिन जब आप बाहर जाते हैं तो आप अपना मोबाइल साथ ले जाते हैं।
टीवी का आनंद आप कभी कभी लेते हैं, लेकिन अधिकांश समय आप अपने मोबाइल से खेलते रहते हैं।टीवी जीवन भर के लिये मुफ्त है लेकिन मोबाइल के लिए, यदि आप भुगतान नहीं करते हैं,तो सेवाएं समाप्त
कर दी जाती है।
टीवी बड़ा और भारी होता है और समय के साथ पुराना हो जाता है लेकिन मोबाइल क्यूट, स्लिम, कर्वी, रिप्लेसेबल और पोर्टेबल है। टीवी के लिए परिचालन लागत अक्सर स्वीकार्य होती है लेकिन मोबाइल के लिए, यह उच्च और मांग वाली होती है
टीवी में रिमोट होता है मोबाइल में नहीं होता