Vvvi knowledge for 2024 elections MUST READ
इस पोस्ट में दी गई जानकारी शायद ही किसी को पता हो, मगर इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको पता अवश्य हो जाएगा इसलिए यह जानकारी सभी को होनी चाहिए।
1. आखिर क्यों 2024 में सम्पूर्ण विपक्ष और मुख्य रूप से कांग्रेस मोदी जी को सत्ता में आने से 👇
रोकना चाहती है.
2. एक ऐसा सच, जो हम हिन्दुस्तानियों से छिपाकर रखा गया.
3. क्या हम जानते हैं कि हमारे देश से 10 अरब रुपये पेंशन प्रतिवर्ष महारानी एलिजाबेथ को जाती है,
4. आखिर वो कौन सा गोपनीय समझौता है? जिसका खुलासा आज तक नहीं किया गया है.
5. आखिर कौन ऐसा गोपनीय समझौता है?
जिसके तहत प्रति वर्ष 30 हजार टन गौ-माँस ब्रिटेन को दिया जाता है,
6. भारतीय संविधान के #अनुच्छेदों 366, 371, 372, 395 में परिवर्तन की क्षमता भारतीय संसद, प्रधानमंत्री यहाँ तक कि राष्ट्रपति के पास भी नहीं है,
7. हमारे मन में कभी यह सवाल क्यों नहीं आया कि भारत, जापान, चीन, रशिया
इन देशों में तो भारत अपना एंबेसडर (राजदूत) नियुक्त करता है.
लेकिन श्रीलंका, पाकिस्तान, कनाडा, आस्ट्रेलिया इन देशों में हाई कमिश्नर (उच्चायुक्त) नियुक्त करता है.
आखिर ऐसा क्यों...???
8. आखिर भारत समेत 54 देशों को कॉमनवेल्थ कंट्री के नाम से क्यों जाना जाता है, इंडिपेंडेंड नेशन के
नाम से क्यों नहीं?
9. कॉमनवेल्थ का अर्थ होता है, "सयुंक्त सम्पत्ति" #Joint_Property
10. क्या आपको पता है ब्रिटिश नैशनैलिटी अधिनियम 1948 के अन्तर्गत हर भारतीय,आस्ट्रेलियाई, कनेडियन चाहे हिन्दू हो, मुसलमान हो,ईसाई हो, बौद्ध हो अथवा सिक्ख ही क्यों न हो,आज तक भी ब्रिटेन की प्रजा है
11. क्या वाकई में हम आज भी क्वीन एलिजाबेथ के ग़ुलाम हैं जो कि अब मर चुकी है और अब उनकी जगह किंग चार्ल्स 3 के गुलाम हैं।
12. हमें यह पता रहना चाहिए कि #Transfer_of_Power_Agreement..
जो कि लगभग 4000 पेजों में बनाया गया था, और जिसे अगले 50 वर्षों हेतु सार्वजनिक न करने का नियम दो
तथाकथित हिन्दुओं की नापाक जोड़ी चच्चा नेहरू और गाँधी ने सत्ता के एवज में आनन-फानन में लागू करवाया था.
13. सन् 1997 में इस Agreement को सार्वजनिक होने से बचाने हेतु समय से पहले ही तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्द्र कुमार गुजराल ने इसकी अवधि सोनिया गाँधी के आदेशानुसार और बढ़ा दी और
यह 2024 तक पुन: सार्वजनिक होने से बची हुई है .
14. क्या? यह 2024 में भी सार्वजनिक हो पायेगी ?
15. अभी भी शक है, भारत में जो भी नेता मजबूत हुए हैं उनकी हत्या एक रहस्य बनकर रह जाती है
16. . हमारी स्वतंत्रता भी एक रहस्य बनकर रह गई है! 2024 में इस रहस्य से पर्दा उठाने हेतु फिर से
मोदी सरकार भारी जनादेश के साथ बनें, यह सुनिश्चित करना होगा।
सावधान रहें, सतर्क रहें, 2024 में चयन सही रखें।
इसको सार्वजनिक किया जाना चाहिए अगर ऐसा कुछ है तो भारत की जनता को जानने का हक है। कोर्ट में मामला जाना चाहिए ।
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अंग्रेजो के नौकर जस्टिस "आगा हैदर" ने भगत सिंह के पूरे केस की सुनवाई की थी और सजा भी लिखी थी. और सजा सुनाने के समय छुट्टी पर चले गए.सजा सुनाने का काम अंग्रेजों के एक अन्य नौकर जस्टिस शादीलाल ने किया था. आगा हुसैन और शादीलाल दोनों कांग्रेस से जुड़े हुए थे.
इससे पहले वीर सावरकर👇
को भी कालापानी की सजा किसी अंग्रेज ने नहीं बल्कि अंग्रेजों के एक नौकर जस्टिस नारायण गणेश चंदावरकरे ने सुनाई थी जो कांग्रेस का पूर्व अध्यक्ष था.
जनरल डायर को जलियावाला बाग़ काण्ड से वरी करने वाली हंटर कमेटी का सदस्य पं.जगत नारायण मुल्ला मोती लाल नेहरू के घनिष्ठ मित्र और उनके छोटे
भाई नन्दलाल नेहरू के समधी थे
इसी कमेटी के दूसरे सदस्य सर चिमन सीतलवाड़ भी मोतीलाल नेहरू के ख़ास मित्र थे. देश आजाद होने के बाद जवाहरलाल नेहरू ने उनके पुत्र एम.सी.सीतलवाड़ को भारत का पहला अटार्नी जनरल(1950 से 1963)बनाया था चिमन सीतलवाड़ तीस्ता चिमन सीतलवाड़ के सगे परदादा थे.
पूरी दुनिया के आतंकवादी घटनाओं को छोड़ दीजिए सिर्फ भारत में ही अब तक जितने भी आतंकवादियों को फांसी की सजा सुनाई गई है उनकी कुल संख्या 1990 है
और कुछ आतंकवादियों को फांसी पर लटका भी दिया गया है जैसे कसाब और याकूब मेमन और अफजल गुरु, मोहम्मद आमिर उर्फ अशफाक, मकबूल बट,
और भारत 👇
में 3000 से ज्यादा आतंकवादियों को आजीवन कारावास की सजा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सुना दी गई है इन आतंकवादियों में कांग्रेस के बड़े नेता और गुजरात के पूर्व मंत्री मोहम्मद सुरती भी शामिल है तथा केरल का बड़ा मुस्लिम नेता अब्दुल नसीर मदनी भी शामिल है
लेकिन आज तक कभी राहुल गांधी ने 👇
यह बात नहीं कहा कि जितने भी आतंकवादियों को फांसी की सजा सुनाई गई है या जितने भी आतंकवादियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है यह सब के सब मुस्लिम क्यों है ?
लेकिन सिर्फ 2नाम यानी ललित मोदी नीरव मोदी और के नाम पर उन्होंने समूचे मोदी समुदाय को चोर बता दिया समूचे हिंदुओं को चोर
#राहुलगांधी_झूठा_है
काल का चक्र बड़ा निर्मोही होता है ..
SC ने कहा कि जो भी सांसद विधायक #अपराधी सिद्ध होगा उसकी #सदस्यता रद्द कर दी जाएगी।
मनमोहन सिंह ने इसके खिलाफ अध्यादेश जारी कर दिया। मनमोहन विदेश में थे और पप्पू इधर अगला प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रहा था।
अचानक 👇
एक दिन मीडिया को बुलाता है और उस #अध्यादेश को फाड़कर फेंक देता है।
सारे दरबारी इसकी इस "बहादुरी" पर तालियाँ पीटते हैं और मनमोहन सिंह को बड़ा बुरा लगता है कि एक प्रधानमंत्री के फैसले को अदना सा सांसद कैसे फाड़कर फेंक सकता है।
खैर..समय का पहिया चलता रहता है। आज इसी पप्पू को सजा
हो गयी। अब इसी तरह की सजा में लालू प्रसाद की सदस्यता चले गयी थी। अब इस पर तलवार लटक चुकी है। अब लोकसभा अध्यक्ष को फैसला करना है।आज मनमोहन सिंह जी अंदर ही अंदर अपनी बेज्जती के बदले पर हंस रहे होंगे।
लेकिन दरबारियों और दरबारी मीडिया की मुश्किल बढ़ गयी है। अब वापिस उस चीज को डिफेंड
इक्यावन शक्तिपीठों में प्रमुख पाकिस्तान स्थित चमत्कारिक हिंगलाज माता मंदिर। मुसलमान इसे कहते हैं 'नानी पीर'!
माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में स्थित है। इस शक्तिपीठ की देखरेख मुस्लिम करते हैं और वे इसे चमत्कारिक स्थान मानते हैं👇
इस मंदिर का नाम है माता हिंगलाज का मंदिर। हिंगोल नदी और चंद्रकूप पहाड़ पर स्थित है माता का ये मंदिर। सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी में स्थित यह गुफा मंदिर इतना विशालकाय क्षेत्र है कि आप इसे देखते ही रह जाएंगे। इतिहास में उल्लेख मिलता है कि यह मंदिर 2000 वर्ष पूर्व भी यहीं विद्यमान था
मां हिंगलाज मंदिर में हिंगलाज शक्तिपीठ की प्रतिरूप देवी की प्राचीन दर्शनीय प्रतिमा विराजमान है। माता हिंगलाज की ख्याति केवल कराची और पाकिस्तान ही नहीं अपितु पूरे भारत में है। नवरात्रि के दौरान तो यहां पूरे नौ दिनों तक शक्ति की उपासना का विशेष आयोजन होता है। सिंध-कराची के लाखों 👇
एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही शरीर में सनसनी दौड़ जाती है।
एक ऐसा नाम जो इस राष्ट्र की तरुणाई का पैमाना है, कि एक भारतीय युवा कैसा होना चाहिये।
एक ऐसा नाम जो राष्ट्र हेतु आत्मबलिदानी परंपरा का चरम प्रतीक है।
भगतसिंह एक ऐसे चमकते सितारे हैं, जिसकी विरासत पर राष्ट्र को👇
नकारने वाले साम्यवादी भी दावा करते हैं।
यों तो HSRA के सभी सदस्य ही भारत की आजादी के लिए मरने-मारने का जिगर रखने वाले जियाले थे लेकिन भगतसिंह व आजाद की बात थोड़ी अलग थी।
आजाद जहाँ बेहतरीन रणनीतिकार व नेतृत्वकर्त्ता थे वहीं भगतसिंह जबरदस्त विचारक व संगठनकर्ता थे।
भगतसिंह के
महत्व को अगर कोई सबसे ज्यादा जानता था तो वह थे आजाद और इसीलिये वे उन्हें 'एक्शन' से दूर रखने की कोशिश करते थे।
आजाद की इस बात को सुखदेव ने नोट किया और जब उन्होंने असेंबली में बम विस्फोट के लिए भगतसिंह का नाम खारिज कर दिया तो सुखदेव ने इसकी भड़ास भगतसिंह पर निकाल दी जिससे व्यथित