मनीष कश्यप खुलयाम सरकार गिराने कि धमकी दी थी, फेक न्यूज़ फैलाकर दो राज्यों के बीच तनाव उत्पन्न की, घूम घूमकर और पब्लिकली वीडीओ बनाकर बिहार सहित पूरे देश में गलत अफवाह फैलाकर हिंसा फैलाने की कोशिश की, बिहार पुलिस के अनुसार वो आदतन अपराधी है, पुलिस रिकॉर्ड में उसके खिलाप
दर्जनों रिपोर्ट दर्ज़ हैं।
इतना कुछ होने के बाद बिहार पुलिस जब मनीष कश्यप पर करवाई करते हुए उसे गिरफ्तार की तो अचनाक से एक जाति विशेष वर्ग बिलबिला उठे, पेट में मरोड़ उठने लगी, सरकार अभिव्यक्ति की आज़ादी छिन रही है, पत्रकार और लोगों कि आवाज़ को दवा रही हैं, क्या क्या तर्क
देकर अपनी उल्लू सीधी करने लगें। गिरफ्तारी को पूरे हउआ बनाकर रख दिए थे।
वही दुसरी ओर दिल्ली में आप पार्टी के कार्यकर्ताओं ने 'मोदी हटाओ देश बचाओ' लिखा हुआ पोस्टर लगा दिए तो इतनी सी ही बात पर चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है, भर भरकर FIR दर्ज किए जा रहे हैं
(करीब सौ लोगों)। मेनस्ट्रीम मीडिया इसको आपत्तिजनक बता रही है जैसे किसी ने देश में रहकर देशविरोधी कार्य कर दिए हों।
जो मनीष कश्यप के गिरफ्तारी को गलत बताते हुए अभिव्यक्ति की आज़ादी छिनने की बात कर रहे थे, लोगोें की आवाज़ दबाने की बात कर रहे थे क्या वो लोग दिल्ली वाली
गिरफ्तारी पर कुछ बोलेंगे? जैसे मनीष कश्यप के गिरफ्तारी पर विधवा विलाप कर रहे थे वैसे ही विधवा विलाप दिल्ली वाली गिरफ्तारी पर करेंगे?
ये गाय चराने वालों, ये भेड़ बकरी चराने वालों, ये सुअर चराने वालों, ये घोंघा चुनने वालों पढ़ना लिखना सिखों। दो रोटी कम खाओ लेकिन अपने बच्चो को पढ़ाओ जब तक पढ़ोगे नहीं तबतक इस मकड़ी की जाल को समझ नहीं पाओगे।
ये बातें आज से दशकों पहले लालू जी " तेली स्वाभिमान रैली" को सम्बोधित
करते हुए बोले थे।
आज़ के दौर में यादव राजनैतिक और सामाजिक रुप से मज़बूत तो है ही बल्कि यादवों ने अब अपना रुख़ शिक्षा की ओर मोड़ चुके हैं। पिछले साल बिहार दसवीं के बोर्ड टॉपर लड़की यादव ही थी, इस बार के भी बारहवीं के बोर्ड के टॉपर लड़की यादव ही है।
कहते है की हर चीज़ के फायदे
और नुकसान दोनों होते है। लालू जी को अगर चारा घोटाले में जेल नही होती तो आज सारे यादव राजनीति में ही जिंदाबाद और मुर्दावाद कर रहे होते शायद देश के पीएम भी यादव बन जाता। लेकिन आए दिन एक के बाद एक लालू चारा घोटाले में जेल में जा रहे होते।