(चित्र में तत्कालीन युवराज ज्योतिरादित्य स्वर्गवासी महाराज माधवराव सिंधिया के साथ)
नेहरू ने #ग्वालियर के #महाराज#जीवाजी_राव_सिंधिया से आग्रह किया कि वे कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़े मगर महाराज सिंधिया काफी हद तक #हिन्दू_महासभा को समर्थन कर रहे थे इसलिए उन्होंने
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मना कर दिया। फिर नेहरू ने महारानी विजयाराजे सिंधिया से आग्रह किया, महारानी ने थोड़ा समय मांगा। मगर लाल बहादुर शास्त्री जी के आग्रह पर विजयाराजे चुनाव में आ गयी। महाराज ने भी महारानी को नही रोका।
1957 में चुनाव हुए और महारानी विजयाराजे ने कांग्रेस की ओर से हिन्दू
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महासभा के प्रत्याशी को हराया। इस जीत ने सिंधिया परिवार को 150 वर्ष बाद फिर दिल्ली का रास्ता दिखा दिया था। 1961 में महाराज जीवाजी राव स्वर्ग सिधार गए, 6 वर्ष विजयाराजे अकेले ही सिंहासन पर बैठी। 1967 में जब पुत्र माधवराव लंदन से पढ़ाई करके लौटे तब उनका राज्याभिषेक
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किया गया। इस तरह विजयाराजे अब राजमाता हो गयी तथा माधवराव महाराज।
कहने को राजशाही जा चुकी थी, मगर अब भी महाराज का रुतबा था। पंडित पूजा करके उन्हें मुकुट पहनाते थे। 1967 में राजमाता ने मध्यप्रदेश कांग्रेस में हो रही मनमानी के चलते कांग्रेस छोड़ दी तथा जनसंघ से जुड़ गई।
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महाराज माधवराव सिंधिया भी राजनीति में आ गए, 1971 में उन्होंने जनसंघ के टिकट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस को साफ कर दिया।
1971 में ही उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई, ज्योतिरादित्य सिंधिया। 1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश मे इमरजेंसी लगा दी, राजमाता गिरफ्तार हो गयी
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और महाराज को नेपाल अपने ससुराल भागना पड़ा।
सिंधिया परिवार की संपत्ति पर कई बार छापे मारे गए, इससे माधवराव समझ गए कि कांग्रेस बहुत शक्तिशाली है और जनसंघ बहुत कमजोर। इसके अलावा माधवराव को जनसंघ की हिंदूवादी विचारधारा भी रास नही आयी, वे सदन में कभी जनसंघ के मुद्दे नही
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उठाते थे बस अंतरराष्ट्रीय मुद्दे सामने रखते थे। 1977 में महाराज माधवराव को इंदिरा गांधी का संदेश प्राप्त हुआ। "मुहूर्त शुभ है कांग्रेस में आ जाइये"
माधवराव ने प्रतिक्रिया नही दी मगर कांग्रेस अब उनके मन मे एक विकल्प बनकर उभरी। 1977 के चुनाव में कांग्रेस ने उनके खिलाफ
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कोई प्रत्याशी नही उतारा। 1979 तक माधवराव सिंधिया इंदिरा गांधी के करीबी हो गए थे, 1979 के चुनाव में ही विजयाराजे ने रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी के खिलाफ लड़ने का निर्णय लिया। जब माधवराव ने यह खबर रेडियो पर सुनी तो वो अवाक रह गए और उन्होंने राजमाता से निर्णय बदलने को कहा।
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मगर विजयाराजे अडिग रही।
1979 में काफी आत्मचिंतन के बाद महाराज कांग्रेस में शामिल हुए, इससे राजमाता क्रोधित हो गयी। माता पुत्र के संबंध बिगड़ गए, 1980 में बीजेपी की स्थापना हुई और राजमाता उसकी पहली उपाध्यक्ष बनी। बीजेपी को खड़ा करने में राजमाता ने अपना खून पसीना एक कर दिया।
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भाजपा के लिए राजमाता का संघर्ष चल रहा था वही माधवराव का स्वर्णिम समय आरंभ हो गया।
1984 में माधवराव ने अटल बिहारी वाजपेयी को ग्वालियर से हराया, राजीव गांधी सरकार में उन्हें रेलमंत्री बनाया गया। मगर विचारधारा के कारण उनके संबंध अपनी माँ विजयाराजे से बिगड़ते गए। 1989 में ग्वालियर
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की महारानी और माधवराव की पत्नी माध्वी राजे ने विजयाराजे के 70वे जन्मदिन पर मुंबई में शानदार पार्टी रखी। जिसमे माधवराव और विजयाराजे के बीच अनबन हो गयी और विजयाराजे ने संपत्ति का बंटवारा तक कर डाला।
1995 तक माधवराव के सितारे बुलन्द हो चुके थे, वे प्रधानमंत्री पी नरसिम्हाराव
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से भी बड़ी हस्ती बन रहे थे। साथ ही उनके घर पौत्र भी हुआ जिसके कारण राजमाता के साथ उनके रिश्ते थोड़े अवश्य सुधरे। मगर अब कांग्रेस में उनके विरुद्ध षडयंत्र शुरू हो गए, उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया जो कि गलत सिद्ध हुआ मगर कांग्रेस ने उनका साथ नही दिया जिसके चलते माधवराव
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गुस्सा हो गए और उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी तथा अपनी पार्टी बनाने का सोचा।
माधवराव के कांग्रेस छोड़ने का अर्थ था मध्यप्रदेश से कांग्रेस का सफाया इसलिए उन्हें हाथ जोड़कर वापस लाया गया। लोगो मे उनके लिये सम्मान बना हुआ था, मगर उनका बढ़ता कद अब सोनिया गांधी के लिये खतरा था।
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2001 में राजमाता विजयाराजे के रूप में बीजेपी की शिल्पकार स्वर्ग सिधार गयी। राजमाता ने बीजेपी के लिये अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
8 माह बाद 30 सितंबर 2001 को माधवराव का प्लैन क्रेश हो गया, मगर अचरज की बात थी कि उनके साथ एक भी कांग्रेसी प्लैन में नही था। जो जाने वाले थे उनकी
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अंत समय पर यात्रा रोक दी गयी। कदाचित सोनिया गांधी के रास्ते मे आने का दंड माधवराव मिल चुका था। इसी 30 सितंबर को माधवराव अपने पुत्र ज्योतिरादित्य को लांच करना चाहते थे। इसके लिए ग्वालियर के सभी महाराजाओ के चित्र पूरे शहर में लगा दिए गए थे। मगर माधवराव की मृत्यु हो गयी।
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राजपुरोहितो ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और पत्नी प्रियदर्शिनी राजे से ग्वालियर के खाली सिंहासन पर बैठने की मांग की और ज्योतिरादित्य महाराज बन गए। 3 माह बाद ज्योतिरादित्य कांग्रेस में शामिल हुए, 2014 तक वे कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़कर उसे विजयी बनाते रहे। वही माधवराव की दो बहने
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वसुंधरा राजे राजस्थान में मुख्यमंत्री बनी तथा यशोधरा राजे मध्यप्रदेश में बीजेपी की एक बड़ी नेता
2018 तक ज्योतिरादित्य ने अपने पिता की पूरी विरासत प्राप्त कर ली और अब वे भी गांधी परिवार के लिये संकट बन गए।इसलिए उनका भी पत्ता कटना शुरू हो गया,2018 के मध्यप्रदेश चुनाव में सिंधिया
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को चेहरा बनाया गया मगर जब कांग्रेस चुनाव जीती तो कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाकर जनता तथा महाराज दोनो को ठगा गया।
उनके खिलाफ साजिशें की गई वे समझ गए कि 2001 जैसा प्लैन क्रेश उनके साथ भी हो सकता है इसलिए उन्होंने 22 विधायको के साथ कांग्रेस छोड़ दी तथा कमलनाथ के लिये संकट पैदा कर
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दिया। फ्लोर टेस्ट में कमलनाथ का गिरना लगभग तय है और सिंधिया परिवार एक बार फिर किंग मेकर की भूमिका में है।
किसी समय इसी सिंधिया परिवार ने मराठा साम्राज्य को पूरे हिंदुस्तान का राज्य बनाने में भूमिका निभाई थी आज वही सिंधिया परिवार बीजेपी के खेमे में है।
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दिल्ली पुलिस ने 19 मार्च, 2023 को लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने विरोध प्रदर्शन के संबंध में मामला दर्ज किया। आईपीसी, यूएपीए और पीडीपीपी अधिनियम की उपयुक्त धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। गृह मंत्रालय द्वारा दिल्ली पुलिस को उचित कानूनी कार्रवाई करने के लिए कहने के
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बाद मामला दर्ज किया गया: दिल्ली पुलिस
ये सही कदम है... सरकार को कुछ और कदम भी उठाने चाहिए... 1. सभी ख़ालिस्तानियों की पहचान करे। 2. इनके OCI card और Passport रद्द करे, और इन्हे Deport करवाये। 3. अगर कोई PR ले चुका है, तो उसके भारत आने पर हमेशा के लिए रोक लगाये।
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4. उनकी Immediate Family को वीसा देना बंद करे। 5. उपद्रवियों की भारत में मकान, दुकान या अन्य प्रोपर्टीज पर Bulldozer चलाये और कब्ज़ा करें। 6. इनके भारत में किसी भी तरह के वित्तीय लेन देन को Block कर दे। 7. इनके समर्थकों पर नज़र रखें... जो भी देश विरोधी हरकत करे..
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राशिद ने राजू मिश्रा बनकर एक हिन्दू किशोरी से सोशल मीडिया पर भेंट की. लड़की उससे मिलने गयी. राशिद ने उसका बलात्कार किया और फिर अपना असली नाम बताया. ब्लैक मेल किया और लड़की से ब्लैकमेल करके पैसे ऐंठे! जब लड़की के मातापिता से सम्बन्ध बिगड़े तो वह राशिद के पास चली गयी. राशिद उसे
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सूरत ले गया, जहां वह काम करता था, वहां पर लड़की को मुस्लिम बनाया गया और फिर आरोप है कि गौमांस भी खिलाया गया.
उसकी बाद राशिद उसे छोड़कर चला गया. ससुराल वालो ने रखने से इंकार कर दिया. अब हिन्दू संगठन उसकी सहायता कर रहे हैं!
प्यार की आजादी का जाल है, जो लड़कियों को कच्ची उम्र
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में वहां फेंक रहा है, जहां पर विनाश ही विनाश है. इस विनाश से तभी बचा जा सकेगा जब समस्या को समझेंगे!
इस प्यार की आजादी वाले विमर्श से हम जितनी जल्दी अपनी बेटियों को बाहर निकालेंगे और यह उनके दिमाग में डालेंगे कि अंतत: इस मार्ग पर उनका विनाश ही होना है, तो ही राशिद जैसों के
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सौ बार नमस्कार बलजीत यादव @BaljeetBehror जी, दिल जीत लिया आपने!
18 साल जिस बाप ने अपनी बेटी को पाला पोसा बड़ा किया अगर कोई लुच्चा उसे लेकर भाग गया तो उस बाप को कोई हक नही दिया जाता कि वो अपने बेटी को समझा सके, आखिर किस आधुनिकता की ओर हम जा रहे है इसी को आधुनिकता कहते है।
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भले ही आप किसी पार्टी किसी दल किसी भी विचारधारा के हो पर आपने वो कहा है जो कहने का किसी भी मुर्दे में दम नही है।
9 महीना माँ कोख में रखती है, 18 साल पिता दुःख देखकर पाल पोसकर, पढा लिखाकर बड़ा करता है। अपने खून से सींच कर पालने वाले माता पिता को धोखा देकर लवमैरिज कर भागने
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वाली लड़की लड़का पर कठोर कानून बने, ना कि उन्हें काननू ओर बिगड़ने का मौका दे। सिर्फ सजा दे और माता पिता के पक्ष में कानून बने बस! वाह क्या बात कही है बलजीत यादव ने ....
हरियाणा के रोहतक जैसे शहर में थाने में एक पिता ने रिपोर्ट लिखवाई कि 12 वीं कक्षा में पढ़ने
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@SupriyaShrinate आज सूरत कोर्ट में क्या क्या हुआ उसके अंश
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ललित मोदी नीरव मोदी यानी सारे चोर और भ्रष्ट सिर्फ मोदी ही क्यों होते है
एक पूरे समुदाय को दो लोगों की वजह से भ्रष्ट और चोर कह देना राहुल गांधी को बहुत महंगा पड़ा
पूर्णेश मोदी बहुत बधाई के पात्र हैं जिन्होंने एक
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लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और राहुल गांधी पर क्रिमिनल मानहानि का केस किया और आज अंततः राहुल गांधी अदालत के द्वारा दोषी करार दे दिए गए हैं
आज राहुल गांधी ने अपने बचाव में कहा कि मैंने जानबूझकर यह बयान नहीं दिया था मेरे इरादे खराब नहीं थे मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता हूं चुनावी
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सभा में मेरे मुंह से यह बात निकल गई हालांकि मैं कुछ और कहना चाहता था
लेकिन कोर्ट ने राहुल गांधी के इस दलील को नहीं माना और कहा कि आप एक बड़े पद पर हैं सार्वजनिक जीवन में हैं आपको बहुत सोच समझकर बोलना चाहिए
और थोड़ी देर में कोर्ट राहुल गांधी को सजा सुनाएगा हालांकि कोर्ट ने
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चापलूसी, गधे ढोने की गजब शक्ति है कांग्रेसियों में।
#तुम सावरकर हो ही नहीं सकते, तुमने तो नेहरू की तरह अपने लिए सुप्रीम कोर्ट से राफेल पर नाक रगड़ कर माफ़ी मांगी थी राहुल गांधी। कांग्रेस का स्यापा देखने वाला है।
कांग्रेस पर एक बोझ बन चुका राहुल गांधी मनोरंजन का साधन
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और झूठ बोलने की मशीन बन चुका है जिसे पार्टी ने नेता न चाहते हुए भी ढो रहे हैं। राहुल ने खुलेआम कहा था कि उसकी यात्रा में बहुत सी महिलाएं उसे मिली जिनके साथ बलात्कार हुआ/ यौन शोषण हुआ और खासतौर पर 2 का जिक्र भी किया जो उसे दिल्ली में मिली।
दिल्ली पुलिस ने उन महिलाओं
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#23_मार्च_बिहार_बंद#23_मार्च_शहीद_दिवस #अंतिम_रात्रि :
मैं आज रात्रि पुन: सोच रहा हूं कि 92 वर्ष पहले आज ही के दिन अपनी फांसी से एक रात पहले की उस अंधेरी रात में इन युवाओं के मन में क्या भाव रहे होंगे?
क्या उन्हे भी अपने परिजनों विशेषकर अपनी माताओं की याद आ रही होगी?
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क्या उनकी कोई प्रेमिका भी रही होगी; जिनके आलिंगन की मधुर कल्पना उन्हे बेचैन कर देती होगा?
क्या वे भी #पंडित_रामप्रसाद_बिस्मिल की तरह दुखी हो रहे होंगे कि 30 करोड़ हिंदुस्तानियों में एक भी वीर ऐसा ना निकला, जो उन्हे जेल के अंदर एक पिस्तौल पहुंचा सका? ताकि वे जेल तोड़कर कर
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स्वतंत्र हो पुन: संग्राम में भाग ले सकें!! किसी वीर युवा ने उन्हे जेल से छुड़ाने का प्रयास तक नही किया?
क्या उन्हे अंदाज भी रहा होगा कि कुछ ही घंटों में उन्हें फांसी के फंदे का वरण करना होगा?
क्या उन्हे विचार आया होगा कि गांधी,नेहरू,अंबेडकर तीनों का बैरिस्टर होकर भी उन्हे
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