*#अवलोकितेश्वर, बुद्ध और तारा के शिल्प से प्रेरित है लक्ष्मण, राम और सीता के चित्र|*
*#बुदुरुवगला बौद्ध विहार जो आज #श्रीलंका का प्राचीन विहार है| यह विहार महायानी बुद्धिजम से प्रेरित है|*
*यहा बोधिसत्व की लागभग 7 मूर्तीया है| यह मूर्तीया साधारणतः 9-10 शताब्दी मे बनाई गई है|*
*इन, मूर्तियो मे एक खास मूर्ति है, जो बुद्ध, बोधिसत्व अवलोकितेश्वर और बोधिसत्व तारा की है|*
*इस शिल्प के मध्यमे बुद्ध खड़े है उनके दाएं बाजू मे बोधिसत्व तारा तथा बाये ओर अवलोकितेश्वर है|*
*भारत मे ब्राह्मणो द्वारा राम , लक्ष्मण और सीता इन पात्रो को रामायण मे रेखांकित किया गया|
इन पात्रो की अनेक चित्र भी आधुनिक काल मे बनाई गई|*
*वास्तविकता मे राम, लक्ष्मण और सीता काल्पनिक पात्र है, उन्हे चित्रित करना संभव नही था, इसलिए बुद्ध, अवलोकितेश्वर और तारा के इस शिल्प का उपयोग राम, लक्षण और सीता के रुप मे किया गया| रामायण वास्तव मे जातक कथाओकी चोरी मात्र है|*
*रामायण का राम वास्तव मे दशरथ जातक के बोधिसत्व से चुराया गया पात्र है और हनुमान यह महाकपी जातक से चुराया हुवा पात्र है|*
*सम्राट असोक की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित करने वाले भारत के पहले और अब तक के आखिरी मुख्यमंत्री माननीय श्री नीतीश कुमार है|*
*मुख्यमंत्री ने जब चैत शुक्ल अष्टमी को सम्राट असोक की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित किया, तब तूफान खड़ा हो गया कि अशोक की जन्म - तिथि इतिहासकारो को नही पता
तो मुख्यमंत्री कैसे जान गए?*
*दरअसल जो सम्राट असोक का आदर्श जिया है, वो जानेगा कि उनकी जन्म - तिथि कब है?*
*कंबोडिया के राजा जयवर्मन सप्तम ने सम्राट असोक के आदर्शों को अपने जीवन मे उतारा था| बौद्ध धम्म के प्रचार हेतु उन्होने भी अपने बेटे को असोक की भाँति श्रीलंका भेजा था|*
*राजा जयवर्मन सप्तम को कंबोडिया का सम्राट असोक कहा जाता है|*
*राजा जयवर्मन सप्तम चैत शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक जो उत्सव समारोह मनाते थे, वह सम्राट असोक का जन्मोत्सव समारोह ही था|*
fb.watch/jrUf_GBsP1/?mi… जजो की भर्ती पर बड़ा खुलासा/संसद मे कानून मंत्री ने खोले राज/कोलेजियम की वजह से बहुजनो की हकमारी/SC-ST-OBC को नही बनने दिया जा रहा जज/SHAMBHU ON JUDGE EXAM AND HC-SC
ब्राह्मणो के धर्म शास्त्रो मे एक प्रसंग आता है कि द्रोणाचार्य नामक ब्राह्मण ने एक
प्रतिभासंपन्न--एकलव्य (आदिवासी व्यक्ति) का अँगूठा काटा था|
गुरु दक्षिणा के नाम पर भोले भाले ईमानदार आदिवासी का|
21 वी सदी मे भी द्रोणाचार्य के वंशज आदिवासियो के साथ वही इतिहास दोहरा रहे है|
क्या आदिवासी समुदाय के बुद्धिजीवियो को अपने समुदाय पर हो रहे अन्याय व अत्याचारो को जड़ से
💐 *बाबासाहब अम्बेडकर के आंदोलन को , बाबासाहब का महापरिनिर्वाण होने के बाद ब्राह्मणो के द्वारा बाबासाहब के आंदोलन से जुड़े हुए लोगो को साम, दाम, दंड और भेद की नीतियां अपना कर खत्म कर दिया था,*
*👍 उसे फिर से पुनर्जीवित करने के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान करने वाले महापुरुष के
द्वारा कही गई बातो पर बुद्धिजीवियो को थोड़ा चिंतन करके,*
*👍 अपने अन्दर समझ का विकास करके, उन पर अमल करना चाहिए|*
😢 *नोट:- महापुरुषो की जय जयकार करने से एवम महापुरुषो के त्याग, कुर्बानी एवम संघर्ष के बारे मे बड़े बड़े मंचो पर लक्छेदार एवम जोशीला भाषण देने की बजाय, महापुरुषो के
त्याग, कुर्बानी एवम संघर्ष के इतिहास से प्रेरणा लेकर, अमल (अनुसरण ) करने की जरूरत है|*
👌 *तथा महापुरुषो के नाम पर, जातियो के नाम पर चल रहे समस्त संगठनो को मिलजुलकर संगठित शक्ति का निर्माण करना चाहिए|*
ब्राह्मण इतिहासकारो ने सिंधु सभ्यता मे मिले महिला के मूर्ति को और उसके इतिहास को छिपाकर रखा क्यों कि ब्राह्मण जानते थे सिंधु सभ्यता उनकी नही है| ब्राह्मणो ने उस महिला को डांसिंग गर्ल कहकर उपहास किया| बुद्ध ने खोई हुई सिंधु सभ्यता को ही आगे चलाया है| एक ऐसा ज्ञान जो बहुजनो के हित
का ज्ञान है उसे धम्म के नाम से प्रस्तुत किया| यही वह धम्म है जिसे सम्राट अशोक ने दुनिया को बाटा तो बुद्ध धम्म विश्व धर्म हुआ| ब्राह्मणो ने पनि सिंधुजनो से जैसे घृणा की वैसे ही बुद्ध धम्म से घृणा की| ब्राह्मणो ने जैसे हिंसा के जरिये सिंधु सभ्यता खत्म की वैसे ही शुंग ने बृहद्रथ
मौर्य की हत्या की और हिंसा के जरिये ही ब्राह्मणवाद को थोपा| पटना ( प्राचीन नाम- पाटलिपुत्र) मे एक महिला की सुंदर मूर्ति नदी मे मिली| वह मूर्ति अब पटना संग्रहालय मे है| वह मूर्ति किसकी है और वह कौन है इसपर ब्राह्मण इतिहासकारो ने पर्दा डाला हुआ है| अब हमे खोजबीन करने के बाद वह
*प्राचीन काल मे भारत विश्वगुरु था| विश्वगुरु कौन था ? किसने विश्व को शिक्षाएँ दी ? किस गुरु की प्रतिमाएँ विश्व भर मे स्थापित हुईं ?*
*विश्वगुरु कौन था ? किसकी शिक्षाएँ विश्व भर मे अनूदित हुईं ? किसे विश्व भर मे शिक्षा देने के लिए बुलाया गया ? जाहिर है कि वे बौद्ध थे|*
*गुणवर्मन, गुणभद्र, प्रज्ञारुचि, उपशून्य, ज्ञानभद्र, बुद्धभद्र, कमलशील, ज्ञानप्रभ, चित्रगुप्त जैसे हजारो बौद्ध विद्वान यूनान, तुर्की और मध्य एशिया से लेकर समूचे पूर्वी एशिया के देशो मे शिक्षा देने के लिए बुलाए गए जिसमे एक भी बौद्धेतर विचारक शामिल नही है|*
*विश्वगुरु कौन था ?*
*बुद्ध और उनके बुद्धिज्म से दुनिया ने बहुत कुछ सीखा है|*
*अरब के मुल्को ने बुद्धिज्म से ही अंक - प्रणाली सीखी है|*
*चीन ने मार्शल आर्ट सीखा है|*
*श्रीलंका ने शील सीखा है|*
*यूरोप ने कार्य - कारण सिद्धांत सीखा है|*
*जापान ने काताकाना और हिराकाना अक्षरमालाएँ बनाई है|*
👉BMMभारत मुक्ति मोर्चा, RPVMराष्ट्रीय पिछडा (OBC) वर्ग मोर्चा व BINबुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क के संयुक्त रुप से 97वें समता संगर दिन (चवदार तालाव सत्याग्रह) के अवसर पर राज्य स्तरीय बहुजन समाज जन जागृती परिषद सफलतापूर्वक संपन्न हुई, उसमे महाराष्ट्र राज्य युनिट के कार्यकर्ताओ ने
11 लाख रुपये का राष्ट्रव्यापी जनआंदोलन निर्माण निधी दिया गया जो संगठन के पास सुपुर्द किया गया |
दिनांक:- 20मार्च2023, समय:- सांम 6:00 से 10:00 बजे तक
स्थान:- रावसाहेब भिलारे मैदान, काकरतळे, महाड, रायगड, महाराष्ट्र