#HindusUnderAttack
रामनवमी की तस्वीरें आज कल ख़ुश कर देने वाली कम दुःख देने वाली ज़्यादा हो गयी हैं। साफ दिखता है की हमलों का कारण वो ही है जो 1400 साल पहले तय किया गया था की काफ़िरो को जहाँ पाओं वहाँ हमला करो। सरकार,मीडिया और प्रशासन सब जानते है ये करने वाला कौन है और सहने +
वाला कौन है लेकिन चुप है या स्वीकार करने की हिम्मत नहीं हैं। दलीलें हिन्दुओं पर हमलें होने की और ज़्यादा दिल तोड़ती है ,कहते है की मुस्लिमों का इलाक़ा है नहीं जाना चाहिए था, नमाज़ के वक्त dj चला रखा था जिससे भावनाएं आहत हो गयी। मतलब इनकी भावनाएं आहत होना हमारे त्यौहारों से बड़ी +
बात है। हिन्दुओं का मरा जाना, घायल हो जाना या अपने त्यौहार खुशी से मनाना कम महत्वपूर्ण है लेकिन इनकी भावनाएँ ज़्यादा।आधी धरती जो लोग चबा गये वो Pak सही मायनों में मुस्लिम एरिया है न की भारत।भारत वो हिन्दु राष्ट्र है जो 47 में गद्दारों के कारण टूट गया था, ये हमारी आख़री छत है।
हर साल ये ही घटना होती जा रहीं है और किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ता। क्या हम हिंदु सिर्फ अत्याचार सहने के लिए जन्में हैं? हमसे इतनी नफरत क्यों है सबकों? हमारे मंदिर चले गये, नरसंहार झेले,पलायन करें, धरती टूट गयी, बहनों और बेटियों के बाज़ार लगे,+
और अब आज़ादी के बाद हम अपने धार्मिक अधिकार की भी बात नहीं कर सकते और न ही बिना डर के त्यौहार मना सकते हैं। क्या हम सच में आज़ाद है? क्या हमें सुरक्षा मिलने का अधिकार नहीं? हमारा भविष्य अंधकार में हैं। हमारा हर अगला आदमी दुश्मन क्यू होता जा रहा हैं?
कश्मीर नाम का एक राज्य है जो की हिन्दु नरसंहार का दर्द लिए खड़ा है। अब बंगाल, केरल, झारखंड, असम, मेवात और बिहार के कुछ इलाकें भी उस रास्ते पर हैं। कारण एक ही है हर जगह पर शांति का मज़हब। हिंदू की किस्मत बड़ी ख़राब है कोई इन्हें रहने नहीं देना चाहता। कोई मुझे बताएगा की कैसे जिन +
इलाकों में मुस्लिम ज़्यादा हो जाते है वो इलाका या तो टूट जाता है या अशांत रहता है या हिन्दु नरसंहार झेलता है। कश्मीर में,पाकिस्तान में,केरल में और बंगाल में उर्दू पहुँच गयी क्युकी मुस्लिम रहते हैं लेकिन इंसानियत और भाईचारा/गंगा जमुनी तहज़ीब नहीं पहुँची क्यों? क्युकी मुस्लिम +
बहुसंख्यक हैं या इनकी आबादी ज़रूरत से ज़्यादा है। ये inverse relation कैसे हैं इनकी आबादी और हमारे अस्तित्व के बीच/भारतवर्ष की एकता के बीच/शांतिव्यवस्था के बीच/गंगा जमुनी तहज़ीब के बीच। आज रामनवमीं की तस्वीरें दिल तोड़ती हैं और भविष्य के लिए चिंता पैदा करती हैं।+