विदेशों में देश के खिलाफ #नैरेटिव सैट करने का नतीजा देख लिया !
भारत के मित्र #जर्मनी ने देश #राहुल_गांधी पर हुई कार्रवाई में पेंच तलाशने शुरू कर दिए !
होते भी क्यों न जब इस काम पर #अंतरराष्ट्रीय#टूल_किट्स एक्टिवेट की जा चुकी हैं ,देश में शोर मचाया जा रहा है कि #चीन भीतर आ घुसा👇
किसी भी तरह यह सरकार गिर जाए । अभी देखना बरसों से रुके दंगे अब धीरे धीरे तेज कराए जाएंगे । कल रामनवमी के दिन ट्रेलर दिखाया गया । एक बात सबको समझ लेनी चाहिए कि अगले साल वाले चुनाव इन्हीं परिस्थितियों में होंगे । #कनाडा में बैठा #गुरपंत_सिंह_पन्नू#खालीस्तानी समस्याएं बढ़ाने की
में लग गया है । देश में अपने तरीके से सरकार गिराने में लगे पन्नुओं की पहले से ही कभी भी कमी नहीं रही है ।
मतलब आरपार की लड़ाई तो हर बार होती है , इस बार की लड़ाई कुछ खास मिजाज से होगी । एक बात जरूर है । #लोकसभा_चुनाव की हार जीत बहुत खास अंदाज में रहेगी और नया नैरेटिव एक बार फिर
से सैट करेगी । एक साल पहले कहा था कि 2023 राजनैतिक कयामत की तैयारी वाला साल होगा । तीन ही महीनों ने लक्षण दिखा दिए ।
जो हो रहा है उसकी कल्पना पहले ही कर ली गई थी । भारत को जिस दिन जी 20 की अध्यक्षता मिली , उसी दिन तय हो गया था कि अब तमाशे भी जोरदार होंगे । भारत ने जिस दिन अपने
तरीके से रूस का साथ देने का निर्णय लिया उस दिन से नाटो से जुड़े कुछ देश #भारत से नाराज हो गए थे । हालांकि #रूस को लेकर #अमेरिका भारत की विवशता जानता है अतः उसे उतना फर्क नहीं पड़ा । लेकिन #ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश भारत की विवशता समझने के बावजूद थोड़ी तिरछी नज़र रखते हैं । भारत
को बढ़ते देखना चीन और पाक ही नहीं , कुछ और देशों के लिए भी आसान नहीं है ।
जर्मनी के बयान पर दिग्विजय और सलमान खुर्शीद ने जिस तरह खुशी जताई उसने सिद्ध कर दिया कि ऑक्सफोर्ड में राहुल यूरोप और अमेरिका से मोदी को सबक सिखाने की गुहार क्यों कर रहे थे ? आखिर मणिशंकर अय्यर तो एक बार
मदद मांगने पाकिस्तान ही चले गए थे । फिर पाकिस्तान ने कश्मीर बचाने की राहुल वाली अपील को यूएनओ भी भेज दिया था । खैर ! अब तमाम राजनीति चुनाव के इर्दगिर्द घूमना लाजमी है । तभी तो ममता ने कहा कि रामनवमी के जलूस में कोई धनुष बाण , गदा , त्रिशूल आदि हथियार लेकर मुस्लिम इलाके से गुजरा
तो जमीन में गाड़ दूंगी । ठीक है , गाड़ती रहिए , यही रास्ता तो बचा है ? लक्ष्य अगला साल है तो फिर किसी के तेवरों पर क्या मलाल है ? youtube.com/@dharmgyan789
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असत्य बोलना क्या उचित है ?
**शुक्राचार्य जी कहते हैं -- "हाँ , पर समयानुसार ।"
स्त्रीषु नर्मविवाहे च वृत्यर्थे प्राणसङ्कटे ।
गोब्राह्मणार्थे हिंसायां नानृतं स्याज्जुगुप्सितम् ।।
(श्रीमद्भागवते अष्टमस्कन्धार्गतबलिप्रसङ्गे)
१-स्त्री-हठ के समक्ष,
२-हँसी-ठिठोली में,
३-👇
३-किसी की पुत्री के विवाह में विघ्न टालने में,
४-आजीविका सङ्कट के समय
५-अपने या पराये प्राण-सङ्कट टालने में,
६-गौ और ब्राह्मण की रक्षार्थ तथा
७-हिंसा निवारण के लिए झूठ बोलना निन्दनीय नहीं होता
इस शुक्रनीति का समर्थन देवयानी की अनुपस्थिति में रानी शर्मिष्ठा ने राजा ययाति के समक्ष
किया है---
न नर्मयुक्तं वचनं हिनस्ति
न स्त्रीषु राजन् न विवाहकाले ।
प्राणात्यये सर्वधनापहारे
पञ्चानृतान्याहुरपातकानि ।।
हास-परिहास, स्त्री से, विवाह में, प्राण-सङ्कट, सम्पूर्ण धनापहरण(आजीविका हरण) में झूठ बोल सकते हैं । (सभी स्पष्टीकरण पूर्ववत् होंगे)
*और यहाँ असत्य
बंगाल जल रहा है-
बहुसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं - पुलिस ममता के ईशारे पर हमलावरों पर कार्यवाही नहीं कर रही-
और शै दे रही है..यही होना था..
पिछले चुनाव में - उस सीट से भी टीएमसी जीती - जहां कि 90% वही कौम रहती है जो आज मर रही है व अपमानित हो रही है...
पूरे बंगाल में 70 सीटे👇
टीएमसी ने- महज 04 से 500 वोट से तथा 30 सीटें महज 500 से 1300 वोट से तथा 1 सीट 1700 से जीती थी -
कारण-
यह कौम जो टीएमसी की शै पर मारी रही है पीटी जा रही है, यही वह कौम है जो वोट देने नहीं गयी -वर्ना नतीजे दूसरे होते- और तब यह यूं सरे आम अपमानित ना होते यूं मारे व खदेड़े नहीं जाते
उत्तरप्रदेश की तरह सम्मान से जी रहे होते -
आज इलाका - कल शहर और फिर अलग देश मांगने वालों के सरपरस्त ममता,केजरी,अखिलेश व पप्पू-पिंकी या इनके गफलौत - बघेरे जैसे गुलाम जहां जहां सत्ता में आयेंगे-
यही होगा -
अभी केवल 70 साल शासन वालों की हवा निकली है- 700 साल वालों की अकड़ काबू
* मुझे फिलिस्तीन के समर्थन में और इजराइल के विरुद्ध प्रदर्शन करने दो।
* मुझे पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने दो ।
* मुझे आतंकी को शहीद बता कर उसके जनाजे में 5 लाख की भीड़ जुटाने दो, उसकी कब्र को मजार बनाने दो ।
* मुझे संविधान की मां..ब करते हुए अपना अलग कानून चलाने दो ....मुझे👇
अपने मौज अपने कानून से और सजा संविधान के अनुसार चाहिए ।
* हम पर और नीच काफिरों पर समान नियम नही होना चाहिए...हम विशेष दर्जे वाले हैं और रहेंगे ।
* हमें संगठित षडयंत्र कर काफिरों की मूर्ख बेटियों को प्रेम जाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन कराने दो ।
* हमें अवैध हथियार, मादक पदार्थों
की तस्करी, जाली नोट के धंधे में एकाधिकार बरकरार रहना चाहिए ।
* हमे जहां मन करे पत्थरबाजी, बम विस्फोट करने दो ।
* बिहार–UP हो या महाराष्ट्र, हर जगह सबसे बड़ा गुंडा–माफिया हमारा आदमी हो ।
* हमे बांग्लादेश और म्यांमार से आने वाले हमारे रिश्तेदारों को भारत नामक धर्मशाला में बसाने दो
पिछले महीने जब मैं तमिलनाडु की यात्रा पर था तब मुझे पता चला कि तमिलनाडु में30लाख से ज्यादा लोग सौराष्ट्र मूल के लोग बसते हैं
और फिर कुछ सौराष्ट्र मूल के लोगो से जब मेरी बात हुई तब उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज सोमनाथ पर महमूद गजनवी के आक्रमण के समय जब उसकी सेना ने सौराष्ट्र👇
में दरिंदगी का नंगा नाच किया था महिलाओं पर अत्याचार उनके साथ बलात्कार मंदिरों को जलाना रास्ते में पड़ने वाले सभी हिंदुओं के घरों को खड़ी फसलों को आग लगाना यह सब घटनाक्रम हुए थे तब उस वक्त दक्षिण में विजयनगर साम्राज्य हुआ करता था जिसका मुख्यालय तंजावुर था
तो विजयनगर के महाराजा
ने सौराष्ट्र के हिंदुओं को अपने यहां आकर बसने का निमंत्रण दिया ताकि वह महमूद गजनवी के दरिंदगी से बच सकें और इस तरह उस जमाने में सौराष्ट्र से कई हजार लोग पलायन करके विजयनगर साम्राज्य निमंत्रण पर तमिलनाडु में रहने चले गए
अभी मैं आज टीवी पर देख रहा था कि बिहार के सासाराम से
आप लोगों को याद होगा मनमोहन सिंह के जमाने में देश में आतंकवादी घटनाओं की बाढ़ आ गई थी
मनमोहन सिंह के समय में मुंबई पर खतरनाक हमला हुआ अहमदाबाद जयपुर बनारस दिल्ली जैसे तमाम शहरों में सीरियल ब्लास्ट हुए और बहुत से शहरों तथा ट्रेन में बम ब्लास्ट भी हुए
इन घटनाओं में हजारों लोग👇
मरे थे और खरबों की संपत्ति का नुकसान हुआ
दरअसल हर महीने कहीं ना कहीं आतंकवादी घटनाएं होती रहती थी
उसका सबसे बड़ा कारण यह था इशरत जहां केस में गुजरात पुलिस को इनपुट देने वाले आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार तथा आईबी के सीनियर अधिकारी एमएस सिन्हा राजीव वानखेडे और टी
टीएस मित्तल को गिरफ्तार कर लिया था
दरअसल गुजरात पुलिस ने आईबी रिपोर्ट यानी आईबी की इनपुट के आधार पर कार्रवाई किया था इसलिए अहमद पटेल ने सोचा यदि मोदी को इस केस में फंसाना है और अमित शाह को इस केस में फंसाना है तो सबसे पहले आईबी अधिकारियों को भी जेल में सड़ाना होगा
कुछेक छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो रामनवमी के दिन पूरे देश में अभूतपूर्व हर्षोउल्लास के साथ त्योहार मनाया गया है।
देश में एक सांस्कृतिक युद्ध चल रहा है जिसे हमें हर हाल में जीतना ही है तो इसके लिए सबसे पहले.... हमें अमीर-गरीब, जाति-वर्ग से उपर उठ कर "अपने लोगों/योद्धाओं" 👇
" को एवं "दुश्मनों" को भली प्रकार से पहचाना होगा...
यह पहचाना होगा कि इस युद्ध में अपने समाज के कौन लोग हमारे साथ खड़े रहेंगे, एक पत्थर चलते ही मजबूती से उसका दस गुना भयावह जवाब देंगे, उन्हें समुचित सम्मान देना होगा, वो हिंदुत्व के हीरो हैं, जबकि कुछ गीदड़ कायर भी होंगे जो अपने
खिड़की दरवाजे बंद करके बीवी के पल्लू में लिपट जायेंगे.वो चाहें कितना भी अमीर हों या कोई भी हों.जो सनातन के प्रति उदासीन हैं वो सम्मान का एक तृण भी पाने के लायक नहीं है
मैं एक समान्य आदमी हूं जो ऐसे लोगों को कुछ नहीं समझता हूं, चाहें वो जो भी हों.जो राम का नहीं वो किसी काम का नहीं