#हिंदुराष्ट्र
फेसबुक और ट्विटर पर हिंदूराष्ट्र चाहिए हिंदू निठल्लों को। बस सरकारी नौकरी चाहिए बाप दादा के काम को छोड़ कर, ब्राह्मणवादी और सामंतवादी शोषण मानता है।बीए,एम की डिग्री लेकर घर पर रोटी तोड़ेंगें और सरकार को कोसेंगे।सारे व्यापार पर मुस्लिम कब्जा करते चले जा रहे है।👇
अपनी जातिगत खानदान काम बिल्कुल नहीं करेंगे ,ज़ावेद हबीब नाई के काम पूरे देश में कब्जा, चमड़ा उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन आदि लगभग सभी पर निरंतर कब्जा।जमीन जेहाद से,जनसंख्या जेहाद लव-जेहाद धर्मपरिवर्तन जेहाद से चौतरफा हिंदू समाज को खत्म करने में लगे हुए हैं, इस्लामिक राष्ट्र बनाने में
लगे हुए हैं सभी मुस्लिम समुदाय चाहे पढ़ लिखा हो या अनपढ़। २०५२ तक सब बदल जायेगा। दंगा करने के पीछे उनका मकसद हिंदू विहीन करना।
हर दंगा ज़मीन छीन लेने की क़ामयाब कवायद होती है।
हिंदू और हिंदुस्तान सिर्फ इतिहास में मिलेगा। मोदी और योगी हिंदू राष्ट्र बनायेंगे ,
निठल्ले हिंदू सुरक्षित हो जायेंगे। भगवान सद्बुद्धि दे।
youtube.com/@dharmgyan789
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घोर संकट
निवारण मन्त्र
यदि आप किसी
भीषण संकट में हो तो
नित्य 3 माला का जप
40दिनों तक अवश्य कीजिए।
संकट निश्चित कट जाएगा।
मन्त्र
हरं हरिं हरिश्चन्द्रं हनूमन्तं हलायुधम्
पञ्चकं वै स्मरेन्नित्यं घोरसंकटनाशनं 👇
हनुमत शब्द
व्याकरण की दृष्टि से
"हनुमान" और "हनूमान"
दोनों ही नाम सही हैं।
हन् + उन् = हनु + मतुप् = हनुमत् = हनुमान्।
अथवा स्त्रीत्वपक्षे ऊङ्-
हन् + ऊङ् = हनू + मतुप् = हनूमत् = हनूमान्। 👇
कलयुग मै एक ही नाम सत्य है.. 🙏
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन, सुन लो मेरी पुकार
पवनसुत विनती बारम्बार 🙏🙏
अपरम्पार है शक्ति तुम्हारी,
तुम पर रीझे अवधबिहारी
भक्ति भाव से ध्याऊं तुम्हे,
कर दुखों से पार
पवनसुत विनती बारम्बार.संकट मोचन हनुमानजी की जय❤️जय श्री राम जय हनुमान 🙏🙏🌹
अर्जुन ने एक रात को स्वप्न में देखा की एक
गाय अपने नवजात बछड़े को प्रेम से चाट रही
है।चाटते चाटते वह गाय उस बछड़े की कोमल खाल को छील देती है। उसके शरीर से रक्त निकलने लगता है और वह बेहोश होकर नीचे गिर जाता है। अर्जुन प्रातः यह स्वप्न भगवान श्री कृष्ण को बताते हैंभगवान कहते हैं👇
की यह स्वप्न कलियुग का लक्षण है। कलियुग में माता पिता अपनी संतान को इतना प्रेम करेंगे, उन्हें सुविधाओं का इतना व्यसनी बना देंगे की वे उनमे डूबकर अपनी ही हानि कर बैठेंगे,सुविधाभोगी और कुमार्गगामी बनकर विभिन्न अज्ञानताओं में फंसकर अपने होश गँवा देंगे।आजकल हो भी यही रहा है। मातापिता
बच्चों को मोबाइल, बाइक-कार, कपडे, फैशन की सामग्री और पैसे उपलब्ध करा देते हैं। बच्चों का चिंतन इतना विषाक्त हो जाता है की वो माता पिता से झूठ बोलना, छिपाना, चोरी करना, अपमान करना सीख जाते हैं।
बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में एक ज्योतिषी रहा करता था. उसका विश्वास था कि वह तारों को देखकर भविष्य पढ़ सकता है. इसलिए वह सारी-सारी रात आसमान को ताकता रहता था. गाँव वालों के सामने भी वह अपनी इस विद्या के बारे में ढींगे हांका करता था.
एक शाम वह गाँव की👇
कच्ची सड़क पर पैदल चलता हुआ अपने घर की ओर जा रहा है. उसकी नज़रें आसमान पर चमकते तारों पर जमी हुई थी. वह तारों को देखकर आने वाले समय में क्या छुपा है, यह पढ़ने की कोशिश कर रहा था.तभी अचानक उसका पैर कीचड़ से भरे एक गड्ढे पर पड़ा और वह गड्ढे में जा गिरा.
वह कीचड़ में लथपथ हो गया और
किसी तरह गड्ढे से बाहर निकलने के लिए हाथ-पैर मारने लगा. लेकिन एड़ी-चोटी का जोर लगाने के बाद भी वह गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाया. सारी कोशिश बेकार जाती देख वह सहायता के लिए चिल्लाने लगा.
उसकी चिल्लाने की आवाज़ सुन कुछ लोग दौड़े चले आये. उन्होंने उसे गड्ढे में गिरे देखा, तो समझ गए
जा कर रण में ललकारी थी,
वह तो झांसी की झलकारी थी ।
गोरों से लड़ना सिखा गई,
है इतिहास में झलक रही,
वह भारत की ही नारी थी।
झलकारी बाई का जन्म बुंदेलखंड के एक गांव में 22 नवंबर को एक निर्धन कोली परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सदोवा (उर्फ मूलचंद कोली) और माता जमुनाबाई 👇
(उर्फ धनिया) था। झलकारी बचपन से ही साहसी और दृढ़ प्रतिज्ञ बालिका थी।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में, वह महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति थीं। वह लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं, इस कारण शत्रु को धोखा देने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थीं।
सन् 1857 के
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अग्रेंजी सेना से रानी लक्ष्मीबाई के घिर जाने पर झलकारी बाई ने बड़ी सूझबूझ, स्वामीभक्ति और राष्ट्रीयता का परिचय दिया था।
रानी के वेश में युद्ध करते हुए वे अपने अंतिम समय अंग्रेजों के हाथों पकड़ी गईं और रानी को किले से भाग निकलने का अवसर मिल गया। उस
छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष। उसमें से आधा =40 वर्ष तो रात को बीत जाता है। उसका आधा=20 वर्ष बचपन और बुढ़ापे मे बीत जाता है। बचा 20 वर्ष। उसमें भी कभी योग, कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा, नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँ व्यक्ति को घेरे रखती हैँ।अब बचा ही कितना ? 8/10 वर्ष। 👇
उसमें भी हम शान्ति से नहीं जी सकते ? यदि हम थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़ जाएँ, तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन प्राप्त करने का क्या लाभ हुआ?पूरा जीवन व्यर्थ गया -
स्वयं विचार कीजिये :-
-इतना कुछ होते हुए भी:—
1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते
होते हुए भी...मौन होना सब से बेहतर है।
2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी...सफेद रंग सब से बेहतर है।
3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी...उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है।
4-पर्यटन के लिए रमणीक स्थल होते हुए भी..पेड़ के नीचे ध्यान लगाना सबसे बेहतर है।