कायस्थ पाठशाला शिक्षा के क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा ट्रस्ट है। इसमें देश ही नहीं विदेश में रहने वाले कायस्थ भी न्यासधारी हैं। नर्सरी से लेकर परास्नातक तक करीब 25 हजार छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जाती है। इस चैरिटेबल एवं शैक्षिक संस्था की शुरुआत बहादुरगंज में एक छोटी सी (1/5)
कोठरी से हुई थी। धीरे-धीरे यह वटवृक्ष के रूप में परिवर्तित हो गया। आज ट्रस्ट के अधीन कई स्कूल-कालेज और महाविद्यालय हैं। इसमें नर्सरी से लेकर PG और PhD की कक्षाएं संचालित होती हैं।
केपी ट्रस्ट की स्थापना स्व. मुंशी काली प्रसाद कुलभाष्कर द्वारा वर्ष 1872 में की गई थी। मुंशी (2/5)
काली प्रसाद कुलभास्कर का जन्म जौनपुर के चिड़ीमार टीले में तीन दिसंबर 1840 को हुआ था। उन्होंने 1858 में वाराणसी के परगना विजिटर एवं विभिन्न सरकारी पदों को सुशोभित किया। उनकी कोई संतान नहीं थी। अपना सबकुछ #कायस्थ पाठशाला को दान कर दिया। 09-11-1886 को उनका स्वर्गवास हो गया था। (3/5)
केपी ट्रस्ट की शुरुआत 7 बच्चों से हुई थी। इसकी संस्थाओं में पढ़कर ट्रस्ट का मान बढ़ाने वालों में पूर्व राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, महर्षि महेश योगी, गणेश शंकर विद्यार्थी, जनार्दन प्रसाद द्विवेदी आदि थे। रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी (4/5)
बालकृष्ण भट्ट, डा. हरिवंश राय बच्चन आदि भी ट्रस्ट से जुड़े थे। (5/5)