R P Pathak-पाठक जी Profile picture
Apr 20 10 tweets 3 min read Twitter logo Read on Twitter
जेण्डर फ्लूएडिटी:-
एक ऐसा काल्पनिक मत जो जेण्डर निर्धारण के लिए वर्त्तमान में पश्चिमी देशों द्वारा ग्रहण किया गया है।
इस मत के अनुसार-
एक व्यक्ति का लैंगिक पहचान उसके स्वयं के विचारों/भावों पर निर्भर करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो, इस मत की मान्यता यह है कि, एक व्यक्ति की 👇
लैंगिक पहचान व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करती है। जिसे एकेडमिक भाषा में, "मनोभावों के विश्लेषण के अनुसार" जेण्डर निर्धारण होता है।

ध्यातव्य हो, अभी तक संसार में किसी भी देश या व्यक्ति के पास ऐसी कोई प्रणाली नहीं, जो व्यक्ति के मनोभावों को चिन्हित कर सके।
फिर, अगर कोई यह कहता है
कि, वह स्त्रियों की भाँति सोचता है, स्त्रियों की भाँति रहना चाहता है, इसलिए उसे एक #स्त्री के रूप में मान्यता प्रदान की जाय?
यह विज्ञान के लिए एकदम उपहासास्पद तथ्य है।
क्योंकि,
इच्छाओं का सृजन किसी भी काल में बड़ी सुगमता से किया जा सकता है। जो अभ्यास का विषय है। और इस
अभ्यास के विषय को #चीरन्तक मानक घोषित कर देना, #लैंगिक पहचान की सार्वभौमिकता" में सबसे बड़ा बाधक सिद्ध होगा।
क्योंकि ऐसी स्थिति में,
किसी भी व्यक्ति की लैंगिक पहचान सार्वभौमिक न होकर, फ्लेक्सिबल हो जाएगी। जो आज पुरुष था, वही कल स्त्री बन जायेगा, और जो आज स्त्री है वह कल पुरुष।
जो कल पुरुष होकर स्त्री के रूप में घोषणा कर चुका था, वही परसों पुनः स्त्री के रूप में उद्घोषणा कर देगा। कि नहीं नहीं, वह स्त्री ही है।

उक्त स्थिति, सामाजिकी के लिए जहाँ अभिशाप की भाँति है, वही वैज्ञानिक दृष्टिकोण के लिए भी एक अभिशाप ही होगा। क्योंकि विज्ञान की किसी भी शाखा से
से किसी के अप्राकृतिक जेण्डर की पहचान सम्भव नहीं होने से,
समाज के समस्त लैंगिक विभेदक सीमाओं की रक्षा असम्भव हो जाएगी।

समाज में स्थापित मूल्यों के पतन के साथ- साथ संसार की समस्त कानूनी मान्यताओं को जहाँ विस्थापित करना होगा, वही अगर विस्थापन सम्भव नहीं हुआ, तो भयङ्कर विनाश का
का दर्शन सर्वत्र दिखाई देने लगेगा।

दूसरे शब्दों में कहूँ तो,
जन्मना लिङ्ग निर्धारण को "मान्यता प्राप्त लिङ्ग निर्धारण" में बदलने पर, वर्त्तमान संविधान की समस्त कानूनी मान्यताओं का निरस्त्रीकरण किया जाना है।

समझ यह नहीं आ रहा कि,
सर्वोच्च न्यायालय की प्राथमिकता संविधान के
मूल्यों की रक्षा करना है, या संविधान को नष्ट करना।

संविधान के नैतिक मूल्यों की रक्षा को जब भी चुनौती दी जाएगी, निहित चुनौती जब तक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पूर्णतः स्थापित न हो, उस चुनौती को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
और इस "जेण्डर फ्लूएडिटी" के सम्बंध में वर्त्तमान विज्ञान की किसी
किसी भी शाखा में कोई वैज्ञानिक आधार अभी तक स्पष्ट नहीं है।

इसलिए महान अन्यायमूर्ति न्यायाधीश महोदय जन को अपनी सीमाओं को पहले निर्धारित करने और उन्हीं सीमाओं में रहने के विषय में विचार करना चाहिए।
जिससे सर्वोच्च न्यायालय की मान और प्रतिष्ठा बनी रहे।

श्रीमद्भागवत गीता के सुविचार आज का नया वीडियो हमारे यूट्यूब चैनल धर्म ज्ञान पर अवश्य देखें और चैनल से जुड़े

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with R P Pathak-पाठक जी

R P Pathak-पाठक जी Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @PRPathak2

Apr 22
.#ज्योतिरादित्य_सिंधिया_ने_राहुल_गन्दगी_की_सजा_के_बाद_उसे_काndग्रेस_में_मिल_रही_विशेष_तवज्जो_पर हमला करते हुए कहा "पार्टी न्याय पालिका पर दबाव डालने और प्रासंगिक बने रहने की हर संभव कोशिश कर रही है सिंधिया ने काndग्रेस पर हमला करते हुए कहा पार्टी एक पिछड़े वर्ग के पूरे समुदाय 👇
को चोर कहती है सैनिक की वीरता के प्रमाण मांगती है ये तक बयान दिया काndग्रेस ने कि हमारे जवानों की चीन द्वारा पिटाई की गई है ऐसी पार्टी की एक विचार धारा बची है और वो है देशद्रोह व देश के विरुद्ध कार्य करने की विचारधारा कुछ लोग काndग्रेस में"प्रथम श्रेणी के नागरिक"हैं जिस लिए काँगी
नेता अलग कानून की मांग कर रहे हैं"...?
पवन खेड़ा जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के स्वर्गीय पिता के लिए अपमानजनक शब्द बोलने में आगे रहता है,मोदी को कह रहा है कि हम मोदी को दोस्ताना सलाह देंगे कि जिस व्यक्ति को राहुल गन्दगी और काndग्रेस ने इतना आगे बढ़ाया वह जब काndग्रेस का ना हुआ
Read 6 tweets
Apr 22
समलैंगिक शादी की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अजीब बात की ।
कहा बायोलॉजिकल पुरुष जैसी कोई चीज नहीं होती, गुप्तांग आपके जेंडर को परिभाषित नहीं करते, एक पुरुष भी खुद को अगर महिला की तरह Identify करना चाहे तो कर सकता है
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता👇
कह रहे हैं कि बायोलॉजिकल पुरुष का मतलब और कुछ हो नहीं सकता बायोलॉजिकल पुरुष मतलब बायोलॉजिकल पुरुष ही है लेकिन मुख्य न्यायाधीश मानने को तैयार ही नहीं हैं । बच्चा पैदा होता है तो गुप्तांग के आधार पर ही कहते हैं कि लड़का है या लडक़ी लेकिन मुख्य न्यायाधीश कह रहे हैं कि नहीं, ऐसा नहीं
ही सकता ।
उल्टे चंद्रचूड़ साहब ने सवाल किया क्या शादी के लिए अलग-अलग लिंग का होना जरूरी है ?
फिर कहा "मैं हूँ सुप्रीम कोर्ट का इंचार्ज , मैं करूँगा फैसला , प्रक्रिया क्या होगी ये बताने की अनुमति किसी को नहीं दूँगा।"
इन जज साब का भारतीय संस्कृति से कोई लेना देना नहीं है, ये बस
Read 5 tweets
Apr 22
यदि जननागों के आधार पर महिला पुरुष की परिभाषा समाप्त कर दी गई तो महिलाओं के लिए बनाए गए अधिकार और सुरक्षा के क़ानून की उपयोगिता समाप्त हो जाएगी।

पुरुष ख़ुद को महिला बताकर महिलाओं के खेल में हिस्सा लेंगे,उनके बाथरूम टॉयलेट का इस्तेमाल करेंगे। बलात्कार करने के पश्चात यह कहकर की👇
वह महिला हैं इस कारण बलात्कार के क़ानून के दायरे से बाहर हैं, बच जाएँगे। बच्चा गोद लेने के लिए बनाए क़ानून में भी गड़बड़झाला हो जाएगा। पुरुष स्वयं को महिला घोषित करके बच्चों को गोद ले लेंगे। महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों पर पुरुष स्वयं को महिला घोषित करके क़ब्ज़ा कर लेंगे।
महिलाओ
के छात्रावास में पुरुष ख़ुद को महिला बताकर रहेंगे और बलात्कार आदि होने पर भी जेंडर फ्लूईडीटी बताकर ख़ुद को बचने का भी रास्ता खोज लेंगे।

चीफ़ जस्टिस द्वारा पश्चिम की नक़ल करने की जो ललक है उससे पहले उन्हें इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि समाज के 001% लोगों को अधिकार देने के लिए
Read 7 tweets
Apr 22
अक्षय तृतीया।सत्-त्रेता के साथ साथ भगवान परशुराम के प्राकट्योत्सव का दिन। ऐसी तिथि जिसका क्षय नहीं होता और ऐसा ईश्वरीय अवतार परशुराम जिनके तेज का क्षय नहीं हो सकता।

प्रयास कर रहा हूँ कि प्रभु श्रीराम की दृष्टि से भृगुकुल तिलक भगवान परशुराम को देख सकें।
वे परशुराम जो तपवंत है👇
अन्याय, उच्छृंखलता, उद्दण्डता, अनीति, अत्याचार के विरुद्ध नीति, संस्कार, नियम, सनातन परंपरा एवं धर्मशील राजतंत्र की स्थापना के लिये वे अवतरित हुए।
ऐसे भगवान परशुराम की स्वयं त्रिकालभवंता श्रीराम स्तुति करते हैं रामचरितमानस के मर्मज्ञ संतों से मैंने सुना है कि मानस में कुल अट्ठाईस
स्तुति आई हैं। वस्तुतः स्तुति नहीं वरन अस्तुति ही की गई है (अस्तुति की चर्चा फिर कभी), किंतु प्रभु श्रीराम ने भगवान परशुराम की स्वयं स्तुति की है। प्रभु श्रीराम भगवान परशुराम से कहते हैं....
"देव एकु गुनु धनुष हमारें।
नव गुन परम पुनीत तुम्हारे।।
तथा
"विप्र वंश कै अस प्रभुताई
Read 5 tweets
Apr 22
यदि लैंगिकता के आधार पर स्त्री-पुरुष का निर्धारण नहीं होगा तो कितनी अव्यवस्था फैल जाएगी
इसका शायद अनुमान भी यह टिप्पणी करने वाले जजों को नहीं है
कल कोई पुरुष कहेगा कि
मैं ऐसा मानता हूंँ कि मैं स्त्री हूँ और मेट्रो ट्रेन में महिला डिब्बे में सवार हो जाएगा तो उसे किस कानून के तहत👇
रोकेंगे?
किसी ने कहा कि वह तो स्वयं स्त्री मानता है... कोर्ट उसे इस आधार पर छोड़ देगी कि 'यह स्त्री है', दूसरी स्त्री का बलात्कार नहीं कर सकती?
यदि कोई पति-पत्नी तलाक के लिए अदालत पहुंचे, पत्नी भरण-पोषण मांगा और पति ने कह दिया कि
'मैं तो स्वयं को स्त्री मानता हूँ।तो क्या होगा?
चूंकि स्वयं सुप्रीमकोर्ट कह चुका है कि लैंगिकता के आधार पर स्त्री-पुरुष का निर्धारण नहीं हो सकता, तो भला उस महिला को खुद को महिला मानने वाले पति से भरण-पोषण कैसे दिलाएगा?
यदि कोई पुरुष कहेगा कि 'मैं स्वयं को गर्भवती स्त्री मानता हूँ, इसलिए मुझे मातृत्व अवकाश दो, तो क्या उसे
Read 4 tweets
Apr 22
एक *चूहा*एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था।

एक दिन *चूहे* ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है।

उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक *चूहेदानी* थी।

ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर *कबूतर* को यह👇
बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है।

कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है?

निराश चूहा ये बात *मुर्गे* को बताने गया।

मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा जा भाई. ये मेरी समस्या नहीं है।

हताश चूहे ने बाड़े में जा कर *बकरे* को ये बात बताई और बकरा
हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।

उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई, जिस में एक ज़हरीला *साँप* फँस गया था।

अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया।

तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया हकीम ने उसे कबूतर* का सूप पिलाने
Read 6 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(