•रविवार को साप्ताहिक छुट्टी लागू👈
•महिला कर्मियो को वेतन सहित 6 महीने प्रसुती छुट्टी का प्रावधान👈
•काम के 12 घंटे से हटाकर 8 घंटे निश्चित किये👈
•काम के समय किसी तरह की दुर्घटना हो जाने की स्थिति मे मजदूर को सहवेतन छुट्टी का प्रावधान👈
•दुर्घटना के कारण किसी श्रमिक की
मृत्यू हो जाने की स्थिति मे उसके आश्रितो को पेंशन तथा वारिस को नोकरी का प्रावधान👈
•PF(प्रोविडेंट फंड) योजना लागू👈
•C.L(केजुअल लिव)/E.L/P.H.L योजना लागू👈
•वेतन आयोग लागू 👈
•भोजन अवकाश का प्रावधान👈
👉1 मई "अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस" के अवसर पर सभी मूलनिवासी बहुजनो को बहोत
*एक अनूठी पहल छत्रपति संभाजी नगर के बाबासाहेब के दीवानो ने करके दिखाई| अंतरिक्ष मे एक सितारे का नाम उनके नाम पर रखवा दिया और एक नया इतिहास लिखवा दिया| अक्सर नारो मे कहा जाता था कि जब तक सूरज चांद रहेगा, बाबासाहेब तेरा नाम रहेगा, इस नारे को साकार करने का काम किया गया है| बाबासाहेब
आंबेडकर की 132वीं जन्मजयंती की शाम यानी शुक्रवार को इसकी लॉन्चिंग हुई| एंड्रायड और ऐप्पल फोन से यूजर्स इस सितारे से जुड़े ऐप को डाउनलोड कर इसे देख सकते है|*
*कुछ इस तरह से चमका डाला, बाबासाहेब के नाम पर वो सितारा*
*बता दे कि अंतरिक्ष मे सितारो की रजिस्ट्री करने वाली संस्था
‘इंटरनेशनल स्टार एंड स्पेस रजिस्ट्री’ अमेरिका मे है| इसी संस्था की ओर से सितारो की किसी हस्ती के नाम से रजिस्ट्री की जाती है| फ्रांस मे भी ऐसी ही एक संस्था है| छत्रपति संभाजीनगर के महानगरपालिका की स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष राजू शिंदे ने पहले करते हुए 9फरवरी2023 को तय शुल्क भर
हनुमान - महाकपी जातक के बोधिसत्व की चोरी मात्र है|
हनुमान का रामायण से संदर्भ है| रामायण यह निर्विवाद रूप से दशरथ जातक की चोरी है| इस रामायण मे जो राम भक्त या रामसेवक पात्र है वह हनुमान है|
हनुमान के अनेक नाम है जैसे महावीर, महाकपि केसरीनंदन आदि
महाकपि माने विशाल वानर...
जातक कथाएं भारतीय संस्कृति का अविभाज्य हिस्सा है|
ऐसी मान्यता है की, बोधिसत्व बुद्धत्व की अवस्था को प्राप्त करने के पहले अनेक पारमिताओ को अलग अलग जन्म मे हासिल करते है| यह जन्म मनुष्य तथा अमानुष्य के भी होते है| इन जातको से नीतिमता और सदाचार की शिक्षा मिलती है| जातक का गहरा असर
भारतीय ही नही बल्कि विदेशी संस्कृति को भी प्रभावित करती है|
जातक बुद्ध पूर्व साहित्य का संग्रह है| अपितु रामायण, महाभारत आदि कथा बुद्ध के बाद के साहित्य है|
इस सभी साहित्य मे आए अनेक पाए जाने वाली नैतिकता वास्तव मे जातको से प्रभावित है|
महाकपि जातक मे बोधिसत्व एक वानरो के मुखिया
*#अवलोकितेश्वर, बुद्ध और तारा के शिल्प से प्रेरित है लक्ष्मण, राम और सीता के चित्र|*
*#बुदुरुवगला बौद्ध विहार जो आज #श्रीलंका का प्राचीन विहार है| यह विहार महायानी बुद्धिजम से प्रेरित है|*
*यहा बोधिसत्व की लागभग 7 मूर्तीया है| यह मूर्तीया साधारणतः 9-10 शताब्दी मे बनाई गई है|*
*इन, मूर्तियो मे एक खास मूर्ति है, जो बुद्ध, बोधिसत्व अवलोकितेश्वर और बोधिसत्व तारा की है|*
*इस शिल्प के मध्यमे बुद्ध खड़े है उनके दाएं बाजू मे बोधिसत्व तारा तथा बाये ओर अवलोकितेश्वर है|*
*भारत मे ब्राह्मणो द्वारा राम , लक्ष्मण और सीता इन पात्रो को रामायण मे रेखांकित किया गया|
इन पात्रो की अनेक चित्र भी आधुनिक काल मे बनाई गई|*
*वास्तविकता मे राम, लक्ष्मण और सीता काल्पनिक पात्र है, उन्हे चित्रित करना संभव नही था, इसलिए बुद्ध, अवलोकितेश्वर और तारा के इस शिल्प का उपयोग राम, लक्षण और सीता के रुप मे किया गया| रामायण वास्तव मे जातक कथाओकी चोरी मात्र है|*
*सम्राट असोक की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित करने वाले भारत के पहले और अब तक के आखिरी मुख्यमंत्री माननीय श्री नीतीश कुमार है|*
*मुख्यमंत्री ने जब चैत शुक्ल अष्टमी को सम्राट असोक की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित किया, तब तूफान खड़ा हो गया कि अशोक की जन्म - तिथि इतिहासकारो को नही पता
तो मुख्यमंत्री कैसे जान गए?*
*दरअसल जो सम्राट असोक का आदर्श जिया है, वो जानेगा कि उनकी जन्म - तिथि कब है?*
*कंबोडिया के राजा जयवर्मन सप्तम ने सम्राट असोक के आदर्शों को अपने जीवन मे उतारा था| बौद्ध धम्म के प्रचार हेतु उन्होने भी अपने बेटे को असोक की भाँति श्रीलंका भेजा था|*
*राजा जयवर्मन सप्तम को कंबोडिया का सम्राट असोक कहा जाता है|*
*राजा जयवर्मन सप्तम चैत शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक जो उत्सव समारोह मनाते थे, वह सम्राट असोक का जन्मोत्सव समारोह ही था|*
fb.watch/jrUf_GBsP1/?mi… जजो की भर्ती पर बड़ा खुलासा/संसद मे कानून मंत्री ने खोले राज/कोलेजियम की वजह से बहुजनो की हकमारी/SC-ST-OBC को नही बनने दिया जा रहा जज/SHAMBHU ON JUDGE EXAM AND HC-SC
ब्राह्मणो के धर्म शास्त्रो मे एक प्रसंग आता है कि द्रोणाचार्य नामक ब्राह्मण ने एक
प्रतिभासंपन्न--एकलव्य (आदिवासी व्यक्ति) का अँगूठा काटा था|
गुरु दक्षिणा के नाम पर भोले भाले ईमानदार आदिवासी का|
21 वी सदी मे भी द्रोणाचार्य के वंशज आदिवासियो के साथ वही इतिहास दोहरा रहे है|
क्या आदिवासी समुदाय के बुद्धिजीवियो को अपने समुदाय पर हो रहे अन्याय व अत्याचारो को जड़ से
💐 *बाबासाहब अम्बेडकर के आंदोलन को , बाबासाहब का महापरिनिर्वाण होने के बाद ब्राह्मणो के द्वारा बाबासाहब के आंदोलन से जुड़े हुए लोगो को साम, दाम, दंड और भेद की नीतियां अपना कर खत्म कर दिया था,*
*👍 उसे फिर से पुनर्जीवित करने के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान करने वाले महापुरुष के
द्वारा कही गई बातो पर बुद्धिजीवियो को थोड़ा चिंतन करके,*
*👍 अपने अन्दर समझ का विकास करके, उन पर अमल करना चाहिए|*
😢 *नोट:- महापुरुषो की जय जयकार करने से एवम महापुरुषो के त्याग, कुर्बानी एवम संघर्ष के बारे मे बड़े बड़े मंचो पर लक्छेदार एवम जोशीला भाषण देने की बजाय, महापुरुषो के
त्याग, कुर्बानी एवम संघर्ष के इतिहास से प्रेरणा लेकर, अमल (अनुसरण ) करने की जरूरत है|*
👌 *तथा महापुरुषो के नाम पर, जातियो के नाम पर चल रहे समस्त संगठनो को मिलजुलकर संगठित शक्ति का निर्माण करना चाहिए|*