अवनी सीधे कमरे में आकर बिस्तर पर लेट जाती है और प्रींस के जवाबों का हल ढूंढने की कोशिश करती है वो हैरान ही नहीं बल्कि आश्चर्यचकित थी कि कैसे प्रिंस ने इतनी बड़ी बात कह दी वो भी बहुत ही सहज और आसानी से।
अवनी को मालकिन बहुत डांट चुकी थी और
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आखरी चेतावनी भी दे चुकी थी की वो काम में ध्यान दे वरना अंजाम बुरा होगा मगर कमबख़्त को अंजाम की कोई फ़िक्र नहीं थी, लगभग छे महीने से लगातार हर दिन बार बार खुद को बेचती आई थी क्योंकि उसका बाजार ही कुछ ऐसा था की जहां उसे हर रोज हर घंटे में अलग अलग लोगों के बीच में खुद को नुचवाना
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होता था।
ऐसा नहीं की वो भाग नहीं सकती थी मगर भागे भी तो किसके लिए।
कौन थामेगा एक धंधे वाली का हांथ।? #Girlfriend को सब छूना चाहते हैं मगर पत्नी सबको अनछुई चाहिए।
भाग भी गयी तो कोई दूसरा बेच देगा एक नई जगह
भले वहां लोग अलग होंगे मगर सोच सबकी वही होगी कपड़े उतारना,
पता नहीं पागल
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प्रिंस के मन में क्या है वो नही जानती थी मगर उसके कहे शब्दों में एक नई जिंदगी शुरू करने की किरण जरूर थी।
अंजाम जो भी हो अवनी ने फैसला कर लिया था की पहले वो इस गंदे बाजर से जरुर निकलेगी।
अगले दिन प्रिंस आ जाता है लेकिन अवनी थोड़ी नाराज होकर कहती हैं
प्रिंस बाबू जब आप किसी की
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जिंदगी में उम्मीद जगाते हैं तो आने में देर मत किजिएगा
वरना कहीं ऐसा ना इंतजार जान ही ले ले।
प्रिंस खामोश रहता है कुछ कहता नहीं बस चुपचाप स्टूल पर बैठ जाता है,
अवनी कहती है आपको तो पता है प्रिंस बाबू कि मैं एक धंधे वाली हूं मुझे कौन अपनाएगा, क्या आपके घर के दरवाजे मेरे लिए
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खुले हैं? मगर क्या आपके मम्मी पापा आपका समाज आपके अपने मुझे स्वीकार करेंगे?
प्रिंस कहता है आप इतनी लंबा मत सोचो पागल, बस इतना कहो क्या आप चलोगी मेरे साथ?
अवनी कहती है आपने तो यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि मैं यहां इस दलदल में कैसे पहुंची इसके जिम्मेदार कौन है किसने मुझे
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मजबूर किया धंधे वाली बनने में यह सब आप जाने बिना मेरा अतीत जो पिछले 6 महीने से मेरे साथ कलंक बनकर सटी है उसके बारे में मैं आपको कुछ बताना चाहती हूं फिर आप फैसला कीजिए आपको क्या करना है
प्रिंस-अरे पागल मैं आपके अतीत को जानकर क्या करूंगा आप चाहती हो कि मैं आपसे सहानुभूति रखूं?
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पता है पागल यह जो #सहानुभूति नाम का शब्द होता है ना यह सभी कहते हैं बहुत अच्छा शब्द है पर मैं कहता हूं यह सब सबसे बेकार शब्द है इस सहानुभूति का हर कोई फायदा उठाना चाहता है आप फैसला करो कि आपको मेरी सहानुभूति चाहिए या मेरा साथ,
अवनी कहती हैं नहीं प्रिंस बाबू मैं कुछ फैसला ही
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नहीं कर पा रही हूं, आपके साथ जाऊं या मैं यहां रहूं मेरे लिए कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मैंने सिर्फ अपनी रूह को बचाया है बाकी मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है , अगर कोई दोबारा मेरे शरीर को नोचता है तो मुझे कोई हैरानी नहीं होगी,
हां आप नोचते हैं तो फिर थोड़ी हैरानी जरूर होगी,
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आपने 2 दिन हजार रुपए सिर्फ मेरा हाल चाल पूछने में बिता दी है
अब हमे सहानुभूति ही तो दे रहे हैं और मुझे अब सहानुभूति नहीं चाहिए मुझे किसी का मजबूत सहारा चाहिए ताकि जब मैं आखरी सांस लूं तो मेरी आखिरी सांस उसकी गोद में टूटे
प्रिंस- मैंने पहले ही बोल दिया है कि मुझे सहानुभूति शब्द
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से चिढ़ है
अगर आप यहां खुश हो तो आप यहां शौक से रह सकती हो अगर खुश नहीं हो तो फिर इतने सवाल क्यों? मैंने हाथ बढ़ा दिया है अब आप चाहो तो थाम सकती हो वरना आप आपकी मर्जी आपको जो अच्छा लगे वही कीजिए
अवनी- लेकिन मैं आप पर कैसे भरोसा करूं प्रिंस बाबू, क्योंकि मैंने तो आपकी मोहब्बत
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ठुकराई है,आपको कॉलेज से बाहर निकलवाने की सबसे बड़ी वजह बनी जब मैंने आपके साथ इतना बुरा किया है तो फिर मैं कैसे मान लूं कि आप मेरा साथ दोगे?
प्रिंस कहता है देखो चश्मिश मैं बहस में पड़ना नहीं चाहता, मैं यह भी नहीं कहता कि चलो मेरे साथ,
आपको मैं ये भी नहीं कहता की वो सब दूंगा
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जो आप चाहती हो
मैंने तो बस इतना ही कहा है गर खुश नहीं हो तू मेरा हाथ थाम सकती हो
अगर खुश हो तो आपका ये बाजार आपको मुबारक हो मैं बस इतना ही सकता हूं
चलो मान लिजिए मैं आपके साथ बुरा करूंगा लेकिन अभी आप जिस बाजार में हो वह बाजार तो शायद मेरे बुरा करने से भी ज्यादा बुरा है ना?
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मैं कशमे वादे नहीं करूंगा हां एक वादा जरूर करता हूं आपको यहां से ले जाने के बाद मैं दो रास्ते आपके सामने रख दूंगा फिर आप सोचिए किसको चुनना है
पहला रास्ता जो मेरे घर के अंदर तक जाता है और दूसरा आपके खुद के चुने हुए रास्ते होंगे।
लेकिन मेरा पहला मकसद है आपको इस गंदी दलदल से बाहर
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निकालना
अगर आप मानती हो कि आप यहां बहुत खुश हैं तो मैं यहां से जा रहा हूं दोबारा वापस नहीं आऊंगा
ये मत सोचिये की कल आपके साथ क्या होगा,
क्योंकि आपने भी सोचा कभी नहीं था कि आपके साथ इतनी बड़ी दुर्घटना हो जाएगी
कल के बारे में कल को ही सोचने दीजिए कि कल क्या होगा
आज हमारा है तो
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चलिए आज का ही सोचे क्या करना है आपके सवालों का जवाब वक्त आने पर आपको खुद ब खुद मिल जाएंगे
अचानक अवनी कहती है ठीक है मैं तैयार हूं यहां से जाने के लिए लेकिन यह तो बताओ तुम मुझे यहां से कैसे ले जा सकते हो हर जगह पहरा है बाहर तक पहरा है
प्रिंस- सवाल पहरे का नहीं आपके हां या
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ना का है,
अगर हां है तो वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए।
अवनी कहती है हां मैं तैयार हूं।
प्रिंस- अपनी जगह से खड़ा होकर कहता है मैं अभी जा रहा हूं मैं कल आऊंगा और आपको यहां से ले जाऊंगा बस आप निश्चिंत होकर रहीये मैं कल आ रहा हूं कहकर निकल जाता है
इधर अवनी को गंदी दलदल से बाहर निकलने
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की खुशी तो बहुत होती है लेकिन एक डर भी था अगर पकड़ी गई तो बेहद जुल्म ढाया जायेगा हो सकता है मेरी वजह से वह मासूम पागल भी मुश्किल में ना आ जाये लेकिन प्रिंस की आंखों में जो भरोसा जो विश्वास अवनी ने देखा था और समझ गई थी की कल का सूरज जो निकलेगा वो मेरे जिंदगी में एक नया सबेरा
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लाने वाला है,
प्रिंस के जाने के बाद अवनी अचानक उठकर मालकिन के पास जाकर कहती है कि पेट में दर्द बहुत है इसलिए कल शाम तक मैं किसी ग्राहक के पास नहीं जा सकती उसके बाद भी अगर पेट दर्द ठीक नहीं हुआ तो मैं जबरदस्ती ही ग्राहक के पास चली जाऊंगी, अब अगर आपको भरोसा नहीं है तो मैं सजा
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के लिए तैयार हूं।
मालकिन कुछ देर सोचने के बाद एक आदमी को आवाज लगाकर बोलती है इस चश्मिश के लिए पेट दर्द की कुछ दबाई लाकर दे, वो आदमी मालकिन का खास आदमी था जिसका काम था लड़कियों की निगरानी करना
फिर मालकीन अवनी की तरफ मुड़कर कहती है ठीक है जा और वो दबाई वक्त पर खा लेना मगर कल
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शाम से तेरी कोई बहाना नहीं चलेगा।
अवनी बहुत खुश हो जाती है,
अवनी ने अपना नाम वहां चश्मिश रखा था, उसका असली नाम अवनी है कोई नहीं जानता था।
अब अवनी को कल का इंतजार था,
दिल में एक खौफ और खुशी थी लेकिन अब अवनी खुद को तैयार कर चुकी थी हर परिस्थिति से निपटने के लिए।
अगले दिन शाम हो
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चली थी, अवनी का दिल अब कांपने लगा था, डर इतना बैठ गया था की वो बाहर सिढीयो में बैठने तक नहीं गई थी।
अवनी जानती थी की प्रिंस आयेगा तो सीधे उसके पास कमरे में ही आयेगा।
प्रिंस सिढीयां चढता है तो लड़कीयां कहती है अरे ये तो चश्मिश की अमानत है ये हमारे साथ मुफ्त में भी नहीं चलेगा,
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प्रिंस मुस्कुराते हुए अंदर चला आता है तभी उसके पीछे पीछे आ रहे एक सरदार पर सभी लड़कियां टूट पड़ती हैं,
लेकिन सरदार मुस्कुरा कर कहता है अरे अरे अरे छोड़ो मुझे
मुझे अंदर आपके मालकिन से काम है फिर वह काम निपटा लूं फिर तुम्हारे बीच में आऊंगा जिसको मेरे साथ जाना है चलना मैं
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तैयार हूं 10 मिनट रुको
फिर सरदार भी बहाने बनाकर अंदर चला आता है,
प्रिंस अंदर आकर जल्दी से सरदार को खींच कर अवनी के कमरे में लाकर जल्दी से कमरा बंद कर देता है
अवनी अचानक सरदार और प्रिंस को एक साथ अपने कमरे में देखकर डर जाती है, इससे पहले अवनी कुछ बोलती अचानक प्रिंस अवनी का मुंह
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दोनों हाथों से पकड़ कर मुंह बंद करते हुए कहता है चल सतनाम जल्दी से शुरू हो जा अपने पास टाइम बहुत कम है
तभी सरदार कहता है लो जी प्रा, काम अभी शुरू कर दिंदा मैं कहकर सरदार अपने साथ लाये पोटली से कुछ निकालने लगता है और इधर अवनी डर से कांपने लगती है, वो चिल्लाना चाहती थी
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मगर प्रिंस ने बड़ी मजबूती से अवनी को पकड़ रखा था।
अब अवनी पूरी तरह प्रिंस के बिछाये जाल में फंस चुकी थी.......
एक आश्चर्यजनक रीति चल पड़ी है, बुजुर्ग बीमार हुए, एम्बुलेंस बुलाओ, जेब के अनुसार 3 स्टार या 5 स्टार अस्पताल ले जाओ, ICU में भर्ती करो और फिर जैसा जैसा डाक्टर कहता जाए, मानते जाओ।
और अस्पताल के हर डाक्टर, कर्मचारी के सामने आप कहते है कि "पैसे की
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चिंता मत करिए, बस इनको ठीक कर दीजिए"
और डाक्टर एवम अस्पताल कर्मचारी लगे हाथ आपके मेडिकल ज्ञान को भी परख लेते है और फिर आपके भावनात्मक रुख को देखते हुए खेल आरम्भ होता है..
कई तरह की जांचे होने लगती हैं, फिर रोज रोज नई नई दवाइयां दी जाती है, रोग के नए नए नाम बताये जाते हैं और
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आप सोचते है कि बहुत अच्छा इलाज हो रहा है।
80 साल के बुजुर्ग के हाथों में सुइयां घुसी रहती है, बेचारे करवट तक नही ले पाते। ICU में मरीज के पास कोई रुक नही सकता या बार बार मिल नही सकते। भिन्न नई नई दवाइयों के परीक्षण की प्रयोगशाला बन जाता है 80 वर्षीय शरीर।
#पिछले बार के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सत्ता में आना तय था बीजेपी लगातार सत्ता में थी,कई मुख्यमंत्री बदले, एंटी इनकंबेंसी बहुत थी, अंदर की बात में बता रहा हूं कि खुद बीजेपी मान चुकी थी कि इस बार वह उत्तराखंड में सत्ता में नहीं आएगी.
तभी अचानक कांग्रेस का
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घोषणापत्र सामने आता है और कांग्रेस वायदा करती है कि यदि उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता में आई तब वह हरिद्वार में एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाएगी और कांग्रेस के कई नेताओं ने भी मंच से ऐलान किया कि जब कांग्रेस सत्ता में आएगी तब वह हरिद्वार में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाएगी.
हरिद्वार
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हिंदुओं का सबसे पवित्र जगह है यहीं पर विष्णु भगवान के पैरों के निशान हरि की पैड़ी है कई आश्रम है ऐतिहासिक मंदिर है.हिंदू पूरी दुनिया से अपने पुरखों के अस्थियों को यहां विसर्जित करने आते हैं अब हिंदुओं के ऐसे पवित्र जगह पर मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा करना कांग्रेश के लिए
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औड़िहार : इतिहास का अति महत्वपूर्ण स्थल
वाराणसी से गोरखपुर सड़क के रास्ते या रेल के रास्ते जाते समय वाराणसी से करीब 30 किलोमीटर पहले स्थित औड़िहार जंक्शन पर लगभग हर ट्रेन और बस ठहरती है। जहां की पकौड़ी आजकल बहुत प्रसिद्ध है। भारतीय इतिहास के वीर प्रवाह को समझने के लिए यह स्थान
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बेहद महत्वपूर्ण है। बिल्कुल गंगा के किनारे बसा यह छोटा सा गांव मध्य एशिया के बर्बर हूणों के समूल विनाश का साक्षी है। गंगा की कलकल धारा के किनारे सदियों पहले यह वीरान गांव आज भी आबादी के लिहाज से बहुत ही छोटा है, किन्तु यहां के क्षत्रियों समेत चारों वर्णों की कीर्ति पताका
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पूर्वांचल के इलाके में सबसे अधिक चर्चित रहती है। पता नहीं कि यहां बसी आबादी के लोग ये जानते हैं कि नहीं कि उनके गांव का नाम औड़िहार क्यों पड़ा ? इतिहास के मौजूदा साक्ष्य जो यहां के सैदपुर से लेकर औड़िहार तक के क्षेत्र में यत्र तत्र बिखरे पड़े है, और औड़िहार के पास सैदपुर-भितरी
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बर्बरीक : बर्बरीक दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। बर्बरीक के लिए तीन बाण ही काफी थे जिसके बल पर वे कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे। युद्ध के मैदान में भीम पौत्र बर्बरीक दोनों खेमों के मध्य बिन्दु एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और यह घोषणा कर डाली कि
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मैं उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो हार रहा होगा। बर्बरीक की इस घोषणा से कृष्ण चिंतित हो गए।
भीम के पौत्र बर्बरीक के समक्ष जब अर्जुन तथा भगवान श्रीकृष्ण उसकी वीरता का चमत्कार देखने के लिए उपस्थित हुए तब बर्बरीक ने अपनी वीरता का छोटा-सा नमूना मात्र ही दिखाया। कृष्ण ने कहा कि यह जो
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वृक्ष है इसके सारे पत्तों को एक ही तीर से छेद दो तो मैं मान जाऊंगा। बर्बरीक ने आज्ञा लेकर तीर को वृक्ष की ओर छोड़ दिया।
जब तीर एक-एक कर सारे पत्तों को छेदता जा रहा था उसी दौरान एक पत्ता टूटकर नीचे गिर पड़ा।कृष्ण ने उस पत्ते पर यह सोचकर पैर रखकर उसे छुपा लिया की यह छेद होने से
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इधर प्रिंस अवनी-का मुंह बंद किए सतनाम से कहता है कि जल्दी कर यार टाईम कम है और इधर अवनी डर के मारे चिल्लाना चाहती है क्योंकि अवनी को पता ही नहीं की उसके साथ क्या हो रहा है तभी सतपाल अपनी पोटली से कुछ सामान निकाल कर वह अवनी से कहता है डर
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मत बहना मैं तेरा भाई हूं यहां से तुझे ले जाने आया हूं बोलते हुए आगे बढ़ता है,प्रिंस जैसे ही अवनी का मुंह छोड़ता है सतपाल दोनों हाथों को जोड़कर न चिल्लाने की विनती करता है,
और प्रिंस की तरफ देखकर कहता है यार इतनी जोर से नहीं पकड़नी चाहिए था देख मुंह लाल हो गई है मेरी बहना की,
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इधर अवनी चुप तो गई मगर कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें
की तभी सतपाल कहता है, मैं अपनी बहना को सरदार बना रहा हूं कहकर बैग से पगड़ी दाड़ी मूंछ और निकाल कर प्रिंस से कहता है चलो प्रिंस तुम कपड़े दो,
प्रिंस जल्दी से बिस्तर की चादर खींच कर अपने जींस पैंट जैकेट खोलता है जहां
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अगर आपको कोई भी पंडित ज्योतिष बोलता है। कि आपके कुंडली में काल सर्प योग है। तो आप एक सधारण सा प्रयोग करें। और काल सर्प योग के दुष्प्रभाव को दुर कर सकते है।
आप सिर्फ अपने घर अथवा दुकान आँफिस में कही भी जहाँ भी पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति या तस्वीर हो
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उसके सामने भगवान को याद करते हुए उनके साथ धृणेन्द्र पद्मावती का ध्यान करते हुए तीन बार रोज "उव्वसग्रहं स्तोत्र " का जाप सिर्फ तीन बार करके आप अपने जीवन मे काल सर्प दोष को अपने आप खत्म कर सकते है। और इसका प्रभाव आपको हाथों-हाथ देखने को मिलेगा।
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अर्थ : प्रगाढ़ कर्म – समूह से सर्वथा मुक्त, विषध्रो के विष को नाश करने वाले, मंगल और कल्याण के आवास तथा उपविषयों को हरनेवाले भगवन पारशवनाथ के में वंदना करता हूँ !
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