#टूलकिटवालेआंदोलन#MustRead
सन 2011 में
अन्ना आंदोलन हुआ था,बढ़ चढ़ कर उस आंदोलन को जनसमर्थन मिला था,सोचा था सबने इससे बड़ा बदलाव आएगा,एक आम आदमी का आंदोलन है इस नारे से इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी,देश के दिग्गज वकील @pbhushan1 (तब पता नहीं था कि महाधूर्त हैं)ने इस आंदोलन में
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सक्रिय भूमिका निभाई थी और इसी आंदोलन से जन्मी थी एक पार्टी,आम आदमी पार्टी और आज उस आम आदमी पार्टी के हवाई चप्पल पहनने वाले,बिना इस्त्री की कमीज़ पहनने वाले,मारुति वैगनार से चलने वाले कट्टर ईमानदार नेता @ArvindKejriwal के कई सहयोगी मंत्री भ्रटाचार के आरोप में जेल में हैं,और अब
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सामान्य से कट्टर ईमानदार के घर में 45 लाख के आठ परदे लगे हुए हैं,रेनोवेशन कॉस्ट 45 करोड़ है,इंडिया अगेंस्ट करप्शन के नाम से चलाई जाने वाली संस्था के ब्रांड एंबेसडर,
अब करेपशन के ब्रांड एंबेसडर बन गए हैं।
ये पहला आंदोलन था इस पीढ़ी के समक्ष जिसमें आंदोलनजीवियों का उद्देश्य कुछ
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और था,और दिखाया कुछ और गया,तब सोशल मीडिया इतना प्रभावशाली भी नहीं था, जनता इतनी जागरूक भी नहीं थी,और भारत की जनता को भूलने की आदत,
तब समाप्त भी नहीं हुई थी
ताजा जंतर मंतर का आंदोलन भी टूलकिट वाले आंदोलनों की सूची में एक और आंदोलन जैसा ही प्रतीत हो रहा है,कट्टर ईमानदार और सत्ता
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में रहने वाले आंदोलनकारी आम आदमी अरविंद केजरीवाल भी इस आंदोलन में पहुंच चुके हैं,बाकी आप समझदार हैं,और जो समझ कर नासमझी का ढोंग कर रहे हैं,वो करते रहें,कट्टर ईमानदार की पार्टी में आप जैसे कलाकारों की बेहद आवश्यकता है।
मित्रों,जैसा आप सबको ज्ञात है,इंटरनेशनल लेवल की 1000 से भी
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अधिक भारतीय महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण करने का बेहद गंभीर आरोप,66 वर्षीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर लगाया जा रहा है,जिसके चलते एक और शाहीन बाग़,एक और किसान आंदोलन टाइप टूलकिट वाला आंदोलन हम,दिल्ली के जंतर मंतर पर बनते हुए देख रहे हैं
ध्यान रहे,शाहीन बाग़ और
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किसान आंदोलन की भांति ये भी जॉर्ज सोरोस की संस्था द्वारा फंडेंड है,पैटर्न वही है,लोग वही हैं,मुद्दा अलग है,नारे वही हैं,
परंतु लक्ष्य वही है..
"मोदी @narendramodi हटाओ देश बचाओ.."
"मोदी तेरी कबर खुदेगी,आज नहीं तो कल खुदेगी.."
"योगी @myogiadityanath हटाओ उत्तर प्रदेश बचाओ.."
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"सनातन धर्म का अपमान करो.."
"राहुल @RahulGandhi /प्रियंका @priyankagandhi को प्रधानमंत्रीबनाओ.."
सच क्या है,ये पुलिस जांच के बाद स्पष्ट हो ही जाएगा..
इस प्रायोजित आंदोलन में पूर्व किसान आंदोलन से जन्मे राकेश टिकैत भी पहुंच चुके हैं,और पाकिस्तान प्रेमी नवजोत सिंह सिद्धू भी,
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युवा नेता राहुल गांधी के आंदोलन स्थल पर अपनी सिक्स पैक एब्स में पहलवानों को पटखनी देने की तस्वीरों की मुझे प्रतीक्षा है,जिसे आमिर ख़ान के
दंगल वाले स्टंट डायरेक्टर डायरेक्ट करेंगे
66 वर्षीय बृजभूषण शरण सिंह पर जीवन पर्यंत कई आरोप लगे हैं,और वो स्वयं मानते हैं,कि वो बाहुबली हैं
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जैसे राजा भईया हैं,पर यौन शोषण जैसा कृत्य वो नहीं कर सकते,अगर साबित हुआ तो
वो स्वयं कोगोली मार लेंगे।
साबित हुआ,तो हम सब जो समर्थन कर रहे हैं
वो भी उनका खुल कर विरोध करेंगे और करना भी चाहिए,दोषी का साथ देना हमारा सनातन धर्म नहीं सिखाता,अन्य पंथों में
अवश्य,आतंकवादियों,माफियाओं
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और बलात्कारियों को नायक और मसीहा घोषित किया जाता है,पर सनातन धर्म में ऐसे दोषियों का कोई स्थान नहीं होता।
किंतु तथ्यों का बिना अध्ययन करे,
किसी भी निर्णय पर पहुंचना जल्दीबाज़ी होगी और जल्दीबाज़ी अधिकतर महंगी ही पड़ती है।
मित्रों मेरे लिए,इस आंदोलन की विश्वसनीयता तब समाप्त होने
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लगी,जब इसके सपोर्ट में सी ग्रेड बॉलीवुड की सी ग्रेड साइड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर @ReallySwara ने सपोर्ट में वीडियो ट्वीट किया,वो इतनी गिरी हुई जीव हैं,कि वो जिस आंदोलन से जुड़ जाएं, वो आंदोलन अपना महत्व खो देता है।
यही हाल चीनी एजेंट आमिर ख़ान(जिसने इन फोगाट @Phogat_Vinesh बहनों
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के जीवन पर दंगल फिल्म बनाई थी) की घनिष्ट मित्र समाजसेवी(नक्सली/कनवर्जन माफिया) मेधा पाटकर और बड़ी बिंदी वाली वामपंथी वृंदा करात समूह का है
पॉक्सो एक्ट में दोषी पाए गए अजीत अंजुम @ajitanjum जैसे पूर्व दरबारी पत्रकार और वर्तमान में यूट्यूबर पत्रकार को जब फोगाट बहनें कहती हैं कि"
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वो उनकी फैन हैं,और वो पीड़ित लोगों की आवाज़ बनते हैं,"तो हंसी ही आती है,और कुछ नहीं।
सबसे ज़्यादा शक तब होता है,जब कांग्रेस द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से समनन्नित एक और एक्स पत्रकार से यूट्यूबर बनी,बरखा दत्त @BDUTT ने इन पहलवान बहनों का इंटरव्यू लिया,जिसमें उन्होंने बोलते बोलते
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ये बोल दिया कि 66 वर्षीय ब्रिजभूषण शरण सिंह ने "1000 से ज़्यादा महिला पहलवानों का यौन शोषण किया है"
सामान्य लोगों के मन में पहला प्रश्न ये आता है,क्या ये शारीरिक रूप से संभव है?दूसरा प्रश्न ये आता है,क्यों 1000 में से एक भी महिला पहलवान ने पटखनी देकर,बृजभूषण शरण सिंह की गर्दन
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नहीं मरोड़ दी?तीसरा प्रश्न ये कि ये 1000 से अधिक महिला पहलवान खिलाड़ी कहां हैं?
तीनों प्रश्न सामान्य खेल प्रेमियों द्वारा इसलिए पूछे जा रहे हैं क्योंकि महिला पहलवान जो विदेशी महिला पहलवानों को पटखनी दे देती हैं,वो भारत के सामान्य पुरषों को भी धूल चटा सकती हैं,उन्हें उनकी
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मर्ज़ी के विरुद्ध कोई 66 वर्षीय अधेड़ छू भी नहीं सकता.
इस मामले में सपोर्ट करने उतरे,कई क्रिकेट खिलाड़ी भी हैं,जिसमें यो यो फिटनेस टेस्ट का विरोध करने वाले
हरभजन सिंह और वीरेंद्र सहवाग भी हैं,जो टीम में बने रहना चाहते थे,चाहे उनकी फिटनेस कैसी भी हो,परफॉर्मेंस कैसा भी हो,कोई शक
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नहीं,जब वो फिट थे तो उन्होंने भारत को बड़ी जीत दिलाई,पर एक समय बाद,उनकी गिरती फिटनेस और लगातार परफॉर्म न कर पाने के बाद भी,उन्हें उनके नाम के लिए टीम में रखा गया और जिसके चलते कई अच्छे क्रिकेट खिलाड़ियों का भारत के लिए खेलने का मौका उनसे छिन गया,ये ही बात कुश्ती में भी हो
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रही है,जब परफॉर्म न कर पाने वाले खिलाड़ियों को हटा कर,परफॉर्म करने वाले खिलाड़ियों को जगह देने की बात हो रही है..
भारत के लिए मेडल लाना जरूरी है..
भारत की विजय अधिक महत्वपूर्ण है
खिलाड़ी से बड़ा खेल है..
खिलाड़ी से बड़ा देश है
ये दोनों बातें भारत के लोग अक्सर भुला देते हैं और
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फिर उनके दबाव में उसी खिलाड़ी को बार बार मौका दिया जाता है,जिसका परफॉर्म करना अब संभव नहीं और उस एक के चलते हज़ारों अन्य योग्य खिलाड़ियों के हाथों से मौका छीन लिया जाता है,और वो गुमनामी के अंधेरों में अपना जीवन काटते हैं।
जो भारत के लिए मेडल ला सकते थे,उन्हें बस एक झूठी
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उम्मीद मिलती है,बार बार तिरस्कार मिलता है और जीवन खेल के लिए लगाने का घर वालों से ताना भी..
कितने ही ऐसे खिलाड़ियों ने आत्महत्या कर ली..
कितने नशे के आदी हो गए..
कितने अपराध की राह पर चले गए..
और कितने बस अब जैसे तैसे छोटा सा काम करके अपना बाकी जीवन काट रहे हैं..
मुझे आश्चचर्य
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नहीं होगा,अन्य क्रिकेट खिलाड़ियों की तरह अगर कल को क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर भी इनके सपोर्ट में उतर आएं क्योंकि फिटनेस और अंडर परफोर्मेंस के बाद भी सचिन कई बार टीम का हिस्सा बने रहे,खास बात ये है कि कांग्रेस द्वारा नवंबर 2013 में सचिन का नाम भारत रत्न के लिए यूपीए शासन
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काल में ही दिया गया था,प्रियंका,रॉबर्ट वाड्रा और राहुल का उनसे घनिष्ट सम्बन्ध रहा है,अब जब प्रियंका गांधी वाड्रा और रॉबर्ट वाड्रा जंतर मंतर पहुंच चुके हैं तो सचिन का पहुंचना इस आंदोलन का रुख मोड़ने में कांग्रेस के लिए सहायक सिद्ध होगा,सचिन का दोबारा मदर टेरेसा को अपना आदर्श
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बोलने वाला बयान भी जॉर्ज सोरोस को बहुत पसंद आया है।
कुछ लोग नीरज चोपड़ा के सपोर्ट के आते ही इस मामले में फोगाट बहनों के समर्थन में आ गए हैं,इसमें अधिकतर वो जीव हैं,जिनके लिए नीरज क्रश है,नैशनल हीरो वो है हीं,उसमें कोई डाउट नहीं।
पर ये क्रश वाला नशा कुछ और ही होता है,वो मल
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निष्पादन करे तो उसे स्वर्ण भस्म कह सारे शरीर पर मल लेते हैं ये जीव,उन्हें अपने क्रश की कही हर गलत बात में तर्क ढूंढने की ललक होती है,भले ही वो तर्क के बदले कुतर्क ही क्यों न ढूंढ लाएं,वो उसी पर लड़ते हैं,झगड़ते हैं,ज़िद्द पर अड़े रहते हैं और तर्क और तथ्य रखने वालों को अपशब्द
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बोलना,बिना बात के बेइज्जती करके,अपनी ईगो को सैटिसफाई करने में लगे रहते हैं।
ऐसे एक जीव के बोलते ही अन्य जीव प्रतिस्पर्धा में उससे भी एक कदम आगे जा कर,अपने क्रश का अंध समर्थन करने में जुट जाते हैं,क्योंकि उन्हें ये दिखाना होता है कि वो और उनकी चाहत ज़्यादा बड़ी है।
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@Neeraj_chopra1 नीरज चोपड़ा इसलिए समर्थन में उतरे हैं,क्योंकि वो पूर्व में विनेश फोगाट @Phogat_Vinesh के अच्छे मित्र रह चुके हैं,ओलंपिक्स के दौरान मीडिया ने दोनों के संबंध की चर्चा के कयास लगाए अवश्य थे,पर दोनों की ओर से आधिकारिक बयान ये था कि दोनों बस अच्छे मित्र हैं,उससे
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अधिक कुछ नहीं।महाभारत में कर्ण ने जिस प्रकार दुर्योधन का साथ तब भी दिया था,जब उसे पता था,कि दुर्योधन गलत है,हो सकता है,वैसे ही नीरज भी विनेश फोगाट से अपनी मित्रता निभा रहे हों,बाकी सच क्या है,ये समय बताएगा,लेकिन जो जीव नीरज के बयान आते ही पाला बदल रहे हैं,वो ये जानने के
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इच्छुक ही नहीं कि नीरज ने ये बयान दिया क्यों और उसके कैसे दोस्ताना संबंध रहे हैं फोगाट परिवार से,और अगर आपने उन्हें ये सच बताया तो आपसे बड़ा कोई खलनायक उनके लिए होगा नहीं।
आपको कुंठित,जलनखोर,ईर्ष्यालु
जैसे टाइटल तुरंत दे दिए जाएंगे।
और आपकी बात को एक सिरे से तुरंत नकार दिया
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जाएगा।
मित्रों,कई लोगों का कहना है,इंटरनेशनल लेवल का खिलाड़ी नैशनल क्यों खेलेगा?विराट कोहली क्या हर बार रणजी खेलेंगे?
उनसे आपको सीधे प्रश्न पूछना चाहिए,क्या क्रिकेट ओलंपिक्स का हिस्सा है?
भारत में हर खेल से जुड़े मुद्दों में क्रिकेट को क्यों घुसाया जाता है?जिस देश में क्रिकेट
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खिलाड़ी लाखों करोड़ों में खेलते हैं,कई उत्पादों के ब्रांड एंबेसडर से लेकर अपना उत्पाद तक लॉन्च करते हैं,वो क्यों इन मामलों में घुस रहे हैं?
क्या अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ी क्रिकेट से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणी देते हैं?
उत्तर है नहीं,क्योंकि भारत में क्रिकेट में अंग्रेज़ों के
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खेल क्रिकेट को एक धर्म की संज्ञा दी गई है और क्रिकेटरों को भगवान की तरह पूजा जाता है,फिर चाहे विराट कोहली @imVkohli की पत्नी अनुष्का @AnushkaSharma पाताल लोक जैसी सिरीज़ बनाएं जिसमें हिंदू देवी देवताओं का एक तय एजेंडे के तहत अपमान किया जाए,आपको चुपचाप क्रिकेट के भगवानों
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द्वारा दिवाली पर पटाखे न बजाने और होली पर रंग न खेलने का ज्ञान ग्रहण करना होगा,क्योंकि वो क्रिकेटर हैं,तो उन्हें सब माफ़ है
आप प्रश्न पूछिए उन लोगों से जो बिना तथ्यों के इनके सपोर्ट में चले आए हैं,बस इसलिए क्योंकि उनके प्रिय खिलाड़ी ने इनका समर्थन कर दिया है,उनसे पूछिए क्या ये
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खिलाड़ी और इनके उद्योगपति मित्र कपिल सिब्बल @KapilSibal की हर हियरिंग की 50–50 लाख की फीस दे रहे हैं?
और अगर वो नहीं दे रहे तो कौन है जो इन कुश्ती खिलाड़ियों के वकील की महंगी फीस दे रहा है?
कौन लोग थे जी जो शाहीन बाग़ में मटन चिकन और बीफ बिरयानी बंटवा रहा था रोज़?
कौन लोग थे
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जो किसान आंदोलन में शराब और लार्ज साइज़ पिज़्ज़ा बंटवा रहे थे?
उनसे पूछना चाहिए,कि अगर नेशनल लेवल पर कोई खिलाड़ी विराट कोहली से अच्छी परफोर्मेंस दे रहा है तो क्या उस खिलाड़ी को इंटरनेशनल मैचों(वर्ल्ड कप सरीखे टूर्नामेंट)के लिए भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए?बस इसलिए कि
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उसके आने से विराट कोहली को बाहर बैठना पड़ेगा?
विराट कोहली का नाम मैं इस विवाद में नहीं लाया,लाए इन आंदोलनकारियों की स्वहित को राष्ट्रहित से ऊपर रखने वाले आंदोलनारियों के समर्थक,क्यों लाए विराट का नाम ये वो जानें..
तीसरी बात,कुश्ती एकल खिलाड़ी का खेल है और क्रिकेट एक टीम लेवल
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गेम है,कुश्ती में भारत ने कई मेडल जीते हैं,और अगले ओलंपिक्स से पहले भारत को ऐसे खिलाड़ी चाहिए जो मेडल ला सकें,अगर वो खिलाड़ी नेशनल लेवल पर ही हार जाएंगे तो इंटरनेशनल लेवल पर कैसे जीत पाएंगे?
हम एक खिलाड़ी को खेल से बड़ा बना देते हैं,और ये ही कारण है भारत की ओलंपिक्स में
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परफोर्मेस खराब होती है,हां ये एक कटु सत्य है जिसे लोग स्वीकार करने से पीछे हटेंगे क्योंकि अपनी प्रिय खिलाड़ी का मोह उक्त खेल और भारत के लिए जीते गए मेडल से अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
आपके फेवरेट खिलाड़ी पर लाखों करोड़ों खर्च होने के
बावजूद,वो हार रहा हो,तो क्या उसे टीम में
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रखना,
समझदारी है?ये प्रश्न स्वयं से पूछिएगा।
मित्रों, मैं मानता हूं,इन अनुभ्वशील खिलाड़ियों को एक सलाहकार के तौर,एक कोच के तौर पर टीम से जुड़े रहें,ताकि नए खिलाड़ियों को वो अपने अनुभव से कुछ सिखा सकें,पर उसी जगह पर बने रहने से,वो नए खिलाड़ियों और उस खेल के लिए रास्ते का रोड़ा
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बन रहे हैं और कुछ नहीं।
राजनैतिक समझ रखने वाली अधिकांश जनता को ज्ञात है कि ये मौसमी आंदोलन भी 2024 के चुनाव को देखते हुए रचा गया है,हां अगर ये सफ़ल हुआ तो इन खिलाड़ियों को फायदा होगा,पर खेल को और भारत को नुकसान होगा,
जैसे किसान आंदोलन के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ था,
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जिसका खामियाजा पंजाब के किसान झेल रहे हैं,साथ ही साथ भारत की छवि को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास हो रहा है।
अरफा खान्नुम @khanumarfa ,राणा आयूब @RanaAyyub ,मोहम्मद जुबैर ,करण थापर,विनोद कपरी @vinodkapri ,साक्षी जोशी @sakshijoshii ,अजीत अंजुम,पुण्य प्रसून वाजपेई @ppbajpai ,
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अभिसार शर्मा @abhisar_sharma ,बरखा दत्त और रवीश कुमार @ravishndtv जैसे जॉर्ज सोरोस द्वारा पोषित पत्रकार पूरी तरह अपने आका के इशारे पर चलते हैं,और विश्व पटल पर भारत की छवि खराब करने से पीछे कभी नहीं हटते।आप सबने इन सबकी की घृणित पत्रकारिता कोरोना काल के दौरान देख ही रखी है।
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शाहीन बाग़ और किसान आंदोलन के दौरान कैसे इन सबने मिलकर भारत विरोधी नैरेटिव रचा था ये आपको भली भांति स्मरण होगा,यहां भी ये यही करेंगे।
पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि हर चुनावी मौसम से विपक्ष के पास जब सब मुद्दे समाप्त होने लगते हैं तो वो ऐसे ही मुद्दों को जन्म देते हैं,
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जिनका वजूद है ही नहीं,कोई तथ्य नहीं,कोई तर्क नहीं,बस आरोप ही आरोप हैं।
विपक्ष को भारत के खिलाड़ियों से,महिला सम्मान से कोई मतलब नहीं,अगर होता तो प्रियंका गांधी वाड्रा जो लड़की हूं,लड़ सकती हूं का नारा देती रहती हैं,अपनी पार्टी की असम की यूथ कांग्रेस नेता अंगकिता दत्ता द्वारा
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राहुल गांधी के प्रिय युवा कांग्रेसी नेता बीवी श्रीनिवास @srinivasiyc पर लगे आरोपों की जांच करवाती,और अंगकिता दत्ता को पार्टी से निकालने के बदले, बीवी श्रीनिवास पर कार्यवाही के आदेश देती,पर उन्होंने ऐसा नहीं किया,वो उन्नाव तो दौड़ी दौड़ी पहुंच जाती हैं,पर राजस्थान में जब हिंदू
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लड़कियों का बलात्कार पर बलात्कार हो रहा है,कुएं में लड़कियों की लाश मिल रही है,तो प्रियंका गांधी वाड्रा जंतर मंतर में फोटोशूट करवाने में व्यस्त हैं।
पिछली बार इस प्रकार के टूलकिट वाले आंदोलन में ग्रेटा थर्नबर्ग @GretaThunberg ,रिहाना @rihanna और मिया खलीफा @miakhalifa थीं,
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हो सकता है इस बार कई और ऐसे ही विदेशी खिलाड़ी इसमें कूदें और इस मुद्दे को चुनाव से पहले वैश्विक पटल पर लाने का प्रयास कर चुनावों में भाजपा को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करें।
पर क्या वो सफ़ल होंगे?
ये तो भारत की जनता और समय ही बताएगा,पर एक बात है,इससे भारतीय जनता का टैक्स पेयर
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का पैसा अवश्य बर्बाद होगा,जो इन आंदोलनों की सुरक्षा में हर बार ज़ाया होता है,उसकी भरपाई भी होनी चाहिए ऐसे तथ्यहीन आंदोलनों को जन्म देने वाले आंदोलनजीवियों से,और मुझे विश्वास है,जिन योगी आदित्यनाथ जी का ये लोग अपने आंदोलन में पप्पू यादव जैसे पप्पू नेता द्वारा,अपमान करवाकर,ठहाके
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लगा रहे थे,वही योगी आदित्यनाथ महाराज जब प्रधानमंत्री बनेंगे तो दंगे से होने वाले नुकसान के साथ साथ,ऐसे आंदोलन से होने वाले नुकसान की भरपाई भी इन आंदोलन और टूलकिट जीवियों से वसूलेंगे,तब इनके असली आंसुओं से कमीजें भीगेंगी जिन्हें ये दिन भर निचोड़ते रहेंगे,
ये निश्चित है.!
जय हिंद🇮🇳
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अवनी सतपाल का फोन सुनने के बाद बहुत परेशान थी वो सोच ही नहीं पा रही थी की क्या करें या ना करे,
वो इस बात से बहुत परेशान थी की प्रिंस उसे बर्बाद करना चाहता है और इसी मकसद से वापस लाया था, अब ये कैसी बर्बादी है वो समझ नहीं पा रही थी।
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सतपाल प्रिंस का दोस्त था और प्रिंस ने ही सतपाल को बताया होगा की वो अवनि के साथ क्या करने वाला है।
अवनी सोच में डूबी थी की प्रिंस आकर कहता है
ओय पागल सिटी नहीं चलना है क्या?
लेकिन अवनी सिर दर्द का बहाना करके मना कर देती है, अब अवनी हर समय चौकस रहती थी प्रिंस से,और प्रिंस है की
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वो हमेशा अकेले में जाकर पहाड़ी पत्थर पर बैठ जाता था, अवनी प्रिंस को देखकर सोचती है कि जिस शख्स ने मुझे गंदी दुनिया से निकाला वही शख्स मुझे आखिर कैसे बर्बाद कर सकता है? ऐसे भी उस गंदगी में मैं बर्बाद तो थी, उससे ज्यादा बर्बादी एक लड़की के लिए क्या हो सकती है जहां रोज़ उसका
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जब तक #TheKerelaStory नही देखी तो देखने की जिज्ञासा जगी हुई थी,और जब देख ली तो अंदर तक हिलाकर रख दिया है,😡
द केरला स्टोरी का सबसे भयावह दृश्य कौनसा था?
गोलियों की बरसात.. धमाके, गला काटना, हाथ काटना, औरतों को जंजीरों में बांधकर बेचा जाना.... यह सब चल रहा था।
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मेरे लिए यह नॉर्मल था। आखिर इस्लामिक स्टेट में इससे अलग होना भी क्या था? मध्यकाल में भारत ने तो इससे भयंकर क्रूरताएँ झेली हैं।
लेकिन मेरा कलेजा मुँह को आ गया था.. जब मजहबी 'दोस्त' के बहकावे में कन्वर्ट हो चुकी लड़की प्रॉपर्टी हासिल करने के लिए हॉस्पिटल में मरणासन्न पड़े अपने
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पिता से मिलने जाती है और उनके चेहरे पर थूक देती है!
वह पिता जो शान से कॉमरेड हुआ करता था..लेकिन बेटी के कन्वर्ट होने पर जिसे हार्ट अटैक आ गया। क्यों? क्योंकि सच को सब जानते हैं और अपने फायदे के लिए दूसरे के बच्चों को मौत के मुँह में झोंक देते हैं लेकिन अपने बच्चे के साथ
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एक समय राधा रानी और सारी सखियाँ फूल चुनने कुसुम सरोवर पहुंची। राधा रानी और सारी सखियाँ फुल चुनने लगी और राधा रानी से बिछड़ गयी...
फूल चुनते समय राधा रानी की साड़ी कांटो में उलझ गई। इधर श्री कृष्ण को पता चला के राधा जी और
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सारी सखियाँ कुसुम सरोवर पे है...
कृष्ण माली का भेष बना कर सरोवर पे पहुँच गये और राधा रानी की साड़ी काँटो से निकाली और बोले हम वन माली है,इतने में सब सखियाँ आ गई..
माली रूप धारी कृष्ण बोले- हमारी अनुपस्थिति मे तुम सब ने ये बन ऊजाड़ दिया, इसी नोक झोक मे पुष्प पृथ्वी पे गिर गये..
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राधा रानी को इतने मे माली बने कृष्ण की वंशी दिख गई और राधा रानी बोली ये वन माली नही ये तो वनविहारी है...
राधा रानी बोली ये सारे पुष्प पृथ्वी पे गिर गये और इनपे मिट्टी लग गई,
श्री कृष्ण बोले मे इन्हें यमुना जल में धो के लाता हूँ...
राधा रानी बोली तब तक बहुत समय हो जायेगा, हमे
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#The_Kerala_Story
इस फिल्म के एक सीन में पीड़ित लड़की आखिर में अपने पिता से पूछती है - "आपने हमें कभी अपने कल्चर के बारे में क्यों नहीं बताया?"
शायद वो ये भी पूछी होगी - "आपने हमें क्यों नहीं बताया कि अपनी "हिंदुत्व आइडेंटिटी" को खोकर मैं क्या खो दूंगी?
प्रेमचंद की एक बड़ी
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मशहूर कहानी है '#जिहाद' उसमें एक हिन्दू लड़की है 'श्यामा'। जिसे शायद उसे उसके मां बाप ने इन प्रश्नों का उत्तर दिया होगा, उसे अपने "हिंदू कल्चर" के बारे में बताया होगा, उसे बताया होगा कि हिंदू का होना और बचना क्यूं जरूरी है तभी उसका उल्लेख आज करने की जरूरत आन पड़ी है।
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मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं इसको समझने के लिए आपको थोड़ा इस कहानी में उतरना होगा और मुझे उन पंक्तियों का अक्षरशः उल्लेख करना होगा जो उस युवती श्यामा ने हिन्दू धर्म छोड़ कर विधर्मी बने युवक धर्मदास से कही थी। ये वो धर्मदास था जो धनी भी था और सुदर्शन भी और जिस पर श्यामा कभी जान
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#मणिपुर हिंसा का पूरा सच.!!!
हर भारतीय सच्चाई जानिए..क्या कहानी है!
खासकर सभी दलित भाई और आदिवासियों को पढ़ना चाहिए
म्यांमार से जुड़ा अवैध प्रवासी मणिपुर के कुकी और नागा जनजाति से ताल्लुक रखते हैं कहा जा रहा है कि सरकार इन्हें सरकारी ज़मीन पर अफ़ीम की खेती करने से रोक रही है,
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पहला हिंसक विरोध प्रदर्शन 10 मार्च को हुआ था, जब कुकी गाँव से अवैध प्रवासियों को निकाला गया था!
पहाड़ी जिलों में नागा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है, हालिया हिंसा चुराचांदपुर पहाड़ी जिलों में ज्यादा देखी गई,यहां पर रहने वाले लोग कुकी और नागा ईसाई धर्म से हैं,बता दें कि चार
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पहाड़ी जिलों में कुकी जाति का प्रभुत्व है!
मणिपुर में 16 जिले हैं,राज्य की जमीन इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के तौर पर बंटी हुई है.इंफाल घाटी मैतेई बहुल हैं,मैतई जाति के लोग हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं,मैतेई (हिंदू आदिवासी) समुदाय को अनुसूचित जाति दर्जा दिए जाने की मांग के
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दोस्तों.... क्या आप सब जानते हैं कि क़भी क़भी कुछ कुकूर क्यों भोंकते भोंकते हमारी गाड़ियों के पीछे हमें काटने के लिए बहुत तेजी से दौड़ पड़ते हैं...अगर नहीं जानते तो चलिए आज इस बेहद गहरे राज का पर्दाफ़ाश करते हैं.......दरअसल इसके पीछे एक जबरदस्त कहानी जुड़ी हुई है जो
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कुछ इस प्रकार है.
एक बार एक बादशाह अपने सिपाहियों के साथ तालाब में नहाने के लिए गया ।
लेकिन वहां कुछ लोग पहले से नहा रहे थे ,
बादशाह की सवारी आते देख वो सभी झटपट तालाब से बाहर आ गए ,
लेकिन उस सभी लोगों में से वहाँ एक लड़की बादशाह को बहुत पसंद आ गई..!!
वो अपने महल
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वापस आ गया,
लेकिन बादशाह की नजरों के सामने बार-बार उस लड़की की ही सूरत धूमती नज़र आ रही थी,
उसका मन किसी भी काम में नही लग रहा था,
रात हुई.....
सारी रात बादशाह उस लड़की के बारे मे ही सोचता रहा,
सुबह उसने सिपाहियो को आदेश दिया...."जाओ पता लगाओ कि वो लड़की कहां रहती है",
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