जब तक #TheKerelaStory नही देखी तो देखने की जिज्ञासा जगी हुई थी,और जब देख ली तो अंदर तक हिलाकर रख दिया है,😡
द केरला स्टोरी का सबसे भयावह दृश्य कौनसा था?
गोलियों की बरसात.. धमाके, गला काटना, हाथ काटना, औरतों को जंजीरों में बांधकर बेचा जाना.... यह सब चल रहा था।
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मेरे लिए यह नॉर्मल था। आखिर इस्लामिक स्टेट में इससे अलग होना भी क्या था? मध्यकाल में भारत ने तो इससे भयंकर क्रूरताएँ झेली हैं।
लेकिन मेरा कलेजा मुँह को आ गया था.. जब मजहबी 'दोस्त' के बहकावे में कन्वर्ट हो चुकी लड़की प्रॉपर्टी हासिल करने के लिए हॉस्पिटल में मरणासन्न पड़े अपने
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पिता से मिलने जाती है और उनके चेहरे पर थूक देती है!
वह पिता जो शान से कॉमरेड हुआ करता था..लेकिन बेटी के कन्वर्ट होने पर जिसे हार्ट अटैक आ गया। क्यों? क्योंकि सच को सब जानते हैं और अपने फायदे के लिए दूसरे के बच्चों को मौत के मुँह में झोंक देते हैं लेकिन अपने बच्चे के साथ
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मजहब क्या करेगा यह उस बाप को भी पता था जिसके घर में मार्क्स, लेनिन,स्टॅलिन के बड़े-बड़े पोस्टर चिपके थे।
मैं रोया कब? अगेन... ब्लैकमेल, खून , बलात्कार, आतंकवाद.. जो अवश्यंभावी है उसे देखते हुए कलेजा कड़ा रहता है मेरा लेकिन इस सबसे पहले मेरे आँसू फूट पड़े थे.. जब स्क्रीन पर एक
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प्यारी सी, प्यार भरी बूढ़ी दादी आई थी। जब यह दादी अपनी चिड़िया जैसी मासूम पोती को हाथों से कौर खिला रही थी, उसे स्नेह से गोदी में सुला रही थी,मैं भीतर से फूट पड़ी थी कि इस प्यारी सी चिड़िया के पंख क्रूरता से नोंच दिए जाएंगे! क्या बीतेगी उस दादी पर? क्या बीतती होगी असल में
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उन परिवारों पर?
अक्सर सिनेमा इतिहास बताते हैं लेकिन कुछ सिनेमा खुद इतिहास बनाते हैं। 'द केरला स्टोरी' ऐसा सिनेमा है जो इतिहास बनाने जा रहा है। इसमें इतनी क्षमता है कि यह केवल कुछ हजार या लाख लड़कियों को ही नहीं बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों को आतंकवाद से बचाकर उनका
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जीवन संवार सकता है।
कोई फिल्म महान कब होती है? अपनी कलात्मकता से.. कथ्य से या अभिनय जैसे पहलुओं से? लेकिन मेरी दृष्टि में वह फिल्म महान है जो अपने विषय को दर्शक के मन मस्तिष्क में पूरी तरह उतार दे और 'द केरला स्टोरी' इसीलिए एक महान फिल्म दस्तावेज है... सो कॉल्ड करिश्माई
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सिनेमेटिक सौंदर्य न होने के बावजूद।
यह फिल्म 100% कड़वा सच है। देश भर में प्यार के नाम पर चल रहे आतंकवाद का घिनौना सच। ये आतंकवादियों की मोडस ओपेरैंडी को अच्छी तरह खोलकर उन मासूम बच्चियों को समझा देती है जो हर कदम पर इनका शिकार हैं।
आप फिल्म देखने जाएँ तो बारीकियों पर नजर
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रखिए। यह फ़िल्म किसी मनोवैज्ञानिक की तरह उनकी हर एक हरकत को उघाड़कर दिखा रही है।
जैसे, जो 'प्रेमी' कल तक लड़की के सैंडिल हाथ में उठाकर चल रहा था वही आतंकवाद में शामिल न होने पर उसी लड़की के न्यूड्स दुनियाभर में वायरल कर देता है। उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर उसे आत्महत्या
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के लिए मजबूर कर देता है। यह उन लड़कियों की आँखें खोल सकता है जिनका "मेरा अयाज़/फरहान/आतिफ/सूफी सबसे अलग है।"(अब्दुल इज एन आर्केइक नेम नाऊ।)इस फिल्म में आतंकी वैसे ही दिखाए गए हैं जैसे वास्तविकता में होते हैं-बिल्कुल साफ सुथरे, पढ़े-लिखे,हाईफाई,गुड लुकिंग,चार्मिंग,वेल मैनर्ड।
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किसी की बड़ी सटीक टिप्पणी पढ़ी कि 'द केरला स्टोरी' असल में 'द कश्मीर फाइल्स' का प्रीक्वल है। पहले किसी क्षेत्र में केरल की तरह जनसंख्या बदलती है और अंततः कश्मीर का पलायन और नरसंहार सामने आता है।
फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन , प्रोड्यूसर विपुल अमृतलाल शाह,
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लेखक सूर्यपाल सिंह शाबाशी के हकदार हैं। उन्होंने इस आतंकवाद की मैथडोलॉजी बताई है। हम कहाँ चूक रहे हैं इसे भी समझाया है।
फिल्म को चारों लड़कियाँ अपने कंधों पर अच्छे से लेकर चली हैं। अदा शर्मा की हिम्मत और एक्टिंग, दोनों अप्रतिम हैं। एक्टिंग का मतलब आड़े-टेढ़े मुँह
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बनाना ही नहीं होता। वह इतनी भोली लगी है... ज्यों अनजाने में पागल कुत्तों के झुंड की ओर भागता गाय का बछड़ा !
फिल्म का संगीत और बैक ग्राउंड समीचीन है। असरदार है। कुछ flaws हर चीज में होते हैं। बलात्कार दृश्यों की क्रूरता दिखाने के लिए रियलिस्टिक फिल्माया गया है। लेकिन ये
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प्रतीकात्मक होते तो 13-14 वर्ष की बच्चियों को भी साथ बैठाकर फिल्म दिखाई जा सकती थी। खैर, OTT रिलीज के बाद माता पिता स्वविवेक से कुछ दृश्यों के अलावा पूरी फिल्म किशोरों को दिखा और समझा सकते हैं।
द केरला स्टोरी देखिए। सक्षम हों तो औरों को भी दिखाइये। यह फिल्म नहीं,
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जीवन रक्षक वैक्सीन है। सुनिधि चौहान का पूरे मन से गाया टाइटल ट्रैक इसकी पूरी कहानी को सिरे से बयां कर रहा है:
ना ज़मीं मिली, ना फ़लक मिला,
है सफ़र में अंधा परिंदा
जिस राह की मंज़िल नहीं,
वहीं खो गया होके गुमराह
ज़िंदान को उड़ान समझ बैठा,
एक बार भी मुड़ के ना देखा
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हरे पेड़ों की शाख़ें छोड़ आया
मासूम को किसने बहकाया?
हरियाली वो राहों में आती रहीं
राहें तक़रीरें रोज़ सुनाती रहीं
ना दुआ मिली, ना मिला ख़ुदा
हुआ क़ैद पागल परिंदा.......
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#TheKerlaStory
तुम्हारा गॉड वही है जो पत्नी के मरने पे रोता है .??
हाँ ..!
हमारा गॉड वही है जो पत्नी की मृत्यु पे रोता है ।।
जो पत्नी के अपमान पे त्रैलोक्य विजेता रावण का समूल नाश कर देता है ।।
जो महासमुद्र को अपने तेज से बांध देता है ।।
हाँ ..!
हमारा गॉड वही है जो स्त्री
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के अपमान पे महाभारत जैसे विशाल समर की रचना करता है ।।
हाँ ..!
हमारा गॉड हमें सिखाता है के पत्नी हमारा आधा संसार होती है ।।
और नारी ही सृष्टि का मूल होती है ।।
हमारा गॉड पत्नी को अपनी खेती नहीं बताता ।।
जिसे जैसे मर्जी जोतो बोओ।।
हमारा गॉड ये नहीं बताता के जितनी मर्जी शादी
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करो और जब मन भर जाय तो उसे फेंको और दूसरी तीसरी चौथी ले आओ ।।
हमारा गॉड नारी को बच्चे पैदा करने की मशीन नहीं मानता ।।
हमारा गॉड किसी भी तरह के लड़ाई झगड़े में पत्नी को आगे नहीं कर देता है ।
हमारा गॉड किसी भी मुसीबत में पत्नी बच्चों को छोड़ कर हवाई जहाज के पहिये पे लटक के
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अब समय आ गया है अपने बच्चों को अपनी सनातन संस्कृति का ज्ञान देने का,ताकि कल को कोई अब्दुल्ली आपकी लड़कियों को ये कहकर धर्म परिवर्तन न करवा दे,
तुम्हारे "गॉड"की पत्नी को तो रावण उठा ले गया था और वो वानरों से मदद मांग रहा था, #शिवपुराण के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की
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सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने वानर जाति में हनुमान के रूप में अवतार लिया था। हनुमान को भगवान शिव का श्रेष्ठ अवतार कहा जाता है। जब भी श्रीराम-लक्ष्मण पर कोई संकट आया,हनुमानजी ने उसे अपनी बुद्धि व पराक्रम से दूर कर दिया।
वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में
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स्वयं भगवान श्रीराम ने अगस्त्य मुनि से कहा है कि हनुमान के पराक्रम से ही उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की है।आज हम आपको हनुमानजी द्वारा किए गए कुछ ऐसे ही कामों के बारे में बता रहे हैं,जिन्हें करना किसी और के वश में नहीं था- 1. समुद्र लांघना
माता सीता की खोज करते समय जब हनुमान,
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डर लगता है
आमाशय*.......को डर लगता है जब आप सुबह का नाश्ता नहीं करते हैं।
किडनी* .........को डर लगता है जब आप 24 घण्टों में 10 गिलास पानी भी नहीं पीते।
गाल ब्लेडर*.............को डर लगता है जब आप 10 बजे रात तक भी सोते नहीं और सूर्योदय तक उठते नहीं हैं।
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छोटी आँत*...........को डर लगता है जब आप ठंडा और बासी भोजन खाते हैं।
*बड़ी आँतों*..........को डर लगता है जब आप तैलीय मसालेदार मांसाहारी भोजन करते हैं।
*फेफड़ों*.........को डर लगता है जब आप सिगरेट और बीड़ी के धुएं, गंदगी और प्रदूषित वातावरण में सांस लेते है।
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*लीवर*........को डर लगता है जब आप भारी तला भोजन, जंक और फ़ास्ट फ़ूड खाते है।
*हृदय*...........को डर लगता है जब आप ज्यादा नमक और केलोस्ट्रोल वाला भोजन करते है।
*पैनक्रियाज*.........को डर लगता है जब आप स्वाद और फ्री के चक्कर में अधिक मीठा खाते हैं।
अवनी सतपाल का फोन सुनने के बाद बहुत परेशान थी वो सोच ही नहीं पा रही थी की क्या करें या ना करे,
वो इस बात से बहुत परेशान थी की प्रिंस उसे बर्बाद करना चाहता है और इसी मकसद से वापस लाया था, अब ये कैसी बर्बादी है वो समझ नहीं पा रही थी।
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सतपाल प्रिंस का दोस्त था और प्रिंस ने ही सतपाल को बताया होगा की वो अवनि के साथ क्या करने वाला है।
अवनी सोच में डूबी थी की प्रिंस आकर कहता है
ओय पागल सिटी नहीं चलना है क्या?
लेकिन अवनी सिर दर्द का बहाना करके मना कर देती है, अब अवनी हर समय चौकस रहती थी प्रिंस से,और प्रिंस है की
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वो हमेशा अकेले में जाकर पहाड़ी पत्थर पर बैठ जाता था, अवनी प्रिंस को देखकर सोचती है कि जिस शख्स ने मुझे गंदी दुनिया से निकाला वही शख्स मुझे आखिर कैसे बर्बाद कर सकता है? ऐसे भी उस गंदगी में मैं बर्बाद तो थी, उससे ज्यादा बर्बादी एक लड़की के लिए क्या हो सकती है जहां रोज़ उसका
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एक समय राधा रानी और सारी सखियाँ फूल चुनने कुसुम सरोवर पहुंची। राधा रानी और सारी सखियाँ फुल चुनने लगी और राधा रानी से बिछड़ गयी...
फूल चुनते समय राधा रानी की साड़ी कांटो में उलझ गई। इधर श्री कृष्ण को पता चला के राधा जी और
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सारी सखियाँ कुसुम सरोवर पे है...
कृष्ण माली का भेष बना कर सरोवर पे पहुँच गये और राधा रानी की साड़ी काँटो से निकाली और बोले हम वन माली है,इतने में सब सखियाँ आ गई..
माली रूप धारी कृष्ण बोले- हमारी अनुपस्थिति मे तुम सब ने ये बन ऊजाड़ दिया, इसी नोक झोक मे पुष्प पृथ्वी पे गिर गये..
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राधा रानी को इतने मे माली बने कृष्ण की वंशी दिख गई और राधा रानी बोली ये वन माली नही ये तो वनविहारी है...
राधा रानी बोली ये सारे पुष्प पृथ्वी पे गिर गये और इनपे मिट्टी लग गई,
श्री कृष्ण बोले मे इन्हें यमुना जल में धो के लाता हूँ...
राधा रानी बोली तब तक बहुत समय हो जायेगा, हमे
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