#पागल -भाग-7
#काशी_वाले_की_कलम_से...♥️

अवनी ने महसूस किया कि कोई दरवाजा खोल कर उसके करीब आ रहा है पर वो पलट कर नहीं देख सकती थी,
तभी वो शख्स आकर अवनी को छूता है तो अवनी कांप सी जाती है क्योंकि इन बीते दस दिनों में उसकी आदत बदल चुकी थी,
क्योंकि जिस्म फरोशी की दलदल से निकल कर Image
अब उसे खुली हवाओं में जीने की आदत हो चुकी थी,
फिर वो शख्स अवनी के बंधे हाथों को खोल देता है ,
हाथ खुलते ही अवनी तुरंत थोड़ी दूर जाकर उस शख्स को देखती है तो जोर से चौंक जाती है
और जल्दी से अपने मुंह के कपड़े को हटाकर,तुम? कहती है
वो शख्स और कोई नहीं उसका पहला प्यार अमर होता है,
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अमर कुछ बोलता,अवनी आगे कहती है वाह अमर बाबू वाह,
कच्चे गोश्त की खरीद फ़रोख़्त का धंधा कब से शुरू कर दिया आपने?
अमर - तुम क्या कह रही हो मैं समझ नहीं पा रहा हूं
अवनी- समझ नहीं पा रहे हो या ना समझने की नाटक कर रहे हो?
अमर चिल्ला कर कहता है,ओ सट अप यार,मेरी बातें सुने बिना ही तुम
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ना जाने क्या बके जा रही हो,
मैं तो यहां प्रिंस के बुलाने पर आया,और उसने कहा कि उसने तुम्हारा किडनैप किया है,ढाई लाख की फिरौती लेकर छोड़ा है तुमको,
ये देखो सबूत बोलकर वो अवनी की कुछ फोटो दिखाता है
अवनी हैरान रह जाती है, अवनी कुछ सोचती तभी अमर कहता है चलो अब मेरे साथ जल्दी,
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अवनी- कहां?
अमर- मेरे साथ और कहां?
अवनी- वही तो कहां चलूं तुम्हारे साथ?
अमर- मैं जहां जाउंगा वहां ले चलूंगा
अवनी- तुम्हारे घर?
अमर अचानक खामोश हो जाता है तो अवनी दोबारा सवाल करती है , तुम्हारे घर?
अमर- हां वहां भी चलेंगे मगर अभी नहीं,
अवनी-अभी क्यों नहीं?
अमर- तुम समझोगी नहीं,
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घर तो ले जाऊंगा मगर जब हालत ठीक हो जायेंगे,
अवनी- वैसे मैं मजाक कर रही थी, मुझे तुम्हारे साथ ना तुम्हारे घर जाना है और ना ही तुम्हारे साथ और कहीं जाना है
अमर- मगर क्यों?
अवनी- ये तुम अच्छी तरह से जानते हो वज़ह मत पूछो।
अमर- मेरी इसमें कोई गलती नहीं थी, धु्रव और उसकी
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Girlfriend Pooja को मैं समझ नहीं सका,
धु्रव तुम्हें चाहता था और पुजा मुझे, दोनों ने प्लानींग बनाया तुमको मुझसे जुदा करने का, धु्रव और पुजा मेरे पास आये और कहने लगे की देखो अमर, पुजा और मैं एक दूसरे से प्यार करते हैं और बहुत जल्द शादी करने वाले हैं, पुरानी बातें भूल जाओ अब हम
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अच्छे दोस्त बनकर रहेंगे,अवनी से भी माफी मांगनी है मुझे,भले उसने सबके सामने मुझे थप्पड़ मारा हो पर मोहब्बत में जबरदस्ती नहीं होती मै जान चुका हूं,
ये सब नाटक मैं समझ ना सका, बस मैं खुश था की पुजा अब धु्रव की होने वाली बिबी थी,और धु्रव पुजा का पति,
अगले दिन पुजा का जन्म दिन था,
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और उसने हम दोनों को बुलाया था इसलिए मैंने भी सोचा कि तुमको भी ले जाऊं जहां धु्रव तुमसे माफी मांगता, मगर मुझे क्या पता था हम दोनों की कोल ड्रिंक में पुजा बेहोशी की दवाई मिला देगी,
जब मैं होश में आया तो खुद को बंधा पाया, और तुम वहां नहीं थी,
तुम्हारी बहुत तलाश की लेकिन तुम
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मिली नहीं,
पुजा और धु्रव वो उत्तराखंड छोड़ कर चले गए, फिर तुमको ढुंढता कि मेरे घर में मुझे बताये बिना मेरी सगाई और शादी की तैयारी होने लगी,
घर छोड़ कर भाग नहीं सकता था क्योंकि तुम नहीं मिलती तो मुझे घर वापस आना ही था मगर मेरे पास घर से भागने का कोई बहाना बताना मुश्किल था,
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इसलिए पागल बनने का नाटक किया जब तक तुम मिल नहीं जाती
अवनी- फिर तुमको प्रिंस मिला कहां?
अमर- पागल खाने में,वहां कोई अपने दोस्त के मामा से मिलने आया था,
अवनी-तुमने उससे क्या कहा पहले मुझे सारी कहानी बताओ जल्दी।
अमर याद करने लगा,लगभग तीन महीने पहले प्रिंस मुझे पागल खाने में मिला,
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कोई उसके दोस्त के साथ आया था
और वो पागल खाने घुमने लगा,
मैं पागल तो नहीं था, बस डाक्टर आते तो नाटक करता, लेकिन ग़लत हरकते नहीं करता था ताकि मुझे शोक ना दे,
मैं सभी को देखता रहता था और हर चेहरे में तुम्हें ढूंढ़ता था,
चेहरे पर दाढ़ी बाल बिखरे हुए, शायद उस वक्त तुम भी पहचान
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नहीं पाती इस कदर मैंने खुद को बिगाड़ कर रखा था तुम्हारी जुदाई में
तभी मेरी नज़र प्रिंस पर गयी
वो‌‌ देखकर भी मुझे पहचान ना सका और आगे बढ़ गया,
अमर अतीत में खो गया,
हैलो प्रिंस बाबु कैसे हो?
अचानक प्रिंस मुड़ा और आवाज देने वाले को ढूंढने लगा तभी एक घनी दाढ़ी बिखरे बाल वाले ने
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आवाज दी,
इधर देखो प्रिंस बाबू,
प्रिंस जल्दी से पास जाकर पूछता है,
आप मुझे कैसे जानते हैं?
पागल- पहचाना नहीं?
प्रिंस- जी नहीं
पागल- मैं अमर हूं
प्रिंस- कौन अमर?
अमर- अवनी याद है?
प्रिंस मुस्कुरा कर कहता है आप अमर हो?
अमर- हां मैं अमर हूं और प्रिंस आगे पूछता क्यों कैसे यहां हो
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उससे पहले अमर सब बता देता है की अवनी और उसके साथ क्या हुआ था,
अमर कहता है धु्रव और पुजा ने क्या किया अवनी के साथ मुझे कुछ पता नहीं,
अवनी गायब है तबसे उसका कुछ पता नहीं, मैंने बहुत ढूंढने की कोशिश की नहीं मिली उसके बाद धु्रव और पुजा भी गायब हो गये जो बता सकती थी कि अवनी कहां
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गई इधर अचानक मेरी सगाई और शादी की बात घर में चलने लगी क्योंकि मुझे बताये बिना मेरे घर वालों ने मेरे लिए दुल्हन ढूंढ ली थी मगर मुझे पहले अवनी की तलाश करनी थी क्योंकि मैं अवनी से बेपनाह मोहब्बत करता हूं,शादी से बचने के लिए मैंने पागल बनने का नाटक कीया,
वैसे इस खबर से तुम तो बहुत
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खुश हो ना?
प्रिंस- किस खुशी में खुश हो जाऊं?
अमर- क्योंकि हम दोनों ने तुम्हें कलेज से निकलवा दिया और तुमको मारा भी, और अवनी ने तुम्हारा प्यार भी ठुकरा दिया था? और आज अवनी गायब है और मैं पागल बन चुका हूं
प्रिंस मुस्कुरा कर कहता है अमर साहब मैं प्रिंस हूं और मैं दुखी और खुश होने
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की वजह भी खुद ही ढूंढता हूं, दुसरो को मिले दर्द पर मैं अपनी मुस्कुराहट नहीं ढूंढता,
रही बात आपके मारने या कॉलेज से बाहर निकालने की तो वो अपने बिल्कुल नहीं किया बल्की उस दिन मेरा वक़्त और दिन ही ख़राब था, रही आपके अवनी का मेरा प्यार ठुकराना तो बात ऐसा है की वो आपसे मोहब्बत करती
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थी पहले से ही,
मेरा प्यार भी कबूल करती तो वो सरकारी बस हो जाती जिसने भी हाथ दिया रोक कर उठा ली, अवनी प्राईवेट फरारी थी जिसका नाम अमरनाथ था,
सरकारी बस में तो हम भी नहीं बैठते और रही फरारी की बात तो वो हमारे नसीब में नहीं,।
अमर- आजकल क्या कर रहे हो
प्रिंस- कुछ नहीं बस अपने जैसे
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लोगों से मिलने आता जाता हूं, मतलब पागल खाने😂😂
अमर- मज़ाक उड़ा‌ रहे हो?
प्रिंस- जिसने खुद का मजाक बना रखा है उससे क्या मज़ाक करना अमर बाबू
अमर- मतलब?
प्रिंस- मतलब कुछ नहीं लेकिन आपको पागल का नाटक करने से अच्छा अवनी को ढूंढने की कोशिश करनी थी, गर सच्ची मोहब्बत थी तो,
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अमर- सच्ची मोहब्बत करता था इसलिए अवनी के आलावा किसी और के बारे में नहीं सोचा,
अगर ना होती तो चुपचाप शादी कर लेता उस लड़की से, यहां पागल बनने का नाटक नहीं कर रहा होता
प्रिंस मुस्कुरा कर कहता है, बात तुम्हारी सही है
पर मेरी सोच में ये मोहब्बत नहीं इसे बहाना कहते हैं ,
तुमने अपनी
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सोची अगर कल किसी मोड़ पर अवनी बुरी हालत में मिले तो तुम अपनी मोहब्बत की दुहाई देकर फरिश्ते बन सको
वक्त का तकाजा कहता है कि तुम्हें उसे ढूंढना था,
अमर-तुम होते तो क्या करते?
प्रिंस -अपने बहानों को सही साबित करने के लिए दूसरों से नहीं खुद से सवाल करने पड़ते हैं
रहा तुम्हारे सवाल
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का जवाब तो पहले तो ऐसी नौबत आने ही नहीं देता, दूसरी आ गई होती तो आखरी सांस तक ढूंढता,
सांस लेने में अगर तकलीफ हो तो फिर इलाज करते हैं भले ठीक हो‌ ना हो, सांस लेना बंद नहीं करते।
अवनी तुम्हारी सांस थी तो तुम भी तो अवनी की सांस थे?
वो बेचारी तुम्हारे बिना कैसे जी रही होगी पहले
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तुम्हें ये सोचना था अपनी मजबूरी नहीं।
अमर- बेटा सलाह देना आसान है कभी खुद पर बितेगी तो जान‌ जाओगे।
प्रिंस-खैर जाने दो‌ ये बताओ ये कब की बात है
अमर-लगभग पांच महीने हुए
प्रिंस- मतलब 150 दिन, कोई सदीयां‌ नहीं बीती है अब भी तलाश कर सकते हो तुम अवनी को
कहकर प्रिंस जैसे ही मुड़ता है
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तभी अमर कहता है, प्रिंस बाबू दुआ करना मेरी मोहब्बत मुझे मिल जाए,
प्रिंस मुड़कर मुस्कुरा कर कहता है,
क्या आपको लगता है अमर बाबू की मैं आप दोनों के लिए दुआ करूंगा?
अमर- सच कहूं तो नहीं करोगे, इंसानियत के नाते बोला आगे आपकी मर्जी।
प्रिंस- अच्छा अपना मोबाइल न० दीजिए मुझे
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अमर- किस लिए?
प्रिंस. वैसे कोई खास जरूरी तो नहीं लेकिन कहते हैं की दुनिया बहुत छोटी है क्या पता कहीं टकरा जाये मुझसे आपकी मैडम अवनी जी,
अमर ना चाहते हुए भी प्रिंस को अपना फोन नंबर दे देता है लेकिन उम्मीद तनिक भी नहीं थी कि अवनी प्रिंस से कभी टकरा जायेगी फिर भी उम्मीद नाम की
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चीज इंसान को हमेशा जिन्दा रखने की कोशिश जरूर करता है।
फिर अमर अपने अतित से बाहर निकल कर अवनी से कहता है वही थी हमारी मुलाकात ।
और फिर उसने फोन करके बताया की अवनी मिल गई है मेरे कब्जे में है चाहिए तो किमत लाओ और अपनी अवनी को ले जाओ और उसने तुम्हारी बोली ढाई लाख में लगाई,
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मैंने जब कहा कि यार तुम अवनी के भी पैसे लोगे?
उसने कहा कि जब मैं तुम्हारी अवनी से गलती से टकराया था तो तुम भी उस वक्त समझ सकते थे ना की गलती से भी लग सकती थी? खैर जाने दो, ढ़ाई लाख दो और अपनी अवनी ले जाओ और अवनी को ले जाने की आखरी तारिख होगी 10 नवंबर रविवार,
मैंने कुछ वक्त
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मांगा प्रिंस से लेकिन उसने कहा की पैसे हो जाये तो 10 नवंबर तक फोन कर लेना वरना 11 नवंबर के बाद वो तुमको कभी नहीं मिलेगी,
यहां तक सात जन्मों तक नहीं मिलेगी बोल कर फोन काट दिया था प्रिंस ने, इसलिए घबराहट में पैसे इधर उधर से जमा करके आ गया मैं
अवनी- तुम्हें कैसे यकीन हुआ कि वो सच
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बोल रहा है?
उसने तुम्हारी Voice Recording सुनाई थी करवा चौथ वाली जहां तुम कह रही हो कि मैंने अगले साल अमर के लिए करवा चौथ का ब्रत रखा था और कुछ देर उसकी भी आवाज़ थी और आज वो सिटी आया और तुम्हारी बहुत सी फोटो दिखाई और‌ तुम्हें बंधे हुए की फोटो भी दिखाई, मैं उसके साथ आया अपनी
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गाड़ी में और रास्ते में मैंने उसे पैसे दे दिए और‌ वो बाहर से चला गया।
अवनी- तुमने पूछा नहीं की उसको मैं कहां मिली?
अमर- उससे मेरी बातें 4 नवंबर को हुई पहली बार फोन पर और मैंने कई बार पूछा कि अवनी इतनी आसानी से तुम्हें कहां मिली?
वो कहता है, अमर बाबू आप फूल की सुंदरता और उसकी
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महक का आनंद लिजीये ये ना देखीये की वो खिला कहां है मगर आज उसने गाड़ी में आते हुए बताया की तुम दार्जिलिंग में ही एक अनाथ आश्रम में बच्चों को पढ़ाती हुई मिली थी,
फिर तुमसे मिलकर मेरे बारे में सब बताया की तुम्हारी जुदाई में मेरी हालत बहुत खराब है तब तुमने रोते हुए कहा था कि मेरा
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अमर जिंदा है?
मुझे तो उन लोगों ने कहा था की मेरे अमर की हत्या कर दी है इसलिए मैं दुनिया की मोह माया त्याग कर यहां दार्जिलिंग आ गई और अनाथ आश्रम में बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने लगी।
मैं जिंदा हूं ये खबर सुनकर तुम वापस आई हो ये कहा उसने।
अवनी तुरंत खिड़की के पास चली गई इस वक्त
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उसकी पलकें नम थी और वजह बहुत सारी थी रोने की, शुरू से लेकर अंत तक प्रिंस ने अमर को झूठी कहानी सुनाई थी,
आखिर उसने सच क्यों छुपाया ये बात अब अवनी को बर्दाश्त नहीं हो‌ रही थी।
अवनी की पलकों से आंशू बह रहे थे और दिमाग में एक सवाल बड़ी जोर से प्रहार कर रहे थे कि आख़िर प्रिंस ने
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मुझे ढूंढा कैसे
वो जानता था मैं अमर से प्यार करती हूं उससे नहीं फिर भी उसने मुझे क्यो ढूढा,
अचानक पलकों से लगातार अश्रु बहने लगी अवनी की पलकों से अवनी ने महसूस किया कि जाने वाला मुस्कुरा कर तो गया नहीं होगा😥😥
अवनी आगे कुछ सोचती अमर पीछे से आकर अवनी से गले लग जाता है लेकिन
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अवनी तुरंत ख़ुद को छुड़ा कर बिना मुड़े कहती है कुछ देर के लिए मुझे अकेला छोड़ दो अमर,
अमर सोचता है शायद अवनी खुशी बर्दाश्त नहीं कर सकी इसलिए खुद को पहले सम्भालना चाहती होगी।

आगे का #भाग 8 कल🙏🙏

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May 10
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May 10
पाकिस्तान की आवाम के पास विकल्प नहीं हैं.... मर्दों के पेट खाली..... जेब खाली...
औरतों के लिबास में जेब नहीं..... पेट जरूर फुला रहता है...
इमरान न मामा से काणा मामा अच्छा है उनके लिए..... लेकिन फ़ौज को वो जमता नहीं.... वजह उसमें लाख कमी हो आवाम को पसंद है...

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तो क्या होगा..... लोग सड़कों पर हैं फ़ौज चुप बैठी तो सिंध,बलोच, फाटा..... सब टुकड़े टुकड़े
और फ़ौज ने जोर दिखाया आवाम को तो गृहयुद्ध..... फिर भी टुकड़े टुकड़े....

आसान विकल्प फ़ौज के पास है कश्मीर में भारत से दो दो हाथ करना.....
पता है हार जायेंगे पर तब पाकिस्तान टूटने का
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ठीकरा भारत के सर होगा और लम्बे समय दुनियाँ भर के मुज़ाहिद्दीन का रुख भारत की तरफ हो लेगा....

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वैसे पाकिस्तानी फ़ौज में हज़ार कमी गिना दें पर एक माद्दा है वे बिना तनख्वाह
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May 10
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May 9
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