#पागल -भाग-8
#काशी_वाले_की_कलम_से...♥️

इधर अवनी‌ के दिमाग में हजारों सवाल‌ थे, अवनी अमर को बेपनाह टूट कर चाहती थी, थी का मतलब तो आप सभी जानते ही होंगे ना?????
मोहब्बत आप किसी से कितनी भी करते हो ये आप नहीं हालत तय करते हैं,
प्रिंस का अमर से सच छुपाना, गंदे बाजार से जिंदगी
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दांव पर लगाकर अवनी को खूबसूरत जिंदगी देना, साथ रहकर भी अपनी मर्जी से अवनी ना छूना अमर की बेहपनाह मोहब्बत पर प्रिंस भारी पड़ चुकी थी,
अमर ने हसती खेलती जिंदगी को और‌ खुशी देने की कोशिश की थी
और प्रिंस ने अवनी को उस वक्त जिंदगी दी जब अवनी ने सोच लिया था की जिंदगी अब खत्म हो
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चुकी है
जो लड़की हर समय अमर‌ का साथ चाहती थी
जो लड़की हर समय अमर के आलिंगन में रहना चाहती थी आज वो अमर के स्पर्स करने पर भी डर सी जाती है
मगर अवनी इस बात से ज्यादा परेशान थी की अगर वो मोहब्बत नहीं करता था तो मुझे बचाया क्यों
अगर मोहब्बत थी तो मंजिल के करीब पहुंच कर उसने एक
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अजनबी के हवाले उसे क्यों किया?
हां आज उसे उसकी पुरानी मोहब्बत उसकी पुरानी जिंदगी अमर ना जाने क्यों अजनबी सा लगा था तभी अचानक अमर कहता है शायद तुम सोच रही होगी की प्रिंस ने मुझसे मिलाने के लिए तुम्हें मेरे हवाले करने के लिए ढाई लाख क्यों लिये?
अरे पागल वो पागल क्या जाने बेपनाह
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सच्ची मोहब्बत क्या होती है।
सच्ची मोहब्बत करना समझदार लोगों का नहीं हम तुम जैसे पागल लोगों का काम है, वो सिर्फ एक बिजनेसमेन था,
दार्जिलिंग से यहां उत्तराखंड तक तुम्हें लाने में सिर्फ दस से 20 हजार खर्च होते हैं ढाई लाख नहीं
और मेरे लिए ढाई लाख से ज्यादा कीमती थी तुम और हो और
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हमेशा कीमती रहोगी।
अवनी कुछ जवाब नहीं देती और मन ही मन कहती है हां सच कहा तुमने अमर, मोहब्बत करना समझदार लोगों का नहीं हम तुम जैसे पागल लोगों का काम है,
वो तो पूरा का पूरा पागल था, जिसने अपनी मोहब्बत को तुम्हारे हवाले कर दिया,
मैंने पढ़ा है उसकी आंखों में खुद को जिसे बयां करना
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बेहद मुश्किल है।
हां वो सच में बिजनेसमेन था मगर ऐसा बिजनेसमेन जो सिर्फ घाटा उठाता है, और दिल कहता है वो ढाई लाख भी उसने शायद किसी मजबूरी में लिये होंगे।
फिर अवनी और अमर वहां से निकलते हैं,
अमर अवनी को लेकर होटल जाता है,
और पति पत्नी बताते हैं
अमर अवनी को दिलाशा देता है कि वो
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बहुत जल्द उसे अपने घर ले जायेगा लेकिन अवनी को इस बात की बिल्कुल परवाह नहीं थी कि उसकी जिंदगी अब किस ओर‌ जाने वाली थी,उसकी शंका अब तभी मिटती जब उसके हर सवाल का जवाब मिल जाता और जवाब केवल एक इंसान ही दे सकता था और वो था प्रिंस,और अवनी के सारे सवालों का एक जवाब प्रिंस ही गायब था।
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अवनी बिल्कुल भी अमर को पास आने नहीं देती थी इस बात की अमर को बहुत हैरानी होती थी तो अमर कभी कभी गुस्से में कहता है कि यार तुम तो पहले ऐसी नहीं थी?
अवनी भी गुस्से में जवाब देती थी मतलब मैं पहले तुम्हारे साथ सोती थी?
अमर- मैंने ऐसा कब कहा? मैं तो एक कहना चाहता था की हम पहले
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जैसे थे वैसे. अब तुम वो अवनी नहीं रही
अवनी मुस्कुरा कर कहती हैं मान लो किसी ने तुम्हें एक छोटी सी काल‌ कोठरी में बंद कर दिया है जिसमें ना कोई खिड़की है और‌ ना रोशन दान,
उपर से तुम्हारे मुंह में कपड़ा बांध दिया हो तो बोलो बाहर निकल कर तुम सबसे पहले क्या करना चाहोगे?
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अमर- यार वहां तो मर‌ ही जाउंगा मैं
अवनी- मान लो अगर बच गये तो?
अमर- सबसे पहले खुलकर ताजी हवाये और खुल कर सांसें लेना चाहूंगा।
मगर तुम पूछ क्यों रही हो?
अवनी- कुछ नहीं अमर बस मुझे भी ऐसी ही काल कोठरियों में रखा गया था
मुश्किल से आजाद हुईं हूं इसलिए खुलकर सांस लेना चाहती हूं
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अमर- मुझे तुम्हारी कोई बात समझ में नहीं आ रही है तुम क्या कर रही हो
अवनी-पता है तुमको मुझे प्रिंस ने कहां से लाया?
अमर-हां दार्जिलिंग एक अनाथ आश्रम से लाया था
अवनी- उसकी बातों पर तुमने यक़ीन कर लिया?
अमर-यार मेरा भेझा मत खा,तुम ही बता दो कहां से लाया?
अवनी सीधे सपाट शब्दों में
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कहती है, मुझे वो चकले से उठाकर लाया है मतलब जिस्म फरोशी के बाजार से?
अमर- क्या???????
अवनी- हां येही सच है
अमर- यार ऐसी गंदी मज़ाक मत करो
अवनी मुस्कुरा कर कहती हैं अरे डरो नहीं मज़ाक कर रही हूं,
अमर- यार ऐसी घटीया मजाक मत किया करो हमसे दोबारा
अवनी-डर गये?
अमर-बात डरने की नहीं
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इज्जत की है
अवनी- मतलब तुमको अनछुई पत्नी चाहिए?
अमर- यार मैं क्यों सबको अनछुई और पबित्र पत्नी ही चाहिए
अवनी तपाक से कहती है फिर तुम मुझे क्यों छूना चाहते हो?
अमर- यार तुम मेरी होने वाली पत्नी हो,
अवनी- होने वाली पत्नी और अभी में अंतर है अभी मैं तुम्हारी पत्नी हुई नहीं हूं,और
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पत्नी हो भी गई तो पत्नी की मर्जी के बिना छूना बलात्कार है
अमर- यार सच में तुम बहुत बदल गई हो
अवनी मुस्कुरा कर कहती है खैर जाने दो बहुत मज़ाक हुआ चलो सिटी घूम कर आते हैं
कहकर अवनी अपने छोटे से हैन्ड बैग से कुछ निकालने को होती है तो अचानक नया मोबाइल देख कर चौंक जाती है और सोचती
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है अब ये किसका मोबाइल है?
किसने रखा यहां मोबाइल?
अवनी सोचती है शायद अमर ने रखा होगा, फिर भी अवनी अंजान बनकर पूछती है अमर से
मुझे आज एक मोबाइल कर खरीद देना
अमर- यार कुछ दिन रूको अभी हाथ खाली है पैसा होते ही ख़रीद दूंगा, वैसे किसी को फोन करना है तो मेरे मोबाइल से कर सकती हो।
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अवनी बात काट कर कहती है जाओ कुछ नाश्ते का ऑर्डर देकर आओ तब तक मैं तैयार होती हूं।
अमर कुछ बोले बिना बाहर चला जाता है और इधर जल्दी से अवनी मोबाइल निकाल कर देखती है जो पूरी तरह पैक था
वो जल्दी से रसीद देखती है तो अवनी के नाम की ही मोबाइल रसीद बनी थी
और फिर नज़र सिम पर जाती है
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जिसे खोला नहीं गया था,
अवनी सोचती है जरूर उस पागल का काम होगा जिसने जाते जाते मोबाइल और सिम कार्ड देकर गया ताकि कभी तकलीफ में हुई तो किसी की मदद ले सकूं,
तभी अमर नाश्ता लेकर आ जाता है लेकिन अवनी को तैयार ना देख कर सवाल करता है,
यार तुम तैयार नहीं हुई?
अचानक अमर के सवाल पर उसे
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प्रिंस की याद आती है जब अवनी ने कही थी की जब हमसफ़र साथ है तो फिर क्यों सजना संवरना?
बाजार में थोड़ी खुद को बिकने के लिए रखनी है जो खुद को सजाउ सवांरू?
फिर अपने गालों को सहलाते हुए अवनी मुस्कुरा पड़ती है क्योंकि प्रिंस ने उस वक्त उसे कारारी थप्पड़ मारी थी
तभी अमर कहता है अकेली
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अकेली अपने गालों को सहलाते हुए मुस्कुरा क्यों रही हो तुम?
अवनी- मैं ऐसे ही चलूंगी,
अमर- यार पहले तो तुम ऐसी नहीं थी
अवनी बात को अगली तरफ मोड़ कर पूछती है कि क्या तुम्हारे पास प्रिंस का न० है?
अमर- अब तुमको उसका न० क्यों चाहिए?
अवनी- बस ऐसे ही पूछी मैं, लेकिन बताओ तो?
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अमर गुस्से में कहता है, हां है उस किडनैपर का न०
अवनी जोर से हंसती है तो अमर पुछता है इसमें हंसने जैसी क्या बात है?
अवनी हंसते हुए कहती है क्योंकि तुमने उसे किडनेपर जो कहा
अमर-यार उसने ढाई लाख रुपए लेकर तुमको छोड़ा है तो क्या उसे मैं फरिश्ता कहूं?
अवनी गम्भीर होकर कहती है वो ना
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किडनेपर था और ना ही फरिश्ता था,
वो सिर्फ पागल था,
फ़रिश्ते तो धु्रव और पुजा थे जिन पर तुमने यक़ीन किया और हम दोनों अलग हुए,
खैर जाने दो तुम प्रिंस को फोन लगाओ
अमर- यार अब उसको फोन क्यों करना?
अवनी- तुम्हारे ढ़ाई लाख रुपए वापस करने को बोलूंगी
अमर- वो तुम्हारे कहने पर दे देगा?
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कहते हुए ठहाके लगाता है
अवनी- दे भी सकता है
अमर- तुम इतने यकीन से कैसे कह सकती हो?
अवनी- और तुम भी इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हो की वो नही देगा?
अमर- क्योंकि मैंने जब उसको पैसे दिए तो उसकी चेहरे और होंठों पर एक गहरी मुस्कराहट देखी थी
अवनी खामोशी से खुद से कहती है
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कभी कभी गहरा दर्द को छुपाने के लिए दिखावा जरुरी होता है अमर बाबू
तभी अमर की आवाज आती है क्या हुआ बोलो?
अवनी- कुछ नहीं, तुम फोन करो
अमर गुस्से में फ़ोन लगाता है और फिर कहता है स्वीच ऑफ है
अवनी कहती है दोबारा करो
अमर गुस्से में चिल्लाता है , यार बस कर,जो आदमी मुझसे ढ़ाई लाख रुपए
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ले गया है क्या वो सिम नहीं बदल‌ सकता?
और मुझे वो रूपए वापस नहीं चाहीए , क्योंकि तुम्हारा मिलना काफी है मेरे लिए
लेकिन इधर अवनी खुद से कहती है सिम तो बदला नहीं होगा पागल ने
रही पैसों की बात तो मैं आपके पैसे कैसे भी लौटाकर रहूंगी क्योंकि जिस शख्स ने मेरे लिए इतना सब
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कुछ किया मैं नहीं चाहती कि कभी तुम उस पर बेवजह की इल्जाम ना लगाओ
अमर - यार तुम बोलते बोलते चुप क्यों हो जाती हो?
अवनी बात बदल कर पूछती है कब तक मैं यहां होटल में रहूंगी?
अमर- यार समझा करो मुझे भी कोई शौक नहीं है यहां रहना,
पर अभी मेरी मजबूरी है
अवनी- मैं नहीं जानती तुम्हारी
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मजबूरी क्या है लेकिन मुझे यहां अब बिल्कुल नहीं रहना है
अमर- चलो कोर्ट मैरिज करते हैं
अवनी- बिल्कुल नहीं, मैं तुम्हारे और मेरे घर वालों की रजामंदी पर ही तुमसे शादी करूंगी
अमर- अगर तुम्हारे घर वालों ने सवाल किया की तुम इतने महीने कहां थी तो क्या जवाब दोगी?
अवनी- मेरे घर की चिंता
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तुम ना करो वो मेरे मां बाप है अगर कहूंगी भी कि मुझे चकले में बेच दिया गया था तब भी गले से लगा लेंगे क्योंकि मैं उनकी बेटी हूं मगर तुम्हारे घर वालों ने सवाल किया की मैं इतने महीने कहां थी तो तुम क्या जवाब दोगे?
अमर - उनको तुम्हारे बारे में कुछ पता ही नहीं है तो फिर सवाल जवाब का
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कोई मतलब नहीं है
अवनी- मतलब तुमने कभी नहीं कहा की तुम मुझसे प्यार करते हो!
अमर- यार इसकी कोई जरूरत ही नहीं थी, क्योंकि वो मेरे फैसलों पर खुश होते
अवनी- अगर शादी के बाद कल को तुमने पूछ लिया कि अवनी सच सच बताओ तुम इतने दिनों तक कहां थी तो?
अमर- पहले तो पुछुंगा नहीं और दूसरी बात
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मुझे पता है की तुम दार्जिलिंग में थी एक अनाथ आश्रम में बच्चों को पढ़ाती थी
अवनी- अगर कहो की चलो दार्जिलिंग उस जगह जहां तुम बच्चों को पढ़ाती थी तो?
अमर- इसमें डरने की बात कया है जो सच है वही सच होगा
ढाई लाख रुपए लेकर प्रिंस झूठ तो बोलेगा नहीं ना!
अवनी- झूठ भी तो बोल सकता है
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इसमें यकीन कैसे कर सकते हो?
अमर- तुमको उसने मेरा नाम लेकर अपने साथ लाया और तुम को और मुझको धोखा दिया ढ़ाई लाख लेकर।
अगर तुम ग़लत जगह होती तो वो ला ही नहीं सकता था
अवनी सोचती है पता नहीं क्यों उसने मुझको तुम्हारे हवाले किया नहीं जानती लेकिन सतपाल भाई की वो बात अब मुझे सच लगने
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लगी है जब वो कह रहे थे कि उसकी जिंदगी बर्बाद मत कर।
मेरा आज का अतीत कल मुझे तकलीफ जरूर देगा अगर मैंने किसी गैर का हाथ थामा तो।
अमर- कोर्ट मैरिज पर तुम्हें क्या तकलीफ है ये तो बताओ?
अवनी - बस तकलीफ है तो है
मैं तुमसे एक ही हालत में शादी कर सकती हूं,
तुम्हें पहले मेरा अतीत जानना
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होगा, तुम्हें मेरे घर मेरा रिश्ता लेकर आना होगा, और तुम्हारे मां बाप घर वालों को सबको मेरी सच्चाई बतानी होगी
अमर- यार कैसी सच्चाई?
अवनी सपाट तरीके से जवाब देती है , मैं कल तक एक धंधे वाली थी, प्रिंस ने जो भी कहा वो सब झूठ था और जो मैं कह रही हूं वही सच है
यहां से मुझे अब सीधा
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घर जाना है और फिर मुझे उन सवालों का जवाब चाहिए कि आखिर मैं धंधे वाली बन चुकी हूं 😢 उसको किसने बताया,
उसने मुझे क्यो ढूंढा,
उसने मुझे क्यो बचाया
इन सवालों का जवाब मुझे जब तक नहीं मिलता तब तक मैं किसी के साथ शादी के बारे में सोच भी नहीं सकती
प्रिंस ने दो अच्छी बात कही है,
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पहली- मोहब्बत की गुलामी से कहीं बेहतर आजादी का अकेलापन होता है
और दूसरी - जो धोखा देते हैं गद्दारी करते हैं मां बहन बेटियों की इज्ज़त से खेलते है
वो ईश्वर की गलती से इंसान पैदा हुए हैं, उन्हें तो जानवर बनने का भी हक़ नहीं था।
मैं अब उस मजबूत चट्टान पर खड़ी हूं की मैं अगर शादी
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भी नहीं करती हूं तो सिंगल मदर बनकर भी खुशी से जिंदगी बिता सकती हूं,
अगर कोई मुझे मोहब्बत करता है तो मेरे अतीत को भी गले से लगा ले,
शुकून है की जिंदगी दोबारा मिली है
अब फर्क नहीं पड़ता गर कोई साथ ना भी दे अगर।

आगे का #भाग 9 कल🙏

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