He is known as the Pioneer of Emerald business in India. Till the mid of 20th Century Emeralds were not mined in India or Indian Subcontinent. Seth Banjilal Tholia jain ( jaipur) was the first gemstones merchant to import rough emeralds from England.
He was the Founder President of Jaipur Jewellers Association in 1927. For the tourists coming to Jaipur, he constructed Seth Banjilal Tholia Dharamshala at Ghee Walon Ka Rasta, Johari Bazar, Jaipur in 1923. It is known to be the first such facility in the city.
spreading the religious influence of Jainism, his sons organized Chaturmas -- a four month stay of great Jain Monks (Munis) Aacharya Shri Shanti Sagar Ji Maharaj with his disciples (Sangh) at Digambar Jain Mandir Ji Tholiyan and Seth Banjilal Tholia Dharamshala, Jaipur
Acharya Shri Shanti Sagar Ji Maharaj along with his disciples stayed for his chaturmaas at the Digamber Jain Tholia Temple in Jaipur in the year 1932 in the people sitting
बाद मे वहा छोटा मंदिर बना के बड़ी मूर्ति स्थापित की जो की आज है ये मूर्ति यहाँ पहले कभी नही थी इसी मूर्ति के सामने जैन चरण चिन्ह है जिनको दत्तात्रय जी के बताने लगे यहाँ जैन प्रतिमा भी बनी हुई है जिसको खराब करने का कोशिस किया गया इनके द्वारा ASI के सभी बुक्स मे ये जैन मंदिर ही है
गिरनार पे सभी टोंक जैन समाज की है वहाँ 5th टोंक के पास 4th टोंक पे आज भी जैन समाज का हक है और वहाँ जैन मूर्ति और चरण है बिल्कुल जैसे 5th टोंक पे है वीडियो मे देख सकते है 4th टोंक से 5th टोंक दिखती है जहा कब्जा किया हुआ है
#jainism
जैन समाज के लोग जब भी 5th टोंक पे केवल दर्शन करने गए है वहा उनपे हमले हुए है जंतर मंतर पे निर्मल कुमार सेठी जी ने आंदोलन भी किया था इन हमलो के खिलाफ लेकिन कुछ action नही लिया गया हमेशा वहा जैन समाज को जाने से रोका गया अपने ही मंदिर पे
गिरनार हिस्ट्री कैसे जैन समाज से उनका मंदिर छीना गया ये आज़ाद भारत मे वो भी गीरनार पर्वत पे 5 टोंक है जिसमे से 4 आज भी जैन समाज की है जहा चरण चिन्ह और जैन मूर्ति बनी हुई है पर पता नही 5 th टोंक पे रातों रात एक मूर्ति स्थापित कर दी जाती है किसी और समाज द्वारा पहले एक छोटी सी थी
बाद मे वहा छोटा मंदिर बना के बड़ी मूर्ति स्थापित की जो की आज है ये मूर्ति यहाँ पहले कभी नही थी इसी मूर्ति के सामने जैन चरण चिन्ह है जिनको दत्तात्रय जी के बताने लगे यहाँ जैन प्रतिमा भी बनी हुई है जिसको खराब करने का कोशिस किया गया इनके द्वारा ASI के सभी बुक्स मे ये जैन मंदिर ही है
गिरनार पे सभी टोंक जैन समाज की है वहाँ 5th टोंक के पास 4th टोंक पे आज भी जैन समाज का हक है और वहाँ जैन मूर्ति और चरण है बिल्कुल जैसे 5th टोंक पे है वीडियो मे देख सकते है 4th टोंक से 5th टोंक दिखती है जहा कब्जा किया हुआ है
Jina Shasana Devatas
(Demi gods and godesses of Jains) :-
Shasana Devatas worshipped the Thirthankaras at the Samavasaran and on Moksha of the Thirthankaras continue to serve Jina Dharma and its followers.
Images and descriptions for each of the 24 pairs of Shasana Devatas.
2) 1927 - In a case, Gateppa vs. Eramma and others, reported in AIR 1927 Madras 228, the Madras High Court held that,
3) 1939:- In a case of dispute between Hirachand Gangji and Rowji Sojpal, reported in AIR 1939 Bombay 377, it was observed that,
4) 1951:- In The Commissioner Hindu Religious Endowments, Madras vs. Shri Lakshmindra Thirtha Swamiar of Shri Shirur Mutt, reported in AIR 1954 SC 282, a court observed that,
Jain Tirthankara worshipped as Pandi Muneeswaran at Madurai, #Tamilnadu The irony is that there are animal sacrifices in this temple.
#jainsim
#आवां_हमर_छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ में जगह जगह दिगम्बर जैन तीर्थंकरों की प्राचीन प्रतिमाओं के दर्शन सुलभ हैं , छत्तीसगढ़ के प्रमुख देवी मंदिरों में से एक #महामाया_देवी #मंदिर #रतनपुर #छत्तीसगढ़ में मुख्य द्वार में स्थित...