कर्नाटक चुनाव के परिणाम कई बातों की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं कई जगह यह कहा जा रहा है की महंगाई कर्नाटक में राज्य सरकार के हार का कारण बना जबकि राजस्थान में जहां कांग्रेस की सरकार है वहां पेट्रोल का रेट ₹109 लीटर है और कर्नाटक में ₹102 लीटर था 👇
कर्नाटक में आम मजदूरी ₹428 है राजस्थान में ₹197 तथा हिमाचल में ₹230 क्योंकि राज्य सरकार अगर तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो क्या खाली महंगाई भाजपा की हार का फैक्टर था? बेरोजगारी दर हिमाचल प्रदेश राजस्थान में कर्नाटक से बहुत ज्यादा है? दरअसल कुछ और शक्तियां भी हैं जो नहीं चाहती
कि भारत में कोई मजबूत सरकार कामयाब हो और इसमें हित प्रभावित हो रहे हैं चाइना के और चाइना के एजेंसी अपने एजेंट के माध्यम से कई ऐसे मामले उठाती है जिससे केंद्र सरकार आने वाले समय में कमजोर हो दूसरा बहुत बड़ी ताकत कुछ अमेरिका के उद्योगपति हैं जो भारत को अपना सामान बेचने का गोदाम
बनाना चाहते हैं उन्हें इससे ज्यादा परेशानी है कि भारत मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में आगे क्यों जा रहा है तीसरा एक सबसे बड़ा फैक्टर इस्लामिक देशों से आने वाला पैसा है क्योंकि उन्हें लगता है नरेंद्र मोदी सरकार के रहते हुए तेजी से इस्लामिक विचारधारा को भारत मैं फैलाना बहुत मुश्किल होगा
यही कारण है की कर्नाटक के अंदर 15 परसेंट मुस्लिम और क्रिश्चियन वोट एक तरफा कांग्रेस को क्या और उनका वोट परसेंटेज 90% था जबकि हिंदुओं का वोट परसेंटेज मात्र 55% था. दरअसल इस्लामिक विचारधारा राजनीतिक संगठन इस बात का प्रयास कर रहे हैं
नई पीढ़ी के पतन का कारण :- श्रीकृष्णजी ने एक रात को स्वप्न में देखा कि, एक गाय अपने नवजात बछड़े को प्रेम से चाट रही है । चाटते- चाटते वह गाय उस बछड़े की कोमल खाल को छील देती है । उसके शरीर से रक्त निकलने लगता है और वह बेहोश होकर, नीचे गिर जाता है।
श्रीकृष्ण जी प्रातः काल जब यह👇
स्वप्न, अपने चचेरे भाई नेमिनाथ जी को बताते हैं, तो वे कहते हैं कि यह स्वप्न, पंचमकाल (कलियुग) का लक्षण है। कलियुग में माता-पिता, अपनी संतान को इतना प्रेम करेंगे, उन्हें सुविधाओं का इतना व्यसनी बना देंगे कि वे उनमें डूबकर अपनी ही हानि कर बैठेंगे। सुविधाभोगी और कुमार्गगामी बनकर
विभिन्न अज्ञानताओं में फंसेंगे और अपने होश गँवा देंगे। आजकल हो भी यही रहा है। हम अपने बच्चों को
मोबाइल,बाइक,कार,कपड़े,फैशन की सामग्री और पैसे उपलब्ध करा देते हैं, इससे बच्चों का चिंतन,इतना विषाक्त हो जाता है कि वो हमसे झूठ बोलना,बातें छिपाना, बड़ों का अपमान करना आदि सीख जाते हैं
निवेदन:विषय गंभीर है अतः कोई भी टिप्पणी करने के पूर्व लेख को भलीभाती पढ़ और समझ लें।
नविका कुमार की 'द न्यूज़आवर'डिबेट शो में आज फिर एक नूपुर शर्मा वाली डिबेट होते-होते रह गई।इस बार पैनल में एक तरफ विख्यात लेखक व जेन्यू प्रोफेसर आनंद रंगनाथन थे तो दूसरी तरफ कोई आरजेडी नेता सैयद👇
फैसल अली। डिबेट मॉडरेटर नविका कुमार की डिबेट वैसे ही सबसे डिसिप्लिन्ड डिबेट है। एक जर्नलिस्ट एंकर के तौर पर नविका कुमार को सुनना बाकी सभी महिला पत्रकारों से बेहतर लगता है। उनकी डिबेट बेहद ही आकर्षक होती है।
क्योंकि एक पैनलिस्ट के तौर पर नूपुर शर्मा की बेबाकी को वह देख चुकी हैं,
कि कितना बड़ा इंटरनेशनल विवाद खड़ा हो गया। आज के विमर्श में आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री जी के मसले पर सैयद फैसल शाह की ओर से अंधविश्वास का आरोप लगाया गया। प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने स्पष्ट प्रश्न पूछा, डू यू फील सुपरस्टिशन इज बैड? इस पर सैयद फैसल शाह ने उत्तर दिया, यस। इसी के बाद ठीक
वो कहावत है न कि जो जीता वही सिकंदर !
वैसे सिकंदर कितनी बार जीता , इसका कोई आंकड़ा नहीं है !
हां भारत से तो वह अपना सा मुंह लेकर वापस लौट गया था !
पता यह भी नहीं कि जो भारत से खाली हाथ लौटा वह यूनानी जीता सिकंदर कैसे हो गया ?
यहां हमारा मकसद यह बताना है कि कर्नाटक में कांग्रेस👇
के जीत हासिल करते ही पूरे देश में विपक्ष के हौसलों में उबाल आ गया है !
अब तक कांग्रेस को साथ लेने से बच रही ममता ने तो आंकड़े भी बता दिए कि देश की 200 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का पलड़ा भारी है !
नीतीश की चाल सरपट हो गई और अखिलेश भी यूपी में तमाम विपक्षी दलों का नेता बनने का सपना
पालने लगे !
अच्छा है , विपक्ष में प्राणों का संचार तो हो ही गया है । कर्नाटक में कांग्रेस की जीत ने तमाम विपक्ष के लिए बूस्टर डोज का काम किया है उत्साहित कांग्रेस नेता तो यहां तक कहने लगे कि मोदी का जादू उतर गया और जनता न उनका चेहरा देखना चाहती है ,न आवाज सुनना नीतीश , केजरीवाल
एक पच्चीस वर्ष का युवा कथावाचक बिहार जैसे राज्य में आता है और दूसरे ही दिन आठ से दस लाख की भीड़ उमड़ पड़ती है, तो यह सिद्ध होता कि अब भी इस देश की सबसे बड़ी शक्ति उसका धर्म है। मैं यह इसलिए भी कह रहा हूँ कि इसी बिहारभूमि पर किसी बड़े राजनेता की रैली में 50 हजार की भीड़ जुटाने 👇
के लिए द्वार द्वार पर गाड़ी भेजते और पैसे बांटते हम सब ने देखा है। वैसे समय में कहीं दूर से आये किसी युवक को देखने के लिए पूरा राज्य दौड़ पड़े, तो आश्चर्य होता है। मेरे लिए यही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का सबसे बड़ा चमत्कार है।
वह दस लाख की भीड़ किसी एक जाति की भीड़ नहीं है, उसमे
सभी हैं। बाभन-भुइंहार हैं, तो कोइरी कुर्मी भी... राजपूत हैं तो बनिया भी, यादव भी, हरिजन भी... यह वही बिहार है जहां हर वस्तु को जाति के चश्मे से देखने की ही परम्परा सी बन गयी है। उस टूटे हुए बिहार को एक युवक पहली बार में इतना बांध देता है, तो यह विश्वास दृढ़ होता है कि हमें बांधना
एक बार एक कुत्ते और गधे के बीच शर्त लगी कि जो जल्दी से जल्दी दौडते हुए दो गाँव आगे रखे एक सिंहासन पर बैठेगा…
वही उस सिंहासन का अधिकारी माना जायेगा, और राज करेगा.
जैसा कि निश्चित हुआ था, दौड शुरू हुई.
कुत्ते को पूरा विश्वास था कि मैं ही जीतूंगा.
क्योंकि ज़ाहिर है इस गधे से तो👇
मैं तेज ही दौडूंगा.
पर आगे किस्मत में क्या लिखा है … ये कुत्ते को मालूम ही नही था.
शर्त शुरू हुई .
कुत्ता तेजी से दौडने लगा.
पर थोडा ही आगे गया न गया था कि अगली गली के कुत्तों ने उसे लपकना ,नोंचना ,भौंकना शुरू किया.
और ऐसा हर गली, हर चौराहे पर होता रहा..
जैसे तैसे कुत्ता हांफते
हांफते सिंहासन के पास पहुंचा..
तो देखता क्या है कि गधा पहले ही से सिंहासन पर विराजमान है.
तो क्या…!
गधा उसके पहले ही वहां पंहुच चुका था… ?
और शर्त जीत कर वह राजा बन चुका था.. !
और ये देखकर
निराश हो चुका कुत्ता बोल पडा..
अगर मेरे ही लोगों ने मुझे आज पीछे न खींचा होता तो
राजस्थानी लोगों को छोड़कर शेष दुनियां को लगता है कि राजस्थान में पानी नही है और यहां खून सस्ता पानी महंगा हैं...जबकी यहाँ सबसे शुद्धता वाला पानी जमीन में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
राजस्थान के लोगों को पूरे विश्व में सबसे बड़े कंजूस कृपण समझा जाता है ...जबकि पूरे भारत के ९५%
बड़े उद्योगपति राजस्थान के हैं, राममंदिर के लिए सबसे ज्यादा धन राजस्थान से मिला है...राममंदिर निर्माण में उपयोग होने वाला पत्थर भी राजस्थान का ही है..!
राजस्थान के लोगों के बारे में दुनियां समझती है ये प्याज और मिर्च के साथ रोटी खाने वाले लोग हैं जबकि पूरे विश्व मे सर्वोत्तम और
सबसे शुद्ध भोजन परम्परा राजस्थान की हैं यहां का बाजरा विश्व के सबसे पौष्टिक अनाज का खिताब लिये हुए हैं।
राजस्थानी लोगों को छोड़कर शेष दुनियां को लगता है कि राजस्थान के लोग छप्पर और झोपड़ियों में रहते हैं इन्हें पक्के मकानों की जानकारी कम हैं ..जबकि यहां के किले इमारतें और उनपर