रोज़ की तरह शनिवार की रात भी विलास गायकवाड़ अपना इलेक्ट्रिशियन का काम पूरा कर घर की तरफ लौटे थे। कहाँ पता था कि रास्ते में इस्लामिक जानवर घात लगाए हैं, वो घर नहीं पहुंच पाएंगे।
दस बाई दस के कमरे में तीन बच्चों सहित परिवार के अकेले कमाने वाले विलास को मुसलमानों ने रोका और लोहे
की रॉडो से तब तक पीटते रहे जब तक जान नहीं निकली।
अपने पति का इंतजार करती पत्नी सोच रही थी किसी दोस्त के पास रुक गए होंगे। फोन भी नहीं था पास कि पूछ सकती।
सुबह किसी ने अखबार में फोटो देखी तब जाकर खबर मिली। सरकारी अस्पताल में कोने में पड़े पति की लाश लेकर वह गरीब कहाँ जाए? 😓
किसे कोसे ?
महाराष्ट्र एकदम से पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसा बन चुका है। पिछले एक साल में देश में सबसे ज्यादा दंगे यहीं हुए। किसी पर भी यु पी मॉडल अपनाई गई होती तो आज विलास गायकवाड़ अपने दुकान में काम कर रहे होते।
देवेंद्र फडणवीस विपक्ष में रहते रज़ा एकेडमी को बैन करने #अकोला
🙇
चुनौती तो ऐसे देते थे जैसे उनकी सरकार बनते ही शपथ ग्रहण वाले कलम से ही इस इस्लामिक आतंकवादी संगठन पर बैन वाले हस्ताक्षर भी कर देंगे। अब न कार्रवाई की जा रही न बैन।
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
याद है पिछले साल अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में मिली हार को एक्सेप्ट ही नहीं कर रहा था, हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक रट्टा कि पोस्टल बैलेट में हम आगे थे।
दरअसल वो सच था कि ओल्ड पेंशन स्कीम वापस बहाल करने के वादे ने उसे ढेरो वोट दिलवाए। भारत के हर परिवार न सही हर खानदान में
एकाक दो रिटायर्ड गवर्नमेंट सर्वेंट हैं या अभी सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं।
हमारी बगल की एक महिला जो आंगड़वाड़ी में शिक्षिका हैं उनकी ड्यूटी चुनाव में थी,रोज़ आकर बताया करती थीं कैसे सरकारी अध्यापकों का रुझान सपा की तरफ है।
कर्नाटक चुनाव में भी OPS वादा था, पोस्टल बैलट में
कांग्रेस आगे निकली।
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने यही वादा किया,वो भी जीत गए।राजस्थान सरकार ने OPS लागू करने का वादा कर अगले साल होने वाले चुनाव में मास्टरस्ट्रोक लगा दिया है।
OPS लागू करना राज्यों के लिए भले न आसान हो मगर लालच में पड़ने वाले लोगों की कमी नहीं है।
आपके अंदर दया और प्रेम भरा हो लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि किसी पागल कुत्ते के बगल में सो जायें।
मुसलमान अफ्रीकी भेड़िये की तरह है जो आबादी बढ़ाते हैं,हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल रहते हैं, अगल बगल के जानवरों को खा जाते हैं,देश के संसाधनों को
तबाह कर देते हैं।
मुसलमान अगर अल्पसंख्यक हैं तो हम भी उन्हें पीढ़ियों से ढोते आ रहे हैं ,बर्मा के लोगों ने उन्हें कभी गाली नहीं दी लेकिन अब ये हमे दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
जैसे आप अपने प्रियजनों की रक्षा करते हो वैसे ही मैं भी अपने प्रियजनों की कर रहा हूँ।
मैं तो बस एक
वफादार कुत्ते की तरह हूँ जो मुसलमानों के खतरे से देश को आगाह करने के लिए भौक रहा है।
अगर वेस्टर्न मीडिया मुझे बर्मा का लादेन कहता है मुझे इससे कोई फरक नहीं पड़ता।
एक human right commision की महिला को कुतिया और वेश्या कहते हुए बोले कि अगर इससे भी घटिया शब्द होता तो मैं वो भी