#नाथूराम_गोडसे_अमर_रहें 🙏
आज गोड़से जी का जन्मदिन है... गोड़से का जो व्यक्तित्त्व था , दुनिया उसके बारे में बहुत ही कम जान सकी है ..
इधर कुछ सालों से गोड़से में मेरी रुचि बढ़ी है और मैं जितना जान सका हूँ , उसके आधार पर लिखता हूँ कि भारत का गोड़से से परिचय अभी
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हुआ ही नहीं है। मुझे यह कहने में कोई भय या लज्जा नहीं है कि गोड़से एक प्रखर राष्ट्रवादी व्यक्तित्व थे..
आपकी माँ के कोई 2 टुकड़े कर दे और तत्कालीन कानून में इस अपराध के लिए कोई सजा ही न हो तो बहुत संभव है कि आप भी गोड़से ही बन जाएंगे ..
..वे महाराष्ट्र से आते थे . ..
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देश के विभाजन का महाराष्ट्र पर बहुत कम असर पड़ा था .. फिर भी गोड़से ने प्राण बलिदान कर दिए ..जी मैं बलिदान ही कहूंगा .. क्योंकि वे जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं, इसका अंजाम क्या होगा ?
और वो कोई सिरफिरा व्यक्ति नहीं थे बल्कि एक अखबार "हिन्दू राष्ट्र" के संपादक थे ..
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और ऐसा नहीं कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद गोड़से पॉपुलर हो गए हैं .. वे उस समय भी एक हीरो की तरह ही पॉपुलर थे और मैं ऐसा लिखित तथ्यों के आधार पर लिख रहा हूँ..
जो वो इतने लोकप्रिय न होते तो क्या कारण था कि उनका अंतिम संस्कार अंबाला जेल के भीतर ही करना पड़ा ..
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जेल में ही अंतिम संस्कार का ये पहला और आखिरी उदाहरण है), क्यों उनकी अस्थियां बोरी में भरकर चुपचाप नदी में फिंकवा दी गईं ..सरकार को डर था कि कहीं गोड़से की लोकप्रियता ज्यादा परवान चढ़ी तो सत्ता ही न हिल जाए .. लोकप्रियता की एक और बानगी देखिये गोड़से के मुकदमे की सुनवाई
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शिमला में हुई ...गोड़से के परिवारीजन मुम्बई से शिमला पँहुचते हैं .. अपनी बोलचाल से वे स्पष्ट ही बाहरी पहचाने जा सकते थे .. रेल गाड़ी में ही जब सहयात्रियों को उनका परिचय मिला तब लोग भावुक हो उठे.. उनके भोजन आदि की समुचित व्यवस्था की और स्टेशन के बाहर घोड़ा तांगा की भी
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व्यवस्था करके दी ..
एक और ..शिमला की अदालत में गोड़से बिना स्वेटर आया करते थे ..शिमला तब भी कुलीन/अभिजात्य वर्ग का शहर था ..उसी कुलीन वर्ग की महिलाओं ने गोड़से के लिए स्वेटर बुनकर भेजे ..ये वे महिलाएं थीं जो अदालत की कार्यवाही देखने आया करती थीं ..
बहुत से किस्से हैं ..गहरे
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उतरेंगे तो पाएंगे कि गोड़से का उद्देश्य गांधी की हत्या मात्र न होकर बहुत बहुत व्यापक था।
गोड़से पर व्यापक विमर्श अभी बाकी ही है..और ये विमर्श तभी सम्भव हो सकेगा जब गांधी से देश को हुए नफे नुकसान का राजनीति से परे हटकर मूल्यांकन हो चुकेगा।
जब तक ये देश गांधी की गलतियों की सजा
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भुगतता रहेगा तब तक गोड़से प्रासंगिक बने ही रहेंगे।
नाथूराम जी की जयंती पर उनको सादर प्रणाम और सादर नमन🙏🙏
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एक व्यक्ति अपनी चमचमाती BMW कार से कहीं जा रहा था…
उसकी बगल वाली सीट पर उसकी भारी भरकम पत्नी भी बैठीं थी …
अचानक जाते जाते रास्ते में उसने देखा कि एक बहुत ही खूबसूरत महिला एक साइकिल सवार के पीछे वाली सीट पर बैठी है …
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उसे लगा शायद वह उस साइकिल सवार की पत्नी होगी ..
BMW वाले व्यक्ति को बहुत ईर्ष्या हुई और उसने शिकायत भरे लहजे में ख़ुद से कहा.....साला ,मैंने क्या तक़दीर पाई है....काश मुझें भी ऐसी ही पत्नी मिली होती...
संयोग से उसकी हृदय की पीड़ा को वहाँ से गुजरते हुए एक दयालु जिन्न ने सुन
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ली औऱ उसे उस आदमी पर तरस आ गई ।
जिन्न ने तुरंत उस आदमी की इच्छा पूरी कर दी औऱ वह आदमी पल भर में साइकिल पर आ गया...!
उसके बाद आदमी फूटफूटकर रोने लगा तो उसे दुखी देख हैरान जिन्न उसके सामने प्रकट हुआ औऱ बोला....अब क्या चाहिए रे तेरे को ??
@Cyber_Huntss हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं और आप भी पढ़े ही होगे कक्षा एक से शुरू होती हुई हिंदी किताबो में भी जो कहानियां वो शुरू ही होती हैं "किसी गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था" मतलब कहानी की पहली लाइन ही ब्राह्मण की गरीबी से शुरू होती हैं और तो और आगे लिख देते हैं की
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"वो गरीब ब्राह्मण भिक्षाटन करके अपना जीवन यापन करता था" अब यहां तक तो ठीक है उसी क्रम में आगे सुनने को मिलेगा की "ये ब्राह्मण बहुत ज्ञानी और बड़े दयालु प्रवृत्ति के थे" ... अब ये गरीब ब्राह्मण जो दयालु प्रवृत्ति का था और भिक्षाटन करके जीवन यापन करता था बावजूद इसके इतना सक्षम
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था की सैकड़ों जातियों का शोषण कर डाला, वाह रजा पंडी जी..! बड़ी भौकाल था आपका खैर....
ये हो गईं सामान्य बातें जो की अक्षरशः सत्य भी हैं गुरु वशिष्ठ गुरु विश्वामित्र से लेकर चाणक्य तक के पास कोई अपनी धन संपदा नही थी ना ही कोई साम्राज्य था, परंतु उन्होंने अपने जीवन काल में जो भी
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क्या है सांडे के तेल की हकीकत...
आठवीं पास करके जब इंटर कॉलेज में एडमीशन हुआ।तो एकदम नई दुनिया खुल गई।साइकिल से लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित इंटर कॉलेज जाने लगा। रास्ते में तमाम दुनिया के नजारे इंतजार करते बैठे रहते। ऐसी एक स्मृति सड़क के किनारे लगे मजमे की भी है। इसमें एक आदमी
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कई सारी बड़ी छिपकलियों को एक दरी पर बिछाकर और उनमें से कुछ को बर्तन में भूनते हुए दिखता। इसे ही वो सांडे का तेल कहता।
इस सांडे के तेल की तमाम महिमा का बखान करके वह बेचता। उसकी जुबान बंद नहीं होती। वो लगातार बोलता रहता और तेल से भरी हुई शीशी को बेचता भी रहता। बाद में कभी जब उस
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सांडे की असली कहानी के बारे में पता चला तो मन जाने कितनी वितृष्णाओं से भर गया। आप भी जानिए सांडे के बारे में।
आइए आज बात करते हैं एक एसे सुन्दर, शान्त, विषहीन, निरीह, किसान हितैषी और क्षतिशून्य प्राणी की जो बलि चढ़ गया मनुष्यों की कामोत्तेजना बढ़ाने की अंतहीन लालसा की।
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आज १९ मई को शनि जयन्ती है। शास्त्रानुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि देव का जन्म माना गया है। मकर, कुम्भ व मीन राशि इस समय शनि की साढ़ेसाती,एवं कर्क और वृश्चिक राशि पर ढैया चल रही है, साथ ही जो लोग शनि की महादशा/अंतर्दशा आदि के साथ-साथ गोचर में भी शनि ग्रह के कुप्रभाव से
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पीड़ित हैं,वो आज के दिन ये उपाय कर सकते हैं।
◆ शिवलिङ्ग का १०८ नीले पुष्पों से अर्चन कर सकते हैं।
◆ १०८ बिल्वपत्रों से शिवलिङ्ग का अर्चन कर सकते हैं।
◆ "नमः शिवाय" का जप करते हुए लोहे (स्टील) के बर्तन से काले तिल मिश्रित जल से शिवलिङ्ग का अभिषेक कर सकते हैं।
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◆ शिवलिङ्ग के सन्निकट रात्रि में तिल के तेल से उड़द की दाल व मौली की बाती से बने कम से कम २७ दीपक पिप्पलादकृत शनि स्तोत्र अथवा दशरथकृत शनि स्तोत्र बोलते हुए दीप प्रज्वलित कर रख सकते हैं।
◆ दशरथ कृत शनि स्तोत्र के पाठ १०८ अथवा यथा सम्भव संख्या में कर सकते है। यदि १०८ संख्या
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डिप्रेशन ग्रस्त एक सज्जन जब पचास साल की उम्र से ज्यादा के हुए तो उनकी पत्नी ने एक काउंसलर का अपॉइंटमेंट लिया जो ज्योतिषी भी थे।
पत्नी बोली:- "ये भयंकर डिप्रेशन में हैं, कुंडली भी देखिए इनकी।"
और बताया कि इन सब के कारण मैं भी ठीक नही हूँ।
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ज्योतिषी ने कुंडली देखी सब सही पाया। अब उन्होंने काउंसलिंग शुरू की, कुछ पर्सनल बातें भी पूछी और सज्जन की पत्नी को बाहर बैठने को कहा।
सज्जन बोलते गए...
बहुत परेशान हूं...
चिंताओं से दब गया हूं...
नौकरी का प्रेशर...
बच्चों के एजूकेशन और जॉब की टेंशन...
घर का लोन, कार का लोन...
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कुछ मन नही करता...
दुनिया मुझे तोप समझती है...
पर मेरे पास कारतूस जितना भी सामान नही.
मैं डिप्रेशन में हूं...
कहते हुए पूरे जीवन की किताब खोल दी।
तब विद्वान काउंसलर ने कुछ सोचा और पूछा, "दसवीं में किस स्कूल में पढ़ते थे?"
सज्जन ने उन्हें स्कूल का नाम बता दिया।
काउंसलर ने कहा:-
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कच्चे और पके आम 🥭 का ख़ास गणित
कच्चे हरे आम के छिलके फेंकना नहीं है। कच्चे आमों को साफ धो लीजिये,सूखे कपड़े से पोछ लीजिये, छिलके उतारकर इसके पल्प का आमचूर, अचार, मुरब्बा बगैरह बना सकते हैं, रही बात इसके छिलकों की, तो इसके छिलकों को फेंकने की गलती ना कीजिएगा। छिलकों को
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धूप में 3-4 दिन उलट पुलटकर सुखा दीजिये और इन्हें ग्राइंड करके पाउडर बना लें। इस पाउडर की आधी चम्मच मात्रा हर दिन एक गिलास पानी के साथ पीना सेहत के हिसाब से बेहतरीन है। कच्चे आम के छिलको में एंटीऑक्सीडेंट कंपाउंड मैंजीफेरीन पाया जाता है, छिलकों का 70-80% हिस्सा फाइबर्स
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होता है और तो और इनमें पॉलीफिनॉल्स, कैरेटेनॉइड्स, विटामिन C, विटामिन E और कई अन्य महत्वपूर्ण प्लांट कंपाउंड्स पाए जाते हैं। हार्ट की समस्याओं के लिए इन नेचरल कंपाउंड्स की जरूरतों को लेकर ढेर भर रिसर्च पेपर्स पढ़े जा सकते हैं। आपके बालों, स्किन और आंखों के लिए भी ये
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