आयुर्वेद में कहा गया है कि दही में ऐसी चीज़ मिलाएं,जो कि जीवाणुओं
को बढा़ये ना कि उन्हें मारे या खत्म करे।
दही को गुड़ के साथ खाइये, गुड़ डालते ही जीवाणुओं की संख्या मल्टीप्लाई हो जाती है और वह एक करोड़ से दो करोड़ हो जाते हैं थोड़ी देर गुड़ मिला कर रख दीजिए।
- गुड़ की शक्कर का बूरा डालकर भी दही में जीवाणुओं की ग्रोथ कई गुना ज्यादा हो जाती है
- मिश्री को अगर दही में डाला जाये तो ये सोने पर सुहागे का काम करेगी।
- सुना है कि भगवान श्रीकृष्ण भी दही को मिश्री के साथ ही खाते थे।
- पुराने जमाने में लोग अक्सर दही में गुड़ या मिश्री डाल कर दिया करते थे।
श्रद्धा: पत्नी
आत्मा: यजमान
शरीर: यज्ञभूमि
फल: विष्णु से मिलन
विष्णु से मिलन महानतम यज्ञ
जीवात्मा
और परमात्मा का मिलन ही महायज्ञ है।
यज्ञ से चित्तशुद्धि होती है।
चित्तशुद्धि का फल है परमात्मा की प्राप्ति।
सभी इन्द्रियाँ यज्ञमण्डल के द्वार हैँ।
इस यज्ञ मेँ काम क्रोध लोभ मोह👇
आदि राक्षस बाधा करने के लिए आते हैँ।
इस महायज्ञ मेँ विषयरुपी मारीच बाधा डालता है।
द्वार पर राम लक्ष्मण को स्थापित करने से काम क्रोध वासनारुपी मारीच और सुबाहु विघ्न करने नहीँ आ पायेगेँ।
आँखो मेँ कानो मेँ मुख मेँ
सभी इन्द्रियोँ के द्वार पर राम लक्ष्मण को बैठाने अर्थात कीर्तन करने
से मारीच विषय विघ्न नहीँ कर सकेगा।
मारीच शीघ्र नहीँ मरता
अपनी इन्द्रयोँ के द्वार पर राम लक्ष्मण को शब्द ब्रह्म परब्रह्म को आसीन करने से काम मारीच यज्ञ मेँ बाधा नहीँ डाल सकेगा।
तभी जीवन यज्ञ निर्विघ्न समाप्त होगा।
माया मारीच को रामचन्द्र विवेक बाण से मारते हैँ।
जिसके चिँतन से काम
रुतम्-दु:खम्
द्रावयति नाशयतीतिरुद्र:||
भगवान भोलनाथ
सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं।
रुद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद यजुर्वेद और सामवेद में भी किया गया है।
शास्त्र और वेदों में वर्णित हैं कि शिवजी का अभिषेक करना परम कल्याणकारी है।
हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार
हमारे द्वारा👇
किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं
रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है।
रूद्र शिवजी का ही एक स्वरूप हैं
रुद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद यजुर्वेद और सामवेद में भी किया गया है
शास्त्र और वेदों में वर्णित हैं की शिव जी का अभिषेक करना परम कल्याणकारीहै
रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे पटक-से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता हैतथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो
जो रोज कहते हैं मोदी जी ने क्या किया हैं वह जरुर जाने
मोदी के एक नहीं 100 काम बता रहा हूं पूरा पढ़ने कि हिम्मत तो करो
कृपया खानदान के गुलाम . संकीर्ण जातिवादी मुर्ख . बामपंथी .आतंकी .अलगावादी समर्थक इसे पूरा पढ़ने कि कोशिश नहीं करे अन्यथा उनको हार्टअटेक या ब्रेनस्टोक या फिर👇
कोमा मे या पागल हो सकते हैं
1) देश का सबसे बड़ा सरदार सरोवर बांध को पुर्ण कराया जिसे लौह पुरुष पटेल के नाम से बनने के कारण 65 साल से अटकाया गया था
2) देश का सबसे लम्बा भूपेंद्र हजारिका सेतु 9.15km को बनाया जिसे पिछली सरकार चीन के डर से रोका था
3) देश की सबसे लम्बी चनानी
नौशेरा सुरंग बनाया जिसे पिछली सरकार ने अटकाया था
4) विश्व की सबसे ऊंची रेल्वे ब्रिज चिनाब नदी पर बना जिसका काम 2008 में रोका गया था
4) वन रेंक वन पेंशन सेना को उसका हक दिया जिसे पिछली सरकार 45 साल से छल रही थी
5)2014 से पहले मात्र तीन शहर मेट्रो आम जनता के लिये चलता था और
वृक्षों की पूजा-उपासना
भाग 1
भारतीय संस्कृति में
वृक्षों का विशेष महत्त्व है।
क्योंकि वे हमारे जीवन के प्राण हैं।
पुराणों तथा धर्म-ग्रंथों में पेड़-पौधों को बड़ा पवित्र और देवता के रूप में माना जाता है।
इसलिए उनके साथ पारिवारिक संबंध बनाए जाते हैं।
जब से वैज्ञानिकों ने यह 👇
सिद्ध कर दिया है कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है तब से लोक विश्वासों में दृढ़ता आई है
इसलिए पाप और पुण्य की अवधारणा भी उसके साथ जुड़ गई है और देव तुल्य वृक्षों का संरक्षण पुण्य व उनका विनाश करना पाप स्वरूप माना जाने लगा
धर्म ग्रंथों के अनुसार
जो मनुष्य वृक्षों का आरोपण करते हैं
धर्म ग्रंथों के अनुसार
जो मनुष्य वृक्षों का आरोपण करते हैं वे वृक्ष परलोक में उसके पुत्र होकर जन्म लेते हैं।
जो वृक्षों का दान करता है
वृक्षों के पुष्पों द्वारा देवताओं को प्रसन्न करता है और मेघ के बरसने पर छाता के द्वारा अभ्यागतों को तथा जल से पितरों को प्रसन्न करता है।
मन
कभी भी नष्ट नही हो सकता
इन्द्रियों का जीतना
मोक्ष का ही कारण है।
किसी क्रम तथा उपाय से संसार समुद्र नहीं तरा जाता।
सन्तों के संग और सत्शास्त्रों के विचार से जब आत्मतत्त्व का बोध होता है।
जब तक संसार का अत्यन्त अभाव नहीं होता तब तक आत्मबोध नहीं होता।
सब कर्मों का बीज मन है👇
मन में छेदे से ही सब जगत् का छेदन होता है।
जब मनरूपी बीज नष्ट होता है तब जगत्रूपी अंकुर भी नष्ट हो जाता है।
सब जगत् मन का रूप है।
इसके अभाव का उपाय करो।
मलीन मन से अनेक जन्म के समूह उत्पन्न होते हैं और इसके जीतने से सब लोकों में जय होती है।
सब जगत् मन से हुआ है।
मन के
रहित हुए से देह भी नहीं भासती।
जब मन से दृश्य का अभाव होता है तब मन भी मृतक हो जाता है।
इसके सिवाय कोई उपाय नहीं।
मनरूपी पिशाच का नाश
और किसी उपाय से नहीं होता।
अनेक कल्प
बीत गये
और बीत जायँगे
तब भी मन का नाश न होगा।
इससे जब तक जगत् दृश्यमान है।
तब तक इसका उपाय करे।
जगत् का