आजादी के अमृत महोत्सव के एक अहम पड़ाव के रूप में, माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi 28 मई, 2023 को नई संसद में पवित्र 'सेंगोल' की स्थापना कर रहे हैं।
14 अगस्त, 1947 को तमिलनाडु के पुजारियों द्वारा सरकार को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में 'सेंगोल' भेंट किया गया था।
यह भेंट न्याय और निष्पक्षता का सूचक था।
सेंगोल', तमिल शब्द 'सेम्मई' से आता है, जिसका अर्थ है 'न्याय'। न्याय और निष्पक्षता की भावना को लिए यह प्रतीक नई संसद में 28 मई, 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा स्थापित किया जाएगा।
‘सेंगोल’ राष्ट्रीय इतिहास से जुड़ा एक पवित्र प्रतीक है, जिसका तमिलनाडु से गहरा नाता है। ‘सेंगोल’ स्थापना कार्यक्रम की घोषणा 24 मई को नई दिल्ली में गृहमंत्री @AmitShah द्वारा एक राष्ट्रीय प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई।
'सेंगोल' के शीर्ष पर सवार नंदी शक्ति और सच्चाई का प्रतीक के रूप में अपनी अटल दृष्टि के साथ विद्यमान है।
जवाहरलाल नेहरु ने अपनी पत्नी के साथ जो किया वो इतना भयावह था कि जान कर आप नेहरु से नफरत करने लगेंगे..
टीवी चैनल्स पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं के द्वारा अक्सर ये आरोप लगाते हुए सुना जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पत्नी को छोड़ दिया.
लेकिन क्या आप को यह पता है जवाहरलाल नेहरु ने अपनी पत्नी के साथ क्या किया ?
जवाहरलाल नेहरु की पत्नी कमला नेहरु को टीबी रोग हो गया था .. उस जमाने में टीबी की दहशत ठीक ऐसा ही थी जैसे आज एड्स की है ..
क्योंकि तब टीबी का इलाज नहीं था और इन्सान तिल-तिल... तड़प- तड़प कर पूरी तरह गलकर हड्डी का ढाँचा बनकर मरता था … और कोई भी टीबी मरीज के पास भी नहीं जाता था क्योंकि टीबी साँस से फैलती थी … लोग मरीजों को पहाड़ी इलाके में बने टीबी सेनिटोरियम में भर्ती कर देते थे।
"अरे डिंपी तू कल ऑफिस क्यों नही आई थी", रज्जो और स्वीटी ने अपनी सहकर्मी से उत्सुकता वश पूछा।
" वो कल वट सावित्री व्रत था न। इसीलिए एक दिन की लीव ले ली थी।"
स्वीटी - ये क्या होता है डिंपी? मुझे तो पता ही नही है। क्या ये वही व्रत है जिसमें यमराज से किसी लेडी ने अपने पति की जान बचाई थी?
रज्जो - याल्लाह डिंपी, तू भी इन सब ढकोसलों में मानती है। ओ कमोन यार, अब ये मत कहना कि तेरे व्रत रहने से तेरे पति की उम्र लंबी होगी।
आई डोंट बिलीव ऑन दीज नॉनसेंस।
और रज्जो ये बोलकर हँस दी।
डिंपी - शटअप रज्जो। मेरे व्रत रखने से तू क्यों इतना ओवर रिएक्ट कर रही है? क्या मैंने कभी कुछ कहा जब तू महीने महीने भर सवेरे सवेरे दो किलो खाकर पूरा दिन भूखा प्यासा रहने की नौटंकी करके फिर से शाम को चार किलो खाया करती है
भारत का पहला मुस्लिम गृहमंत्री बना वीपी सिंह सरकार में मुफ़्ती मोहम्मदसईद दिसंबर1989को और फिर शुरू हुए नाटकीय घटनाक्रम और देश की बर्बादी की दास्तान।शुरू हुए खास तथाकथित अपहरणकांड और आतंकवादियों की रिहाई के सिलसिले।लिखे गए हिन्दुओ पर ऐतिहासिक अत्याचार के काले पन्ने।
आपसे निवेदन है आप तारीखों पर और घटनाक्रम पर अवश्य ध्यान देवे
दरअसल दो दिसंबर 1989 को राष्ट्रीय मोर्चे की सरकार के गठन के पांच दिन के बाद ही कड़ी सुरक्षा में घर बैठी बैठी देश के गृहमंत्री की पुत्री रूबिया सईद का अपहरण करवा दिया गया।
तब रूबिया सईद की रिहाई के बदले 5 खतरनाक आतंकियों को छोड़ना पड़ा ये वो दुर्दांत आतंकी थे जिन्होंने हजारो नागरिको का कत्ल किया और भारतीय सेना ने इन्हें पकड़ने में अपने 107 बहादुरों को खोया। और इसी ड्रामेबाजी में 13 दिसंबर 89 को रुबिया सकुशल घर आ पहुची।
पूरा मत पढ़ना वर्ना आपके अंदर का शेखूलर मर जाएगा
दीदी पढ़ाई-लिखाई में खूब होशियार थी।
दीदी को कई किताबें मुँहजुबानी याद थी।
दीदी ने खूब सारा इतिहास पढ़ रखा था।
दीदी की नसों में खून नहीं *Secularism* बहता था।
दीदी को सभी धर्म एक ही लगते थे।
दीदी को अपने भगवानों पर भरोसा नहीं था।
दीदी भी सोचती थी कि भगवान ने तो सबको इंसान बनाया है, फिर ये हिन्दू-मुस्लिम किसने किया?
दीदी हर जगह topper थी इसलिये उन्हें लगता था कि उन्होंने सब कुछ जान लिया है।
फिर जब दीदी IAS की परीक्षा में भी top मार गयी तब दीदी *अपुन ही ब्रह्म* वाली अवस्था प्राप्त कर गयी। दीदी का Secularism उबाल मारने लगा। दीदी को भी मुस्लिम समाज वर्षों से उत्पीड़ित और राजनीति का शिकार लगता था।
*सच्चा मुसलमान कभी भरोसा नहीं तोड़ सकता* दीदी भी यही सोचती थी।
* ( यह समस्तज्ञान- कॉपी पेस्ट जरूरहै पर है मेरे दिल की बात) मात्र 10 वर्ष पहले मैं भी एक सामान्य व्यक्ति था, मुझे भी औरो की तरह नेहरू, गांधी, गांधी परिवार तथा हिन्दू मुस्लिम भाई भाई जैसे नारे अच्छे लगते थे।*
_मगर ..... मगर ...._
इन 10 वर्षों में विभिन्न माध्यमों से मुझे कुछ ऐसे सत्य पता चले जो हैरान करने वाले थे। 1. सोशल मीडिया से मुझे यह पता चला कि "पत्रकार" निष्पक्ष नही होते। वे भी किसी मकसद/व्यक्तिगत स्वार्थ से जुड़े होते हैं।
2. लेखक, साहित्यकार भी निष्पक्ष नही होते। वे भी किसी खास विचारधारा से जुडे होते है।
3. साहित्य अकादमी, बुकर, मैग्ससे पुरस्कार प्राप्त बुद्धिजीवी भी निष्पक्ष नही होते।
4. फिल्मों के नाम पर एक खास विचारधारा को बढ़ावा दिया जाता है। बालीबुड का सच पता चला।
एक 5 साल पुरानी पोस्ट:
आपके पूर्वजों ने जो पाप किये हैं वो आपको ही भोगने हैं।
कांग्रेसी जार जार रोते हैं, छाती पीटते हैं कि अमित शाह की तो दादागिरी है जी।मेघालय,मणिपुर और गोआ में जबरदस्ती सरकार बना ली।पप्पू पनौती उर्फ राहुल गांधी को मोतीलाल वोरा से अपनी दादी के किस्से सुनने चाहिए
उनको जानना चाहिए कि उनकी दादी इंदिरा गांधी ने अपने जमाने मे क्या क्या कुकर्म किये थे।
किस्सा 1982 का है ......... हरियाणा में चुनाव हुए । कांग्रेस की हालत पतली थी ।
कांग्रेस का नेतृत्व भजन लाल कर रहे थे ।
उनके मुकाबले में लोकदल ने भाजपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया था।
Cong को 35 सीट और लोकदल भाजपा गठबंधन को 37 सीट (31 लोकदल और 6 भाजपा)। चौधरी देवी लाल ने 6 निर्दलीय,3 कांग्रेस(J),और1 जनतादल के विधायक का समर्थन जुटा लिया था और अपने विधायकों को ले के परवाणू के शिवालिक होटल में जा छिपे। अकाली लीडर प्रकाश सिंह बादल साब देवीलाल के पक्के दोस्त थे ...