#केराला स्टोरी बनने की कहानी जैनब बिन्त की जुबानी भाग 1
कल मैंने #keralastory मूवी देखी
और कसम अल्लाह की इसमें ऐसा कुछ भी नहीं था जो मुझ मोमिना को डरा,दहला दे,
चलो सही से समझाती हूं
मैं जैनब बिंत (इसी नाम से जानने लगे हो मुझे आप लोग 😜), मेरी छोटी बहन आयशा और अम्मी खदीजा
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(नाम में क्या पड़ा है बाबू मोशाय किस्से पर ध्यान दो 😁) हम तीनों ने यह मूवी देखी (हां इंटरनेट से डाउनलोड वाली 😀मेरी दोस्त आबीदा ने मुझे भेजी थी)
अक्सर हम तीनों ही रहती हैं घर पर इसलिए शाम के वक्त खाना पीना,काम काज जल्दी ही निपटा लेतीं हैं हम लोग,मनै आठ बजे तक हम तीनों बिल्कुल
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फ्री टीवी के सामने या अपने अपने मोबाइलों में डूबी
मूवी का लिंक दोपहर ही मिल चुका था लेकिन उस वक्त ऐसे ही देखकर भी अनदेखा कर दिया आबीदा को कुछ भी बोला भी नहीं, नहीं पता था मैं देखूंगी या नहीं,
ट्रेलर से ही मुझे लगभग पता चल गया था क्या क्या देखने को मिलने वाला है, क्योंकि कहानी
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सच्चे वाकिए पर मग्नी बताई जा रही थी वही isis वाली 😜
लेकिन अपनी बहन आयशा को छेड़ने के मकसद से 8:10 शाम को मैंने मूवी डाउनलोड कर लो और टीवी पर स्क्रीन कास्ट कर दी
मेरी बहन एक दीनी लड़की है उसके पास दीन पर उठे हर सवाल का जवाब है उसे मैं आज तक हरा नहीं पाई हूं, उधर मेरी अम्मी एक
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निहायत ही समझदार पढ़ी लिखी खातून है,
उन्हे अपनी गुमराह बेटी और दीनदार बेटी के बीच बैलेंस बनाना अच्छे से आता है,अम्मी दीनदार हो न हो सच्ची मोमिना हो नहो, लेकिन घर और घर के लोगों को अच्छे से काबू रखना अच्छे से आता है
चलो अब आगे बढ़ते हैं...
फिल्म में शुरूआत में दोस्ती जैसा टॉपिक
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चलता है, क्या मैं इससे रिलेट कर पाई?
चलो कुछ रियल-लाइफ इंसीडेंस बताती हूं
मैं जहां काम करती हूं वहां हम 50 के आसपास एम्पलोयीज हैं, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, अगड़ा,पिछड़ा,दलित,औरत, मर्द सब
ऑफिस में 5 मुस्लिम लड़के हैं,19 हिन्दू लड़के,6 हिन्दू लड़कियां, 2 हम मुस्लिम लड़कियां,
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बाकी दूसरे स्टाफ जिनकी अलग ड्यूटी और एज ग्रुप है
मैंने अक्सर देखा है कि ऐसा नहीं की हिन्दू लड़के हमें ताड़ते नहीं हो, बिल्कुल ताड़ते हैं लेकिन जैसे ही हमारी नजरें उनकी तरफ होती है, सब सन्नाटा लगता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं, बंदा अपने काम में मशगूल
मेरा सबसे अच्छा दोस्त "नवाब" हम
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दोनों के बीच बहुत गहरी दोस्ती है, क्योंकि वह मेरा चचेरा भाई भी है और मेरी दोस्त सकीना का मंगेतर भी
एक दिन मैंने उससे पूछा यार नवाब यह बात बता तुम लोगों को जब भी मैं देखती हूं तुम्हारी नजरें रवीना, सीमा, रेखा,आरती, ट्विंकल, पिंकी पर होती है
और तुम में से एक की भी नजर हम पर नहीं
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आती ऐसा क्यूं? मस्जिद से पैसे वैसे मिलते हैं सच में?
वोह हंसा और बोला सच बताऊं या फिल्मी बात?
मैंने कहा ऑफकोर्स सच...
नवाब बोला - देख यार जैनब ये पैसे वैसे तो हवा हवाई ही है, किसी सर फिरे ने किसी सर फिरे को जकात के माल में से कुछ हिस्सा दे दिया हो तो कुछ कह नहीं सकता लेकिन ऐसा
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कुछ भी नहीं मस्जिद मदरसे में बैंक खुली है और कोई भी टोपी दाढ़ी वाला लव जेहाद का हवाला दे पैसे निकाल लाए
हम पांच में से अब्दुल एक हाफिज है,उसे हर का-फिर उसकी जन्नत की सीढी का एक पायदान लगता है, वोह हर का-फिर से बड़े ही इज्ज़त औ एहतराम से पेश आता है,हंस मुस्कुरा कर बात करता है,
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अच्छी अच्छी कहानियां कहता रहता है, क्या पता कब कौनसी मछली उसका चारा निगल ले और वोह दीन की दावत कामयाब कर दे
सबकी नजर में वह लड़कियों से दूर ही रहता है, सभी एम्पलोयीज(हम मुस्लिम लड़के छोड़कर) की नजर में उसे पसंद नहीं की कोई भी हिन्दू लड़का किसी मुस्लिम लड़की को ताड़े, या कोई
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मुस्लिम लड़का किसी हिन्दू लड़की को ताड़े
हालांकि यह बात अलग है कि वह बकरी पेलू हर हिन्दू लड़की व्हाट्सप्प पर मुस्लिम लड़कों से मिली पिक्स पर मू-ठ मारता है 😁
लेकिन उसके यहां हमारे साथ होने का असर जानकर तुम सन्न रह जाओगी,
उससे अपने ताल्लुकात खराब नहीं करने उसका दिल नहीं दुखाने
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के चक्कर में सभी हिन्दू लड़के तुम दो मुस्लिम लड़कियों से दूर रहते हैं, दूसरे हाथ हम बाकी के चारों की बदतमीजियां सह लेते हैं क्योंकि कोई माहौल नहीं बिगाड़ना चाहते, उन्हें लगता है कि वोह लड़कियां ही गई गुजरी हैं तभी तो वोह बदतमीजियों को रोकती नहीं हम क्यों बैर लें
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उधर लड़कियां 4-6 महीने का स्टाफ होती हैं बहुत कम ही लड़कियां किसी कंपनी में बहुत लंबे वक्त पर टिक पाती है, बदलती रहती हैं मतलब नई होती हैं और उनकी नजर में सभी को खुश रहना ही उनके किसी नौकरी में बने रहने का सबसे आसान रास्ता है, वोह किसी भी सीनियर और उसके चमचे जूनियर को नाराज
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नहीं करना चाहती
और यह खेल दिन दहाड़े चलता रहता है,
फिर हमारे यहां गुरबत भले ही होती है लेकिन कमाने वाला अपनी कमाई अपने ऊपर खर्च कर ले उससे परिवार को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि कोई धंधा छोटा नहीं होता परिवार का हर शख्स अपना पेट पालने जितना तो कुछ न कुछ जुटा ही लेता है
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हमें बहुत सारे पैसे बचाकर महल नहीं बनाने, ऐश ओ आराम हमें अल्लाह से दूर करते हैं, इस फानी दुनिया के ऐश औ आराम से दिल लगाना ही क्यों है जब अल्लाह रबुलआलमीन ने हमारे लिए जन्नत में हर तरह का ऐश औ आराम बनाया है
हम अपनी कमाई अपने मैक-अप,कपड़ों,पर्फ्यूम,जूते, मोबाईल, बाइक,खाना पीना,
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घूमने फिरने में खर्च करते हैं
उधर हिन्दू लड़के उनकी सैलरी से ज्यादा तो उनकी उधारी होती है, मकान की ईएमाई, बहन की शादी के लिए लिया कर्जा, छोटे भाई-बहन की पढ़ाई का खर्चा, कुछ पैसा सेविंग करने की जद्दोजहद
तीन तीन साल पुराने कपड़े, फेविक्विक लगाए जूते चप्पल, खाली पर्स,पेटीएम पर बस
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के पैसे की उधारी, तंग फटेहाल, कौन लड़की उनके साथ बोर होगी?
क्या तुम जाओगी ऐसे लड़के के साथ बाहर जो तुम्हें चाय पिला सकता है लेकिन समोसा नहीं खरीद सकता... 😁
नवाब बता रहा था की क्यों का-फिर लड़कियां मोमिनों के नजदीक आ जाती हैं
मैंने अगला सवाल पूछा "नवाब तुम लोग (हमारे साथ काम
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करने वाले मुस्लिम लड़के) हम दो मुस्लिम लड़कियों को तो देखते भी नहीं... ऐसा क्यों?
नवाब- यार जैनब इस सवाल को जाने दो तुम्हें बुरा लग जाएगा..
मैं - मोमिना हूं हलाला भी सह लेती हूं तू तो बक 😁
नवाब - पक्का?
मैं - पक्का अल्लाह कसम 😁
नवाब - यार तुम मुस्लिम लड़कियों के साथ हमें वोह
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फीलिंग्स ही नहीं आती, जब तुम्हारी तरफ देखते हैं तो हमारी आखों से अपनी चचेरी, ममेरी, फूफेरी बहनें घूम जाती हैं, जिन्हें हम बचपन से ही यूज करना शुरू कर देते हैं,कभी फुसलाकर, कभी डरा धमका, कभी इमोशनल ड्रामा,और यह सिलसिला हम तक नहीं रुकता, चाचू, मामू, फूफू, जीजू...मदरसे का मुल्ला,
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मस्जिद का कारी ईमाम, सौतेला अब्बू... सगा अब्बू... सौतेला भाई...सगा भाई.... क्या बचा रहता होगा तुम मोमिनाओं में, खेती के बीच एक चौड़ा बड़ा गड्ढा कूदने को?
तुम मोमिनाएं हमारे लिए मजबूरी का औजार हो, 60 के मोमिन को 20 मोमिना मिले तो क्या हर्ज ही कितनी भी क्यों न खुदी हो, अगर
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थोड़ी दौलती रही तो 4 भी खरीद सकता है
मैं बिल्कुल चुपचाप सुन रही थी जो भी अब्दुल कह रहा था, खुद ही में पिघले जा रही थी जैसे कोई शम्आ अपनी ही लौ आग में कतरा कतरा पिघलती जाती है
नवाब सच ही तो कह रहा था, दुनिया से झूठ बोल सकती हूं मैं, पाकिजा मोमिना ❤️डा लहसुन कह सकती हूं, लेकिन
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खुद से झूठ बोल पाउंगी? उन हाथों को कभी भूल पाउंगी जो मेरे चाहे न चाहे मेरे बदन पर घूमे हैं... जैसे कोई फल सब्जी खरीदने से पहले सौदे पर अच्छे से हाथ फिरा फिरा उसकी ताजगी परखता है..
चलो वापस मूवी की तरफ लौटते हैं
मैं isis या तालिबानी क्या करते हैं क्यों करते हैं इस पर बिल्कुल भी
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अपना वक्त बर्बाद करने वाली हूं नहीं... So don't worry 😁
मैंने - अपनी छोटी बहन आयशा से कहा अगर हिन्दुस्तान में भी शरिया कानून नाफिज हो जाए तो तुम्हें कैसा लगेगा? यह गर्दन उड़ा देना, पत्थर मार मार कर हलाक कर देना, छोटी छोटी बात पर हाथ पांव का-ट देने...?
किस्सा जारी रहेगा....
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#राजदंड#सेंगोल
सेंगोल क्या है जिसको मोदीजी ने कांग्रेस के हलक से निकालकर कांग्रेस की गले की हड्डी बना दिया है,सच में मोदीजी इनके बॉस हैं !!
हर किसी को ये सवाल पूछना चाहिए क्यूँकि आम भारतीय जनता आज तक इसके बारे में “पं नेहरू को भेंट,सुनहरी छड़ी”से ज़्यादा और कुछ नहीं जानती थी.
👇 twitter.com/i/web/status/1…
जो की इसका सच नहीं था।
फिर 1947 से आज तक इसके सच को क्यूँ छुपाया गया?
ये किस परम्परा का प्रतीक थी और बाद में उसका पालन बाद में क्यूँ नहीं किया गया?
महान चोल राजाओं के समय सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक,जिसके शीर्ष पर विराजमान हैं महाराज "नन्दी"....नन्दी अर्थात् वृषभ को शास्त्रों
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में धर्म का स्वरूप माना गया है। सेंगोल को भगवान शिव के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। पर प्रश्न यह है की धर्म और सत्ता हस्तनान्तरण के इस प्रतीक को मात्र एक व्यक्तिगत भेंट के रूप में नेहरू के प्रयागराज स्थित आवास ( जो की अब एक म्यूज़ियम है) में सजा कर क्यों रख दिया गया और आम
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आओ मुसलमान मौलवी लोग आप सब को ले जाता हूं कुरान की दुनिया में...ExMuslim Najiya Shah
दुनिया में 6 प्रकार की कुरान है सभी कुरान एक दूसरे से अलग अलग है और उनकी आयतो की संख्या भी अलग अलग है और सभी कुरान को मानने वाले एक दूसरे की कुरान को ग़लत कहते है....कोई बता सकता है निम्लिखित
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इन 6 कुरान में से असली कुरान कौन सी है......।। 1. कूफी कुरान...आयत 6236 2. बशरी कुरान...आयात 6216 3. शयामि कुरान...आयत 6250 4. मक्की कुरान...आयत 6212 5. ईराकी कुरान...आयत 6214 6. साधारण कुरान (आम कुरान)...आयत 6666
मुझको सिर्फ इतना बता दो मित्रो इन सब कुरान में से असली कुरान
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कौन सी है जो अल्हा ने आसमान से भेजी है.....जब कुरान 6 प्रकार की है तो अल्हा भी 6 प्रकार के होंगे....।।
एक और बात ...
सन 610 से पहले कोई मुसलमान नहीं था ...!!
इस्लाम का पहला मुसलमान सन 610 में अबुबकर बना.
और पहली औरत खदीजा ने इस्लाम स्वीकार किया.
मुहम्मद साहब के चाचा अबू तालिब
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टाइम्स नाउ @TNNavbharat पर कल तमाम पन्नों के जो सबूत दिखाए गए वह देखकर पूरा देश हिल गया होगा
केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल @ArvindKejriwal पीडब्ल्यूडी मंत्री और पीडब्ल्यूडी के तमाम इंजीनियर्स की बैठक लेती थी सरकारी फाइलों के तमाम पन्नों में मिस चीफ मिनिस्टर लिखा गया है..
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एक जगह लिखा है मिस चीफ मिनिस्टर के साथ सुप्रिटेंडिंग इंजीनियर के साथ मीटिंग में यह फैसला हुआ कि मिस चीफ मिनिस्टर को किचन का डिजाइन पसंद नहीं आया इसलिए इसे तोड़कर नया मॉडल बनेगा और नए डिजाइन की 3D कॉपी साथ में अटैच है
कुल मिलाकर अपने आलीशान शीश महल में44अल्टरेशन सुनीता केजरीवाल
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ने करवाए जिस पर 62करोड़ रुपये अलग से खर्च हुआ
लेकिन सबसे आश्चर्य हुआ कि जिस दिन केजरीवाल के प्रमुख सचिव एक फाइल सत्येंद्र जैन के पास भेजते हैं कि केजरीवाल के घर में 4 कमरों की कमी लग रही है और इस बंगले में अत्याधुनिक सुविधाएं नहीं हैं तो केजरीवाल के लिए एक नया बंगला का निर्माण
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एक दोस्त ने पूछा ऐसी क्या वजह है कि ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम शहजादियां गैर मुसलमान लड़कों से शादियां कर रही है?
कुछ पॉइंट्स बता रहा हूं शायद अप लोग सहमत हो.
#1. मुस्लिम शहजादियों को अब एहसास होने लगा है कि वोह सच में शहजादियां ही है किसी की खेती वेती नहीं @Cyber_Huntss
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#2. उन्हें भी पूरा इंसान होने के हक का एहसास चाहिए, वोह किसी पसली वसली से नहीं बनी, उसकी गवाही भी उतना ही माने रखती है जितनी किसी मर्द की
#3. वोह नहीं चाहती की मजहब के नाम पर घर के ही लोग (ममेरे, चचेरे, फुफेरे भाई, चाचा, ससुर, देवर, जेठ,वगैरह, यहां तक की गली के लु-च्चे ल-फंगे)
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उनकी अस्मत के मालिक बन जाए और जवानी की दहलीज पर कदम रखने से पहले सब कुछ लूट ले
#4. शहजादियां नहीं चाहती की अब्दुल को बकरी, मुर्गी, गधी, अपने सगे भाई की छोटी बच्ची, बच्चा, के साथ रंगे पकड़े जाने पर कहीं की बात कहीं पहुंचा, शहजादी को तीन बार तलाक... तलाक... तलाक... कह कर हलाले
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उम्र 25 से कम है और सुबह दौड़ने निकल जाओ तो गाँव वाले कहना शुरू कर देंगे कि “लग रहा सिपाही की तैयारी कर रहा है " फ़र्क़ नही पड़ता आपके पास गूगल में जॉब है।
30 से ऊपर है और थोड़ा तेजी से टहलना शुरू कर दिये तो गाँव में
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हल्ला हो जायेगा कि “लग रहा इनको शुगर हो गया "
कम उम्र में ठीक ठाक पैसा कमाना शुरू कर दिये तो आधा गाँव ये मान लेगा कि आप कुछ दो नंबर का काम कर रहे है।
जल्दी शादी कर लिये तो “बाहर कुछ इंटरकास्ट चक्कर चल रहा होगा इसलिये बाप जल्दी कर दिये "
शादी में देर हुईं तो “दहेज़ का
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चक्कर बाबू भैया, दहेज़ का चक्कर, औकात से ज्यादा मांग रहे है लोग "
बिना दहेज़ का कर लिये तो “लड़का पहले से सेट था, इज़्ज़त बचाने के चक्कर में अरेंज में कन्वर्ट कर दिये लोग"