#राजदंड #सेंगोल
सेंगोल क्या है जिसको मोदीजी ने कांग्रेस के हलक से निकालकर कांग्रेस की गले की हड्डी बना दिया है,सच में मोदीजी इनके बॉस हैं !!
हर किसी को ये सवाल पूछना चाहिए क्यूँकि आम भारतीय जनता आज तक इसके बारे में “पं नेहरू को भेंट,सुनहरी छड़ी”से ज़्यादा और कुछ नहीं जानती थी.
👇 twitter.com/i/web/status/1…
जो की इसका सच नहीं था।
फिर 1947 से आज तक इसके सच को क्यूँ छुपाया गया?
ये किस परम्परा का प्रतीक थी और बाद में उसका पालन बाद में क्यूँ नहीं किया गया?
महान चोल राजाओं के समय सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक,जिसके शीर्ष पर विराजमान हैं महाराज "नन्दी"....नन्दी अर्थात् वृषभ को शास्त्रों
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में धर्म का स्वरूप माना गया है। सेंगोल को भगवान शिव के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। पर प्रश्न यह है की धर्म और सत्ता हस्तनान्तरण के इस प्रतीक को मात्र एक व्यक्तिगत भेंट के रूप में नेहरू के प्रयागराज स्थित आवास ( जो की अब एक म्यूज़ियम है) में सजा कर क्यों रख दिया गया और आम
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लोगों को इसके महत्व इस प्रतीक से वंचित रखा गया,सेंगोल के इतिहास के बारे में बताया गया है कि जब भारत आजाद हो रहा था तो अंतिम वाययराय जनरल लॉर्ड माउंटबेटन के सामने एक बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ कि भारतीयों को स्वराज कैसे सौंपा जाए। भारत जैसे देश के संबंध में हाथ मिलाकर सत्ता का
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हस्तातंतरण करना उचित नही था।
ऐसे में उन्होंने जवाहर लाल नेहरू से अपनी यह दुविधा बताई....उन्होंने नेहरू से पूछा कि इस गौरवशाली क्षण के लिए कौन सी रस्म निभाई जाए...नेहरू ने इसके बारे में राजाजी के नाम से जाने जाने वाले सी. राजगोपालचारी से इस बारे में चर्चा की.राजाजी तमिलनाडु से
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आते थे..नेहरू को उनकी विद्वता और भारतीय परंपराओं और सभ्यताओं पर उनके अध्ययन पर पूरा भरोसा था।इसके बाद राजगोपालचारी ने कई ग्रंथों का अध्ययन किया। काफी अध्ययन के बाद उन्हें इसका उपाय भारत के गौरवशाली इतिहास में मिला।
अध्ययन और शोध के दौरान राजाजी ने तमिलनाडु के चोल साम्राज्य में
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सत्ता के हस्तांतरण के लिए अपनाई जाने वाली रस्म को इस अवसर के लिए तय किया।चोल साम्राज्य भारत के प्राचीनतम और लंबे समय तक चलने वाले साम्राज्य में एक था...इस साम्राज्य में एक राजा से दूसरे राजा में सत्ता का हस्तांतरण एक सेंगोल सौंपकर किया जाता था जो कि नीति परायणता का उदाहरण
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माना जाता था।सेंगोल को सौंपते वक्त भगवान शिव का आह्नान किया जाता था,क्योंकि चोला साम्राज्य शिव का भक्त था। सी.राजगोपालाचारी ने इसी परंपरा का सुझाव नेहरू जी को दिया जिसे पंडित नेहरू ने माना।
इसके बाद राजाजी ने बिना संमय गंवाए प्रमुख धार्मिक मठ तिरुवा वर्दुरई आदिनम से संपर्क
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किया.थिरुववदुथुराई आदिनम 500 वर्ष से अधिक पुराना है और अभी भी इसने पूरे तमिलनाडु में 50 शाखा मठों के साथ काम करना जारी रखा है।आदिनम के तत्कालीन महंत ने तुरंत 'सेंगोल' (पांच फीट लंबाई) की तैयारी के लिए चेन्नई में जौहरी वुम्मिदी’ और ‘बंगारू चेट्टी’ को नियुक्त किया।
तब जिस सेंगोल
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का निर्माण किया गया उसके शीर्ष पर नंदी विराजमान थे, जिन्हें शक्ति, सत्य और न्याय का प्रतीक माना जाता है। सेंगोल बनाने वाले वुम्मिदी बंगारू चेट्टी ने बताया कि इसे चांदी से बनाया गया था। जिसके उपर सोने की परत थी। उन्होंने कहा कि “अधीनम के सानिध्य में इस निर्माण से जुड़कर हम
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बेहद उत्साहित थे। स्वतंत्रता हम सभी के लिए गौरवशाली क्षण था, लेकिन सेंगोल का निर्णाण से जुड़कर हमारे लिए उस क्षण का गौरव बढ़ गया था।”
14 अगस्त, 1947 को सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी कराने के लिए तीन लोगों को विशेष रूप से तमिलनाडु से लाया गया था।इनमें अधीनम के उप
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महायाजक श्री लै श्री कुमार स्वामीतमीरान, आश्रम के ओडुवर और नादस्वरम वादक राजरथिनम पिल्लई (गायक) थे। वे अपने साथ सेंगोल लेकर आए थे।
14 अगस्त 1947 की रात को श्री लै श्री कुमार स्वामीतमीरान ने रीति अनुसार सेंगोल को अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटेन को सौंपा,इसके बाद उसे वापस लिया
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गया और फिर उस पर पवित्र जल छिड़का गया। इसके बाद सेंगोल को एक शोभायात्रा में जवाहरलाल नेहरू के पास ले जाया गया। वहां आश्रम के ओडुवार ने तमिल संत थिरुग्नाना संबंदर द्वारा रचित श्लोंकों का पाठ किया। और फिर नेहरु को पवित्र सेंगोल सौंपा गया।एक हजार साल पुरानी परंपरा का पालन करते
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हुए जो मंत्र तमिल में कहा गया और इस सेंगोल पे नक़्काशित है उसका अर्थ है - ये हमारा आदेश है कि ईश्वर के अनुयायी राजा स्वर्ग के समान शासन करेंगे।
इस प्रकार उत्तर और दक्षिण के असाधारण एकीकरण द्वारा राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोते हुए सत्ता का हस्त्तांतरण किया गया। इस मौके पर
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नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद और कई अन्य नेताओं की उपस्थिति में सेंगोल को स्वीकार किया।
तमिल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एस. राजावेलु ने कहा दो महाकाव्यों – सिलपथिकारम और मणिमेकलई – में सेंगोल के महत्व का उल्लेख किया गया है।''राजावेलु ने कहा कि संगम काल से ही 'राजदंड' का उपयोग
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खासा प्रसिद्ध रहा है। उन्होंने कहा कि तमिल काव्य 'तिरुक्कुरल' में सेंगोल को लेकर एक पूरा अध्याय है।
अब तक तो आप ये समझ ही चुके होंगे कि सभी इस्लामिक तुष्टीकरण करने वाली पार्टियां उद्घाटन समारोह का बहिष्कार क्यों कर रही हैं।
सेंगल का महत्व और बाद में इस पवित्र सेंगल को क्या
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स्वरूप दे दिया गया वो आप सभी के सामने है
क्या ये सब एक विशेष पंथ को खुश करने के लिए किया गया..और ऐसी कितनी बातें इस परिवार में अपनी राजनैतिक लाभ और ख़ुद की असली पहचान छुपाने के लिए दबाई होंगी ज़रा सोचिए!
और इस तरह हमारे धर्म के न जाने कितने प्रतीक एवं चिन्ह एक पंथ के तुष्टिकरण
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की भेंट चढ़ा दिए गए..लेकिन मोदी जैसा असाधारण व्यक्ति सनातन के एक एक प्रतीकों और चिन्हो को खोज खोज कर न केवल निकाल रहा है वरन् उन्हे उचित प्रतिष्ठा के साथ आसन पर सम्मान के साथ स्थापित कर रहा है....बस यही कारण है मोदी विरोध का....!

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May 26
#केराला स्टोरी बनने की कहानी जैनब बिन्त की जुबानी भाग 1

कल मैंने #keralastory मूवी देखी
और कसम अल्लाह की इसमें ऐसा कुछ भी नहीं था जो मुझ मोमिना को डरा,दहला दे,
चलो सही से समझाती हूं
मैं जैनब बिंत (इसी नाम से जानने लगे हो मुझे आप लोग 😜), मेरी छोटी बहन आयशा और अम्मी खदीजा
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(नाम में क्या पड़ा है बाबू मोशाय किस्से पर ध्यान दो 😁) हम तीनों ने यह मूवी देखी (हां इंटरनेट से डाउनलोड वाली 😀मेरी दोस्त आबीदा ने मुझे भेजी थी)
अक्सर हम तीनों ही रहती हैं घर पर इसलिए शाम के वक्त खाना पीना,काम काज जल्दी ही निपटा लेतीं हैं हम लोग,मनै आठ बजे तक हम तीनों बिल्कुल
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फ्री टीवी के सामने या अपने अपने मोबाइलों में डूबी
मूवी का लिंक दोपहर ही मिल चुका था लेकिन उस वक्त ऐसे ही देखकर भी अनदेखा कर दिया आबीदा को कुछ भी बोला भी नहीं, नहीं पता था मैं देखूंगी या नहीं,
ट्रेलर से ही मुझे लगभग पता चल गया था क्या क्या देखने को मिलने वाला है, क्योंकि कहानी
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May 26
आओ मुसलमान मौलवी लोग आप सब को ले जाता हूं कुरान की दुनिया में...ExMuslim Najiya Shah
दुनिया में 6 प्रकार की कुरान है सभी कुरान एक दूसरे से अलग अलग है और उनकी आयतो की संख्या भी अलग अलग है और सभी कुरान को मानने वाले एक दूसरे की कुरान को ग़लत कहते है....कोई बता सकता है निम्लिखित
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इन 6 कुरान में से असली कुरान कौन सी है......।।
1. कूफी कुरान...आयत 6236
2. बशरी कुरान...आयात 6216
3. शयामि कुरान...आयत 6250
4. मक्की कुरान...आयत 6212
5. ईराकी कुरान...आयत 6214
6. साधारण कुरान (आम कुरान)...आयत 6666
मुझको सिर्फ इतना बता दो मित्रो इन सब कुरान में से असली कुरान
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कौन सी है जो अल्हा ने आसमान से भेजी है.....जब कुरान 6 प्रकार की है तो अल्हा भी 6 प्रकार के होंगे....।।
एक और बात ...
सन 610 से पहले कोई मुसलमान नहीं था ...!!
इस्लाम का पहला मुसलमान सन 610 में अबुबकर बना.
और पहली औरत खदीजा ने इस्लाम स्वीकार किया.
मुहम्मद साहब के चाचा अबू तालिब
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Read 8 tweets
May 25
टाइम्स नाउ @TNNavbharat पर कल तमाम पन्नों के जो सबूत दिखाए गए वह देखकर पूरा देश हिल गया होगा
केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल @ArvindKejriwal पीडब्ल्यूडी मंत्री और पीडब्ल्यूडी के तमाम इंजीनियर्स की बैठक लेती थी सरकारी फाइलों के तमाम पन्नों में मिस चीफ मिनिस्टर लिखा गया है..
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एक जगह लिखा है मिस चीफ मिनिस्टर के साथ सुप्रिटेंडिंग इंजीनियर के साथ मीटिंग में यह फैसला हुआ कि मिस चीफ मिनिस्टर को किचन का डिजाइन पसंद नहीं आया इसलिए इसे तोड़कर नया मॉडल बनेगा और नए डिजाइन की 3D कॉपी साथ में अटैच है
कुल मिलाकर अपने आलीशान शीश महल में44अल्टरेशन सुनीता केजरीवाल
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ने करवाए जिस पर 62करोड़ रुपये अलग से खर्च हुआ
लेकिन सबसे आश्चर्य हुआ कि जिस दिन केजरीवाल के प्रमुख सचिव एक फाइल सत्येंद्र जैन के पास भेजते हैं कि केजरीवाल के घर में 4 कमरों की कमी लग रही है और इस बंगले में अत्याधुनिक सुविधाएं नहीं हैं तो केजरीवाल के लिए एक नया बंगला का निर्माण
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Read 6 tweets
May 24
एक दोस्त ने पूछा ऐसी क्या वजह है कि ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम शहजादियां गैर मुसलमान लड़कों से शादियां कर रही है?
कुछ पॉइंट्स बता रहा हूं शायद अप लोग सहमत हो.
#1. मुस्लिम शहजादियों को अब एहसास होने लगा है कि वोह सच में शहजादियां ही है किसी की खेती वेती नहीं
@Cyber_Huntss
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#2. उन्हें भी पूरा इंसान होने के हक का एहसास चाहिए, वोह किसी पसली वसली से नहीं बनी, उसकी गवाही भी उतना ही माने रखती है जितनी किसी मर्द की
#3. वोह नहीं चाहती की मजहब के नाम पर घर के ही लोग (ममेरे, चचेरे, फुफेरे भाई, चाचा, ससुर, देवर, जेठ,वगैरह, यहां तक की गली के लु-च्चे ल-फंगे)
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उनकी अस्मत के मालिक बन जाए और जवानी की दहलीज पर कदम रखने से पहले सब कुछ लूट ले
#4. शहजादियां नहीं चाहती की अब्दुल को बकरी, मुर्गी, गधी, अपने सगे भाई की छोटी बच्ची, बच्चा, के साथ रंगे पकड़े जाने पर कहीं की बात कहीं पहुंचा, शहजादी को तीन बार तलाक... तलाक... तलाक... कह कर हलाले
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Read 8 tweets
May 24
हिन्दी और उर्दू भाषा में नारी (स्त्री) के सम्मान का अंतर देखिए..

धर्मपत्नी - जो धर्म का पतन न होने दे।

गृहणी - गृह में चञ्चल हिरणी की तरह फिरने वाली।

सङ्गिनी - अंत तक सङ्ग रहने वाली।

प्राणेश्वरी - प्राणों की ईश्वर।

प्राणप्रिया - अपने प्राणों से अधिक जिसका सम्मान प्रिय है।
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भार्या - भारत के आर्यों की जननी।

गृहस्वामिनी - गृह की स्वामिनी।

गृहलक्ष्मी - गृह की लक्ष्मी।

सहधर्मिणी - साथ धर्म निभाने वाली।

परिणीता - पवित्र बंधन से बंधी हुई।

सहचरी - तीर्थों पर साथ विचरण करने वाली।

वामाङ्गिनी - अर्धनारीश्वर शिवपार्वती की तरह पुरुष का बायां अङ्ग।
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अर्धाङ्गिनी - आधा अङ्ग।

वामा - हमारे शरीर के रोम-रोम पर जिसके संरक्षण और सुरक्षा का दायित्व है।

श्रीमती - शुभ बुद्धि वाली।

वनिता - जैसे सृष्टि वनों से संरक्षित है और बिना वनों के नष्ट हो जाएगी वैसे हम भी उसके बिना नष्ट हो जाएंगे।

दारा या सती-जो यमराज से भी हमारी प्राणरक्षा
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May 24
गाँव में तो डिप्रेशन को भी डिप्रेशन हो जायेगा।

उम्र 25 से कम है और सुबह दौड़ने निकल जाओ तो गाँव वाले कहना शुरू कर देंगे कि “लग रहा सिपाही की तैयारी कर रहा है " फ़र्क़ नही पड़ता आपके पास गूगल में जॉब है।

30 से ऊपर है और थोड़ा तेजी से टहलना शुरू कर दिये तो गाँव में
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हल्ला हो जायेगा कि “लग रहा इनको शुगर हो गया "

कम उम्र में ठीक ठाक पैसा कमाना शुरू कर दिये तो आधा गाँव ये मान लेगा कि आप कुछ दो नंबर का काम कर रहे है।

जल्दी शादी कर लिये तो “बाहर कुछ इंटरकास्ट चक्कर चल रहा होगा इसलिये बाप जल्दी कर दिये "

शादी में देर हुईं तो “दहेज़ का
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चक्कर बाबू भैया, दहेज़ का चक्कर, औकात से ज्यादा मांग रहे है लोग "

बिना दहेज़ का कर लिये तो “लड़का पहले से सेट था, इज़्ज़त बचाने के चक्कर में अरेंज में कन्वर्ट कर दिये लोग"

खेत के तरफ झाँकने नही जाते तो “बाप का पैसा है "

खेत गये तो “नवाबी रंग उतरने लगा है "

बाहर से मोटे
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