समीक्षा :-
ऐसा क्या कारण है कि,म्लेच्छ आसानी से हमारी बहन बेटियों का ब्रेनवॉश करके समूचे परिवार के विरुद्ध खड़ा कर देते हैं? और अपने लोग कुछ नहीं कर पाते.

द्वन्द्व की जितनी भी अवस्था बतायी गयी है, सभी की सभी सनातन संस्कृति में ही जानी जाती हैं,जबकि किताबी कल्चर में द्वन्द्व है👇
ही नहीं।
द्वन्द्व के अभाव में #तर्क का स्वतः अभाव हो जाता है। तर्क का अभाव होने पर, प्रश्न का अभाव हो जाता है।
और किसी भी प्रकार से किसी विशेष परिस्थिति में कोई प्रश्न खड़ा भी हो गया तो, उस प्रश्न का #भोक्ता के अनुकूल निवारण करके #प्रश्नाभाव क्रिएट कर दिया जाता है।
जैसे-
अगर कोई म्लेच्छ अपनी ही लड़की से निकाह करना चाहता है तो उसकी इस अभीप्सा पर भी कोई प्रश्न नहीं उठेगा, बल्कि अगर किसी ने प्रश्न उठाया भी तो निर्णय "पिता के पक्षमें"देकर प्रश्न का ही उन्मूलन कर दिया जाएगा।
वही अगर कोई लड़की,अपने पिता से निकाह करना चाहे तो
उस पिता को पहले पुरुष घोषित
करके लड़की की इच्छा को सर्वेसर्वा बताकर इस स्थिति को भी उचित ठहरा दिया जाता है।
(एक पश्चिमी वेश्या की बहुचर्चित किताब रही है, "साइकोसेक्सुअल काम्प्लेक्स" नाम से। इसे आप स्वयं पढ़ें)

अक्सर नवविद्वानों द्वारा यह सुना जाता है कि इश्लाम में तर्क का अभाव है।
ये नासमझ कभी म्लेच्छों के
भाव को समझे ही नहीं हैं, उनमें तर्क का अभाव नहीं,बल्कि द्वन्द्व का ही अभाव है।
जिसके कारण
किसी भी प्रकार से अगर कोई लड़की उनके पास पहुँच गया,तो उसका ब्रेनवॉश होना सुनिश्चित हो जाता है
क्योंकि मानव स्वभाववृत्ति ही ऐसी होती है कि, वह सङ्घर्ष वृत्ति से नित्य पलायन की अपेक्षा करती है
अर्थात, किसी भी प्रकार के रुकावट, अवरोध को जीतने के बजाय, उसे बाईपास करके अपने लक्ष्य को हासिल करने की चेष्टा मानव के सहज स्वभाव में शामिल होता है
और इसी सहज स्वभाव को आधार बनाकर,म्लेच्छ वे सब कुछ देने की बात करते हैं, जो संस्कृतिय आबद्धता में सम्भव नहीं होता
अर्थात,मुक्त यौनाचार
से लेकर, मुक्त भोक्ताचार तक।
ना किसी प्रकार का बन्धन और ना ही किसी प्रकार का कोई रोकटोक।
लूट से लेकर जघन्यतम अपराध तक, सब कुछ जायज है। और जायज नहीं होने पर भी उसे आसानी से जायज बनाया जा सकता है
इसलिए यह किताबियों का सबसे बड़ा हथियार होता है किसी भी लड़की/लड़के के ब्रेनवॉश करने का
इसके विपरीत,
सनातन संस्कृति जहाँ तीन और सात के भेद में बंटी है, वही कार्यब्रह्म(व्यवहार जगत) की समूची प्रणाली ही, द्वंद्वात्मक होने से अत्यन्त जटिल और दुरूह हो जाती है।
तिनपर भी, पुनर्जन्म, और कर्मगति सिद्धान्त की अनिवार्यता।
कमजोर और पलायनवादी वृत्ति के बच्चों को आसानी से
किताबी बनाने में सहायक सिद्ध होता है।


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Jun 9
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Jun 7
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बुद्ध के बाद वैशाली बौद्ध मत का बहुत बड़ा गढ़ बन गया था बौद्ध धर्म नही👇
बल्कि मत था तो ये मनोवृति उनके लोगों में भी आनी ही थी और आई भी।

दस विषयों को लेकर विवाद छिड़ गया। विषय सुनकर आप हंसेंगे पर पंथक वृति जब अक्ल पर परदे डाल देती है तो यही होता है। विवाद के ये कुछ विषय थे -

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अभी हम अपने धर्मग्रंथों में मिलावट और अपने आराध्य के जीवनचरित्र को दूषित करने का उदाहरण देख रहे हैं.

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लेकिन,👇
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ये ऐसा "कैसे" कर पा रहे हैं और ऐसा "क्यों" कर रहे हैं.ये दोनों अलग अलग सवाल है..इसीलिए, दोनों को अलग-अलग ही समझना बेहतर होगा.

मान लो कि मैं आपको बताता हूँ कि... देश की राजधानी नई दिल्ली नहीं.
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Jun 7
व्लादिवोस्तोक रूस का एक ऐसा पोर्ट है जो साल के 12 महीने खुला रहता है। जिसे रूस ने चीन के हवाले करने का एलान कर दिया था पर अब हो रही लेटेस्ट डिवेलपमेंट के अंतर्गत रूस उसे चीन को ना देकर भारत को उसका ऑपरेशन एंड मेंटिनेस देना चाह रहा है। दोस्तों यह तो आपको पता ही होगा कि पहले👇
से ही रूस ने व्लादिवोस्तोक के पास एक सेटेलाइट शहर बसाने का निमंत्रण (ठेका) पहले से ही भारत को दे दिया है। मतलब यह कि अगर मोटे तोर से देखा जाए तो अब रूस के सबसे इंपॉर्टेंट शहरों में से एक शहर व्लादिवोस्तोक के ऊपर लगभग भारत का कब्जा होने जा रहा है।

चीन को हटाकर रूस द्वारा भारत
को प्रायरिटी देने की खबर मेरे लिए तो लगभग यह एक ऐसी खबर है जिसे मैं छूटते ही असंभव कहूंगा। अगर यह खबर सच निकलती है तो मैं गहराई से यह जरूर जानना चाहूंगा कि भारत ने ऐसी कौन सी कूटनीतिक चाल चली कि चीन के जबड़ों में से इस शहर को निकालकर भारत ने इसे अपनी गोदी में बिठा लिया।
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Jun 6
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आखिर वीडियो पोस्ट करने का मकसद क्या था ?👇 Image
वामपंथी पूर्वाग्रही जज की संकीर्ण सोच में यह बात आई ही नहीं ? अगर कल वह औरत सार्वजनिक स्थान पर अर्धनग्न होकर पेंटिंग कराए तो ये बक्र-बुद्धि जज यही कहेगा कि अपने शरीर को लेकर निर्णय लेने का अधिकार किसी महिला की समानता एवं निजता के मौलिक अधिकार का आधार है । यह संविधान में प्रदत्त
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से भी जुड़ा है !

समाज के नैतिक ताने-बाने को नष्ट करने को बढ़ावा देने वाले, अश्लीलता और व्यभिचार को प्रश्रय देने वाली न्याय व्यवस्था का क्या करें ?
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