आज योगशिविर समय से आधा घण्टा पहले खत्म कर दिया,,अब चूंकि शिविर में सिर्फ बेटियां आई थी तो उनसे एक आसान सा सवाल किया मैंने,,
नेक्रोफिलिया क्या है??
और आपको जानकर हैरानी होगी कि 250 बेटियों में ये बात किसी को नहीं पता
यहाँ तक कि उनकी #वार्डन और #अध्यापिका को भी नहीं मालूम,,हो सकता है आपमें से भी बहुतों को न पता हो,,
अब जब बच्चों में जिज्ञासा जग गई तो कइयों ने पूछा कि क्या है नेक्रोफिलिया?? गुरूजी आप ही बता दीजिए
सुनो बहनों--नेक्रोफिलिया एक मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति शव यानी लाश यानी डेड बॉडी के साथ बलात्कार करता है
अगर मनोवैज्ञानिकों की मानें तो सामान्य रूप से यह बीमारी हर 10 लाख व्यक्तियों में से एक को होती है,, लेकिन इस्लाम में हर दसवां व्यक्ति नेक्रोफिलिया का शिकार है
यानी जिंदा तो जिंदा अगर लड़की की लाश भी मिल गई या खुद भी उसकी हत्या करनी पड़ी है तो भी बलात्कार जरूर करेंगे,,
मिस्र की साम्राज्ञी #क्लियोपेट्रा ने जो मौत चुनी उससे दुनिया स्तब्ध थी,, आखिर क्यों एक औरत नग्न अवस्था में अपने स्तन पर सांप से डसवाएगी,,लेकिन वो जानती थी कि
जिसने मिस्र पर हमला किया है वे इस्लामिक फ़ौज के लोग हैं,,
स्तन पर दंस मरवाने से पूरे शरीर में जहर फैल जाएगा,,तो कोई इंफेक्शन के डर उसकी मृत देह के साथ #बर्बरता नहीं कर पाएगा,, साथ ही स्तन को मुँह में लेकर कुचल नहीं पाएगा,, वहशियों का क्या वे किसी भी हद तक जा सकते हैं,,
फिर भी आपको बता दूं कि इतिहासकार कहते हैं कि उसके शव के साथ #तीन हज़ार बार बलात्कार किया गया था,,,
रानी #पद्मावती ने भी लड़कर मरने के बजाय जौहर चुना,,अभी जब पिछले दिनों फ़िल्म आई तो कितने लोगों ने कहा कि वो तो योद्धा थी,,लड़कर क्यों नहीं मरी??जौहर क्यों चुना??
तो इसका स्प्ष्ट कारण था #ख़िलजी और वैसे ही #इस्लामिक दरिंदो की फ़ौज,,रानी जानती थी की अगर लड़ते हुए उसने और उसकी साथी औरतों ने जान दी तो उसके शरीर के साथ क्या होगा,,बल्कि दुनिया इस असलियत को जानती है सिर्फ हमारे बच्चों से इसे छुपाया गया है,,नेक्रोफिलिया,,
बस बेटियों को इतना ही सन्देश दिया कि देखो मेरी बहनों,, जो पूरे विश्व में अपनी #दरिंदगी और हवस के लिए प्रसिद्ध हैं,, जो शव को भी बिना बलात्कार नहीं छोड़ते,,
अगर तुम लोग इस चक्कर में आ गई कि सब एक जैसे नहीं होते तो याद कर लेना #क्लियोपेट्रा और रानी पदमावती को,,,
बस इतना सन्देश आजकल मैं मां बहन बेटियों को दे रहा हूँ,,, आप भी अपने बच्चों को आगाह करके बचा सकते हैं,,
बच्चे समझने को #तैयार हैं,, बस हम तैयार नहीं हैं सही शब्दों में समझाने के लिए,,
उत्तिष्ठ भारतः।।
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पति पत्नी एक कार से जंगल से गुजर रहे थे।
अचानक पत्नी ने घायल जानवर के बच्चे को सड़क पर तड़पते देखा और ड्राइवर को बोली कार रोको।दोनों लोग कार से नीचे उतरे।पत्नी बोली ये तो कुत्ते का बच्चा है और उसको पानी पिलाने लगी,बच्चे में जान आ गई।
पत्नी बोली इसको साथ ले चलते है।
पति बोला
"इस जंगल में कुत्ता कहां से आया?"
ये भेड़िये का बच्चा है।पत्नी जिद्द कर बैठी ये कुत्ते का बच्चा है और उसे अपने साथ घर ले आई।
इन दोनों के घर में पहले से दो कुत्ते थे।
साथ ही उन पति-पत्नी स्वयं के भी दो बच्चे थे।
कुछ दिनों के बाद एक कुत्ता घर से गायब हो गया ,तलाश की गई तो उसकी हड्डियां घर के पीछे मिलीं।
पति बोला
"देखो भेड़िये ने हमारे वफादार कुत्ते को मार डाला।
पत्नी बोली
"ये दोनों कुत्ते पहले दिन से इससे चिढ़ते थे इसीलिए इसने प्रतिक्रिया में ऎसा किया होगा।
कल से जब से खबर टीवी पर सुनी तभी से बहुत सी बातें दिमाग को मथ रहीं थीं, कुछ व्यस्तता, कुछ थकान वश लिख न सका। आज ट्विटर खोलते ही एक ट्वीट और उस पर प्रेषित कमेंट मानों मेरे मन की बातें कह गए आप सभी का आभार,
मुख्तार अंसारी के दाहिने हाथ रहे संजीव जीवा को मारने वाला शूटर विजय यादव
वकील का कोट पहनकर जेब में रिवाल्वर लेकर आया और दनादन गोलियां चलाकर छलनी कर दिया।
इस घटना के पश्चात उठते कुछ ज्वलंत प्रश्न व कुछ पुराने सुने सुनाए विचार, जो आप सब के स्मृति पटल से संभवतः धूमिल नहीं हुए होंगे। इस बार भी प्रासंगिक लगते हैं।
बाप खेतों में मजदूरी करते हैं भाई दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करता है कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं
3 महीने से घरवालों से कोई संपर्क भी नहीं था यह लखनऊ में जहां काम करता था।
वहां के लोग बता रहे थे कि पिछले कुछ दिनों से यह बड़ा गुमसुम रहता था और बदला-बदला लग रहा था।
llॐll
लोकमान्य तिलक जी द्वारा गीतारहस्य नामक पुस्तक की रचना
लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने गीतारहस्य नामक पुस्तक की रचना माण्डले जेल (बर्मा) में की थी। इसमें उन्होने श्रीमदभगवद्गीता के कर्मयोग की वृहद व्याख्या की।
उन्होंने इस ग्रन्थ के माध्यम से बताया कि गीता चिन्तन उन लोगों के लिए नहीं है जो स्वार्थपूर्ण सांसारिक जीवन बिताने के बाद अवकाश के समय खाली बैठ कर पुस्तक पढ़ने लगते हैं। गीता रहस्य में यह दार्शनिकता निहित है कि हमें मुक्ति की ओर दृष्टि रखते हुए सांसारिक कर्तव्य कैसे करने चाहिए।
इस ग्रंथ में उन्होंने मनुष्य को उसके संसार में वास्तविक कर्तव्यों का बोध कराया है।
तिलक ने गीतारहस्य लिखी ही इसलिए थी कि वह मान नहीं पा रहे थे कि गीता जैसा ग्रन्थ केवल मोक्ष की ओर ले जाता है। उसमें केवल संसार छोड़ देने की अपील है। वह तो कर्म को केंद्र में लाना चाहते थे।
*मुख्तार गैंग के शूटर संजीव की लखनऊ कोर्ट में हत्या:* एक बच्ची समेत 3 घायल, वकील की ड्रेस में आया हमलावर गिरफ्तार
संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा मूल रूप से मुजफ्फरनगर का रहने वाला है। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर की नौकरी करता था।
इसी नौकरी के दौरान जीवा ने अपने मालिक यानी दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती दो करोड़ की मांगी थी। उस वक्त किसी से दो करोड़ की फिरौती की मांग होना भी अपने आप में बहुत बड़ी होती थी।
इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा लेकिन उसके अंदर अपनी गैंग बनाने की तड़प थी।
इसके बाद उसका नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्हदत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया।
*गांधी मुस्लिम समर्थक क्यों थे ?*
{ प्रो. के एस नारायणाचार्य ने अपने पुस्तक में कुछ संकेत दिए हैं। }
सभी जानते हैं कि नेहरू और इंदिरा मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते थे। लेकिन कम ही लोग गांधीजी की जातिगत जड़ों को जानते हैं।
*आइए यहां एक नजर डालते हैं कि वे क्या कारण देते हैं।*
1. मोहनदास गांधी करमचंद गांधी की चौथी पत्नी पुतलीबाई के पुत्र थे।
पुतलीबाई मूल रूप से प्रणामी संप्रदाय की थीं। यह प्रणामी संप्रदाय हिंदू भेष में एक इस्लामी संगठन है।
*2. घोष की पुस्तक "द कुरान एंड द काफिर" में भी गांधी की उत्पत्ति का उल्लेख है।*
*गांधीजी के पिता करमचंद एक मुस्लिम जमींदार के अधीन काम करते थे। एक बार उसने अपने जमींदार के घर से पैसे चुराए और भाग गया। फिर मुस्लिम जमींदार करमचंद की चौथी पत्नी पुतलीबाई को अपने घर ले गया और उसे अपनी पत्नी बना लिया। मोहनदास के जन्म के समय करमचंद तीन साल तक छिपे रहे।*
एक किताब ( जिसे हम संविधान समझ कर पूज रहे हैं ) ने दोनों आसमानी किताबों को खुला खेल करने को छोड़ दिया और हिन्दुओं के उपर हर ढंग के प्रतिबंध लगा दिये गये ..
पचहत्तर वर्षों में कर्मकांड को पोंगापंथी बता दी गयी ।
संस्कृत भाषा की अभूतपूर्व उपेक्षा करी गयी ।
सबरी केवट के बिना राम की चर्चा ही जहां न हुयी हो, गोपियों के बिना श्री कृष्ण कहां रहेंगे? पर गोपियों की उस रसमयी अवस्था जो प्रेम (आनन्द मय स्वरूप) की अवस्था में लक्ष्मी से भी उपर रखी गयीं उनका प्रेम न पढ़ाकर हम शाहजहाँ में उलझ गये।
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कृपया पढ़ें और वही भाव देखें
कई साल पहले साउथ अमेरिका के जंगल के डिस्कवरी चैनल के कैमरों में कुछ अजीब सा, बहुत ही ज्यादा अजीब बात रिकॉर्ड हुई...
एक जगुआर जो अमेरिकन जंगल का राजा है क्योंकि वहाँ लॉयन्स या टाइगर नहीं है, एक मगरमच्छ का शिकार करते कैमरे में रिकॉर्ड हो
ये अजीब सा इसलिए है