#मेरा मानना है कि कांग्रेस की सबसे बड़ी सफलता है कि उसने दशको तक झूठा इतिहास पढ़ा कर ऐसी कई पीढ़ियां तैयार कर दी,जो आज सच्चे सनातन राष्ट्रवाद पर ऊंगली उठाने मे तनिक भी नही शर्माती है,बल्कि खुद को हिंदू बुद्धिजीवी समझ कर अपने रक्तवंशियों का विरोध करके उस पर गौरवान्वित होकर,उसको
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अपनी उपलब्धि समझ कर गजवाये हिंद के भेडियों को अप्रत्यक्ष रूप से ताकतवर बनाते है...वो ही नही,उनको नचाने वाले मदारी अच्छी तरह से जानते हैं कि 2024 उनके अस्तित्व की आखिरी जंग है...तभी तो सब दानवी शक्तियां अपनी जिंदगी की लड़ाई लड़ रही हैं..इसी लिए तन मन धन सब लगा रही है.....वास्तव
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मे सच्चाई यह है कि अगले एक साल देश की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है...मोदी की ओट मे सनातन राष्ट्रविरोधियों ने चारों तरफ जाति,क्षेत्र और धर्म को लेकर बारूद बिछा दिया गया है बस वो लोग एक चिंगारी खोज रहे हैं...जिसकी खोज मे फिरंगन पूतनी और पूत पनौती लगा है...!
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वास्तव मे आज देश मे इन लोगो को कोई पूछ नही रहा है...लगातार दुत्कार रहे हैं....तभी तो देशविरोधी मुस्लिम,खालिस्तानी और चंगाई आर्गनाइजेशनो द्वारा स्क्रिप्टेड प्रोग्रामो मे विदेश जाकर वहां से दोगले पप्पू ने एक बार फिर देश को बदनाम करने के साथ साथ दलितों,आदिवासियों और मुसलमानों को
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मोदी के खिलाफ भड़काने का घटिया तरीका अपनाया है। पूरे 60 साल के कांग्रेस राज में एक पीएम का नाम बता दे जिसने दलित,आदिवासी, मुस्लिम के लिए इतना काम किया हो जितना अकेले मोदी ने पिछले 9 साल में कर दिखाया है...यही पीड़ा है दोगलों के कबीले मे...!
भारत और सनातन विरोधी सत्ता के दरिंदो
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को मुंहतोड़ जवाब देने के लिये हमे पूर्ण निष्ठा,विश्वास के साथ मोदी के साथ खड़ा रहना है
क्योंकि आने वाला एक वर्ष का कालखंड हमारी एकजुटता और सबल सनातन प्रतिवाद की परीक्षा का समय है..क्योंकि 2024 के आम चुनाव को अगर आप साधारण चुनाव समझ रहे हैं तो आप गलतफहमी मे जी रहे हैं...
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यह साधारण चुनाव नहीं होने वाला है...यह दोनो पक्ष के लिये अस्तित्व की लड़ाई होने जा रही है....हम जीते तो बचेंगे,विकसित होंगे,सशक्त होंगे अपने संस्कार,संकृति और सभ्यता को वैभवशाली बनायेंगे...लेकिन हारे तो पिछले नौ साल से दांत पीसते दानवो द्वारा फिरंगन नेतृत्व मे हिन्दू धर्म के
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समापन की खुलेआम पटकथा लिखी जायेगी...2013 का कांग्रेस का प्रो मुस्लिम कानून जो लागू नही किया जा सका वो लागू करके हिंदुत्व का नाम लेने पर कुचल देगी...हिंदू होना अपराध माना जाएगा।
बहरहाल विदेश जाकर भारत और सनातन को अपमानित करने वाले कांगी जिल्लेइलाही को बौड़म नहीं समझिए,वो कभी
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पप्पू नही था....वो देश के सबसे खतरनाक परिवार का सबसे बड़ा विषैला करैत है...दरअसल वो चाहे जितना हिंदू बनने का नाटक करता हो लेकिन वो एक ऐसे कबीले का लीडर है जो कुर्सी के लिये देश और सनातन ही नही किसी भी सीमा तक जाकर,किसी के विरोध की सीमा पार कर सकता है...सड़क पर गाय ही नही वो
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तो सत्ता के लिये अपने दोगले पुरखों की तरह सड़क पर मनुष्य और मानवता को कटवाने मे तनिक भी संकोच नही कर सकता है..अपने निहरू नाना की तरह इसने भी देश विभाजन की जिम्मेदार मो.अली जिन्ना की मुस्लिम लीग को सेकुलर बता कर अपने वहशी और खूनी इरादों वाली साजिश को अप्रत्यक्ष रूप से बता दिया,
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कि इसकी रगो मे बहता खून कितना देश और हिंदू विरोधी है........वास्तव मे सच्चाई तो यह है कि इस समय बेहद खतरनाक मानसिक अवस्था मे दोगला और अवसादग्रस्त हो चुका मैडम फिरंगन परिवार गुजर रहा है..
ये ही नही,इसके टुकड़ो पर पलने वाला लिबरल,सेकुलर,लुटियन,अभिजात्य,दोगला,वामी,कामी,चंगाई,
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सूतिये और गजवाये हिंद वाले जहरीले जंतु गुजर रहे है ये जानते हैं कि अभी नही तो कभी नही....इसलिये अपना सब कुछ झोंक देना चाह रहे है....!बहरहाल पप्पू द्वारा विकसित और शक्तिशाली होते भारत से कुढ़ कर उसके रास्ते मे पेट्रोल छिड़कने की शुरुआत तो 2014 मे हारने के बाद ही पेड और फेक
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आंदोलनो से शुरू कर दी गई थी लेकिन 2019 मे फिर कायदे से रेले जाने के बाद पप्पुआ द्वारा अब 2024 मे अंतिम रूप से कचरे जाने की आशंका को भांपते हुये...खीजते हुये,कुढ़ते हुये,छटपटाते हुये....लंदन से सोरॉस,जिनपिंग,लिबरल,सेकुलर,वामी,सूतिये और कनफ्यूज्ड हिंदुओं के दम पर भड़काने की जो
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मुहिम शुरू की गई थी,वो अब अमेरिका में आगे मोदी के बहाने देश और सनातन को गाली देते,व्यंग करते,विरोध करते आगे बढ़ाई जा रही है और देख लीजियेगा इसका अंतिम पड़ाव पप्पू के दोगले रक्तवंशी खालू शी जिनपिंग के बीजिंग में संपन्न होगा...!
फिलहाल मैं खुद प्रॉब्लम्स से घिरा हुआ हूं..कुछ भी
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लिखने का मन नहीं होता फिर भी इतना जरूर कहूंगा..कि अगर अभी भी नहीं जागे,नही सजग हुये..तो केवल पछतावा ही हांथ लगेगा...क्योंकि इस बार अगर किन्ही परिस्थिति मे (जो संभव नही है) पराजय के बाद दानवी और मायावी ताकतें आपको प्रतिवाद करने की किसी स्थिति मे नही.. छोड़ेगी
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ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य,दलित,अगड़ा,पिछड़ा,उत्तर-दक्षिण....सब के सब धरे रह जायेंगे....सामने एक ही विकल्प होगा कि #धर्म बचायें या #जान....बाकी आप समझदार हैं..और निर्णय भी आपका रहेगा...लेकिन पोस्ट समाप्त करने से पहले आपको पूज्य आचार्य चाणक्य की वो लाईने आपको याद दिलाना चाहता हूं
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जिसमे पराजित सेल्यूकस की पुत्री हेलना और चंद्रगुप्त के विवाह की शर्तो के रूप मे था,जिसका सार है कि विदेशी महिला की कोख से जन्मा पुत्र कभी राष्ट्रभक्त नही हो सकता है..कितना यथार्थ कथन आचार्य का उस समय था,जो आज सदियों बाद भी सामयिक है!!!
धनवाद....पढ़ने के लिए🙏🙏
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हम बनारसीपन के शिकार लोग हैं :)
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हमको सुपरमार्केट नहीं चाहिए गुरु, हम रजा गोला दीनानाथ से मेवा और मसाला लेंगे...चन्नुआ सट्टी से सब्जी लेंगे, मोछू चाचा के दुकान से पनीर ले लेंगे।
हमको एसी की ठंडक भी नहीं चाहिए गुरु हमको मिटटी की महक पसंद है, हम खुल्ला चावल और गेहूं लेंगे
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और साफ़ करके कंडाल में रखेंगे...हमको कोहिनूर बासमती और शक्तिभोग भी नहीं चाहिए।
हमको साजन, मजदा, सरस्वती, टकसाल, छवि महल, विजया चाहिए मालिक आप अपना पीडीआर, JHV, IP अपने पास रखिये। हमें गोलगप्पे, टमाटर चाट और समोसा खाना है काशी चाट, दीना चाट और बंगाल स्वीट पे खड़े होके, आप
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बेशक McDonald के बर्गर और पिज्जा खाइए।
चौक का मलइयो, क्षीर सागर का खीर कदम, बंगाल स्वीट का रसगुल्ला, मधुर मिलन की जलेबी किस सुपरमार्केट में मिलेगी...गोदौलिया और नई सड़क की वैरायटी किसी स्टोर में शायद ही मिले। आप घुमने Sea Beach पे जाओ, अपनी लाईफ को किसी नाईट क्लब में
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@harbhajan_singh "मोड़" फिल्म आखरी शुक्रवार रिलीज हुई उस के साथ 1991 बनी "जट्ट जियोना मोड़" रिलीज कर दी गई। दोनो फिल्में पंजाब के बागी डाकू जियोना मोड़ पर आधारित थी लेकिन असल कहानी की अनुसार जियोना मोड़ मां नैना देवी का भगत था एवं माथे पर तिलक लगा कर रखता था किंतु नई फिल्म में
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यह angle ही हट्टा दिया गया। 2023 में बनी फिल्म को खालिस्तानी के रूप में दर्शाया गया है और सुनने में आया इस फिल्म को खालिस्तानी बॉडीज ने पैसा लगाया था। 1991 फिल्म 30 लाख में बनी थी और अपने समय की हिट फिल्म थी जिसने उस समय में 1 करोड़ कमाया था इस बार दुबारा रिलीज होने पार 50 लाख
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कमा चुकी है लेकिन दूसरी तरफ 2023 में बनी फिल्म औंधे मुंह गिर गई है सिर्फ 1.5 करोड़ कमाने के बाद 2 करोड़ के लिए संघर्ष कर रही है। पंजाब के हिंदुओं ने 2023 की फिल्म का बहिष्कार किया है एवं 1991 दुबारा देखने गए हैं शायद इसी से ही पंजाब को हिंदुओं के ताकत का पता चला हो।
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कल परसो से यह कार्ड वायरल हो रहा है। लभ जिहाद में फँसाई गयी लड़की के परिवार ने उसके जीते जी पिंडदान कर उसे मृत मान लिया। एक सभ्य शहरी परिवार की पढ़ी-लिखी लड़की अपने अच्छे और सुखद भविष्य को लात मार कर किसी असभ्य के प्रपंच में फँस जाय और उससे विवाह कर ले, और उसके बाद उस लड़के
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का परिवार सार्वजनिक रूप से लड़की के माता पिता का मजाक उड़ाए तो एक पराजित परिवार यही करेगा।
यह सामान्य परिवार इससे अधिक कुछ कर भी नहीं सकता। यदि करना चाहे तो वे लोग ही अपराधी घोषित हो जाएंगे। राजनीति, पत्रकारिता, न्यायपालिका, बुद्धिजीवी वर्ग, सभी लड़के के पक्ष में उतर जाएंगे
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और लाखों रुपये लेने वाले वकील मुफ्त में लड़के की ओर से लड़ने लगेंगे। तो यह सामान्य परिवार पिंडदान कर के ही मुक्ति पा लेना चाहता है।
मैं परिवार के निर्णय की आलोचना नहीं कर सकता, उनके दुख को केवल वही समझ सकते हैं। पर यह भी सच है कि यह अंतिम निर्णय नहीं है। यह इस बीमारी का इलाज
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दो वर्ष पूर्व की,ये घटना चंदरपुर महाराष्ट्र के बललपुर कस्बे की है।गोरी-चिट्टी-स्लिम-खूबसूरत 32 वर्षीया स्मार्ट महिला प्रग्रति .. अपने शरीर को खूब मेंटेन भी रखा था... 6 वर्ष और डेढ़ वर्ष की दो पुत्रियों को जन्म देने के बाद भी 26-27 साल से ज़्यादा उम्र की नहीं दिखती थी !
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पति 38 वर्षीय ऋषिकांत सरकारी स्कूल में अध्यापक थे... उच्च शिक्षित थे... सब तरफ संतोष था... खुशी थी... मगर ऐसे में #शाहनवाज़ नामक लोकल टैक्सी ड्राइवर... परिवार पर काल बनकर खड़ा हो गया....
शाहनवाज़ की आंख प्रगति की खूबसूरती पर अटक कर रह गयी... प्रगति घर से निकलती तो
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शाहनवाज़ पीछा करता... प्रगति ने भी जल्दी ही शाहनवाज़ की इच्छाओं को समझ लिया ! पति का अक्सर उच्चशिक्षित और एलीट होना.... सतही चरित्र वाली महिलाओं में अलगाव का कारण बन जाता है ! शाहनवाज़ ने इस गड्ढे की गहराई को आसानी से नाप लिया ! प्रगति ने छूट दी...पति ऋषिकांत की अनुपस्थिति में
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बनारसिया प्रपोज़ 🤣🤣
हम- "जरा सुनिये ! आप से कुछ काम है ।"
वो - "हाँ बोलिये !"
हम - "आप हमें पहिचानती है??"
वो (कुछ देर सोच कर) - "हाँ... याद आया... आप वही हैं न जो तीन-चार दिना पहिले हमारे पीछे-पीछे घूम रहे थे??"
हम - "हाँ... हम वही है ।"
वो- "का हम जान सकते है आप हमारा पीछा
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काहे कर रहे थे??"
हम - "जी वही बताने तो आए है आपके पास.. उ का है न कि हमारा एक ठो चीज चोरी हो गया है अउर हमको आप पर सक है ।"
वो (थोड़ी ऊँची आवाज़ में) - "त.. आप कोतवाली में जाकर रपट लिखवाइयें न... हम पर का सक कर रहे हैं.. हम का कर दिये भला.. हम त आपको जानते तक नही??"
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हम (मुस्कुराते हुए) - "अरे.. जो कुछ कीं हैं आपही त कीं हैं ।"
वो (भौचक्की आँखों से) - "मतलब.. !"
हम - "अरे.. ओदिनीया आप दसासुमेध घाट पर घुमने आई थी न.. अउर आप के साथ दुई लड़कीयाँ अउर थी अउर दुई-तीन ठो लौंडे भी थे.."
वो - "हाँ.. हाँ.. त का हुआ था उ दिन !!"
हम - "अरे.. ओदिन आपका
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“#मैंने_दहेज़_नहीं_माँगा” साहब मैं थाने नहीं आउंगा,
अपने इस घर से कहीं नहीं जाउंगा,
माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था,
सोच में अन्तर और विचारों में खिंचाव था,
पर यकीन मानिए साहब,“मैंने दहेज़ नहीं माँगा”
मानता हूँ कानून आज पत्नी के पास है,
महिलाओं का समाज में हो रहा विकास है।
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चाहत मेरी भी बस ये थी कि माँ बाप का सम्मान हो,
उन्हें भी समझे माता पिता, न कभी उनका अपमान हो ।
पर अब क्या फायदा, जब टूट ही गया हर रिश्ते का धागा,
यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”
परिवार के साथ रहना इसे पसंद नहीं है,
कहती यहाँ कोई रस, कोई आनन्द नही है,
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मुझे ले चलो इस घर से दूर, किसी किराए के आशियाने में,
कुछ नहीं रखा माँ बाप पर प्यार बरसाने में,
हाँ छोड़ दो, छोड़ दो इस माँ बाप के प्यार को,
नहीं माने तो याद रखोगे मेरी मार को,
यकीन मानिए साहब, “मैंने दहेज़ नहीं माँगा”